मंगलवार, 19 जून 2012

किराए पर गौर करे विमानन कंपनियां


किराए पर गौर करे विमानन कंपनियां

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। नागरिक उड्डयन महानिदेशक-डी.जी.सी.ए ने घरेलू विमानन कंपनियों को मार्ग के मुताबिक किरायों पर गौर करने तथा उन्हें तर्कसंगत और समुचित स्तर  पर लाने का निर्देश दिया है। एक अधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि नागरिक उड्डयन महानिदेशक ई.के. भारत भूषण ने सभी घरेलू एयरलाइंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की बैठक बुलाई और विभिन्न घरेलू मार्गों पर किरायों में बेतहाशा वृद्धि पर चिंता जाहिर की। डी.जी.सी.ए को भरोसा दिलाते हुए एयरलाइंस ने अब विभिन्न घरेलू मार्गों पर अधिकतम किराए में पांच से बीस प्रतिशत की कटौती की पेशकश की है।
नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने दोहराया है कि अगर एयर इंडिया के पायलट बिना शर्त हड़ताल वापस लेकर काम पर लौटते हैं तो वे बर्खास्त पायलटों को बहाली करने के लिए तैयार हैं। श्री सिंह ने कल मुंबई में संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही। इंडियन पायलट्स गिल्ड से जुड़े एयर इंडिया के लगभग चार सौ पायलट बोइंग-७८७ ड्रीम लाइनर विमान के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम में बदलाव और अपने काम से जुड़े मुद्दों को लेकर हड़ताल पर हैं।
घरेलू हवाई रूटों पर अचानक किरायों में बढ़ोतरी पर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के कड़े रुख के बाद प्राइवेट एयरलाइंस कंपनियों ने विभिन्न रूटों पर सर्वाधिक किराया बकेट में 5 से 20 फीसदी तक की कटौती का प्रस्ताव किया है। डीजीसीए ने इन कंपनियों से कहा है कि वे संशोधित किराया सूची अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड करें।
डीजीसीए ने सभी घरेलू एयरलाइंस कंपनियों के सीईओ की सोमवार को बैठक बुलाई थी। इसमें डीजीसीए ने कहा कि जून 2011 की तुलना में इस साल जून में एटीएफ मूल्यों में 16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हवाई किरायों में इससे कहीं ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। एक ही रूट पर अलग-अलग एयरलाइनों के अधिकतम हवाई किरायों में भी अंतर है। मई में पैसेंजरों की तादाद में गिरावट आई। फिर भी किराए बढ़ा दिए गए।
डीजीसीए ने कहा कि पैसेंजरों को यह भी नहीं बताया जाता कि बढ़े हुए किराए कब से लागू होंगे। ऐसा भी होता है कि पहले तो किराए ज्यादा रखे जाते हैं, लेकिन जब उड़ान की तारीख नजदीक आती है तो किराए कम कर दिए जाते हैं। एयरलाइन कंपनियों ने आश्वासन दिया है कि वे किरायों के हाई बकेट में कमी करने पर विचार करेंगे और उसमें 5 से 20 फीसदी तक कटौती कर सकते हैं।

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