शनिवार, 29 सितंबर 2012

इमेल बिल्डिंग के प्रति सजग है अंडर वर्ल्ड


इमेल बिल्डिंग के प्रति सजग है अंडर वर्ल्ड

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। अपनी स्वच्छ, उजली, धवल छवि के लिए हर व्यक्ति या संस्था द्वारा जनसंपर्क अधिकारी (पब्लिक रिलेशन ऑफीसर) रखने की परंपरा अब हर क्षेत्र में दिखने लगी है। इस परंपरा का जादू इस कदर सर चढ़कर बोल रहा है कि अब तो गुण्डे बदमाश, उठाईगीरे भी पीआरओ रखने लगे हैं।
मुंबई से प्रकाशित एक समाचार पत्र मे क्राइम बांच के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि अंडरवर्ल्ड के पीआरओ मूलतः व्हाइट कॉलर लोग होते हैं। अंडरवर्ल्ड सरगनाओं ने उन्हें आदेश रखा है कि वे हर पुलिस स्टेशन , क्राइम ब्रांच यूनिट्स , पुलिस मुख्यालय , एटीएस , सीबीआई , बीएमएसी हेडक्वॉर्टर , मंत्रालय जाएं और वहां बड़े - बड़े अधिकारियों के साथ रोज बैठकर उनके साथ रिश्ते बढ़ाएं।
इस रिश्तों को बनाने और बढ़ाने के पीछे की मूल वजह यह है कि अंडरवर्ल्ड के सभी अवैध कामों को पूरा होेने में कोई दिक्कत न आए। इस अधिकारी के अनुसार , पुलिस सहित हर बड़े सरकारी विभाग में विजिर्ट्स के नाम रजिस्टर में या कंप्यूटर में फीड़ होते हैं। यदि पिछले छह महीने या साल भर की पूरी लिस्ट निकाली जाए , तो इसमें कई नाम संदेहास्पद चरित्र वाले मिलेंगे। काफी अधिकारी ऐसे लोगों को इंटरटेन नहीं करते , पर कई शायद इनके ट्रैप में फंस भी गए हैं , तभी तो अंडरवर्ल्ड के ये पीआरओ लगातार सक्रिय हैं।
अखबार ने आगे लिखा है कि क्राइम ब्रांच सूत्रों का कहना है कि इस वक्त छोटा राजन के मुंबई में सबसे ज्यादा पीआरओ सक्रिय हैं , क्योंकि राजन को अपने कई बेनामी प्रोजेक्ट पास कराने हैं। राजन का कभी चीफ पीआरओ भी हुआ करता था - पॉल्सन जोसेफ , पर जे . डे मर्डर में क्राइम ब्रांच ने डेढ़ साल पहले उसे गिरफ्तार कर लिया। यह पॉल्सन ही था , जिसने तीन साल पहले चेंबूर के एक नामी क्लब में र्क्रिसमस पार्टी आयोजित की थी। इस पार्टी में फरीद तनाशा सहित अंडरवर्ल्ड के कई लोग तो आए ही थे , पॉल्सन की पीआरओशिप की वजह से इसमें कई पुलिसवाले भी शामिल हुए थे। जेे . डे मर्डर में क्राइम ब्रांच ने जिस विनोद चेंबूर को गिऱफ्तार किया है , उसके बारे में भी कहा जाता है कि वह राजन का पीआरओ था। विनोद एक क्रिकेट बुकी भी था। ऐसे कहा जाता है कि विनोद ने कुछ पुलिस वालों को मैनेज कर रखा था , ताकि सट्टे के राजन के कारोबार में कोई खलल न पड़े।
अखबार के अनुसार क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार , एक और डॉन रवि पुजारी ने भी रवि पंजाबी नाम का पीआरओ रखा था। वह भी अलग - अलग पुलिस अधिकारियों के पास रोजाना बैठा करता था। उसे तीन साल पहले मकोका ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। कमलाकर जामसांडेकर मर्डर केस में पिछले महीने आजीवन कारावास पाए अरुण गवली ने कई साल पहले अखिल भारतीय सेना नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी। इस पार्टी के लिए उसने अपने कुख्यात शूटर जितेंद्र दाभोलकर को पीआरओ बनाया था। दाभोलकर का अब मर्डर हो चुका है। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार , गवली की पार्टी में दाभोलकर के नाम से ही प्रेस नोट जारी होता था। दाऊद का भी एक पीआरओ था , नाम था उसका सतीश राजे। पापा गवली के मर्डर के बाद आरोप है कि अरुण गवली ने उसका मर्डर करवा दिया था।
इसी तरह दाऊद की तरह उसके भाई अनीस इब्राहिम को भी बॉलिवुड की अभिनेत्रियों से दोस्ती का बहुत शौक है। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार , अनीस ने बॉलिवुड की एक अभिनेत्री को बोलकर रखा था कि दिल्ली में बड़े राजनेताओं से अपने संपर्क बढ़ाएं। इस पीआरओशिप के लिए अनीस ने अपने एक आदमी के जरिए दस लाख रुपये भिजवाए थे। 26/11 में शहीद हुए विजय सालसकर ने अनीस के इस आदमी को पकड़ा भी था। बॉलिवुड की इस अभिनेत्री ने कई चुनावों में प्रचार भी किया है। उसने टिकट पाने की भी बहुत कोशिश की , पर वह उसमें सफल नहीं हुई।

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