सोमवार, 16 अप्रैल 2012

अब अखिलेश यादव की सेना की दिल्ली कूच की तैयारी में


अब अखिलेश यादव की सेना की दिल्ली कूच की तैयारी में

(सी.एस. जोशी)

कुण्डेश्वरी/देहरादून (साई)। देश भर में गर्मागर्म चर्चा थी कि भारतीय सेना ने विद्रोह कर दिया था। 16 जनवरी को वह दिल्ली की ओर बढ़ गई थी।  बाद में इस बारे में चर्चा करने पर कोर्ट ने रोक लगायी परन्तु  2014 में जो सेना दिल्ली की ओर बढने की तैयारी कर रही है वह वह भारतीय सेना नहीं अखिलेश यादव की सेना है जिसकी दिल्ली कूच की तैयारी पूरी हो चुकी है और जिसके लिए माहौल व लक्ष्ण भी दिखने लगे हैं। भाजपा, रालोद व अन्य कुछ विधायक मुख्यमंत्री अखिलेश के आभामण्डल में खोते हुए उनकी सराहना व उन्हें बधाई देते हुए नजर आ रहे हैं, ऐसा यूपी में पहली बार हो रहा है।
वहीं उत्तर प्रदेश पर अपना जादू दिखाने के बाद उमर दराज हो चुके मुलायम सिंह यादव को दिल्ली का तख्त ज्यादा दूर नजर नहीं आ रहा है। अपने कुशल सेनापति के सहारे मुलायम सिंह  का आशियाना  7, रेसकोर्स रोड हो सकता है। समाजवादी पार्टी के नवोदित युवराज अखिलेश अपने पिताश्री की राह को निष्कंटक बनाने में जुट गये हैं।  मुलायम सिंह यादव जैसे खाटी राजनैतिज्ञ के पुत्र तथा डिंपल जैसी अर्धागिनी पाकर अखिलेश हिन्दुस्तान की राजनीति के सबसे बडे चमकते हुए सितारे के रूप में आभामण्डल में स्थापित होने जा रहे है जिसका देश को दूरगामी लाभ मिलना तय है।
अखिलेश की सेना के दिल्ली कूच के अनेक माहौल व लक्ष्ण भी अभी से बनने शुरू हो गये हैं जिसके तहत प्रथम माहौल व लक्ष्ण के तहत 14 अप्रैल 2012 को आगरा में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. एसपी सिंह बोल ने शुक्रवार को एक चैंकाने वाली बात कही। उन्होंने कहा कि अगर सपा व बसपा मिल जाएं तो इसकी आंधी में सभी दल उड़ जाएंगे।
वह 13 अप्रैल को अखिल भारतीय अनुसूचित जाति-जनजाति रेलवे कर्मचारी संा की ओर से रेलवे संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।  सपा-बसपा के बयान पर  प्रो. एसपी सिंह बोल  का कहना था कि लोहिया और बाबा साहब समाज में एकरूपता लाना चाहते थे। इसी संदर्भ में उन्होंने यह बात कही।  
द्वितीय माहौल व लक्ष्ण के तहत लखनऊ में पूर्व मंत्री तथा राष्ट्रीय लोकदल विधायक दल नेता रहे कोकब हमीद के त्यागपत्र ने विधान परिषद चुनाव में अजित सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी है।  कोकब के फैसले से रालोद कांग्रेस का गणित गड़बड़ा गया है ।  
तीसरे बनते माहौल व लक्ष्ण के तहत उत्तर प्रदेश में भाजपा आगे देखने के बजाय पीछे की ओर चल रही है। संगठन से लेकर विधानसभा तक उसका नया नेतृत्व अपने पूर्ववर्ती से उम्रदराज है।  गडकरी ने अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के युवा नेताओं में जागी उम्मीद अब निराशा में बदलने लगी है। भाजपा की यह स्थिति तब है जबकि राज्य का नेतृत्व सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री सपा नेता अखिलेश यादव के हाथ में है। कांग्रेस में भी प्रदेश में नेता कोई भी बने, लेकिन सूबे की असली कमान तो राहुल गांधी ही संभाले है। बसपा के तो समीकरण ही अलग है। इन सारे दलों के राज्य में प्रभावी नेतृत्व को देखे तो भाजपा का नेतृत्व ही सबसे बूढ़ा है। ऐसे में भाजपा का युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ने व युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने का नारा खुद पार्टी के मंच पर ही दम तोड़ता दिखता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संा ने भले ही भाजपा में केंद्रीय स्तर पर दखल देकर गडकरी को राष्ट्रीय कमान सौंप दी हो, लेकिन गडकरी की राज्यों में युवा नेतृत्व को उभारने की हिचक साफ दिख रही है। भाजपा  ने जो फैसला लिया उसमें विधानसभा में दल की कमान का चुनाव हार गए 71 साल के ओमप्रकाश सिंह की जगह 73 साल के हुकुम सिंह को और प्रदेश अध्यक्ष पद पर 58 साल के सूर्य प्रताप शाही की जगह 61 साल के लक्ष्मीकांत वाजपेयी को तैनात किया गया है। इससे पार्टी में युवाओं को पार्टी से जोड़ने का मंसूबा अधूरा रह गया है।    
