रविवार, 31 मार्च 2013

शिव का पत्ता काटा राजनाथ ने!


शिव का पत्ता काटा राजनाथ ने!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। अंततः भारतीय जनता पार्टी ने लंबी रस्साकशी के उपरांत अपने संसदीय बोर्ड की घोषणा कर ही दी है। नए संसदीय बोर्ड में मध्य प्रदेश को महत्व तो दिया गया है पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के केंद्र में जाने की योजना पर ब्रेक लगा दिया है। सियासी हल्कों में इस बात का कारण खोजा जा रहा है कि आखिर क्या वजह है कि पांव पांव वाले भईया को संसदीय बोर्ड में स्थान नहीं दिया गया है। कहा जा रहा है कि देशव्यापी स्तर पर शिवराज सिंह चौहान के कुशासन का मीडिया में आना ही उनके लिए परेशानी का सबब बना है।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने संसदीय बोर्ड के नए सदस्यों के नामों की घोषणा की है। संसदीय बोर्ड निर्णय करने वाली यह पार्टी की सर्वाेच्च संस्था है। नरेन्द्र मोदी एकमात्र मुख्यमंत्री हैं जिन्हें इसमें शामिल किया गया है। पार्टी के नए महासचिव हैं-वरूण गांधी , अमित शाह और राजीव प्रताप रूडी। उपाध्यक्षों के पद पर उमा भारती, स्मृति ईरानी, मुख्तार अब्बास नकवी और प्रभात झा की नियुक्ति की गई है।
टीम राजनाथ में नरेंद्र मोदी का दबदबा साफ तौर पर दिखाई पड़ रहा है। वे इकलौते मुख्यमंत्री हैं जो इसमें शामिल हुए हैं।  वहीं दूसरी ओर राजनाथ सिंह ने अपने करीबी विधायक अमित शाह को राजनाथ की टीम में महासचिव बनवाकर भी मोदी ने पार्टी में अपने बढ़ते हुए कद का अहसास कराया है। अमित शाह का राजनीतिक सफर विवादों में रहा है। वह सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी हैं और तीन महीने तक जेल में बिता चुके हैं।
भाजपा के नेशनल हेडक्वार्टर 11 अशोक रोड के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि टीम की घोषणा से पहले रविवार सुबह राजनाथ सिंह ने पार्टी के शीर्षस्थ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने आडवाणी से नई टीम पर चर्चा करने के साथ-साथ उनकी सहमति ली।
सूत्रों के अनुसार पार्टी सर्वाेच्च नीति निर्धारक संस्था संसदीय बोर्ड में 12 सदस्यों को शामिल किया गया है। 10 महासचिवों में से 6 महासचिव नितिन गडकरी की टीम के ही हैं। कहा जा रहा है कि उमा भारती को धर्मेंद्र प्रधान के महासचिव बनाए रखने उपाध्यक्ष बनाया गया है।
टीम राजनाथ में संसदीय बोर्ड में राजनाथ सिंह, अटल बिहार वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रामलाल, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत और नरेंद्र मोदी को शामिल किया गया है। इसके अलावा महासचिवों में रामलाल (संगठन), अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, जेपी नड्डा, तापिर गाव, धर्मेंद्र प्रधान, अमित शाह, राजीव प्रताप रूडी, वरुण गांधी और मुरलीधर राव को स्थान दिया गया है।
पार्टी में बतौर उपाध्यक्ष सदानंद गौड़ा, मुख्तार अब्बास नकवी, डॉ. सीपी ठाकुर, जुएल उरांव, एस. एस. अहलूवालिया, बलबीर पुंज, सतपाल मलिक, प्रभात झा, उमा भारती, बिजॉय चक्रवर्ती, लक्ष्मीकांत चावला, किरण माहेश्वरी, स्मृति ईरानी, सचिव के तौर पर श्याम जाजू, भूपेंद्र यादव, कृष्णा दास, अनिल जैन, विनोद पांडेय, त्रिवेंद्र रावत, रामेश्वर चौरसिया, आरती मेहरा, रेणु कुशवाहा, सुधा यादव, सुधा मलैया, पूनम महाजन, लुईस मरांडी, डॉ तमिल एसाई, वाणी त्रिपाठी को शामिल किया गया है।
पार्टी प्रवक्ता की कमान प्रकाश जावड़ेकर, निर्मला सीतारमण, विजय शंकर शास्त्री, सुधांशु त्रिवेदी, मिनाक्षी लेखी, कैप्टन अभिमन्यु संभालेंगे तो मोर्चाओं के अध्यक्ष के बतौर महिला मोर्चारू सरोज पांडेय, युवा मोर्चा अनुराग ठाकुर, एससी मोर्चा संजय पासवान, एसटी मोर्चा फग्गन सिंह कुलस्ते, अल्पसंख्यक मोर्चा अब्दिल राशिद, किसान मोर्चा ओम प्रकाश धनाकर को बनाया गया है। केंद्रीय चुनाव समिति को भी अंतिम रूप दिया गया है जिसमें राजनाथ सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, रामलाल, गोपीनाथ मुंडे, जुएल उरांव, शाहनवाज हुसैन, विनय कटियार, जेपी नड्डा, डॉ. हर्षवर्धन, सरोज पांडेय शामिल हैं।
टीम राजनाथ की घोषणा के साथ ही बगावत की भी सुगबुगाहट आने लगी है। राहुल गांधी के चचेरे भाई वरूण गांधी को महासचिव बनाने से विनय कटियार खफा हैं। विवादित चेहरे अमित शाह को भी महासचिव बनाने से पार्टी के अंदर असंतोष पनपता दिख रहा है। पार्टी के आला दर्जे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इससे कांग्रेस को भाजपा पर हमले करने में आसानी होगी।
सभी को उम्मीद थी कि आग और पानी का संतुलन बनाने के लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नरेंद्र मोदी के सामने शिवराज सिंह चौहान को शामिल करेगा वस्तुतः एसा हुआ नहीं। शिवराज सिंह चौहान के घुर विरोधी समझे जानी वाली उमा भारती और प्रभात झा को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है जिससे लग रहा है मानो शिवराज सिंह चौहान को साईज में लाने का काम किया जाने वाला है।
उधर राजनाथ सिंह के करीबी सूत्रों ने साई न्यूज से चर्चा के दौरान कहा कि दरअसल, शिवराज सिंह चौहान का खुद का मीडिया मैनेजमेंट विफल रहा है। सोशल मीडिया के साथ ही साथ अनेक वेब साईट्स और छोटे मझौले समाचार पत्रों में शिवराज सिंह चौहान के अकुशल प्रबंधन, प्रशासन पर उनकी ढीली पकड़ की खबरों की कतरने प्रमुखता के साथ पार्टी अध्यक्ष के सामने रखी गईं थीं जिससे पार्टी अध्यक्ष एमपी में शिवराज की नहीं भाजपा की छवि प्रभावित होना मान रहे हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि इस संबंध में शीर्ष स्तर पर तीन नेताओं के बीच चर्चा हुई तब शिवराज का पक्ष एमपी के एक नेता ने रखा। इस पर राजनाथ सिंह का सीधा सा जवाब था कि जो अपने राज्य में ही शासन प्रशासन और मीडिया मैनेजमेंट में असफल हो वह केंद्र में आकर क्या खाक कर लेगा।

