हर्बल खजाना
----------------- 29
सौंफ़: सिर्फ़ एक
मसाल नहीं
(डॉ दीपक आचार्य)
अहमदाबाद (साई)।
भोजन संपन्न होने के बाद खाना पचाने के तौर पर ली जाने वाली सौंफ़ गजब के औषधिय
गुणों वाली होती है। सौंफ़ को लगभग हर भारतीय घरों में किचन में मसाले की तरह और
पानदान मुखवास की तरह देखा जा सकता है। सौंफ़ का वानस्पतिक नाम फ़ीनीकुलम वलगेयर है।
सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम
जैसे कई अहम तत्व पाए जाते हैं। आदिवासियों का मानना है कि सौंफ़ के निरन्तर उपयोग
से आखों की रौशनी बढती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती। प्रतिदिन दिन में
तीन से चार बार सौंफ के बीजों की कुछ मात्रा चबाने से खून साफ होता है और त्वचा का
रंग भी साफ हो जाता है।
डाँग गुजरात के
अनुसार सौंफ़ के नित सेवन से शरीर पर चर्बी नही चढती और कोलेस्ट्राल भी काफ़ी हद तक
काबू किया जा सकता है और इस बात की प्रमाणिकता आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका
है। अपचन और खाँसी होने की दशा में एक कप पानी में एक चम्मच सौंफ को उबालकर दिन
में तीन से चार बार पिया जाए तो समस्या समाप्त हो जाती है।
हाथ-पाँव में जलन
की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया के बीजों और मिश्री को कूट
कर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो
जाता है। (साई फीचर्स)
(लेखक हर्बल मामलों
के जाने माने विशेषज्ञ हैं)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें