बुधवार, 18 अप्रैल 2012

बढ़ सकते हैं तेल के दाम

बढ़ सकते हैं तेल के दाम

नई दिल्ली (साई)। महंगाई के दौर में प्रमुख ब्याज दरों में कमी कर आम आदमी को राहत देने वाले रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ाने की राय दी है। इसके पीछे वित्तीय व्यवस्था को सुधारने का हवाला दिया गया है।
आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि यदि अर्थव्यवस्था में स्थायित्व लाना है तो सरकार को तेल के दाम उनकी लागत के अनुपात के अनुरूप तय करने चाहिए। सुब्बाराव के अनुसार तेल कंपनियों को दी जाने वाली भारी सब्सिडी देश की अर्थव्यवस्था पर उल्टा असर डालती है।
मौद्रिक एवं ऋण नीति जारी करते हुए मंगलवार को सुब्बाराव ने मुंबई में कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें उनकी लागत के आधार पर तय होनी चाहिए। सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक के इस बयान के बाद तेल कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी की कवायद शुरू भी कर दी है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत 132 डालर प्रति बैरल के आसपास है और कंपनियों को तेल की खरीद पर अधिक पैसा देना पड़ रहा है। मालूम हो कि देश के भीतर डीजल, मिट्टी का तेल और गैस सिलेंडर की कीमतें सरकार के नियंत्रण में हैं। कंपनियों को डीजल की बिक्री पर करीब 14 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है, जबकि पेट्रोल पर आठ रुपये का नुकसान हो रहा है।
मिट्टी के तेल पर यह घाटा 31 रुपये है और गैस सिलेंडर पर कंपनियों को 570 रुपये की चपत लगती है। तेल मंत्रालय के मुताबिक डीजल, मिट्टी का तेल और गैस सिलेंडर की बिक्री पर पिछले अप्रैल से दिसंबर तक कंपनियों को 97,313 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

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