बुधवार, 7 सितंबर 2011

महज 20 महीने और भ्रष्टाचार के 50 महाघोटाले!


महज 20 महीने और भ्रष्टाचार के 50 महाघोटाले!

(लिमटी खरे)
  
‘‘कांग्रेस का इतिहास अति गौरवशाली कहा जा सकता है। भारत गणराज्य की स्थापना में कांग्रेस के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। इसमें महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू की भूमिका को भी कतई नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। आजादी के उपरांत कांग्रेस के लिए नेहरू गांधी परिवार का तात्पर्य माईनस महात्मा गांधी हो गया है। अर्थात जवाहर लाल नेहरू और फिरोज गांधी (कांग्रेस जिन्हें पूरी तरह भुला चुकी है) के वंशज ही हैं। युवा स्वप्नदृष्टा राजीव गांधी ने इक्कीसवीं सदी के भारत की कल्पना की थी। इक्कीसवीं सदी के भारत में कांग्रेस की बागड़ोर उनकी इटालियन पत्नि सोनिया गांधी के हाथ में है। सरकार की कामन भी 2004 के उपरांत अप्रत्यक्ष तौर पर उन्हीं के पास है। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में कांग्रेस को अपने ही लोगों के कारण जो लानत मलानत झेलनी पड़ी उससे वर्तमान कांग्रेसी तो शर्मसार नहीं दिखते पर कांग्रेस का उजला अतीत जरूर कांतिहीन होता जा रहा है। कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की दूसरी पारी में महज बीस महीनों में ही भ्रष्टाचार के आधा सैकड़ा मामले सामने आए हैं जिसमें दस लाख करोड़ रूपयों से ज्यादा का खेल खेला गया है। सरकार के सामने जनता के गाढ़े पसीने की कमाई की होली खेली जाती है और सरकार खामोश है। देश लुटता रहा, मंत्री सरकारी खजाने का धन लुटाते रहे। लेकिन वजीरे आजम, कांग्रेस की राजमाता और युवराज के अंदर इतना माद्दा नहीं था कि वे किसी से प्रश्न कर सकें, इन परिस्थितियों में कैसे कह दिया जाए कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके पुत्र कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ईमानदार हैं।‘‘

इक्कीसवीं सदी का पहला दशक भारत गणराज्य के लिए बुरे सपने समान कहा जा सकता है। इस दशक में जितने घपले घोटाले सामने आए हैं उनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। एक के बाद एक भ्रष्टाचार, घपले, घोटाले में घिरी कांग्र्रेस के पास बचाव का कोई रास्ता नहीं दिखा। इसी बीच इक्कीसवीं सदी में योग साधना के आकाश में धूमकेतू बनकर उभरे स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने भ्र्रष्टाचार और विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए अभियान छेड़ दिया। कांग्रेस के शातिर प्रबंधकों ने बाबा रामदेव को घेर दिया। बेचारा योगी किसी तरह से जान बचाकर दिल्ली के रामलीला मैदान से भाग खड़ा हुआ। इसके बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले गांधीवादी अण्णा हजारे की आवाज सिहनाद बनकर उभरी और फिर क्या था। समूचा देश कांग्रेस और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जुट होकर खड़ा हो गया। देश में गली गली में ‘‘मैं अण्णा हूं‘‘ की आवाज ने कांग्रेस को घुटनो पर बैठने मजबूर कर दिया।

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की दूसरी पारी में महज एक साल में ही दस लाख करोड़ रूपयों की भ्रष्टाचार के हवन कुण्ड में आहुती देने से हाहाकार मच गया। नेशनल कैंपेन अगेंस्ट करप्शन ने मई 2009 से जनवरी 2011 तक के बीच हुए प्रमुख भ्रष्टाचार के महाकांडों की फेहरिस्त तैयार की है। इसमें पहली पायदान पर संचार मंत्रालय द्वारा टूजी स्पेक्ट्रम लाईसेंस में केंद्रीय महालेखा नियंत्रक एवं परीक्षक ने पौने दो सौ लाख रूपए की हानि का प्रकरण है। इस प्रकरण में सीबीआई ने पूर्व संचार मंत्री आदिमत्थू राजा सहित अनेेक अफसरान को शिकंजे में कस दिया है।

जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि टूजी में ही कांग्रेस और द्रविड़ मुनैत्र कषगम के नेताओं ने साठ हजार करोड़ की रिश्वत ली है। इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की विपणन कंपनी और एक निजी क्षेत्र की कंपनी देवास मल्टी मीडिया के बीच दो उपग्रहों के दस ट्रांसपोंडर को बारह वर्ष के लिए लीज पर देने के मामले में सीएजी ने प्राथमिक परीक्षण में दो लाख करोड़ रूपए का नुकसान आंका है।

उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का अनाज नेपाल, बंग्लादेश और अफ्रीका जैसे देशों में बेचने का मामला प्रकाश में आया जिसमें दो लाख करोड़ का घोटाला सामने आया है। इसके बाद नंबर आता है राष्ट्रीयकृत बैंक का भवन आवासीय ऋण घोटाला जिसे छत्तीस हजार करोड़ रूपयों का आंका गया है। सिटी बैंक में अरबों रूपयों के केंद्रीय सरकार के मैटल स्क्रेप ट्रेडिंग कार्पोरेशन के छः सौ करोड़ रूपए के सोने का महाघोटाला भी इसी फेहरिस्त में शामिल है।

महाराष्ट्र प्रदेश के पूना के एक अस्तबल के मालिक हसन अली खान के स्विस बैंक, यूबीएस ज्यूरिक में सवा आठ अरब डालर अर्थात लगभग छत्तीस हजार करोड़ रूपए के खाते के रहस्य से भी पर्दा उठा। 2009 - 2010 के बजट में यह रहस्य भी सामने आया कि हसन अली के उपर लगभग साढ़े पचास हजार करोड़ रूपयों का आयकर बाकी है। सिविल सोसायटी के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने सरकार की मुखालफत की तो सरकार ने उन पर तत्काल शिकंजा कस दिया किन्तु एक जरायमपेशा व्यक्तित्व पर पचास हजार करोड़ का आयकर कैसे बाकी रह गया यह यक्ष प्रश्न आज भी अनुत्तरित ही है।

एक चाटर्ड एकाउंटेंट का कथन था कि हसन के विदेशी खातों में छत्तीस हजार करोड़ के बजाए डेढ़ लाख करोड़ रूपए होना अनुमानित है। आयकर चोर एक मामलू घोडों के अस्तबल का मालिक हसन अली कितना रसूखदार है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक अजीज डोवाल, प्रोफेसर आर.वैद्यनाथन, एस.गुरूमूर्ति, महेश जेठमलानी के अलावा कांग्रेस के आलाकमान से भी संबंधों का खुलासा हुआ है।

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त जे.एम.लिंगदोह, पूर्व राजस्व सचिव जावेद चौधरी, सहित अनेक अफसरों ने केरल के पामोलिन कांड में आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पी.जे.थामस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त बनाए जाने को चुनौती दी। बाद में सरकार को इस मामले में अपने कदम वापस लेने पड़े और भ्रष्ट अधिकारी थामस को सीवीसी के पद से हटाना ही पड़ा। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा व्यवस्था की पोल तब खुली जब पचपन हजार करोड़ रूपयों की लड़ाकू हवाई जहाज की खरीद से संबंधित गोपनीय नस्ती सड़क पर लावारिस हालत में मिली।

तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने निजी एयरलाईंस की मदद करते हुए एयर इंडिया के डैनों की हवा निकाल दी। आज आलम यह है कि एयर इंडिया भारी कर्जे में है और उसके पास तेल के बाकी पैसे चुकाने तक को पैसे नहीं है। आज एयर इंडिया के कर्मचारियों को तनख्वाह देने के बांदे हैं। खाद्य मंत्री शरद पंवार पर आरोप है कि उन्होने अदूरदर्शिता का परिचय देते हुए कम दाम वाली चीनी और प्याज के निर्यात की अनुमति दे दी जिससे देश में इनका संकट तो पैदा हुआ ही साथ ही साथ इनकी दरें तेजी से उपर आईं। फिर पंवार ने इनका आयात आरंभ किया।

कार्पोरेट घरानों की तगड़ी पैरोकार नीरा राड़िया के टेप ने तो मानो भारत के सियासी तालाब में मीटरांे उंची लहरें उछाल दीं। नीरा राडिया के टेप कांड में जब यह बात सामने आई कि द्रमुक के सांसद आदिमुत्थु राजा को मंत्री बनाए जाने लाबिंग की गई तब लोगों के हाथों के तोते उड़ गए। इसमें अनेक मंत्रियों पर सरेआम पंद्रह फीसदी कमीशन लेकर देश सेवा तक करने की बात भी कही गई। विडम्बना यह कि साफ साफ आरोपों के बाद भी न तो मनमोहन कुछ करने की स्थिति में हैं और न ही इस मामले में सोनिया गांधी ही कुछ कर पा रही हैं।