ज्यादा लोन को ना डालें बट्टे खाते में: केंद्र


ज्यादा लोन को ना डालें बट्टे खाते में: केंद्र

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा है कि वे एक सीमा तक ही ऋण राशि को बट्टे खाते में डालें। मंत्रालय ने २०११-१२ तक समाप्त हुए छह वर्षों के दौरान ऋणों की वसूली के ब्यौरे भी मांगे हैं। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय स्थिति को सुधारना है। बैंक जिन ऋणों की वसूली नहीं कर पाते, उन्हें बट्टे खाते में डाल देते हैं।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मंत्रालय ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने को भी कहा है कि किसी वर्ष के दौरान वसूल की गई राशि की तुलना में बट्टेखाते में डाले गए ऋण अधिक नहीं होने चाहिएं। वित्त मंत्रालय ने इस सिलसिले में सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक प्रमुखों को हाल में एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि यदि किसी वर्ष में बैंकों द्वारा वसूल किए गए ऋण के मुकाबले बट्टे खाते में डाली गई राशि अधिक हो तो मंत्रालय को इसके कारणों की जानकारी उपलब्ध कराई जाए। वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने इस महीने के शुरू में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ एक समीक्षा बैठक में वसूल न हो सकने वाले कर्जों के बढ़ते जाने पर चिंता व्यक्त की थी।
वहीं सूत्रों नें साई न्यूज को बताया कि सरकार ने फरवरी में सेवा कर के रूप में दस हजार ४५३ करोड़ रूपए की वसूली की है। वसूली में इस वृद्धि से पता चलता है कि सेवा कर से बचने वालों को सरकार ने जो चेतावनी दी थी, उसके अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। यह जानकारी देते हुए वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सेवा कर के रूप में जनवरी में जितनी राशि वसूली की गई थी उसके मुकाबले फरवरी में वसूल की गई राशि ४४ प्रतिशत अधिक है। राजस्व विभाग ने जनवरी में सेवा कर के तहत केवल सात हजार २५५ करोड़ रूपए इकट्ठे किए थे।

सालकुची में कर्फ्यू में तीन घंटे की ढील!