वहीं, कांग्रेस के अंदरखाते से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो कांग्रेस के सलाहकार यह मान रहे हैं कि सीनियर नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव ना तो प्रधानमंत्री बन सकते हैं और ना ही महामहिम राष्ट्रपति ही। उपराष्ट्रपति भी नहीं बन पाएंगे। इसके पीछे जो दलील दी जा रही है वह यह है कि चूंकि सीनियर नेताजी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है अतः वे संवैधानिक पद ग्रहण ही नहीं कर सकते हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि अगर सीनियर नेताजी ने कांग्रेस को आंख दिखाई तो सरकार के इशारे पर सीबीआई द्वारा सीनियर नेताजी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला आरंभ किया जा सकता है। उक्त पदाधिकारी के अनुसार होने को तो कांग्रेस के शासनकाल में कुछ भी हो सकता है। नियमों को शिथिल कर या नियमों को बलाए ताक रख कांग्रेस कुछ भी कर सकती है। पर इस मर्तबा यह हवाला दिया जा रहा है कि जब जाफर शरीफ साउदी अरब में राजदूत थे तब वे राज्यपाल भी नहीं बन पाए क्योंकि उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला चल रहा था, फिर मुलायम किस खेत की मूली हैं।
परन्तु नेताजी कांग्रेसी मंसूबो से दूर समाजवादी  पार्टी  (एसपी)  के  राष्ट्रीय  अध्यक्ष  और  यूपी के  पूर्व  सीएम  मुलायम  सिंह  यादव  यूपी में अखिलेश के काम के आधार पर वह दिल्ली में झण्डा फहरा सकते हैं, उनका  मानना  है  कि मुख्यमंत्री  अखिलेश  यादव  को  कम  से  कम  6  महीने  का  वक्त दिया  जाना  चाहिए।  उसके  बाद  ही  मुख्यमंत्री  के  तौर  पर उनकी  नीतियों ,  कार्यक्रमों  और  उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। मुलायम कहते हैं कि हम मुसलमानों  के  आभारी  हैं।  उन्होंने  एसपी  को  जिस  तरह  समर्थन  दिया  है  वह  अभूतपूर्व  है।  एसपी  भी  अपने  वादों  से पीछे  नहीं  हटेगी।  चुनाव  ाोषणा  पत्र  में  अल्पसंख्यकों  से  किया  गया  हर  वादा  पूरा  किया  जाएगा। मुसलमानों  की  शैक्षिक ,  सामाजिक  और  आर्थिक  हालत में सुधार  के  लिए  सच्चर  कमिटी  और  रंगनाथ  मिश्र  आयोग  की  उन  सिफारिशों  को  लागू  कराया  जाएगा  जो  राज्य सरकार  के  दायरे  में  आती हैं।  मुलायम ने कहा कि हम मदरसों को मदद देंगे। उर्दू को रोजी- रोटी  से  जोड़कर  उसे  आगे  बढ़ाएंगे  और  नए  स्कूल  खोलेंगे।  दरगाहों  के  संरक्षण  के  लिए  अलग  से  सहायता  देंगे। कब्रिस्तानों  को  कब्जों  से  बचाने  के  लिए  सरकार  उनकी  चारदीवारी  बनवाएगी।  मुसलमानों  को  उचित  प्रतिनिधित्व दिए  जाने  के  सवाल  पर  मुलायम  सिंह  का  कहना  था  कि  प्रतिनिधित्व  तो  सबको  मिलेगा।  पहले  हम  उन्हें  यह अहसास  और  भरोसा  दिलाना  चाहते  हैं  कि  वह  हमारा  हिस्सा  है।  इस  देश  की  सरजमीं  पर  उन्हें  भी  उतना  ही  हक  है जितना  अन्य  वर्गों  को है। हम बिना किसी भेदभाव के सबको साथ लेकर आगे बढ़ सकेंगे।
वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव के सधे हुए कदमों से उनकी लोकप्रियता में इजाफा होता जा रहा है। अखिलेश यादव कहते हैं कि सरकार नई नीतियां और योजनाएं पेश कर रही है जिनके नतीजे अगले तीन महीने में दिखने लगेंगे। प्रधानमंत्री से उन्होंने जिस तरह विकास कार्याे के लिए धन मांगा, वह उनके राजनीतिक चातुर्य को दर्शाता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद 14 अप्रैल शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ पहली मुलाकात में अखिलेश यादव ने मनरेगा जैसी केंद्र प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के लिए सुगमता से धन उपलब्ध कराने के साथ ही कोयले की आपूर्ति और अवसंरचनाओं को सुधारने में मदद की अपील की। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने विकास योजनाओं से संबंधित लम्बित धनराशि शीा्र जारी करने तथा विकास के लिए लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक सहयोग देने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से अगले वर्ष इलाहाबाद के कुम्भ मेले में अवस्थापना सुविधाओं के लिए केन्द्रांश बढ़ाने का भी अनुरोध किया। अखिलेश ने कहा कि कानून और व्यवस्था उनकी सरकार की प्राथमिकता है।  
प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान अखिलेश ने सड़क, बिजली, चिकित्सा, स्वास्थ्य, पेयजल, सिंचाई, बाढ़ नियंतण्रतथा समाज कल्याण की अन्य योजनाओं के अलावा राज्य के पिछड़े इलाके के विकास के लिए जल्द राशि आवंटित करने का आग्रह किया। सीएम ने कहा कि 2013 जनवरी में इलाहाबाद में कुंभ मेला होने जा रहा है, इसलिए राज्य को ज्यादा से ज्यादा मदद दी जानी चाहिए।   उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों में वह गौर करेंगे और जल्द ही आपको नतीजे दिखाई देंगे।   उनकी सरकार नई नीतियां और योजनाएं पेश कर रही है जिनके नतीजे अगले तीन महीने में दिखने लगेंगे। कोयले का आपूर्ति सुनिश्चित कराने का अनुरोध रू मुख्यमंत्री ने कोल इंडिया द्वारा पर्याप्त मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं करने की शिकायत भी प्रधानमंत्री से की। उन्होंने कहा कि कोयला पूरा नहीं मिलने से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है। राज्य में बिजली की दो हजार मेगावाट की कमी है। उन्होंने रोजा ताप बिजली ार के लिए दो लाख दस हजार टन और अनपरा सी के लिए दो लाख 80 हजार टन अतिरिक्त कोयला देने की मांग की । उन्होंने भेल की ओर से हरदुआगंज तथा पारीछा में बनाए जा रहे ताप बिजली ार की देरी  प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इसे जल्द पूरा करने का निर्देश दें। 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य की विभिन्न सड़क परियोजनाओं के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराने का अनुरोध करते हुए उत्तर प्रदेश से लगने वाली भारत-नेपाल सीमा पर 640 किमी लंबी सड़क के निर्माण के लिए 2680 करोड़ रु दिए जाने का आग्रह किया। इसके अलावा केंद्रीय मार्ग निधि के तहत 409 करोड़ की प्रतिपूर्ति धनराशि तथा राष्ट्रीय मागरे के रखरखाव के लिए अवशेष 226 करोड़ रु शीा्र उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कुंभ मेले के आयोजन को देखते हुए इलाहाबाद से जुड़े राष्ट्रीय राजमागरे के सुदृढ़ीकरण के लिए 383.11 करोड़ रु स्वीकृत करने तथा लखनऊ से इलाहाबाद के पूरे भाग को चार लेन के मार्ग में विकसित करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने पिछड़े क्षेत्रों बुंदेलखंड तथा पूर्वी यूपी में सड़कों के विकास के लिए तीन सौ करोड़ रु देने की भी जरुरत बताई। पेयजल के लिए हर साल तीन हजार करोड़ रु देने की मांग रू उन्होंने पेयजल के लिए हर साल तीन हजार करोड़ रु देने की मांग की।  राज्य की विभिन्न सड़क परियोजनाओं के लिए उन्होंने जिला मुख्यालयों को चार लेन की सड़कों से जोड़ने के लिए 11800 करोड़ की आवश्यकता बताते हुए प्रतिवर्ष 2500 करोड़ रु केंद्रीय मार्ग निधि के तहत विशेष पैकेज के रू प में स्वीकृत करने का अनुरोध किया।