मामला अभी शांत नहीं हुआ है। सीएजी ने कामन वेल्थ गेम्स में हजारों करोड़ रूपयों की होली खेलने की बात कही गई। कांग्रेस के चतुर सुजान मंत्री कपिल सिब्बल कभी कलमाड़ी के बचाव में सामने आए तो कभी तत्कालीन संचार मंत्री ए.राजा के। अंततः दोनों ही को जेल की रोटी खानी पड़ रही है। केंद्रीय महालेखा नियंत्रक और परीक्षक ने कामन वेल्थ गेम्स में सत्तर हजार करोड़ रूपयों की अनियमितता पकड़ी है।

बिहार सरकार ने वहां के पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह द्वारा अरबों रूपयों के नदी तटबंधों के ठेकों की जांच के आदेश भी जारी किए हैं। सीबीआई ने उनके पुत्र को एक करोड़ रूपए रिश्वत लेते रंगें हाथों धरा है। इतना ही नहीं सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के आरोपी प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.एस.लाली को निलंबित कर उनके एवं मध्य प्रदेश काडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी अरूणा शर्मा के खिलाफ जांच की सुस्तुति की है। रूस से विमानवाहक जंगी जहाज खरीदने के सिलसिले में रक्षा मंत्रालय द्वारा वरिष्ठ नौसेना अधिकारी की बर्खास्तगी की गई। सम्प्रग सरकार के लिए स्विस बैंक सहित अन्य बैंकों में जमा अस्सी लाख करोड़ रूपए से ज्यादा की देश वापसी आज भी पहेली बनी हुई है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने विदेशी बैंक के खाताधारकों के नाम सार्वजनिक करने को कहा गया है।

मैडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ.केतन देसाई को केंद्रीय जांच ब्यूरो के छापे के बाद पद से हटाया गया। अनेक गैर सरकारी स्वैच्छिक संगठनों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना में अड़तीस हजार करोड़ रूपयों से ज्यादा के गोलमाल के आरोप लगाए हैं। नाफेड में चार हजार करोड़ रूपयों के नियमों को बलात ताक रख किए गए निवेश की जांच जारी है। केंद्र सरकार ने दिल्ली विकास अभिकरण में मकान आवंटन में घपलों की जांच आरंभ की है।

यह है देश में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी पारी का हाल सखे! इतना सब कुछ होता रहा। समाचार पत्रों के साथ ही साथ इलेक्ट्रानिक मीडिया और वेब मीडिया का गला चीखते चीखते रूंध गया किन्तु न तो मनमोहन के कानों में जूं रेंगी और न ही सरकार टस से मस हुई। मीडिया की आवाज सोनिया के दरबार में भी नक्कारखाने में तूती की ही आवाज साबित हुई। युवा भारत का कथित तौर पर स्वप्न देखने का दावा (मीडिया में प्रायोजित कर) करने वाले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी भ्रष्टाचार के मामले में मौन साध लेते हैं।

भ्रष्टाचार पर जब हाय तौबा हदें लांघ जाती है तब मनमोहन सिंह देश के मीडिया घरानों के चुनिंदा संपादकों की टोली को बुलाकर उनके सामने खुद को बेबस और असहाय बताकर अपने कर्तव्यों की इती श्री कर लेते हैं। सवाल यह है कि अगर मनमोहन सिंह ईमानदार हैं उनमें नैतिकता है तो वे अपने आप को कमजोर बताने के बजाए प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र क्योें नही दे देते? आखिर क्या वजह है कि वे मजबूर होते हुए दूसरों की लानत मलानत झेलकर अपनी ईमानदार छवि को खराब कर रहे हैं? जाहिर है सत्ता की मलाई उन्हें यह सब करने पर मजबूर कर रही है।

वहीं दूसरी ओर राजनीति का ककहरा सीख रहे नेहरू गांधी परिवार (राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नहीं) की पांचवीं पीढ़ी के प्रतिनिध कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी द्वारा भ्रष्टाचार के मामले को गठबंधन की मजबूरीबताई जाती है। राहुल गांधी शायद भूल जाते हैं कि किसी भी कीमत पर किन्हीं भी हालातों में गठबंधन धर्मकभी भी राष्ट्र धर्मसे बड़ा कतई नहीं हो सकता है। सरकार के सामने जनता के गाढ़े पसीने की कमाई की होली खेली जाती है और सरकार खामोश है। देश लुटता रहा, मंत्री सरकारी खजाने का धन लुटाते रहे। लेकिन वजीरे आजम, कांग्रेस की राजमाता और युवराज के अंदर इतना माद्दा नहीं था कि वे किसी से प्रश्न कर सकें, इन परिस्थितियों में कैसे कह दिया जाए कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके पुत्र कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ईमानदार हैं।

नाकारा हैं युवराज!


