बुधवार, 8 अगस्त 2012

गरीब गुरबों के पसीने से माननीयों की सैर


गरीब गुरबों के पसीने से माननीयों की सैर

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। भले ही देश की अर्थव्यवस्था पर मंदी का ग्रहण लगा हो, पर माननीयों को इससे कोई सरोकार नहीं है। माननीय तो बस जनता के पैसों पर एश करना चाहते हैं। सरकार की तमाम कटौतियों की नसीहत को जूते की नोक पर रखकर माननीय सांसदांें ने गरीब गुरबों के खून पसीने से संचित राजस्व को हवा में उड़ाने में कोई कोताही नहीं बरती है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को प्राप्त जानकारी के अनुसार जनता के पैसों पर सांसदों के मौज उड़ाने की खबरें सामने आई हैं। देश का वित्त मंत्रालय दुहाई देता रहा है खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की, बात हो रही है कटौतियों की। वित्त मंत्री ने तो सरकारी खर्चे में भी कटौती के ऐलान किए थे। तमाम सांसदों और सरकारी कर्मचारियों को सरकारी खर्चों पर लगाम लगाने की हिदायत दी गई थी। लेकिन आपको ये जान कर हैरानी होगी कि मौजूदा हालात मे भी संसदीय समितियों ने स्टडी टूर के नाम पर करोड़ों रुपए उड़ाए हैं।
एक स्थानीय समाचार पत्र ने खुलासा किया है कि कैसे 25 संसदीय समितियों ने पिछले तीन सालों में करोड़ों रुपए सिर्फ मुद्दों पर मंथन करने में उड़ा दिए। वित्त मंत्रालय ने साफ तौर पर हिदायत दी थी कि नेता या अफसर सरकारी हवाई यात्राएं इकोनॉमी क्लास में करें और सरकारी रेस्ट हाउस या राज्य सरकारों के चलाये जा रहे होटल में ठहरें। लेकिन कुछ नेताओं पर इन हिदायतों का कोई असर नहीं हुआ।
पिछले तीन सालों में कोयला औऱ स्टील पर बने पैनेल ने पांच यात्राएं की हैं। जिनमें से जिन तीन यात्राओं का ब्यौरा मिला है उसमें 62 लाख रुपए खर्च हुए। रेलवे पर बनी संसदीय समिति ने तो पिछले दो सालों में ही 8 ट्रिप बना लिए। कृषि पर बनी संसदीय समिति तो 15 बार स्टडी टूर पर गई। इसके चेयरमैन सीपीएम नेता बासुदेव आचार्या जहां भी गए वहां फाइव स्टार होटल में ही ठहरे।
खर्चे में बीजेपी के कलराज मिश्र भी पीछे नहीं। पेट्रोलियम और नैचुरल गैस की समिति के चेयरमैन के नाते दो बार स्टडी टूर पर गए औऱ 5 शहरों के चक्कर लगाए। सुमित्रा महाजन ने तो ग्रामीण विकास की संसदीय समिति के चेयरमैन के नाते दो टूर में 8 शहरों के चक्कर लगा लिए। इन्होंने इन स्टडी टूर पर 16 लाख 99 हजार रुपए का खर्च किया। वित्त विभाग की संसदीय समिति के चेयरमैन यशवंत सिन्हा ने 2 टूर पर 6 चक्कर लगाए।
उधर, ऐसोचौम के एक सर्वे में सामने आया है कि मिडिल क्लास के लोगों को खर्चों में 65 फीसदी की कटौती करनी पड़ रही है। ऐसोचौम के सर्वे के मुताबिक पिछले 6 महीने में खाने पर घर का औसत खर्चा 2 हज़ार रुपये से 6 हज़ार रुपये महीने हो गया है। खाने-पीने के खर्च में 40 से 100 फीसदी का इजाफा हुआ है। लोग खाने पीने का खर्च सहन कर सकें इसलिए लोग हेल्थकेयर और यातायात पर भी कम से कम खर्च करने लगे हैं।

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