शुक्रवार, 5 जून 2009

जागो! हमें कीटनाशक पिला रही है सरकार!

(लिमटी खरे)

योग गुरू बनकर उभरे बाबा रामदेव द्वारा कोल्ड िड्रंक के एक ब्रांड का नाम लेकर उसे ``टायलेट क्लीनर`` की संज्ञा दिए जाने पर काफी बहस हुई थी। जब देश के अनेक हिस्सों में कोल्ड िड्रंक के कुछ ब्रांड से कीटनाशक का काम किया गया तो लोगों की आंखें खुलीं और साथ ही सरकार की भी।विडम्बना ही कही जाएगी कि बाजार में बिक रहे शीतल पेय में कीटनाशक की मिलावट का मामला सामने आने के छ: साल बीत जाने पर भी केद्र सरकार ने इन उत्पादों के मानक तय नहीं किए हैं। जाहिर है शीतल पेय निमात्री कंपनियों के ``भारी दबाव`` के चलते देश की सबसे बड़ी पंचायत में सत्ता और विपक्ष में बैठने वाले संसद सदस्य अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन ही हैं।सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि देश में बिक रहे इन पेय पदार्थों में कीटनाशकों की मात्रा यूरोपीय मानकों से 42 गुना अधिक पाई गई थी। इसके लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति ने भी सरकार से जल्द से जल्द शीतल पेय के संबंध में मानक तय कर उसे लागू करने की पुरजोर सिफारिश की थी।इस समिति की रिपोर्ट फरवरी 2004 में संसदीय पटल पर रखी गई थी। इतना ही नहीं मार्च 2007 में एन.के.गांगुली की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की समिति ने केंद्र सरकार को कहा था कि शीतल पेय विशेषकर कोला के उत्पादों में कीटनाशक के मानक लागू किए जाएं। केंद्र ने अप्रेल 2009 तक मानक लागू करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया था।इतना लंबा अरसा बीत गया किन्तु केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करना मुनासिब नहीं समझा। हो सकता है इन शीतल पेय उत्पादक निजी कंपनियों द्वारा नेताओं को मुंह बंद रखने के लिए भारी भरकम वजन रखा हो, किन्तु नेताओं को अपनी नैतिकता की वर्जना तो कम से कम याद रखनी चाहिए। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सरकार निजी शीतलपेय निर्माता कंपनियों के आगे घुटने टेक चुकी है।बाबा रामदेव के कथन से अनेक लोग प्रभावित हुए, और उन्होंने अपने अपने शौचालयों को कोला वाले शीतल पेय से साफ कर देखा तो पाया कि वाकई यह कारगर है। फिर क्या था मंहगे टायलेट क्लीनर के स्थान पर लोगों के घरों में शौचालयों में इन शीतल पेय की दो लीटर की बोतल ने अपना स्थान बना लिया।देश में कुछ किसानों ने भी काले वाले शीतल पेय का छिड़काव अपनी फसलों में किया, और पाया कि वाकई में उनकी फसलें कीट पतंगों से सुरक्षित हैं। अनेक स्थानों पर किसानों द्वारा इस शीतल पेय का उपयोग कीट पतंगों से अपनी फसल की रक्षा करने में किया जा रहा है।एक स्थानीय चेनल में शराब के विज्ञापन का जिक्र करना लाजिमी होगा, जिसमें शराब पीते बेटे को चेताने के लिए उसका पिता उसकी शराब के गिलास में एक कीड़ा डाल देता है, और कहता है, देख बेटा शराब पीने से मर जाते हैं। बेटा भी उसका बाप निकलता है और तपाक से जवाब देता है, बापू इसीलिए पी रहा हूं कि पेट के कीड़े मर जाएं।जब केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार जो स्वयं संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष रहे हैं, यह स्वीकार कर चुके हैं कि भारत में बिकने वाले शीतल पेय में कीटनाशक की मात्रा अंतर्राष्ट्रीय मानकों से कई गुना अधिक है, और संसद में इसकी आपूर्ति रूकवा दी गई है, तब फिर क्या कारण है कि देश की सवा सौ करोड़ से अधिक जनता को इस धीमे जहर से मारा जा रहा है?लोगों को धीमे जहर का आदी बनाने वाली कंपनियों के प्रवक्ता भी आग में घी का काम करने से नहीं चूक रहे हैं। पेिप्सको इंडिया के प्रवक्ता का बयान, ``सरकार अगर शीतल पेय के अंतिम उत्पाद पर मानक लाती है, तो कंपनी उसका समर्थन करेगी।`` क्या सरकार को चेतावनी देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सरकार क्या यह नहीं कर सकती है कि आखिरी उत्पाद तक तो हम बाद मे जाएंगे पहले जो साबित हो चुका है उसे तो बंद किया जाए।सांसदों की सेहत दुरूस्त रखने के लिए सरकार ने संसद में तो शीतल पेय की आपूर्ति रूकवा दी किन्तु देश भर में खुलेआम बिक रही इस धीमी मौत को रोकने की दिशा में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए हैं। जब देश में विशाल जनादेश लेकर रियाया की भलाई अमन चैन का सपना दिखा संसद में पक्ष और विपक्ष की जनता की ओर से मुंह मोड़ लें तो इस तरह की देशी और विदेशी कंपनियां अपने फायदे के लिए सरेराह जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करें तो क्या करें?