नाकारा हैं युवराज!

विकीलीक्स का खुलासा

केबल खुलासे से कांग्रेस में हड़कम्प

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासा कर विश्व को चौंका देने वाले विकीलीक्स केबल के एक अहम खुलासे के बाद कांग्रेस मुख्यालय में सन्नाटा पसर गया है। इस खुलासे में कहा गया है कि राहुल गांधी पूरी तरह अनफिट और अनुपयोगी हैं। दुनिया भर पर नजर रखने वाले दुनिया के चौधरी अमेरिका के तत्कालीन राजदूत डेविड मलफोर्ड द्वारा भेजे गए इस केबल से कांग्रेस में सनसनी फैल गई है।

केबल में मलफोर्ड के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस के आला नेता ही अपने कार्यकर्ताओं की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी को अनुपयोगी मानते हैं। आला नेता ही अपने युवराज राहुल गांधी को कम आंकते हैं। यद्यपि यह केबल 23 अक्टूबर 2007 को भेजा गया था फिर भी इसे भविष्य की राजनीतिक बिसात को देखकर अहम माना जा रहा है। कांग्रेस को भय है कि आने वाले दिनों में विपक्षी पार्टियों द्वारा इसका इस्तेमाल चुनावों में बेहतर तरीके से किया जा सकता है।

इस केबल का लब्बो लुआब यह है कि राहुल गांधी अभी भारतीय राजनीति के हिसाब से अनफिट हैं। राहुल गांधी को अब उन कामों को अंजाम देना होगा जिन्हें वे उचित नहीं मानते या जिनकी समझ उन्हें नहीं है। भारतीय राजनीत में साम दाम दण्ड और भेदका बोल बाला है। भारत में जिस नीति से राज हासिल हो उसे ‘‘राजनीति‘‘ कहा जाता है।और राहुल को इसे अपनाना होगा।

केबल में अस्पष्ट तौर पर यह भी कहा गया है कि नेहरू गांधी परिवार (फादर ऑफ नेशन महात्मा गांधी नहीं) के वंशज होने के चलते उन्हें देश में और कांग्रेस में शीर्ष पद तो मिल सकता है किन्तु सफल राजनैतिक भविष्य के लिए ये अहर्ताएं उन्हें बुलंदियों तक नहीं ले जा सकती हैं। केबल में यह भी कहा गया है कि राहुल गांधी को अपने आप को साबित करना होगा। केबल के चार सालों बाद भी राहुल गांधी आज वहीं खड़े दिख रहे हैं जहां वे उस वक्त थे।

मनमोहन ने मांगा शिव से हिसाब


मनमोहन ने मांगा शिव से हिसाब

गैस पीड़ितों को दिए 272 करोड़ कहां खर्चे दो जवाब!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सड़कों और अन्य मामलों में केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली देश की हृदय प्रदेश की शिवराज सरकार पर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार ने शिकंजा कसना आरंभ कर दिया है। आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद हत्याकांड़़ में भाजपा सांसद तरूण विजय का नाम आने फिर इसकी सीबीआई जांच के बाद अब केंद्र सरकार ने शिवराज से गैस पीड़ितों को दिए पौने तीन सौ करोड़ रूपयों का लेखा जोखा मांगा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय रसायन मंत्रालय ने मध्य प्रदेश सरकार से कहा है कि वह 1984 के गैस पीड़ितों के पुर्नवास की मद में जारी 272 करोड़ रूपयों का लेखा जोखा केंद्र को भेजे। गौरतलब है कि यह रकम केंद्र सरकार द्वारा गैस प्रभावित इलाकों की बस्तियों में पीड़ितों के आर्थिक और सामाजिक पुर्नवास तथा मूलभूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए इस मद में यह राशि प्रदान की है।

सूत्रों ने कहा कि इस भारी भरकम रकम में गोलमाल की शिकायतें मिलने के बाद उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। इस रकम से हृदय प्रदेश की राजधानी भोपाल में किए गए कार्यों की समीक्षा के लिए केंद्र सरकार ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से खर्च का ब्योरा मांगा है।

