मंगलवार, 17 जुलाई 2012

वाजपेयी का अक्स दिख रहा है गड़करी में!

वाजपेयी का अक्स दिख रहा है गड़करी में!

भाजपा में नए युग के आगाज के संकेत

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी में नए युग का आगाज होने जा रहा है। अटल बिहारी बाजपेयी के सक्रिय राजनीति से किनारा करने के उपरांत एल।के।आड़वाणी उस कमी को पूरा करने में असफल ही साबित रहे हैं। भाजपा में आई इस रिक्तता (वेक्यूम) से संघ के आला नेता चिंतित नजर आ रहे थे। नितिन गड़करी के अध्यक्ष बनने के उपरांत अब संघ नेतृत्व के चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिखाई पड़ने लगे हैं।
ज्ञातव्य है कि 2004 में शारीरिक तौर पर असमर्थ हो वाले भाजपा की नैया के खिवैया अटल बिहारी बाजपेयी ने धीरे धीरे राजनैतिक बिसात से अपने आपको समेटना आरंभ कर दिया था। 2006 के बाद अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने आप को घर में ही मानो कैद कर लिया हो। इसके बाद भाजपा में नंबर टू पोजीशन वाले एल।के।आड़वाणी ने अति उत्साह दिखाया, पर वे कामयाब ना हो सके।
कहा जा रहा है कि 2009 के आम चुनावों के पहले ही आड़वाणी ने खुद को पीएम इन वेटिंग बनवाकर अपनी मिट्टी खराब कर ली। पीएम इन वेटिंग के विवादस्पद बयान और क्रिया कलापों ने उन्हें पार्श्व में ही ढकेल दिया। दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि आड़वाणी के असफल रहने के उपरांत संघ के शीर्ष नेतृत्व की पेशानी पर चिंता की लकीरें उभर आईं थीं।
सूत्रों ने कहा कि संघ नेतृत्व ने इसके उपरांत महाराष्ट्र की सूबाई राजनीति से नितिन गड़करी को उठाकर भाजपा का देश भर का सिरमौर बना दिया। गड़करी के अध्यक्ष बनने की बात से ही काफी बवाल मचा। संघ नेतृत्व चुपचाप सब कुछ देखता रहा। आरंभिक कदम ताल के बाद गड़करी ने काफी हद तक सही और सटीक कदम उठाकर अपने आप को संघ के सामने साबित कर ही दिया।
सूत्रों की मानें तो संघ अब गड़करी में वाजपेयी का ही अक्स देख रहा है, क्योंकि वाजपेयी के उपरांत गड़करी ही हैं, जिनकी कांग्रेस में भी स्वीकार्यता है। यह बात सियासी फिजां में तैरते ही भाजपा के उन नेताओं की रातों की नींद हराम हो गई जो दिल्ली के ताज पर नजरें गड़ाए बैठे थे।
भाजपा नेता उस वक्त आवक रह गए जब गड़करी के छोटे पुत्र के रिसेप्शन में आयोजित भोज में होटल अशोका में कांग्रेस के आला नेताओं ने आमद दी। भाजपा नेताओं को उम्मीद नहीं थी कि कांग्रेस भी भाजपा के निजाम के इस निजी प्रोग्राम में शिरकत करेगा। इससे भाजपाई नेताओं का वह मिथक टूटा की कांग्रेस के लिए भले ही आड़वाणी और नरेंद्र मोदी के साथ ‘‘सुरिक्षत अंतर ठेवा‘‘ यानी सुरक्षित दूरी बनाए रखें का जुमला नीति वाक्य हो पर गड़करी उनके लिए इस श्रेणी से प्रथक ही हैं।
गड़करी पुत्र के रिसेप्शन में भारत गणराज्य के वज़ीरे आज़म डॉक्टर मनमोहन सिंह का पहुंचना सबसे बड़ा अजूबा ही माना जा रहा है। इतना ही नहीं कांग्रेसनीत संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी भी गड़करी के भोज में जा पहुंचे। इस प्रोग्राम में कांग्रेस के अनेक मंत्रियों ने भी अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करवाकर सभी को चौंका दिया।
इस भोज में उपस्थित भाजपा के आला नेता भी हैरानी से सब कुछ देख सुन रहे थे। संघ तो नितिन गड़करी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की छाया देख रहा है, वहीं भाजपा के नेता गड़करी के रिसेप्शन में यह कहते सुने गए कि लगता है भाजपा को वाजपेयी के उपरांत गड़करी के रूप में नया खिवैया मिल ही गया है।

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