सालकुची में कर्फ्यू में तीन घंटे की ढील!

(पुरबाली हजारिका)

गोवहाटी (साई)। असम में कामरूप जिले के सॉलकुचि शहर में आज दोपहर एक बजे से शाम चार बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है। पुलिस महानिरीक्षक एल आर बिश्नोई ने बताया कि कल की हिंसा की घटनाओं में कथित रूप से शामिल होने के कारण सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। स्थिति नियंत्रण में है लेकिन सुरक्षाबल सतर्कता बरत रहे हैं।
वहीं राज्य के गृहसचिव जी डी त्रिपाठी ने साई न्यूज के साथ चर्चा के दौरान कहा है कि कल की घटनाओं की मजिस्ट्रेट से जांच कराने के आदेश दिए गए हैं। सुरक्षाबलों के साथ कल व्यापारियों की झड़पों के बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया था। मुख्यमंत्री कार्यालय भी इस पर पूरी नजर रखे हुए है।
सीएम आफिस के सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने सॉलकुचि में स्थिति सुधारने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिये हैं। कामरूप जिले के उपायुक्त ने पूरे जिले में स्थानीय मेखला चादर के नाम पर बनारसी कपड़ों की बिक्री पर रोक लगा दी है। रंगाली बिहु में कुछ दिन बाकी रहते हुए बुनकरों को बिक्री में तेजी आने की उम्मीद थी लेकिन कुछ व्यापारियों द्वारा नकली कपड़े की बिक्री को लेकर गुस्साये लोग हिंसा पर उतर आये थे। सॉलकुचि के लगभग २५ हजार लोग इस उद्योग से जुड़े हुए हैं।

ढाई सौ मीटर के दायरे में होगा साफ पेयजल


ढाई सौ मीटर के दायरे में होगा साफ पेयजल

(एस.के.शर्मा)

भुवनेश्वर (साई)। ओडिशा सरकार ने लोगों को पीने का साफ पानी अधिकतम ढाई सौ मीटर के दायरे में उपलब्ध कराने का फैसला किया है। हालांकि, ये योजना केवल उन इलाकों में लागू की जाएगी जहां कम से कम ढाई सौ लोग रहते हों। हमारे संवाददाता ने बताया है कि राज्य सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत के मुख्य गांवों तक पाइप से पानी पहुंचाने की सभी परियोजनाओं को दो वर्ष के भीतर पूरा करने का भी निर्णय लिया है।
ज्ञातव्य है कि केन्द्र और राज्य सरकार ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल आवंटन के लिए ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम चला रहे हैं। जिसके तहत हर दिन प्रति व्यक्ति ५५ लीटर शुद्ध पेयजल सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे हासिल करने के लिए ओडीशा सरकार ने ग्रामीण पेयजल योजना के तहत ओवरहैड पानी टंकी बनाने का निश्चय किया है।
शासन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राज्य की लगभग आठ हजार ऐसी पेयजल योजनाओं में से लगभग तीन हजार योजनाओं में पानी टंकी का निर्माण किया जा चुका है।

ईस्टर की रही जमकर धूम


ईस्टर की रही जमकर धूम

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। ईस्टर आज धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। सलीब पर चढ़ाए जाने के तीसरे दिन प्रभु ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने की याद में यह दिन मनाया जाता है। इसी दिन ५० दिन का उपवास भी सम्पन्न होता है। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने ईस्टर के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी। अपने संदेश में डॉ० सिंह ने कहा कि ईसा मसीह के जीवित होने का शाश्वत महत्त्व यह है कि नफरत को प्रेम से और असत्य को सत्य से जीता जा सकता है।
केरल से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से सविता नायर ने बताया कि केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने इस अवसर पर लोगों को बधाई दी है। वहीं नगालैंड के राज्यपाल अश्विनी कुमार और मुख्यमंत्री नेफ्यू रिओ ने ईस्टर सण्डे पर लोगों को बधाई दी है। अपने संदेश में उन्होंने कहा है कि ईस्टर ईश्वर के प्यार, बलिदान और क्षमा की याद दिलाता है।

पाक में भारतीय कैदी की मौत की रिपोर्ट तलब


पाक में भारतीय कैदी की मौत की रिपोर्ट तलब

(सोहेल)

