गुरुवार, 27 सितंबर 2012

हत्‍याओं का शहर बना दिल्‍ली


हत्‍याओं का शहर बना दिल्‍ली

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली अब हत्याओं का शहर बन गया है। हत्याओं के मामले में दिल्ली देश में सबसे उपर है। इसके बाद अंडरवर्ल्ड का घरोंदा समझा जाने वाला मुंबई है। हत्याओं के मामले में बनी फेहरिस्त में चेन्नई के बाद कोलकता का स्थान आता है।
देश के सभी महानगरों में हत्याओं के मामले में दिल्ली टॉप पर है। पिछले चार सालों में अन्य महानगरों की तुलना में दिल्ली में दुगुने या चौगुनी से भी ज्यादा हत्याएं हुई हैं। अंडरवर्ल्ड की राजधानी कही जाने वाली मुंबई में भी दिल्ली की तुलना में आधी हत्याएं हुई हैं जबकि चेन्नै में तो एक चौथाई ही हत्या की वारदात रिकॉर्ड हुई हैं। कोलकाता में तो हत्याओं की संख्या दिल्ली की तुलना में दस फीसदी ही है।
वैसे, यह भी चौंकाने वाला तथ्य है कि आमतौर पर दिल्ली समेत सभी महानगरों में महिलाएं सॉफ्ट टारगेट कही जाती हैं और उन्हें सुरक्षित नहीं माना जाता लेकिन जहां तक हत्याओं का मामला है, महिलाओं की तुलना में ज्यादा पुरुष हत्याओं के शिकार हो रहे हैं। पिछले चार सालों के रिकॉर्ड्स को देखें तो महिलाओं के मुकाबले में तीन गुना पुरुषों को असमय अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
2007 से 2011 के रेकॉर्ड्स के अनुसार भारत में एक लाख 69 हजार 345 हत्याएं हुई जिनमें मरने वाले एक लाख 26 हजार 216 पुरुष थे और 43 हजार 219 महिलाएं। इस मामले में यूपी का नंबर सबसे ऊपर है। यूपी में 24407 और बिहार में 15959 हत्याओं के मामले दर्ज किए गए हैं।
तीसरा नंबर महाराष्ट्र का है जहां 14239 व्यक्तियों की हत्या की गई। वैसे देश के 28 राज्यों में इन चार सालों में कुल मिलाकर एक लाख 66 हजार 99 हत्याएं हुई और उनमें पुरुषों की संख्या एक लाख 23 हजार 707 और महिलाओं की संख्या 42392 थी। केंद्र शासित प्रदेशों में भी ट्रेंड में कोई बदलाव नहीं है। सात केंद्रशासित प्रदेशों में इस दौरान 2509 पुरुष हत्या के शिकार हुए और 737 महिलाएं।
ये सारे रेकॉर्ड आरटीआई ऐक्टिविस्ट देबाशीष भट्टाचार्च को गृह मंत्रालय ने उपलब्ध कराए हैं। जहां तक महानगरों का सवाल है, यहां भी महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक हत्यारों के शिकार बने। इस मामले में सिर्फ कोलकाता ही अपवाद कहा जा सकता है जहां पिछले चार सालों में आंकड़ा लगभग बराबर है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा असुरक्षित हैं। आमतौर पर पुरुष ही आपसी रंजिश या फिर झगड़ों में अधिक संलिप्त होते हैं। चूंकि वे घर से अधिक बाहर रहते हैं तो वे ज्यादा हत्याओं के शिकार भी बनते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: