बुधवार, 18 अप्रैल 2012

बंदूक का उपासक है चीनी प्रशासन


बंदूक का उपासक है चीनी प्रशासन

होनूलूलू (साई)। दलाई लामा ने कहा कि ऐसे सकारात्मक संकेत हैं कि बीजिंग एक और सांस्कृतिक क्रांति से बचने के लिए चीन और तिब्बत में राजनीतिक सुधारों को आगे बढ़ाएगा। इसके साथ ही निर्वासित तिब्बती नेता ने आगाह किया कि तिब्बती इलाके में चीन के बंदूक के उपासक अभी भी मौजूद हैं। इस इलाके में मार्च 2011 के बाद से अब तक 30 से अधिक प्रदर्शनकारी जिनमें से ज्यादातर बौद्ध भिक्षु और नन हैं, आत्मदाह कर चुके हैं।
हवाई में दलाई लामा ने कहा कि चीन में सांस्कृतिक क्रांति लौट रही है। यह ठीक वैसी ही जैसी 2008 में संकट का कारण बनी थी जब सैकड़ों लोग मारे गए थे या फिर लापता हो गए थे। तिब्बती धार्मिक गुरु अमेरिकी मैनलैंड की यात्रा से पहले हवाई में एक हफ्ता गुजारेंगे। दलाई लामा ने कहा कि अब समय आ गया है कि चीनी अधिकारियों को तिब्बती लोगों के प्रदर्शनों के कारणों की वजह का पता लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मेरा विचार है कि तिब्बत में स्थानीय चीनी प्रशासन बंदूक का उपासक है क्योंकि चेयरमैन माओ जेडोंग ने एक बार कहा था कि सत्ता बंदूक की नली से निकलती है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ कट्टरवादी लोग अभी भी इस पर विश्वास करते हैं। हालांकि दलाई लामा ने यह भी कहा कि उन्हें चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के पिछले महीने दिए गए बयानों से उम्मीद नजर आ रही है कि चीन आर्थिक और राजनीतिक ढांचागत सुधार के जरिए आगे बढ़ेगा।

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