बाल विवाह रोकने
केंद्र संजीदा
(मणिका सोनल)
नई दिल्ली (साई)।
बाल विवाह की सामाजिक कुप्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार
संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने केंद्र व राज्य सरकारों से सख्त नियम-कानून लागू
करने की सिफारिश की है। आयोग के मुताबिक गांव में बाल विवाह होने पर सरपंच व ग्राम
प्रधान को भी जिम्मेदार माना जाये। उनके लिए भी सजा का प्रावधान हो।
आयोग का मानना है
कि गांव के मुखिया पर यदि कानून की सख्ती लागू की जायेगी तो उसका सकारात्मक असर
दिखेगा। बाल विवाह पर लगाम लगाने का यह तरीका कारगर साबित हो सकता है। समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को प्राप्त जानकारी के अनुसार एनसीपीसीआर ने सुझाव दिया है कि
गांवों में ऐसी व्यवस्था कायम होनी चाहिए, जिससे विवाह में शामिल होने वाले सरपंच व
पंचायत सदस्य इस कुप्रथा के खिलाफ सामाजिक जिम्मेदारी हर हाल में निभायें।
आयोग के सूत्रों ने
बताया कि पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा बच्चों की तस्करी होती है। वहां से नाबालिग
बच्चियों को बड़ी तादाद में दिल्ली, मुंबई लाया जाता है। उन्हें विदेश भी भेजा
जाता है। इसके पीछे गरीबी, सामाजिक असमानता जैसे कारणों के साथ बाल विवाह भी अहम भूमिका
निभाता है।
सूत्रों ने बताया
कि इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए पश्चिम बंगाल और झारखंड ने गांवों में 3000 ग्रामीण वॉलेंटियर
तैयार किये हैं, जो बच्चों
पर निगरानी रखेंगे। अगर किसी घर से बच्चा गायब होता है तो यह समूह गांव के प्रधान
और पुलिस चौकी को तत्काल जानकारी पहुंचायेगा। एनसीपीसीआर ने बड़े शहरों के कुछ
एनजीओ को बच्चों की तस्करी रोकने के लिए विशेष अधिकार देने का सुझाव भी दिया है।
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