सोमवार, 23 अप्रैल 2012

कलेक्टर के अपहरण से हिल गए रमन सिंह


कलेक्टर के अपहरण से हिल गए रमन सिंह

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। छत्तीसगढ़ में भारतीय प्रशासनिक सेवा के जिलाधिकारी के अपहरण ने साफ कर दिया है कि छग में प्रजातंत्र के नाम पर रमन सिंह जंगल राज चला रहे हैं। दो दो गनमेन साथ लेकर चलने वाले जिला कलेक्टर ही जिस राज्य में सुरक्षित ना हों वहां आखिर आम जनता की सुरक्षा की गारंटी मुख्यमंत्री रमन सिंह कैसे ले सकते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने सुकमा के जिला कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए मंत्रिमंडल की एक उप समिति का गठन किया है। चार सदस्यों की यह समिति माओवादियों द्वारा अपहृत श्री मेनन को सुरक्षित छुड़वाने के सभी पहलुओं पर विचार करेगी। इस समिति में राज्य के गृहमंत्री ननकीराम कंवर, लोक निर्माण मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल, अनुसूचित जाति, जनजाति कल्याण मंत्री केदार कश्यप और जल संसाधन मंत्री राम बिचार नेताम शामिल हैं।
कल रात मुख्यमंत्री रमण सिंह की अध्यक्षता में यह फैसला किया गया। इस बीच माओवादियों ने सुकमा के जिला कलेक्टर श्री मेनन को छोड़ने के बदले अपने आठ साथियों की रिहाई और नक्सलरोधी अभियान ग्रीन हंट रोकने की मांग की है। रायपुर में कल नक्सलरोधी कार्रवाई के अपर पुलिस महानिदेशक रामनिवास ने बताया कि यह मांग मीडिया को भेजे एक ऑडियो संदेश में अज्ञात नक्सली नेता ने की है। श्री रामनिवास ने बताया कि कोई भी माओवादी गुट अभी सरकार के सम्पर्क में नहीं है।
नक्सलियों ने अपनी मांग पूरी करने के लिए २५ अप्रैल तक की समय सीमा रखी है। उन्होंने कहा कि ऑडियो टेप की प्रामाणिकता की पुष्टि की जा रही है। श्री रामनिवास ने बताया कि श्री मेनन के अपहरण के संबंध में पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले हैं। श्री मेनन सुरक्षित बताये जाते हैं। उनका शनिवार को माओवादियों ने अपहरण कर लिया था।
इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने कलेक्टर अपहरण मामले में नक्सलियों और सरकार के बीच मध्यस्थता करने की इच्छा जाहिर की है। स्वामी अग्निवेश ने कहा है कि वे सरकार या नक्सलियों की किसी पहल का इंतजार कर रहे हैं।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह और विपक्षी दल कांग्रेस ने सुकमा के कलेक्टर श्री मेनन को तुरंत छोड़ने की अपील की है।
श्री मेनन की पत्नी श्रीमती आशा ने नक्सलियों से अपील की है कि वे उनके पति को तुरंत छोड़ दें, क्योंकि वे दमे के मरीज हैं, और उनके पास पर्याप्त दवाएं नहीं हैं। आई ए एस अधिकारियों की ऐसोसिएशन ने कल रायपुर में बैठक की और माओवादियों से श्री मेनन को छोड़ने की अपील की।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो के अनुसार स्थानीय लोगों ने भी कल शांति मार्च का आयोजन किया और श्री मेनन को छोड़ने की अपील की। शांति मार्च में स्कूली बच्चों सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
सुकमा जिला कलेक्टर की रिहाई के लिए माओवादियों द्वारा रखी गई मांगों के बारे में मीडिया रिपोर्ट के परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा मंत्रिमंडलीय उपसमिति के गठन के निर्णय को काफी अहम माना जा रहा है। हालांकि नक्सलियों की शर्तों के बारे में राज्य सरकार के पास अभी तक अधिकृत रूप से कोई जानकारी नहीं होने की बातें कही जा रही हैं। फिर भी इन मांगों के बारे में मीडिया के जरिये आ रही जानकारी को भी पूर्ण रूप से नकारा नहीं जा सकता। उम्मीद है कि आने वाले चौबीस घंटों में स्थिति और भी स्पष्ट हो जायेगी ताकी जिलाधीश श्री मेनन की सकुशल रिहाई का रास्ता साफ हो सके।
उधर, अपहरण के तीसरे दिन भी कलेक्टर मेनन का कोई सुराग नहीं लग पाया है। नक्सली नेता विजय के नाम से जारी करीब छह मिनट का यह ऑडियो टेप रविवार शाम को बीबीसी संवाददाता को मिला। इस टेप में नक्सलियों ने कलेक्टर को अगवा करने की बात स्वीकार की है।
एक अधिकारी ने इस पर विस्मय करते हुए कहा कि इसमें आश्चर्यजनक रूप से सेना को बस्तर से हटाए जाने का कोई जिक्र नहीं है। बस्तर में माओवादियों से संबंधित सभी मामलों के बंदी सुरक्षा कारणों से जगदलपुर की सेंट्रल जेल में ही हैं। इनकी तादाद 675 है और इनमें 50 से अधिक महिलाएं हैं। इनमें गोपन्ना, चंद्रशेखर रेड्डी और निर्मलक्का समेत आधा दर्जन प्रमुख माओवादी नेता हैं। वहीं पूरी सरकारी मशीनरी भी दिनभर कलेक्टर को मुक्त कराने की कवायद में लगी रही।
माओवादियों ने जिन नक्सलियों को छोड़ने की मांग राखी है, उनमें पहला गोपन्ना बस्तर में सक्रिय था। गरियाबंद जिले के आमागांव इलाके से पकड़ा गया था। उत्तर बस्तर रीजनल कमेटी से उसे गरियाबंद इलाके में बेस तैयार करने के लिए भेजा गया था। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य था। इसके अलावा शांतिप्रिया उर्फ मालती नक्सलियों के सीनियर लीडर गुड़सा उसेंडी की पत्नी, रायपुर और भिलाई में उसे अरबन नेटवर्क तैयार करने का जिम्मा दिया गया था। सिटी कोऑर्डिनेटर की पोस्ट थी। सीपीआई माओवादी में।
तीसरी निर्मलक्का उर्फ विजय लक्ष्मी पश्चिम बस्तर में सक्रिय थी। क्रांतिकारी आदिवासी महिला संघ की अध्यक्ष। वेल्लूर अस्पताल से इलाज करवाकर लौटते समय 2007 में उसे पचपेढ़ीनाका रायपुर में पकड़ा गया था। डीएसजेके की अल्टरनेटिव मेंबर थी। इसके अलावा देवपाल चंद्रशेखर रेड्डी, निर्मलक्का का पति। नक्सलियों की प्रिंटिंग प्रेस का इंचार्ज था। बस में बस्तर जाते समय निर्मला के साथ गिरफ्तार।
सूची में शामिल मीना चौधरी नक्सलियों के रायपुर और भिलाई में फैले अरबन नेटवर्क का हिस्सा थी। रायपुर में जब्त हथियार-विस्फोटकों के मामले में उसे मालती के साथ पकड़ा गया था। असित कुमार सेन नक्सली साहित्य छापने के आरोप में 2007-08 में टिकरापारा रायपुर में उसे पकड़ा गया था। कोरसा सन्नी - मरकाम सन्नी और मरकाम सन्न के रिकार्ड पुलिस अभी खंगालने में जुटी हुई है।

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