गुरुवार, 16 अगस्त 2012

शर्मा, सूर्यवंशी बनाम बेल्‍लारी बंधु

शर्मा, सूर्यवंशी बनाम बेल्‍लारी बंधु
(सरिता अरगरे)

भोपाल (साई)। भाजपा राज में रेड्डी बंधुओं के भ्रष्टाचार की काली कहानी जानने के लिए कर्नाटक मत जाइये. देश के दिल मध्य प्रदेश आइये. भाजपाई सत्ता ने अपने संरक्षण से यहां भी कुछ रेड्डी बंधुओं जैसे नेतानुमा उद्योगपति पैदा कर दिये हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या फिर प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा. वे सब मिल जुलटकर भ्रष्टाचार की पैदाइश ऐसे रेड्डी बंधुओं को पाल पोस रहे हैं. मध्य प्रदेश में भी सत्ता, मीडिया और उद्योगपतियों का एक ऐसा त्रिभुज बन गया है जिसके किसी भी सिरे पर जनहित नहीं बचा है.

दिल्ली में बाबा रामदेव भले ही कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजाएं लेकिन लगता है वे जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं. जून में मध्य प्रदेश शासन ने जिन दो भाजपा के नेतानुमा उद्योगपतियों(दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा) के यहां छापेमारी करके करोड़ों बरामद किया था, कभी बाबा रामदेव उनको आशिर्वाद देकर आ चुके हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बाबा रामदेव के साथ दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा के फोटो जारी कर बाबा की सच्चाई को जगज़ाहिर कर दिया है। तस्वीरों में से एक में दिलीप सूर्यवंशी एक कार्यक्रम के दौरान बाबा के चरण छू रहे हैं। वहीं, दूसरी तस्वीर में बाबा के दायें-बायें छप्परफ़ाड़ तरीके से धनकुबेर बने सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा खड़े हैं। सवाल है कि बाबा रामदेव भाजपाइयों के काले धन और भ्रष्टाचार के मामले में मौन क्यों हैं?

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब जापान, सिंगापुर और कोरिया की दस दिन के दौरे पर थे, तब आरएसएस नेता सुरेश सोनी के करीबी बीजेपी नेता सुधीर शर्मा और शिवराज के करीबी बिल्डर दिलीप सूर्यवंशी के 60 ठिकानों पर इनकम टैक्स ने छापे मारे और साढ़े छह करोड़ रुपये नकद, दस किलो सोना और सैकड़ों एकड़ जमीन के कागजात जब्त किए थे। सूर्यवंशी के घर से बड़ी तादाद में मंत्रियों की तबादले संबंधी नोटशीट्स भी मिली थीं। इन सरकारी कागज़ात का मिलना साफ़ गवाही देता है कि सूर्यवंशी का सत्तादृसाकेत में कितना और किस हद तक सीधा दखल था। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि राखी सावंत से लेकर ओबामा और भोपाल की गली-कूँचों से लेकर वाशिंगटन तक के हर छोटे-बड़े मसले पर तत्काल बयान जारी करने वाले मुख्यमंत्री अपने रात-दिन के करीबी पर खामोशी अख्तियार किए बैठे हैं।

उधर पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने सीडी जारी कर दिलीप सूर्यवंशी से मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तों का खुलासा किया है। सीडी में साल 2008 की एक वीडियो क्लिपिंग जिसमें सीएम का उदबोधन है और श्री सूर्यवंशी के संबंध में बात कही गई है। इसमें मुख्यमंत्री चार साल पहले खुले मंच से दिलीप सूर्यवंशी और खनन माफिया सुधीर शर्मा से सीधे संबंध स्वीकारते दिखाई पड़ रहे हैं। उन्होंने यहाँ तक कहा है कि मेरे बचपन के दौर के पालन पोषण में सूर्यवंशी परिवार का बड़ा योगदान रहा है।

