बुधवार, 21 दिसंबर 2011

गोंगापा ने दिखाई राजनैतिक इच्छा शक्ति


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 14

गोंगापा ने दिखाई राजनैतिक इच्छा शक्ति

24 जिले, 108 विधानसभा और 13 लोकसभा को मिलाकर बनाया जाए गोंडवाना

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। आजादी के उपरांत जिस तरह भाषावार, धर्मिक, संस्कृति के आधार पर गोंडवाना राज्य का गठन न किया जाकर राजनेताओं ने इस क्षेत्र के साथ अन्याय किया है। जबलपुर के इर्दगिर्द के क्षेत्र को राजनैतिक दलों द्वारा जानबूझकर उपेक्षित छोड़ा गया है, जो निंदनीय है। उक्ताशय की बात गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की सिवनी जिला इकाई के मीडिया प्रभारी विवेक डेहरिया द्वारा कही गई है।
श्री डेहरिया ने आगे कहा कि सरकारों द्वारा जानते बूझते महाकौशल अंचल जो वास्तव में गोंड शासकों का गढ़ रहा है के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता रहा है। मध्य प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा भी गोंडवाना विकास प्राधिकरण के बजाए महाकौशल विकास प्राधिकरण का गठन कर एक बार फिर इस आंदोलन को कुचलने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। गौरतलब है कि विन्ध्य प्रदेश में विन्ध्य विकास प्राधिकरण और बुंदेलखण्ड में बुंदेलखण्ड विकास प्राधिकरण अस्तित्व में हैं।
गोंगपा के मीडिया प्रभारी विवेक डेहरिया ने आगे कहा कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक और नेशनल प्रेजीडेंट दादा हीरा सिंह मरकाम के नेतृत्व में अनेकों धरने और प्रदर्शन के माध्यम से ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं किन्तु फिर भी राजनेताओं की तंद्रा नहीं टूटी है।
श्री डेहरिया ने मांग की है कि गोंडवाना संस्कृति, गोंडी भाषा, गोंडी धर्म और गोंडवाना शासनकाल के गौरवशाली इतिहास को देखते हुए गोंडवाना के नाम से प्रथक राज्य की स्थापना की जाए। इस राज्य को जबलपुर केंद्र और राजधानी बनाकर इसमें 24 जिलों, 103 विधानसभा क्षेत्रों के साथ ही साथ 13 लोकसभा क्षेत्रों को इसमें शमिल किया जाए।
प्रथक महाकौशल राज्य के लिए जबलपुर अंचल और गोंडवाना शासनकाल का गौरवशाली इतिहास ही पर्याप्त आधार माना जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अनेक बार महामहिम राष्ट्रपति के नाम से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं, पर इस क्षेत्र के जनादेश प्राप्त नुमाईंदों ने इस तरह की मांग के आंदोलनों को सदा ही कुचलने का कुत्सित प्रयास ही किया है।
गौरतलब है कि राजा दलपत शाह, वीरांगना रानी दुगार्वती, शंकर शाह, रघुनाथ शाह जैसे गोंड शासक न केवल न्यायप्रीय शासक रहे हैं, वरन् इन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महती भूमिका निभाकर गौंड समुदाय का सर सदा के लिए उंचा ही उठाया है। अपने इन वीर शासकों और योद्धाओं को सच्ची श्रृद्धांजली के बतौर क्षेत्र के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह प्रथक राज्य के लिए अपने अपने क्षेत्र के सांसद विधायक को जगाए।

(क्रमशः जारी)

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