सोमवार, 16 अप्रैल 2012

मुख्यमंत्री श्री चैहान से मिले श्री जयराम रमेश


मुख्यमंत्री श्री चैहान से मिले श्री जयराम रमेश
भोपाल (साई)। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान ने प्रधानमंत्री सड़क योजना, इंदिरा आवास तथा समग्र स्वच्छता के तहत मर्यादा अभियान के लिये केन्द्र सरकार से मध्यप्रदेश को अपेक्षित धनराशि उपलब्ध करवाने का आग्रह किया है। श्री चैहान से यहाँ केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भेंट की। दोनों के बीच प्रदेश के ग्रामीण विकास से जुड़े मसलों पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।
केन्द्रीय मंत्री श्री रमेश ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में राज्य की ओर से 600 से 1000 तक जनंसख्या वाले गाँवों की 1722 किलो मीटर सड़क निर्माण के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदनों पर स्वीकृति दी गयी है। उन्होंने बताया कि 630 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाये जायेंगे।
उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि अब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की प्रगति और संबंधित मुद्दों की समीक्षा के लिए एक माह में दो बार बैठकें आयोजित की जायगी। इससे राज्यों के प्रस्तावों के निराकरण में तेजी आयेगी। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के पहले चरण में बनी सड़कों के डामरीकरण के लिए अतिरिक्त धनराशि की माँग करते हुए केन्द्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि पहले चरण में केवल ग्रेवल रोड की स्वीकृति दी गयी थी।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण सड़कों की चैड़ाई 7.5 मीटर से कम कर 6 मीटर करने की ओर भी श्री रमेश का ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों का बेहतर उपयोग हो रहा है। राज्य ने ग्रामीण परिवहन भी शुरू करने की अनूठी पहल की है। भविष्य में इन पर यातायात का दबाव भी बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सड़कों की संधारण के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता रेखांकित की। श्री रमेश ने कहा कि 19 हजार 400 किलोमीटर सड़कों के उन्नयन के लिए मध्यप्रदेश हकदार है। इसमें से शेष 6 हजार किलोमीटर सड़कों के उन्नयन के लिए भारत सरकार आवश्यक धनराशि देने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री ने एकीकृत कार्य योजना (आई.ए.पी.) वाले जिलों के ऐसे गाँवों को जोड़ने का आग्रह किया है जो कोर नेटवर्क क्षेत्र में शामिल नहीं किये गये हैं। उन्होंने सिंगरोली का उदाहरण देते हुए कहा कि सीधी जिले से अलग हुये सिंगरोली के गाँवों को भी आई.ए.पी. में जोड़ना चाहिए। इसके अलावा आई.ए.पी. जिलों के ऐसे करीब पचास गाँव हैं जिन्हें जोड़ना जरूरी है। इस संबंध में श्री रमेश ने मुख्यमंत्री से एक औपचारिक पत्र भेजने का अनुरोध किया।
इंदिरा आवास योजना में आवास ईकाइयों की संख्या बढ़ाने का आग्रह करते हुए श्री चैहान ने श्री रमेश को अवगत कराया कि जनसंख्या के ताजा आँकड़ों में हितग्राहियों की संख्या बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि समग्र स्वच्छता के लिए एक सघन अभियान ‘‘मर्यादा’’ शुरू किया गया है। इसके लिए केन्द्र से मदद की जरूरत होगी। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि समग्र स्वच्छता अभियान के मार्गदर्शी मापदण्डों में बदलाव लाते हुए अब गरीबी और अमीर रेखा का मापदंड समान कर दिया जायेगा। ग्राम पंचायतें निर्मल ग्राम के मापदंडों का परीक्षण करेंगी और निर्णय लेंगी। उन्होंने कहा कि समग्र स्वच्छता अभियान में अब शौचालय निर्माण के लिए ज्यादा अनुदान मिलेगा क्योंकि इस क्षेत्र में बजट बढ़ा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इससे राज्यों में स्वच्छता अभियान में तेजी आयेगी।
श्री चैहान ने पीने के पानी के प्रदाय के लिए केन्द्र से ज्यादा धनराशि उपलब्ध करवाने के संबंध में चर्चा करते हुए केन्द्रीय मंत्री से कहा कि गिरते भू-जल को देखते हुए हेंडपम्प के उपयोग को धीरे-धीरे समाप्त करते हुए पाईप्ड वाटर सप्लाय योजना को अपनाने की जरूरत है। राज्य इस दिशा में प्रयास करेगी। इसके लिए करीब 12 सौ करोड़ रुपये की जरूरत है। हेंडपम्प पर निर्भरता के बजाय नल-जल योजनाओं को बढ़ावा देने के विचार से सहमति जताते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार अब पीने के पानी की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान दे रही है। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि फ्लोराईड गाँवों के लिए परियोजनाएँ बनाकर भेजें। केन्द्र सरकार पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवायेगी। श्री चैहान ने श्री रमेश को स्वच्छ जल प्रदाय के लिए बनायी रणनीति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सौर्य ऊर्जा से चलने वाले जलप्रदाय पंप स्थापित करने की परियोजनाएँ भी बनायी जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि केन्द्र द्वारा संचालित योजनाओं को प्रदेश में बेहतर तरीके से क्रियान्वित किया जा रहा है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि पंचायतों की क्षमता निर्माण के लिए अलग से धनराशि उपलब्ध करायी गई है। उन्होंने कहा कि इस बात पर विचार चल रहा है कि 12वीं योजना के अंत तक ग्रामीण विकास के कुल बजट का 50 प्रतिशत राज्यों को बिना किसी औपचारिकता और बंधन के सीधे मिल जाये ताकि राज्य आवश्यकतानुसार योजनाएँ बना सके। इसकी शुरूआत अगले वर्ष से ही हो जायेगी। मुख्यमंत्री ने इस विचार सहमत होते हुए कहा कि मध्यप्रदेश ने राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठकों में निरंतर इस मुद्दे को उठाया है और केन्द्र को अवगत करवाया कि राज्यों को अपनी सामाजिक, आर्थिक और भौगौलिक परिस्थितियों के अनुसार विकास योजनाएँ बनाने की स्वतंत्रता होना चाहिए।

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