सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

देश भर की कांग्रेस बोल रही -‘‘ओक्के राबर्ट‘‘


देश भर की कांग्रेस बोल रही -‘‘ओक्के राबर्ट‘‘

(लिमटी खरे)

टीम अण्णा के सदस्य रहे अरविंद केजरीवाल का सियासी एजेंडा क्या है? वे कांग्रेस या भाजपा के एजेंट हैं? टीम अण्णा को तोड़ने में उनकी महती भूमिका थी? पेट्रोलियम पदार्थों डीजल और रसोई गैस की बढ़ी कीमतों से ध्यान हटाने कांग्रेस की यह नई चाल है? एफडीआई पर रार समाप्त कराने कांग्रेस का यह नया प्रपंच है? इन सारी बातों को या तो केजरीवाल जानते हैं या सियासी पार्टियों के सरमायादार, पर एक बात तो है कि अरविंद केजरीवाल के द्वारा नेहरू गांधी परिवार के दामाद राबर्ट बढ़ेरा पर आरोप लगाकर ठहरे हुए पानी में ना केवल कंकर मारकर हलचल पैदा की है वरन् देश भर में सोई पड़ी कांग्रेस को जगाकर विज्ञप्तियां जारी करने पर मजबूर कर दिया है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट में राबर्ट के पक्ष और विपक्ष में जमकर राजनीति हो रही है। इस समय राबर्ट की टीआरपी सबसे उपर है।