कांग्रेस में अंदर ही अंदर खदबदा रही है असंतोष की खिचड़ी

इस बार गठबंधन के बजाए अपनों से ही निपटना होगा पीएम को

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश में कांग्रेस के इतिहास में नेहरू गांधी परिवार से इतर दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले अर्थशास्त्री डॉ.एम.एम.सिंह पर इस बार घटक दलों के बजाए कांग्रेस के ही क्षत्रपों की नजरें इनायत होने वाली हैं। कांग्रेस के अंदरखाने में असंतोष का लावा धीरे धीरे खदकने लगा है।मंंत्रीमण्डल में वैसे तो काफी लोगों को शामिल कर मनमोहन सिंह ने साधने की कोशिश की है, किन्तु रह गए क्षत्रप अब अपनी आगे की कार्यवाही में जुट गए हैं। राज्यपाल के लालीपाप से भी असंतुष्ट गुट साधते नजर नहीं आ रहे हैं। स्थान पाने से वंचित रहने वाले नेता अब आत्ममंथन में जुट गए हैं कि आखिर उनकी उपेक्षा की असली वजह क्या रही?कांग्रेस के अंदरखाने में चल रही बयार के अनुसार इस बार मुस्लिम समुदाय द्वारा कांग्रेस का समर्थन करने के बाद भी समुदाय को मंत्रीमण्डल में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, गौरतलब होगा कि मंत्रीमण्डल में कांग्रेस की ओर से गुलाम नवी आजाद को ही मंत्री बनाया गया है।वैसे अच्छे आचरण की धनी, नेहरू गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान रहीं कांग्रेस की अनुभवी एवं वफादार मानी जाने वाली मोहसीना किदवई भी लाल बत्ती न मिलने के कारणों पर गौर फरमा रहीं हैं। विडम्बन ही कही जाएगी कि कांग्रेस सुप्रीमो और कांग्रेस के भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी को देने वाला उत्तर प्रदेश सूबा एक भी केबनेट मंत्री बिना ही है। मीरा कुमार के लोकसभाध्यक्ष बनने के बाद बिहार भी मंत्री विहीन हो गया है। आंध्र प्रदेश में भी सीमित प्रतिनिधित्व के कारण वहां कांग्रेस में नारजगी जाहिर है।अजुZन सिंह, शीश राम ओला, मोतीलाल वोरा, चरण दास महंत, जनार्दन द्विवेदी, गिरिजा व्यास, हंसराज भारद्वाज, शिवरजा पाटिल जैसे दिग्गज नेता मंत्री न बन पाने के कारणों को तलाश रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में लाल बत्ती से महरूम रहे कांग्रेस के दिग्गज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ अंदर ही अंदर धार तेज करने वाले हैं।कहा जा रहा है कि आने वाला समय प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के लिए अच्छा नहीं है, क्योंकि इस बार घटक दलों के अनेतिक दबाव से तो वे बच गए हैं, किन्तु अंदर ही अंदर उबल रहे तूफान से बचना उनके लिए आसान नहीं होगा।



मेट्रो उड़कर चली छत्तीसगढ़

दुर्ग भिलाई रायपुर में चल सकती है मेट्रो

होशंगाबाद भोपाल विदिशा में भी हैं मेट्रो की संभावनाएं

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। दिल्ली में अपनी आशातीत सफलता के झंडे गाड़ने के उपरांत ई. श्रीधरन के सपनों की मेट्रो रेल जल्द ही छत्तीगढ़ की राजधानी रायपुर में दिखाई देने वाली है। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस सिलसिले में गत दिवस दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) प्रमुख श्रीधरन से भेंट की।डीएमआरसी सूत्रों ने बताया कि रमन सिंह ने प्रस्ताव दिया है कि रायपुर और नए रायपुर के बीच 17 किलोमीटर लंबी मेट्रो चलाई जाए। इसके अलावा रायुपर से बरास्ता पावर हाउस, भिलाई, दुर्ग भी मेट्रो से जोड़ने की योजना भविष्य में बनाई जा सकती है। सूत्रों के अनुसार एक माह बाद डीएमआरसी की टीम जाकर मौका मुआयना कर आगे की कार्यवाही संपादित करेगी। उधर छत्तीसगढ़ सरकार के सूत्रों का कहना है कि छग में मेट्रो रेल भूमिगत के बजाए भूतल पर ही चलेगी।इधर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सीहोर, विदिशा और होशंगाबाद में रोजाना आने जाने वालो (अपडाउनर्स) की तादाद को देखकर होशंगाबाद से भोपाल होकर विदिशा एवं सीहोर भी मेट्रो रेल चलाई जा सकती है। इसके चलने से इस मार्ग पर वाहनों का दबाव काफी हद तक कम किया जा सकता है।