मंगलवार, 17 जुलाई 2012

यूपी में गदगद है भाजपा


यूपी में गदगद है भाजपा

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। सालों से हाशिए पर आ चुकी भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश सरकार के लिए नगरीय निकाय चुनावों के परिणामों ने उत्साह से लवरेज करने का काम किया है। विधानसभा चुनाव के जख्म सहला रही बीजेपी ने नगर निकाय चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है। भाजपा ने सोनिया राहुल के साथ ही साथ श्रीप्रकाश जायस्वाल और बेनी वर्मा के गढ़ों में भी सेंध लगा दी है।
इन चुनावों में पार्टी ने मेयर के 12 में से 10 पद जीत लिए हैं। पार्टी के मेयर की संख्या पहले 8 थी। बीजेपी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसका शहरी वोट बैंक अपनी जगह कायम है। वहीं कांग्रेस का इस चुनाव में सफाया हो गया। वह राहुल-सोनिया गांधी के इलाकों अमेठी रायबरेली ही नहीं, केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के शहर कानपुर और बेनीप्रसाद वर्मा के क्षेत्र गोंडा में भी हार गई।
राज्य की दो मुख्य पार्टियां समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वे सीधे तौर पर स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसे में चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच सिमटकर रह गया, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में तीसरा और चौथा स्थान हासिल किया था।
गौरतलब है कि भगवा पार्टी को हमेशा से शहरी मतदाताओं का समर्थन मिला है। लेकिन गुटबाजी से पार्टी को काफी नुकसान हो रहा है। पार्टी ने लखनऊ, अलीगढ़, आगरा, गोरखपुर, मेरठ, वाराणसी, गाजियाबाद, झंसी और मुरादाबाद की मेयर सीट पर कब्जा जमाया। उसके मेयर की संख्या बढ़ी। लेकिन पार्षद 315 से घट कर 302 रह गए। यही नहीं, शहरी क्षेत्रों में मजबूत स्थिति होने के बावजूद बीजेपी किसी भी नगर निगम में पूर्ण बहुमत नहीं पा सकी है।
उधर, समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा एकत्र जानकारी के अनुसार पालिका परिषद सदस्य भी 643 से घटकर 469 पर पहुंच गए हैं। भदोही जिले में नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की गुटबाजी साफ नजर आई। यहां टिकट में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं ने भी घोषित उम्मीदवारों का विरोध किया।
वैसे यह भी कहा जा रहा है कि बडे़ नेताओं ने अपने स्तर पर टिकट बांट दिए। इसी तरह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ। लक्ष्मीकांत वाजपेयी के गृहनगर मेरठ में पार्टी का महापौर तो जीत गया, लेकिन खुद उनके वार्ड में पार्टी का पार्षद हार गया। यही हाल यहां से सांसद राजेंद्र अग्रवाल का भी रहा। उनके वार्ड में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा।
एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा में नई नवेली आईं उमा भारती के विधानसभा क्षेत्र महोबा के चरखारी में दो निकाय हैं। चरखारी नगरपालिका परिषद और कुल पहाड़ नगर पंचायत। इनमें से किसी में भी बीजेपी चुनाव नहीं जीत पाई है। निकाय चुनाव के नतीजों ने फिर साबित कर दिया कि राज्य में कांग्रेस का बुनियादी संगठन खत्म होता जा रहा है। यही वजह रही कि पिछली बार जहां पार्टी के तीन मेयर, 17 परिषद अध्यक्ष और 25 पंचायत अध्यक्ष जीते थे, वहीं इस बार उसका निगमों से सफाया हो गया है। परिषद और पंचायत अध्यक्ष भी घटकर क्रमशः 14 और 21 रह गए हैं।
पार्षदों, परिषद सदस्यों और पंचायत सदस्यों की संख्या भी 60 फीसदी तक घट गई है। सपा और बसपा के अधिकृत तौर पर चुनाव न लड़ने से माना जा रहा था कि उनका वोट कांग्रेस को मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के क्षेत्र गोंडा की नगर पालिका परिषद में निर्दलीय उम्मीदवार जीत गया। केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के गृह नगर कानपुर में भी बीजेपी का महापौर निर्वाचित हुआ। यही नहीं, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र क्रमशः रायबरेली और अमेठी समेत करीब अन्य सभी कांग्रेसी सांसदों के इलाके में पार्टी की दुर्गति हुई।

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