शनिवार, 29 सितंबर 2012

केजरीवाल से जमकर खफा हैं अण्णा


केजरीवाल से जमकर खफा हैं अण्णा

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। एक समय अण्णा हजारे की जान बने अरविंद केजरीवाल से इस समय अण्णा हजारे जमकर खफा हैं। केजरीवाल द्वारा पार्टी बनाए जाने के निर्णय ने अण्णा हजारे को जमकर आहत किया है। अण्णा का मानना है कि केजरीवाल दरअसल, सियासी नेताओं के हाथों की कठपुतली बने रहे जिसके चलते अण्णा का आंदोलन जमकर प्रभावित हुआ है। अपने ब्लाग के माध्यम से अण्णा ने केजरीवाल को जमकर कोसा है।
अन्ना हजारे ने अप्रत्यक्ष रूप से अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है। हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पार्टी बनाने के निर्णय से विभाजित हुआ है। पार्टी के समर्थन में आने से आंदोलन के तेवर पर असर पड़ा। अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल से मतभेद के बाद बाबा रामदेव से नजदीकी का हवाला देकर आरएसएस और सांप्रदायिक ताकतों से जोड़ने की कड़ी निंदा की।
अन्ना हजारे ने कहा कि जो पार्टी बनाने के पक्ष में थे उनसे मेरी असहमति साफ थी। इसके बावजूद मेरे निर्णय के खिलाफ पार्टी बनाने की योजना पर अमल किया गया। अन्ना ने कहा, श्कई लोग कहते हैं कि मैंने पार्टी बनाने पर सहमति दे दी थी लेकिन यह सही नहीं है।
75 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने ताजा ब्लॉग में लिखा है कि पिछले दो सालों में यूपीए सरकार की लाख कोशिश के बावजूद आंदोलन विभाजित नहीं हुआ। वही मजबूत आंदोलन बिना सरकार की कोशिश के विभाजित हो गया। इसकी प्रमुख वजह एक ग्रुप के चुनावी राजनीति में जाने के फैसले रही। अन्ना हजारे ने कहा कि दुर्भाग्य से आंदोलन विभाजित नहीं हुआ होता तो लोकपाल बिल 2014 के आम चुनाव से पहले ही पास हो गया होता। एक ग्रुप ने चुनावी राजनीति में जाने का निर्णय लिया और दूसरा आंदोलन के साथ खड़ा है।
अन्ना हजारे ने इस बात पर दुख जताया कि उन्हें सांप्रदायिक संगठनों के साथ जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक जीवन में मेरा किसी भी संगठन से कोई रिश्ता नहीं रहा। अन्ना हजारे ने कहा कि मैं जीवन के अंतिम सांस तक किसी पार्टी या संगठन का हिस्सा नहीं बनूंगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन राजनीति की वजह से विभाजित हुआ। हजारे ने कहा कि चुनाव करीब आ रहा है। कुछ पार्टी मेरा नाम चुनाव में अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन केवल आंदोलन रहेगा क्योंकि यह पवित्र है।

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