गुजरे जमाने की फिल्मों में ओक्के राबर्टका जुमला हर किसी के मुंह में बसा होता था। आज तीन चार दशकों के बाद कांग्रेस के हर नुमाईंदे के मुंह में फिर एक बार ओक्के राबर्ट ही दिख रहा है। समूची कांग्रेस राबर्ट वढेरा के बचाव में इस तरह उतर गई है मानो राबर्ट कांग्रेस के कार्यकर्ता हों। क्या हैं राबर्ट आखिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दमाद और राहुल गांधी के बहनोई ही तो हैं।
इस डील में सोनिया का नाम आ रहा है इसलिए कांग्रेस का बचाव में उतरना समझ में आता है। पर सीधे सीधे राबर्ट वढ़ेरा के प्रवक्ता बन रहे हैं कांग्रेस के आला नेता। स्वामी भक्ति ठीक है पर इस तरह अपना दीन ईमान ही गिरवी रखकर अगर कांग्रेस के सदस्यों द्वारा राबर्ट वढ़ेरा का बचाव किया जाता है तो यह निंदनीय ही माना जाएगा।
संभव है अपने आप को खबरों और सुर्खियांे में बनाए रखने के लिए टीम अण्णा के सदस्य रहे अरविंद केजरीवाल ने इस तरह के संगीन आरोप सोनिया गांधी के दमाद पर लगाए हों। कांग्रेस के कार्यकर्ता चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि अगर आरोपों में सच्चाई है तो केजरीवाल कोर्ट में जाएं। अरे भगवन, अगर पलटकर केजरीवाल ने कह दिया कि अगर आरोप झूटे हैं तो मानहानि के लिए राबर्ट जाएं ना कोर्ट में! तब क्या स्थिति निर्मित होगी?
केजरीवाल बनाम वढेरा का विवाद अभी इतनी जल्दी हल होता नहीं दिख रहा है। आने वाले समय में यह आग और भड़क सकती है। भाजपा अभी तो शांति के साथ देख रही है कि उंट आखिर किस करवट बैठने का मन बना रहा है। भाजपा सदा की ही तरह अपना स्टेंड उस वक्त निर्धारित करेगी जब मामला पकने की स्थिति में जा पहुंचेगा।
टीम अण्णा के सदस्य रहे अरविंद केजरीवाल का सियासी एजेंडा क्या है? वे कांग्रेस या भाजपा के एजेंट हैं? टीम अण्णा को तोड़ने में उनकी महती भूमिका थी? पेट्रोलियम पदार्थों डीजल और रसोई गैस की बढ़ी कीमतों से ध्यान हटाने कांग्रेस की यह नई चाल है? एफडीआई पर रार समाप्त कराने कांग्रेस का यह नया प्रपंच है? इन सारी बातों को या तो केजरीवाल जानते हैं या सियासी पार्टियों के सरमायादार, पर एक बात तो है कि अरविंद केजरीवाल के द्वारा नेहरू गांधी परिवार के दामाद राबर्ट बढ़ेरा पर आरोप लगाकर ठहरे हुए पानी में ना केवल कंकर मारकर हलचल पैदा की है वरन् देश भर में सोई पड़ी कांग्रेस को जगाकर विज्ञप्तियां जारी करने पर मजबूर कर दिया है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट में राबर्ट के पक्ष और विपक्ष में जमकर राजनीति हो रही है। इस समय राबर्ट की टीआरपी सबसे उपर है।
डीएलएफ लिमिटेड के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने कहा है कि रॉबर्ट वाड्रा और देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी के बीच विवादास्पद ट्रांजैक्शन पर बोर्ड ने कोई चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा है कि अगर आसान लोन और सस्ती डील के आरोप बनते हैं, तो उनकी जांच होनी चाहिए। डीएलएफ के एक इंडिपेंडेंट डायरेक्टर और अर्नस्ट ऐंड यंग इंडिया के पूर्व चेयरमैन के एन मेमानी ने कहा, कि किसी बोर्ड मीटिंग में यह मामला नहीं आया। हमें इस तरह का कोई मामला नहीं मिला है, जिसमें फेवर किया गया है। यह हमारे नोटिस में नहीं आया। हर सेल ट्रांजैक्शन पर विचार करना संभव नहीं है। हालांकि, हम पक्का करने की कोशिश करते हैं कि सभी ट्रांजैक्शन मार्केट प्राइस पर हों।
अब मेमानी के इस तरह के बयान से मामला एक बार फिर संदिग्ध हो चला है। वैसे राबर्ट वढेरा काफी चुस्त चालाक हैं। दूसरी अहम बात यह है कि वे देश के प्रथम राजपरिवार के दमाद हैं अतः उनका हर कदम फूंक फूंक कर रखना लाजिमी ही है। पहली नजर में कोई भी राबर्ट वढ़ेरा से इस तरह की गड़बड़ी की उम्मीद तो नहीं ही कर सकता है। राबर्ट का आरोप सही हो सकता है कि सस्ता पब्लिसिटी स्टंट बनाकर उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने की चाल हो सकती है यह।
राबर्ट ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए सोशल नेटवर्किंग वेब साईट फेसबुक पर कहा कि इस तरह के आरोपों से निपटना उन्हें खूब आता है और उनके स्वामित्व वाली रियल स्टेट कंपनी तथा डीएलएफ के बीच कुछ गलत नहीं हुआ है। कंपनी की ओर से आए जवाब में कहा गया है कि 65 करोड़ रूपए की रकम राबर्ट की कंपनी को बिजनिस एडवांस के बतौर दी गई है। कंपनी ने राबर्ट को डीएलएफ ने अरालियास में अपार्टमेंट बाजार भाव पर ही दिया है। वैसे तो डीएलएफ के बयान लोगों को संतुष्ट करने वाले लग रहे हैं, पर जिस तरह से कांग्रेस राबर्ट के बचाव में आ रही है उससे कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं।
उधर, खबर है कि राबर्ट वाड्रा ने अपना फेसबुक अकाउंट किया बंद कर दिया है। वैसे विवादों के आदी रहे राबर्ट ने फेसबुक पर अपने आप को आम आदमी और देश को बनाना रिपब्लिक बताया था। देश के साथ मजाक करते हुए राबर्ट ने लिखा था मेंगो पीपुल इन बनाना रिपब्लिकआम आदमी बनाना रिपब्लिक में।
यहां गौरतबल होगा कि बनाना रिपब्लिक लेटिन अमरिका के उन देशों के लिए प्रचलित मुहावरा है जहां राजनैतिक अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, अनाचार, दुराचार, माफियाराज, घपले घोटालों का राज हो। इस नजरिए से अगर देखा जाए तो राबर्ट ने अपनी सासू मां सोनिया गांधी और साले राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता का ही सीधे सीधे मजाक उड़ाया है। उन्होंने रात करीब 12 बजे अपना एकाउंट बंद करते साथ ही लिखा कि देश के लोगों को मजाक की तमीज नहीं है।
विवादों में रहने वो राबर्ट पर कांग्रेसनीत संप्रग सरकार पूरी तरह मेहरबान नजर आ रही है। देश के हवाई अड्डों में बिना सुरक्ष जांच के जाने वाले लोगों की फेहरिस्त में 31वीं पायदान पर राबर्ट का नाम है। देश भर में चर्चा हो रही है कि राबर्ट ना तो सांसद हैं, ना विधायक हैं ना ही किसी संवैधानिक पद पर और ना ही राबर्ट ने देश की सेवा में कोई महती भूमिका निभाई है, फिर राबर्ट को यह व्हीव्हीआईपी फेसलिटी क्या सिर्फ इसी वजह से दी गई है कि वे सोनिया गांधी के दमाद हैं?

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