सत्ताधीशों की करीबी पाकर लक्ष्मी की कृपादृष्टि पाने का खेल समझने के लिए इतना जानना काफ़ी है कि आठ साल पहले दिलीप सूर्यवंशी के पास तेरह डंपर थे जिनकी संख्या बढ़कर अब 1820 हो गई है। इसी तरह सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षक रहे सुधीर शर्मा पर कुबेर की असीम अनुकंपा का नज़ारा कुछ ऎसा रहा कि “आचार्यजी” प्रदेश में सबसे ज़्यादा आयकर देने के बावजूद भी आयकर छापों के फ़ेर में उलझ गये। ज़ाहिर है इतनी अकूत संपदा इतनी छोटी सी अवधि में ईमानदारी और मेहनत से अर्जित कर पाना नामुमकिन है। साफ़ है कि लक्ष्मी और कुबेर से ज़्यादा इन पर सरकार के मुखिया और पार्टी के कुछ चुनिंदा नेताओं  की खास नज़रे इनायत रही।

शुरुआती दौर में मध्य प्रदेश में इन कारोबारियों पर इनकम टैक्स छापों का मामला गंभीर होता नज़र आ रहा था। इस मुद्दे पर पोस्टर वॉर शुरू हो गया। एक बारगी तो ऎसा लगा मानो इस मुद्दे पर भाजपा को ना सिर्फ़ मुख्यमंत्री बदलना पड सकता है, बल्कि कर्नाटक के येदियुरप्पा के मामले से भी कई गुना ज़्यादा बड़े तमाम घोटालों पर किरकिरी झेलना पड़ सकती है। मगर भला हो काँग्रेस के नेताओं खास तौर पर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह , विधायक कल्पना परुलेकर और चौधरी राकेश सिंह का, जिन्होंने वक्त रहते सरकार के “साँच पर आँच” नहीं आने दी। हालांकि छापों के तुरंत बाद कांग्रेस ने भोपाल में पोस्टर लगाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ग्यारह सवाल पूछे थे। कांग्रेस का आरोप था कि जिन कारोबारियों के यहां छापे पड़े हैं, वे सब शिवराज सिंह के खास करीबी हैं और उनकी ही मेहरबानी से रातोंरात अरबपति बन गए हैं।

पोस्टरों में दावा किया गया था कि साढ़े छह साल पहले दिलीप सूर्यवंशी की कंपनी दिलीप बिल्डकॉन का टर्नओवर तेरह करोड़ रुपये था, आज जेट की रफ़्तार से एक हजार करोड़ रुपये तक जा पहुँचा है। उनकी कंपनी चार हजार करोड़ रुपये के ठेकों पर काम कर रही है। पोस्टर में सवाल पूछा गया कि क्या दिलीप सूर्यवंशी ने मुख्यमंत्री के अरेरा कॉलोनी के फ्लैट ई-3/163 की साज सज्जा पर बीते साल बीस लाख रुपये खर्च नहीं किए? मुख्यमंत्री के निजी सचिव का भाई दिलीप सूर्यवंशी के किस कारोबार में पार्टनर है? इन आरोपों के जवाब में मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष प्रभात झा का कहना था कि क्या बीजेपी के लोग व्यापार नहीं करेंगे? और व्यापार करेंगे तो क्या इनकम टैक्स वाले टैक्स नहीं मांगेगे। ये कोई अपराध नहीं है। मनुष्य की वृत्ति होती है टैक्स बचाना और इनकम टैक्स का काम होता है, ज्यादा इनकम होने पर टैक्स लेना और अपने अपने काम में सब लगे हैं।  

मीडिया मैनेजमेंट और निहित स्वार्थों के कारण विपक्ष के ढ़ीले पड़ते तेवरों से बेशक सूबे के मुखिया कुछ और वक्त तक अपना चेहरा चमकाए रख सकते हैं , लेकिन इस हकीकत को झुठलाया नहीं जा सकता कि सच्चाई को लम्बे वक्त तक दबाना या छिपाना किसी के बूते की बात नहीं है। गुज़रते वक्त के साथ सच्चाई खुद ब खुद बाहर आकर ही रहेगी। रसूख से लोगों का मुँह बंद किया जा सकता है। नोटों से समाज पर असर डालने वाले चंद लोगों को कुछ वक्त के लिये अपने पक्ष में खड़ा किया जा सकता है। इस सबके बावजूद वक्त की बदलती चाल दूध का दूध और पानी का पानी किए बिना नहीं रहती।

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