अखिलेश यादव ने उत्तराखंड तथा मध्य प्रदेश के सीमा पर उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली पांच सौ किलोमीटर की सड़कों के उच्चीकरण के लिए एक हजार करोड़ रु का विशेष पैकेज स्वीकृत करने का आग्रह किया। 25 रेल पुलों के निर्माण में मदद का आग्रह रू उन्होंने 25 रेल उपरिगामी पुलों के निर्माण की परियोजनाओं के लिए 550 करोड़ रु उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। प्रदेश में भारी यातायात के चलते क्षतिग्रस्त 12000 किमी सड़कों की मरम्मत कराने के लिए धन देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने जून 2011 में 9082 किमी लंबी सड़कों की मरम्मत के लिए 4028.80 करोड़ रु लागत की परियोजना भारत सरकार को भेजी थी जिसे केंद्र सरकार ने लौटा दिया था। उन्होंने प्रस्तावों की स्वीकृति पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बुंदेलखण्ड प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत लाभान्वित होने की स्थिति में नहीं है इसलिए 500 तक की आबादी वाले मानक को शिथिल कर 250 किया जाए। 
अखिलेश यादव ने जापानी बुखार से प्रभावित सात जिलों में सर्व शिक्षा अभियान के तहत ब्लाक संसाधन केंद्रों में शैक्षणिक-व्यवसायिक पुनर्वासन केंद्र की स्थापना के लिए 101 करोड़ 81 लाख रु के प्रस्तावों को मंजूरी देने का भी अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति योजना के तहत केंद्र के अंश के रू प में 3284.68 करोड़ रु की लंबित राशि को शीा्र अवमुक्त कराने का अनुरोध किया।  अखिलेश ने नौ नए विश्वविद्यालयों की स्थापना की मांग करते हुए कहा कि प्रत्येक मंडल में एक राज्य विवि स्थापित किया जाना जरूरी है। इनकी स्थापना पर लगभग 3150 करोड़ रु खर्च होंगे। मुख्यमंत्री ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में गरीबी रेखा से नीचे पांच लाख लोगों के और जुड़ने की संभावना को देखते हुए 12वीं पंचवर्षीय योजना में 30 लाख इंदिरा आवास के निर्माण के लिए 14500 करोड़ रु का परिव्यय स्वीकृत करने का भी अनुरोध किया। 
उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने जा रहे अखिलेश यादव को अपने पिता मुलायम सिंह यादव की तरह ही जमीन से जुड़ा नेता कहा जा रहा है। यूपी में समाजवादी पार्टी की शानदार जीत का श्रेय उनके व्यक्तित्व की इसी खूबी को दिया जा रहा है। अखिलेश की पत्नी डिंपल  रिटायर्ड  आर्मी  कर्नल  एस . सी .  रावत  की बेटी हैं जो वर्तमान में कुण्डेहश्वारी में रहते हैं। 
अखिलेश के करीबी लोगों में सुनील यादव और राजीव राय हैं। सुनीव को उनकी आंख और कान कहा जाता है।  पार्टी के एक और सेक्रेटरी नावेद सिद्दीकी भी उनके काफी करीबी बताए जाते हैं। रेडियो मिर्ची में आरजे रह चुके नावेद, अखिलेश यादव के साथ लगातार क्रांति रथ पर भी थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी शानदार जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पार्टी के युवा नेता अखिलेश यादव अपने इन थिंक टैंक के सहारे मिशन 2013 को फतह करने की तैयारी में जुट गये हैं।

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