सोमवार, 19 दिसंबर 2011

न्याय के लिए वैकल्पिक प्रक्रिया जरूरी: घोष


न्याय के लिए वैकल्पिक प्रक्रिया जरूरी: घोष
उधमसिंहनगर (साई)। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष न्यायमूर्ति  बारिन घोष ने कहा है कि न्यायालयों मंे वादों के बढ़ते दबाव को देखते हुए वैकल्पिक उपायों के रूप में लोक अदालत और एडीआर सिस्टम को लागू किया जा रहा है। ऊधमसिंह नगर के जिला न्यायालय परिसर में करीब डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले न्याय सदन के षिलान्यास के अवसर पर उन्होंने कहा कि एडीआर सिस्टम में वादों का सुलह समझौते व मध्यस्थता के आधार पर निस्तारण की व्यवस्था है, जिससे लोगों को शीघ्र व सस्ता न्याय मिलेगा, साथ ही न्यायालयों पर भी दबाव कम होगा।
इस अवसर पर उच्च न्यायालय के प्रषासनिक न्यायाधीष न्यायमूर्ति डीएस वर्मा ने कहा कि एडीआर सिस्टम से वादों के शीघ्र निस्तारण और न्यायालयों पर दबाव कम होने के साथ ही न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आयेगी। कार्यक्रम में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने बताया कि उच्च न्यायालय सहित प्रदेष के सभी जिला न्यायालयों में न्याय सदन के निर्माण के लिये केंद्र से लगभग सत्रह करोड़ रुपए मिले हैं।
उन्होंने कहा कि भवन के बन जाने पर विभिन्न न्यायालय में वादों को चिन्हित कर सुलह समझौते के आधार पर निस्तारण के लिये एडीआर को संदर्भित करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिये राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में न्यायाधीषों को प्रषिक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि समझौता और मध्यस्थता में वकीलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। श्री अग्रवाल ने बताया कि न्याय सदन में स्थायी लोक अदालत होगी और वादकारियों को निःषुल्क कानूनी सहायता व परामर्ष दिया जायेगा।  

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