बुधवार, 18 अप्रैल 2012

अखिलेश के राज में फाईव स्टार फेसिलिटीज हैं जेल में


अखिलेश के राज में फाईव स्टार फेसिलिटीज हैं जेल में

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश के नए निजाम अखिलेश यादव और जेल मंत्री दोनों ही सूबाई जेलों की हालत सुधारने में पूरी तरह नाकाम दिख रहे हैं। आम आदमी को भले ही दो वक्त की रोटी का टोटा हो, पर यूपी की जेलों में फाईव स्टार स्तर की सुविधाएं जरायम पेशा लोगों को मुहैया हो रही हैं। जेल के अंदर वह सारा सामान आसानी से मिल जाता है जो वहां के लिए प्रतिबंधित है।
उत्तर प्रदेश में जरायमपेशा लोगों के लिए जेल अस्पताल ऐशगाह बन गया है। रसूख व रुपये के दम पर जेल अस्पताल में बंदियों को ऐशो आराम का हर वह सामान आसानी से हासिल हो रहा है जो जेल मैनुअल में प्रतिबंधित है। जिला जेल के रसूखदार बंदी बीमारी के नाम पर जेल अस्पताल में आराम फरमाते रहते हैं। गौरतलब है कि पूर्व में राज्यमंत्री के जेल दौरे के दौरान बंदियों ने डॉक्टर के नशे में धुत होकर मरीज देखने के साथ इस खेल का भी खुलासा किया था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले सीएमओ ने औचक निरीक्षण के दौरान ब्लड प्रेशर के नाम पर कई महीनों से आराम फरमा रहे 12 कैदी को पकड़ा था। इनमें पिकप घोटाले के आरोपी भी शामिल थे। खास बात ये कि सीएमओ इन्हें तत्काल अस्पताल से हटाने के निर्देश दिए थे। मगर, पहुंच वाले जेल चिकित्सकों ने सीएमओ के आदेश की भी अनदेखी कर दी।
जेल डॉक्टर और अस्पताल के कारनामों से लखनऊ जेल एक बार फिर चर्चा में है। प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। चिकित्सकों की करतूत को लेकर खुद राज्यमंत्री गंभीर हैं। उनका कहना है कि बंदियों ने जिस तरह जेल चिकित्सकों और उनके कामकाज पर सवाल उठाया, वह किसी की साजिश नहीं हो सकती। कई बंदियों से बात की गई, सभी की शिकायत थी जेल अस्पताल में गरीब व असहाय बंदियों को इलाज मुहैया नहीं कराया जाता। जबकि रसूख वाले बंदी सुविधा शुल्क देकर बीमारी के बहाने आराम फरमाते हैं। सूत्रों की मानें तो बीते सोमवार रात अस्पताल में 15 वीआईपी बंदी भर्ती थे। जबकि असली बीमार बंदियों में कुछ ही भर्ती थे।
बंदियों की शिकायत को लेकर मीडिया में आई खबरों से जेल प्रशासन सकते में है। सुबह आनन-फानन कुछ रसूखदार बंदियों को जेल अस्पताल से हटा दिया गया है। डॉक्टर साहब भी समय पर अस्पताल पहुंच गए और मरीजों को देखा। मगर, सूत्रों का दावा है कि चिकित्सक मरीज बंदियों को देखते हुए अपने हरीराम नाईयोंसे ये जानने के प्रयास में जुटे रहे कि आखिर उनकी शिकायत किसने की थी। उधर, जेल अधीक्षक ने अस्पताल के मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना है कि अस्पताल में क्या हो रहा है? इसकी बारे में सिर्फ चिकित्सक ही बता सकते हैं।

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