इस्लामाबाद (साई)। भारत ने पाकिस्तान से भारतीय कैदी चमेल सिंह की मौत से संबंधित परिस्थितियों की पूरी रिपोर्ट देने को कहा है। चमेल सिंह की पाकिस्तान की जेल में रहस्यमयी हालात में मौत हो गई थी। वह कोट लखपत जेल में पांच साल की कैद की सजा भुगत रहा था। सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग ने भी पाकिस्तान के अधिकारियों से चमेल सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक प्रति देने को कहा है।
वहीं पाकिस्तान के एक वकील तहसीन खान ने दावा किया है कि चमेल सिंह की मौत जेल कर्मचारियों द्वारा उसे पीटने से हुई।  पाकिस्तान की तरफ से चमेल सिंह का शव और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भारत को देने में दो महीने का समय लगने से ये बात स्पष्ट होती है कि पाकिस्तान कितनी गंभीरता से इस मामले से निपटा। चमेल सिंह के देहांत की खबर १७ जनवरी को दी गई और उनका शव १३ मार्च को भारत को सौंपा गया। मीडिया की खबरों के अनुसार शव पर जख्मों के निशान भी थे। पाकिस्तान की तरफ से बार-बार इस तरह की उकसाने वाली हरकतों से निश्चित रूप से दो देशों के बीच संबंध बेहतर बनाने के प्रयास प्रभावित होंगे जो किसी के हित में नहीं।

जिला बनने से दूर हुआ लखनादौन, एडीएम बैठेंगे


जिला बनने से दूर हुआ लखनादौन, एडीएम बैठेंगे

(संतोष श्रीवास)

सिवनी (साई)। लखनादौन में आयोजित जिला स्तरीय अन्त्योदय मेले मे पधारे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लखनादौन वासियों की जनावनाओं पर ारी कुठाराघात कर दिया। मुख्यमंत्री के लखनादौन आगमन को लेकर ऐसी चर्चा थी कि इस बार वे लखनादौन को जिला बनाने की घोषणा कर देंगे किन्तु क्षेत्रीय विधायक श्रीमती शशि ठाकुर द्वारा ही मंच से लखनादौन में अपर जिला मजिस्ट्रेट की पदस्थापना की मांग कर ली और जैसा कि पहले से तय था मुख्यमंत्री ने तत्काल ही मंच से इसकी घोषणा कर दी हालाकि लखनादौन के विकास के लिये मुख्यमंत्री ने नगर पंचायत को 01 करोड़ की राशि प्रदान करने की ी घोषणा कर दी है।
मुख्यमंत्री के स्पष्ट घोषणा कर देने के बाद ी सिवनी नगर मे यह चर्चा थी कि मुख्यमंत्री द्वारा लखनादौन को जिला बनाये जाने की घोषणा कर दी गयी है किन्तु देर शाम यह बात लोगों को स्पष्ट हुई कि ऐसी कोई घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा नहीं की गयी है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2001-02 मे कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी का लखनादौन आगमन हुआ था तब कांग्रेस की एक बैठक मे यह तय हुआ था कि सोनिया जी से लखनादौन को जिला बनाने की मांग की जायेगी पर उस समय इस मांग को कुछ कांग्रेसियों ने ही दबा दिया था। बाद मे यह मांग धीरे धीरे की तेज होती तो की दब ी जाती। इस बार पुनः ये मांग तेज हो गयी थी कि लखनादौन के विकास और क्षेत्रफल को देखते हुए इसे जिला बनाया जाये।
अभी जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का लखनादौन अंत्योदय मेले मे आगमन होने की खबर आयी तो लोगों को यह उम्मीद थी कि अब उनकी मांग पूरी हो जायेगी किन्तु चौहान ने लखनादौन में अपर जिला मजिस्ट्रेट की पदस्थापना करने की  घोषणा कर लोगों की उम्मीद पर पानी फेर दिया।
अब ऐसी स्थिति में जब लखनादौन में अपर जिला मजिस्ट्रेट की पदस्थापना की घोषणा कर दी गयी है तो इस बात की संावना बहुत ही कम है कि लखनादौन को जिले का दर्जा दिये जाने हेतु प्रदेश सरकार कोई विचार करे।
इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की हालोन सिंचाई परियोजना को हाईजेक कर शीघ्र काम शीघ्र प्रारं कराये जाने के निर्देश दे दिये हैं। इसी तरह घंसौर में हाईस्कूल वन बनाये जाने, क्षेत्र की समस्त सिंचाई परियोजनाओं का तकनीकी सर्वे कराये जाने, बरगी बांध का पानी सिंचाई हेतु लखनादौन लाने का सर्वे कराये जाने की घोषणा ी मंच से की गयी है।
घोषणावीर मुख्यमंत्री ने घोषणाओं की झड़ी लगाते लगाते पूर्व में स्वयं के द्वारा ही की गयी एक घोषणा की पुनरावृŸिा ी कर डाली। चौहान ने इस बार लखनादौन स्थित महाविद्यालय में छात्रावास वन बनाये जाने की घोषणा मंच से की है जबकि यही घोषणा वे डेढ़ दो वर्ष पूर्व मे ी कर चुके थे और जैसा की होता है कि मुख्यमंत्री की घोषणा न उन्हें याद रहती हैं न उनके अधिकारियों को वैसा ही लखनादौन में छात्रावास बनाये जाने की घोषणा के साथ हुआ। उनकी यह घोषणा न उन्हें याद रही न ही उनके अधिकारियों को और तो और जनता व क्षेत्रीय विधायक ी इसे ूल चुके थे।
आज आयोजित अन्त्योदय मेले मे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा यह ी घोषणा की गयी है कि मई 2013 तक अटल ज्योति अभियान के माध्यम से सिवनी जिले के सी गाँवों को 24 घंटे बिजली मुहैया करायी जायेगी जिससे गाँवों मे छोटे बड़े कुटीर उद्योगों की स्थापना हो सके। स्वरोजगारियों को ऋण उपलब्ध कराये जाने की बात ी मंच से कही गयी है। पुराने ग्रामीण उद्योग धंधों को पुर्नजीवित किये जाने की बात पर बल दिया गया है व कहा गया कि शहरी गरीबों को ी आवास हेतु पट्टा प्रदान करने की नीति पर सरकार अी विचार कर रही है।
क्षेत्रीय विधायिका श्रीमती शशि ठाकुर ने लखनादौन में 100 विस्तरों वाले हाँस्पिटल भवन निर्माण कार्य का भूमपूजन करने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार माना क्षेत्र मे पीने के पानी की समस्या के निवारण की मांग रखी। इस मौके पर मुख्यमंत्री द्वारा 47 करोड़ 94 लाख 71 हजार रूपये की लागत वाले 40 निर्माण कार्यों का लोकार्पण भी किया।