आम चुनाव के पहले रेल यात्रियों की कमर तोड़ने की तैयारी


आम चुनाव के पहले रेल यात्रियों की कमर तोड़ने की तैयारी

रेल यात्रा किराए में हो सकती है दस से पंद्रह फीसदी बढ़ोत्तरी

माल ढुलाई भी होगी अब मंहगी

घटिया खाने के देने होंगे अब ज्यादा पैसे

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारतीय रेल का भट्टा बिठाने वाले स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव के बाद पश्चिम बंगाल पर नजर गड़ाने वाली ममता बनर्जी के कार्यकाल में पटरी से उतरी रेल को पुनः रास्ते पर लाने के लिए अब वर्तमान रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी कुछ संजीदा दिख रहे हैं। उनकी इस कवायद का सीधा असर अब रेल यात्रा पर पड़ने वाला है। आने वाले दिनों में न केवल रेल माल भाड़ा बढ़ने की उम्मीद है वरन् रेल यात्री किराए और खानपान की दरें भी बढ़ाई जाने के संकेत मिले हैं।

हाल ही में रेल्वे बोर्ड की दूसरी बैठक के उपरांत जो बातें सामने आ रही हैं उनके अनुसार सात साल बाद रेल महकमे के निजामों ने इस बात की सुध लेना आरंभ किया है कि आखिर चूक कहां हो रही है। भारतीय रेल में साफ सफाई और केटरिंग व्यवस्था में कुड़ली मारे बैठे ठेकेदारों ने हर तरह से नए निजामों को संतुष्ट करने का प्रयास किया। बदबू मारते रेल के शौचालय, सालों साल न साफ होने वाली रेल के कंपार्टमेंट की पानी की टंकी में पनपते जीवाणू आदि के बारे में किसी का ध्यान अब भी नहीं जा पाया है। रेल गाड़ी में यात्रियों के साथ बिना टिकिट यात्रा करने वाले चूहों और काकरोच की समस्या भी जस की तस ही बनी हुई है।

गौरतलब है कि रेल्वे मंत्रियों के तुगलकी फरमान का भोगमान सीधे सीधे यात्रियों को ही भोगना पड़ता है। जबलपुर से नई दिल्ली जाने वाली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस सहित अनेक रेलगाड़ियों में रसोईयान (पेंट्री कार) को समाप्त कर दिया गया है। अनेक रेलगाड़ियों में अनाधिकृत वेंडर्स द्वारा मनमानी कीमत पर खाद्य सामग्री बेची जाती है। कई बार इसके चलते यात्रियों और इन सेवादारों के बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती है। इसके साथ ही साथ रेल्वे में सबसे बड़ी समस्या भिखारियों की है। चलित टीसी और ड्यूटी पर तैनात जीआरपी के जवानों द्वारा भी इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।

बोर्ड के सूत्रों ने कहा कि 1999 में तय किए गए मूल्यों पर अब केटरर्स द्वारा खान पान सामग्री प्रदाय किया जाना संभव नहीं है। गौरतलब है कि रेल में ब्रेड आमलेट 22 रूपए का मिलता है जो सामान्य तौर पर दस से बारह रूपए में बाहर मिल जाता है। इसी तरह रेल गाड़ी में भोजन की थाली साठ से सौ रूपए जैसा भाव टूट जाए में मिल जाती है। यात्रियों का आरोप रहा है कि उन्हें बेहतर गुणवत्ता युक्त जायकेदार भोजन नहीं मिल पाता है। यहां तक कि रेल में मिलने वाली चाय को लोग गरम पानी की संज्ञा भी देते हैं।

सूत्रों ने आगे कहा कि रेल को फिर से पटरी पर लाने के लिए रेल यात्री किराया बढ़ाना अवश्यंभावी हो गया है किन्तु 2014 के आम चुनावों को देखकर रेल मंत्री इसे बढ़ाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस बार रेल माल भाड़े और खान पान की दरों में वृद्धि कर इसे कुछ हद तक पटरी पर लाया जा सकता है। गौरतलब है कि रेल्वे द्वारा प्रत्येक रेलगाड़ी को आरंभ से गंतव्य तक बीच बीच के स्टेशनों पर साफ सफाई के लिए अरबों रूपयों के ठेके दिए गए हैं। रेल में व्याप्त गंदगी को देखकर इन ठेकों को ही व्यवस्थित कर दिया जाए तो भारतीय रेल काफी हद तक पटरी पर लाई जा सकती है।