बुधवार, 4 जनवरी 2012

सिर्फ़ एक सब्जी नहीं है भिंडी


सिर्फ़ एक सब्जी नहीं है भिंडी



(डॉ दीपक आचार्य)

महिलाओं की उँगलियों की तरह दिखने वाली फ़ल्लियों की वजह से अँग्रेजी भाषा में इसे लेडीस फ़िंगर भी कहा जाता है हलाँकि इसका वानस्पतिक नाम एबेल्मोस्कस एस्कुलेंट्स है। भिंडी अत्यधिक प्रचलित सब्जियों मे से एक है जो घरों के बगीचों से लेकर खेतों में विस्तार से उगाई जाती है।
सामान्यतः लोग इसे सिर्फ़ एक सब्जी के तौर पे देखते है लेकिन आदिवासी हल्कों में इसे अनेक रोगों के उपचार हेतु प्रयोग में लाया जाता है। पातालकोट के भुमका नपुँसकता दूर करने के लिये कच्ची भिंडी को चबाना बेहतर समझते है वहीं डाँग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार भिंडी का काढा तैयार कर सिफ़लिस के रोगी को देते है।
भिंडी के बीजों को एकत्र कर सुखाया जाता है और बच्चों को इसका चूर्ण खिलाया जाता है, माना जाता है कि ये बीज प्रोटीनयुक्त होते है और उत्तम स्वास्थ्य के लिये बेहतर हैं । मधुमेह के रोगियों को भिंडी चुर्ण (५ ग्राम), इलायची (५ ग्राम), दालचीनी की छाल का चुर्ण (३ ग्राम) और काली मिर्च (५ दाने) लेकर अच्छी तरह से कूट कर मिश्रण तैयार कर लेना चाहिए और प्रतिदिन दिन में ३ बार गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए।
पीलिया, बुखार और सर्दी खाँसी में, बीच से कटी हुयी भिंडी की फ़ल्लियाँ (लगभग ५), निंबू रस (आधा चम्मच), अनार और भुई आँवला की पत्तियाँ (५- ५ ग्राम) आदि को १ गिलास पानी में डुबोकर रात भर के लिये रख देते है। अगली सुबह सारे मिश्रण को अच्छी तरह से पीसकर प्रतिदिन २ बार लगातार ७ दिनों तक दिया जाता है। आदिवासियों के अनुसार कच्ची भिंडी चबाने से वीर्य और शुक्राणुओं की मात्रा में भी खासी बढोतरी होती है और ये स्वभाव से टानिक भी होता है।
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