देहरादून में झण्डा साहिब का उत्सव


देहरादून में झण्डा साहिब का उत्सव

(चंद्र शेखर जोशी)

देहरादून (साई)। झण्डा मेले का आयोजन प्रत्येक वर्ष होली के बाद पांचवे दिन देहरादून में ऐतिहासिक गुरु रामराय दरबार में गुरु की पवित्र स्मशित में लगता है। मेले का प्रारम्भ ऐतिहासिक परिसर के अहाते में स्थित डण्डे पर नया झण्डा लगाकर किया जाता है। देहरादून के संस्थापक की पुण्य स्मशित में प्रति वर्ष झण्डा साहिब का उत्सव उनके जन्मदिन चौतवदी पंचमी से आरम्भ होता है। विभिन्न प्रांतों के अनुयायी श्रद्धा के साथ आकर अपने ईष्ट गुरु बाबा रामराय जी का जन्म दिन मनाते हुए दरबार साहिब का दर्शन करते हैं।
देहरादून नगर के संस्थापक और उदासीन परम्परा के गुरु रामराय जी ने सन् १६९९ में धामावाला में झण्डा दरबार की स्थापना की थी। तत्कालीन मुगल शैली की वास्तुकला का अनूठा यह भवन सन् १७०७ में उनकी पत्नी माता पंजाब कौर द्वारा भव्य रुप में निर्मित किया गया। गुरु दरबार में प्रथम महन्त गुरु रामराय के बाद १६९९-२००३ के बीच महन्त औद्दास जी, महन्त हर प्रसाद जी, महन्त हरसेवक जी, महन्त स्वरुप दास जी, महन्त पीतम दास जी, महन्त इन्द्रेश चरण दास जी व वर्तमान में महन्त देवेन्द्र दास जी ने गुरु परम्परा को आगे बढाया।
एटकिन्सन गजेटियर के अनुसार १७वीं शताब्दी में जब महन्त गुरु रामराय जी अपने पिता की गद्दी पाने में सफल नहीं हुए तो वे अपने भक्तों के साथ टोंस नदी के बायें तरफ अवस्थित कांडली गांव में रहे, बाद में उन्होंने खुडबुडा में डेरा डाला। उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब का संस्तुति पत्र तत्कालीन गढवाल के राजा फतेह शाह को दिया। उनके आगमन से अनेक भक्त प्रभावित हुए। सन् १६७६ में सिख गुरु रामराय के आगमन तथा उनके सम्मान में उत्सव मनाया गया जब से हर वर्ष उनकी स्मृति में चौत्र मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी में झण्डा चढाया जाता है जिसमें उत्तर भारत के तीर्थयात्री भारी संख्या में भाग लेते हैं।
यह मेला पारम्परिक, आध्यात्मिक भाव को समाहित किये हुए मनाया जाता है। मेले में पंजाब से गुरु रामराय जी के भक्त पैदल चल कर देहरादून आते हैं। लाखों की संख्या में विभिन्न प्रान्तों से भक्त जन मेले में शिरकत करते हैं। गुरु रामराय दरबार के महन्त पारम्परिक वेशभूषा में जुलूस की अगुवाई करते हुए शहर की परिक्रमा करते हैं। झण्डे की पूजा अर्चना के बाद पुराने झण्डे को उतारा जाता है तथा काफी लम्बे ध्वज दण्ड में बंधे पुराने कपडे, आवरण, दुपट्टे आदि हटाये जाते हैं। ध्वज दण्ड को ढका जाता है और बाद में ध्वज को मखमल के गहरे रंग का आवरण पहनाया जाता है। पवित्र जल छिडका जाता है तथा भक्त जनों द्वारा ध्वज दण्ड में रंगीन रुमाल, दुपट्टे आदि बांधे जाते हैं। बाद में झण्डा साहब को भक्त जनों द्वारा रस्सी व हाथों से चढाया जाता है।
बाबा रामराय जी का, गुरु हरराय साहिब के ज्येष्ठ पुत्र थे। चौतवदी पंचमी संवत १७०३ विक्रमी के दिन माता सुलक्खिणी के गर्भ से कीरतपुर जिला रूपड, पंजाब में इनका जन्म हुआ था। प्रतिवर्ष इसी तिथि को दरबार साहिब के बाहरी पांगण में झण्डा चढाने की परिपाटी सम्पन्न की जाती है। इसी झण्डे के कारण यह उत्सव मेला झण्डा साहिब के नाम से विख्यात है। इसी परिपाटी के साथ झण्डे का उत्सव दस दिन तक चलता है। दूर-दूर से आये श्रद्धालुओं के लिए अनवरत भण्डारे तथा विश्रामालय का उचित प्रबन्ध किया जाता है।
0 बाबा रामराय जीः
बाबा रामराय जी को प्राचीन ग्रन्थों में कर्त्ता पुरुष पभु दयालु, रामराजा अर्न्तयामी, समर्थ आदि नामों से सम्बोधित किया गया है। मुगल बादशाीह औरगंजेब भी बाबा जी को हिन्दू पीर कहकर आदर देता था। बाबा जी का जीवन काल संवत १७०३ विक्रमी तद्नुसार सन् १६४६ ई० से संवत १७४४ विक्रमी तद्नुसार १६८७ ई० तक है। इस काल में बाबा जी द्वारा अनेक महान कार्य किये गये जिससे आज ३०० वर्ष उपरांत भी श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वशिद्ध होती जा रही है।
0 बाबा रामराय जी की शिक्षा दीक्षा
बाबा रामराय जी का अधिकांश जीवन कीरतपुर में व्यतीत हुआ। यहां पर दीवान दुर्गामल के निर्देशन में आपने संस्कश्त, गुरुमुखी तथा फारसी भाषाओं की शिक्षा ली। दीवान साहिब गुरु हरराय जी के दरबार में शिरोमणि विद्वान थे। बाबा जी पतिदिन नियमानुसार गुरु ग्रन्थ साहिब का पाठ करते थे तथा कई वाणियां आपको कंठस्थ हो गयी थी। शस्त्र-शास्त्र विद्या में भी आप पूर्ण निर्पुण थे। अपने पूज्य पिता गुरु हरराय जी से ज्ञान ध्यान की विद्या उन्होंने अर्जित की। परमब्रह्मा परमेश्वर का ध्यान समाधिस्थ अवस्था में आप काफी समय तक किया करते थे। १५ वर्ष की अल्पायु से ही आप परम योगी की सिद्धि अवस्था को पाप्त कर चुके थे। बाबा जी के अनेक चमत्कारों का वर्णन प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है। बाबा जी के चमत्कारों ने बादशाह औरगंजेब को भी नतमस्तक कर दिया। इस तथ्य का प्रभाव दरबार साहिब देहरादून की चारदीवारी में एक शिलालेख के रुप में आज भी फारसी कविता में सुरक्षित है।
महिमा प्रकाश में वर्णन है, बादशाह औरंगजेब ने जब बाबा जी का दर्शन किया तो अत्यधिक प्रभावित हुआ और रामराय जी से इस प्रकार पश्न कियाः
हे साहिब, तुम फकीर हो पाक, बडे बली साहिब करामात, वली अहदि लाएक टिक्के के, गुरु हरकिशन जी बेटे छुटके।
गुरु आई अपनी इनको दीन, वह उल्टी रीति कुछ जाय न चीना। (महिमा प्रकाश में इसका वर्णन है)
बाबा रामराय जी ने इसका उत्तर दियाः
श्री रामराय जी कहा समझाए, संत गुरु साहिब बेपरवाह, कर कश्पा जिनह गुरिआई दीना, हम इनके सेवक सब अधीना
करामात जाहर हम कीना, ईह ईतराज भए पभु परवीना, ईह कारण हमको तिलक न दिया, सो कारण सफल जु सत कीया।
बाबा रामराय जी ने गुरु हरकिशन जी का अंतिम संस्कार दिल्ली में किया था और उनके फूल लेकर सेवकों समेत हरिद्वार श्रीगंगा जी अर्पण हेतु पधारे थे। उस समय उनके साथ उनकी माता सुलक्खिणी जी, दीवान दुर्गामल और कुछ सेवक थे। इस तथ्य की पुष्टि हरिद्वार निवासी भवानी दास मिश्र पण्डे के बही से होती है।
