सोमवार, 25 जून 2012

. . . मतलब भूरिया आदिवासी विरोधी हैं!


. . . मतलब भूरिया आदिवासी विरोधी हैं!

क्या गलत रिपोर्ट देने वाले पर्यावेक्षक नपेंगे?

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। आजादी के बाद पचास सालों तक कांग्रेस का दामन थामने वाले सिवनी जिले के लखनादौन विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी अपने आप को इस समय ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इसका कारण बताया जा रहा है कि तहसील मुख्यालय लखनादौन में हो रहे नगर पंचायत चुनावों में अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस द्वारा जिस तरह से कदम ताल किए जा रहे हैं उससे उपजी परिस्थितियां। क्षेत्र में तो अब यह चर्चा भी आम हो रही है कि अगर कांग्रेस को इसी तरह लुटिया डुबोना है तो इसका मतलब तो यह हुआ कि कांग्रेस और प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ही आदिवासियों के असली विरोधी हैं।
ज्ञातव्य है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, महासचिव राहुल गांधी भी अपने आदिवासी प्रेम के चलते लखनादौन आ चुके हैं। इतना ही नहीं लखनादौन नगर पंचायत चुनाव में कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी लखनादौन आकर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलकर जा चुके हैं।
कार्यकर्ताओं के जेहन में एक प्रश्न अब तक अनुत्तरित है कि आखिर रणछोड़दास बने कांग्रेस प्रत्याशी को किसकी अनुशंसा पर टिकिट दिया गया था। और अगर वह किसी के डर या बहकावे में आकर मैदान छोड़ गया (जैसा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया सहित समूची प्रदेश कांग्रेस एक सा कोरस गा रही है) तो क्या कांग्रेस के कार्यकर्ता इतने डरपोंक हो गए?
गौरतलब है कि समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा बार बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया से इस संबंध में पूछा गया, हर बार उन्होंने कहा कि अभी पर्यवेक्षक का प्रतिवेदन आने दिया जाए फिर बताएंगे कि प्रत्याशी कौन होगा? फिर कहा गया कि पर्यवेक्षक भेजे हैं मामले का पता करवाते हैं? समर्थन तो निर्दलीय सुधा राय को ही दिया जाएगा जिसे कांग्रेस ने अपना डमी बनाकर खड़ा किया गया था। आठ दिन बीत जाने के बाद भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस संबंध में ना तो कोई कार्यवाही ही की है और ना ही कोई बयान ही जारी किया है।
उधर, सुधा राय को कांग्रेस का डमी प्रत्याशी बताने पर जिला कांग्रेस कमेटी में भी उबाल आ गया है, क्योंकि इसके पहले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और सुधा राय के पुत्र दिनेश राय पर पर्दे के पीछे जुगलबंदी करने के आरोप लगते रहे हैं। अगर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के पास सुधा राय को कांग्रेस का डमी प्रत्याशी होने का फीडबैक है तो इससे कांग्रेस के आला नेताओं की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक ही है। वैसे भी दिनेश राय के कारण ही सुरेश पचौरी के कट्टर समर्थक प्रसन्न चंद मालू की 2008 के विधानसभा चुनावों में जमानत जप्त हो चुकी है।

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