गुरुवार, 27 सितंबर 2012

चाचा पवार का पॉवर प्ले


चाचा पवार का पॉवर प्ले

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। एक दिन पहले भतीजे अजीत पवार के पॉवर प्ले के बाद अब चाचा पवार के पॉवर प्ले की बारी थी. अगर एक दिन पहले फोन पर की गई बातचीत में धैर्य रखने की सलाह दी थी तो अब शरद पवार ने धैर्य के साथ एक निर्णय सुना दिया है कि राज्य और केन्द्र में एनसीपी कांग्रेस की साथी है और आगे भी बनी रहेगी. केवल इतना ही नहीं होगा. अजीत पवार ने जिस इस्तीफे को अपना हथियार बनाया था, चाचा पवार अब उसी इस्तीफे को अजीत पवार पर वार करने के लिए तैयार हो गये हैं.
शरद पवार ने साफ कर दिया है कि अजीत पवार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाना चाहिए. एक दिन पहले जब अजीत पवार ने शरद पवार से टेलीफोन पर बात की थी तब इन्हीं शरद पवार ने अजीत को सलाह दिया था कि अभी जल्दबाजी करने की बजाय इंतजार करना चाहिए. इसी बातचीत के बाद अजीत पवार ने तैश में आकर इस्तीफा दे दिया था. संभवतरू अजीत पवार समझ गये थे कि उनके चाचा उनको जानबूझकर इंतजार करने के लिए कह रहे हैं. क्योंकि इधर शरद पवार ने अजीत के खिलाफ सीबीआई जांच के सिफारिश की मौन सहमति दे दी थी और उधर भतीजे को इंतजार करने के लिए कह रहे थे. अगर अजीत पवार इस्तीफा नहीं देते तो निश्चित था सिंचाई में हुए करीब सत्तर हजार करोड़ रूपये के घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश होते ही उन्हें मंत्रालय छोड़ना पड़ता.
अगर ऐसा होता तो अजीत पवार ज्यादा कमजोर हो जाते. इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में अपना रसूख बचाने के लिए पॉवर पालिटिक्स का सहारा लिया. इस्तीफा दिया. एनसीपी के विश्वस्त मंत्रियों से इस्तीफा दिलवाया और आज 12 निर्दलीय विधायकों को भी साथ खड़ा कर लिया जो अभी सरकार को अपना समर्थन दे रहे हैं. लेकिन भतीजे की इस पॉवर पालिटिक्स को चाचा ने यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया कि न केवल अजीत पवार का इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा बल्कि राज्य और केन्द्र में कांग्रेस का साथ बना रहेगा. जहां तक मुख्यमंत्री को हटाने की बात है तो यह फैसला कांग्रेस का आंतरिक मामला है और कांग्रेस ही इसके बारे में बेहतर निर्णय ले सकती है.
निश्चित ही इसके बाद अजीत पवार के लिए बहुत सीमित विकल्प बचेंगे. या तो वे अपनी नई पार्टी तैयार करें और चाचा की एनसीपी की विरासत को हमेशा के लिए त्याग दें और चाचा पवार अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बेटी को सौंप दें. या फिर एक समर्पित पार्टी कार्यकर्ता बनकर पार्टी का काम करें. दूसरे विकल्प की संभावना बहुत कम है. इसलिए महाराष्ट्र में छिड़े इस महाभारत में निश्चित रूप से अजीत दादा पवार जल्द ही नई इबारत लिखेंगे. हालात जैसे भी बनेंगे, अजीत का इस्तीफा मंजूर करने की सिफारिश करके शरद पवार ने साफ कर दिया है कि अब अजीत का राजनीतिक रसूख कम करने के लिए वे कोई मौका नहीं चूकेंगे. जहां तक परिवार की बात है तो परिवार के ही सकाल अखबार का समर्थन भी इस बार अजीत दादा पवार को मिलने की चाचा पवार को मिला हुआ है. इसलिए न सिर्फ जंग के राजनीतिक मैदान में शरद पवार भतीजे पर भारी पड़ते दिख रहे हैं बल्कि परिवार के फ्रंट पर भी इस बार समर्थन बड़े पवार के साथ है.

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