गुरुवार, 16 अगस्त 2012

दंगों में शक के घेरे में है मुंबई पुलिस


दंगों में शक के घेरे में है मुंबई पुलिस

(दीपक अग्रवाल)

मुंबई (साई)। मुंबई में हुए दंगों में यहां की स्थानीय पुलिस भी अब शक के दायरे में आने लगी है। दंगे के दौरान एक शख्स को गिरफ्तार करने वाले डीसीपी पर मुंबई पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक जिस तरह भड़के उससे तो यही लगता है। कमिश्नर ने डीसीपी को जमकर झाड़ लगाई और उस शख्स को छोड़ने का आदेश दिया।
एक वेब साईट पर अपलोड किए गए एक विडियो के मुताबिक, एक दंगाई को जब डीसीपी डीसीपी रवींद्र शिश्वे ने गिरफ्तार किया तो उनपर कमिश्नर पटनायक भड़क गए। पटनायक ने कहा, कि इसे गिरफ्तार करने के लिए आपको किसने बोला? पटनायक यहीं तक नहीं रुके। उन्होंने डीसीपी को सस्पेंड करने की धमकी भी दे डाली।
पटनायक ने कहा, आप सांगली के एसपी नहीं हैं, आप मुंबई के डीसीपी हैं। आपको जो कहा जा रहा है, उसे फॉलो कीजिए, नहीं तो सस्पेंड कर दिए जाएंगे। उन्होंने डीसीपी को यह भी कहा कि मैं मुंबई का पुलिस कमिश्नर हूं और आप मेरे निर्देशों का पालन कीजिए। इसके बाद डीसीपी ने उस शख्स को छोड़ दिया।
असम में हुए दंगे के खिलाफ पिछले शनिवार को मुंबई में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग अचानक हिंसक हो गए और आगजनी व दंगा करने लगे। इस दंगे में 2 लोग मारे गए थे और 50 लोग घायल हो गए थे।
पुलिस कमिश्नर से जब इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इस बाबत एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उस समय स्थिति बहुत नाजुक थी अगर हम किसी भी शख्स को गिरफ्तार करते तो भीड़ और हिंसक हो जाती और दंगा और भड़क जाता। उन्होंने कहा, कि उस वक्त हमारी रणनीति यह थी कि हम पहले दंगाइयों को अलग करें ताकि हिंसा पर नियंत्रण किया जा सके। हम दंगा करने वालों को बाद में गिरफ्तार करेंगे।
दंगाइयों से सख्ती से निपटने के मामले में मुंबई पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि दंगा के दौरान अमर जवान ज्योति (शहीद स्तंभ) को लात मारने वाले शख्स की पहचान हो चुकी है। मुंबई के अखबारों में यह खबर छप चुकी है कि वह शख्स फारस रोड का रहने वाला है और वह वहां पर खुला घूम रहा है लेकिन पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। पिछले कुछ सालों का मुंबई पुलिस का रेकॉर्ड बताता है कि दंगाइयों की गिरफ्तारी के मामले में उसका रेकॉर्ड काफी खराब रहा है।
मार्च 2006 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश जब भारत की यात्रा पर आए थे तो मुंबई में उनके खिलाफ विराध प्रदर्शन हुए थे और भीड़ बेकाबू हो गई थी और दंगे हुए थे। यही नहीं, पैगंबर मोहम्मद साहब की कार्टून छपने पर यहां पर विरोध प्रदर्शन किए गए थे और भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया था। लेकिन मुंबई पुलिस अब तक इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
शिवसेना और एमएनएस ने दंगाइयों से सख्ती से न निपटने पर मुंबई पुलिस और राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा सरकार को श्नपुंसकश् कहा है। वहीं, एमएनएस चीफ राज ठाकरे ने मुंबई पुलिस की जमकर खिंचाई की है।

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