गुरु हरकिशन जी के अन्तिम शब्द थे बाबा वकाले। जिसका तात्पर्य उनके उस उत्तराधिकारी से था जो उस समय ग्राम वकाले अमृतसर में रहते थे। एवं परिवार में सबसे बडे होने के कारण बाबा तेगबहादुर कहलाते थे। जब गुरु तेग बहादुर को गुरुआई का तिलक लगा दिया तो समय समय बाबा रामराय जी भी दीवान में सुशोभित थे। इसके बाद रामराय जी जगत के सब नश्वर पदार्थाे को त्याग कर दून घाटी में घने जंगल में आ विराजे। इस स्थान पर बाबा जी डेरा लगाकर परब्रह्मा परमेश्वर की स्मृति में जीवन व्यतीत करने लगे। यहां दूर-दूर से चलकर अनगिनत श्रद्धालु आने लगे।
इसी समय आलमगीर औरगंजेब की आज्ञा से गढवाल के राजा फतेहशाह बाबा जी के लिए अमूल्य वस्तुएं भेट लेकर स्वयं उपस्थित हुए। बाबा जी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर राजा फतेहशाह ने बाबा जी से सदैव इसी स्थान पर निवास करने की प्रार्थना की तथा समीप के सात गांव जिसमें खुरबदी, धतमावाला, चापासारी, धरतीबली, पंडितवाडी, मियांवाला, राजपुर की जागीर आपको भेंट कर दी। राजा की प्रार्थना को स्वीकार कर बाबा जी ने डेरा स्थापित किया। इस स्थान के निकट ही नगर आबाद हो गया जो कालान्तर में बाबा राम राय जी की पवित्र भूमि में पहले डेरादून और बाद में देहरादून कहलाने लगा।
जीवन का अधिकांश समय बाबा जी ने यहीं पर व्यतीत किया। बाबा जी की देह विसर्जन की तिथि भाद्र सुदी ८ संवत १७४४ (१६८७ ई०) मानी जाती है। बाबा जी अनेक पकार की ऋषि-सिद्धी व चमत्कारित शक्तियों से युक्त थे। इन शक्तियों के होते हुए बाबा जी का स्वभाव अत्यंत निर्मल व मृदु था। बाबा जी परम योगी थे तथा समाधिस्थ अवस्था पसंद करते थे।
गुरु महाराज जी २२ वर्षाे तक देहरादून में तपस्या में लीन रहने के पश्चात १६८७ में ज्योति-ज्योत समा गए। उनके पश्चात ५२ वर्षाे तक दरबार का कामकाज उनकी रानी माता पंजाब कौर ने देखा उसके पश्चात महन्त परम्परा का पारम्भ हुआ। पहले महन्त हुए औद दास जी २- महन्त हरपसाद जी ३- महन्त हरसेवक जी, ४- महन्त स्वरुप दास जी, ५- महन्त पीतम दास जी ६- महन्त नारायण दास जी ७- महन्त प्रयाग दास जी ८- महन्त लक्ष्मण दास जी ९-महन्त इन्दिरेश चरण दास जी १०- वर्तंमान में महन्त देवेन्द्र दास जी गद्दीनशीन हैं।  पूजनीय महन्त देवेन्द्र दास जी बडा जी सादा और सात्विक जीवन व्यतीत करते हुंए जनसाधारण की सेवा में रत रहते हैं। दरबार साहिब के नाम से विख्यात आज गुरुरामराय एजूकेशन मिशन के ११५ स्कूल सफलतापूर्वक चल रहे हैं। महन्त जी के पयासों से दरबार साहिब ज्ञान का वट वृक्ष बन चुका है।
दरबार साहिब उदासीन सम्पदाय का धर्मस्थल है। उदासीन सम्प्रदाय अति प्राचीन है जिसका वर्णन रामचरितमानस में भी मिलता है। इस सम्प्रदाय के आधुनिक प्रवतर्कक प्रथम सिख गुरु गुरुनानक जी के ज्येष्ठ पुत्र बाबा श्रीचन्द्र जी हैं जो उदासीन संयासी बन गये थे। फिर सातवे पातशाह गुरु हरराय साहिब के ज्येष्ठ पुत्र गुरु रामराय जी भी इस सम्पदाय में सम्मिलित हो गये। अतः दरबार साहिब में बाबा श्रीचन्द्र व गुरु रामराय जी की पूजा की जलात है। दरबार के महन्त की गद्दी उदासीनों की गद्दी है। उदासीन सम्प्रदाय के डेरे भारत व पाक में हैं।

मुजफ्फरनगर : गुटखा खाना व खिलाना एक अप्रैल से प्रतिबंधित


गुटखा खाना व खिलाना एक अप्रैल से प्रतिबंधित

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। उत्तर प्रदेश में आगामी एक अप्रैल से गुटखे पर लगने जा रहे प्रतिबंध के आदेशों के बाद जिला प्रशासन हरकत में आना शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि जिला प्रशासन एक अप्रैल से पूर्व ही गुटखे के प्रतिबंध के सरकारी आदेशों को सख्ती से लागू करायेगा। गुटखे के प्रतिबंध को लेकर इसके खाने के शौकीन जहां परेशान नजर आने लगे हैं वहीं गली मौहल्लों में खुली पान पनवाड़ियों की दुकानंे की रंगत भी फीकी है क्योंकि अब पान और सिगरेट से कहीं ज्यादा गुटखा खाने व खिलाने वालांे की संख्या तेज हो गयी है हर गली चौराहे में आवश्यक गृह उपयोगी सामान मिले या न मिलने लेकिन गुटखा जरूर मिल जाता है। गुटखे की रोकथाम और इसे सख्ती से लागू कराने के लिए जिला प्रशासन ने पूरा ब्ल्यू प्रिंट तैयार कर लिया है।
जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह के निर्देशन में सिटी मजिस्टेªेट व अन्य अधिकारी सभी तहसीलों के एसडीएम इस आदेश का अनुपालन करायेंगे। उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने पिछले वर्ष ही यह घोषणा कर दी थी कि एक अप्रैल 2013 से उत्तर प्रदेश में गुटखे को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया जायेगा। सपा सरकार ने छह सात माह की मौहलत गुटखा इंडस्ट्रीज को इसलिए दी थी कि गुटखा बनाने में लाखों मजदूर और काम करने वाले लोग अचानक ही बेरोजगार हो जायेंगे उन्हे कम से कम अपन रोजगार बदलने का समय दिया जाये और गुटखा इंडस्ट्रीज को भी सही तरीके से इसे बंद करने का पूरा मौका दिया जाये।
मुजफ्फरनगर जनपद में गुटखा खाने व खिलाने वालो पर अब जिला प्रशासन का डंडा बहुत ही तेजी से पैना हो रहा है। माना जा रहा है कि शहर और गली मौहल्लों में पनवाडियों की दुकानों पर अगले कुछ दिनों में आफत आ सकती है। पान मंडी में इसकी थोक की दुकानें भी चपेट में आने जा रही है उन्हंे एक अप्रैल से पहले ही अपना तमाम स्टाक खत्म कर दुकानों व गोदामों को गुटखा विहीन करना होगा। उत्तर प्रदेश सरकार से पहले न्यायालय भी इस पर प्रतिबंध करने के बारे में कह चुका है। उत्तर प्रदेश में यह सबसे बाद में ही प्रतिबंधित हुआ है। गुटखा इतना खतरनाक है कि इसे खाने वाला व्यक्ति इसके जहरीलेपन का अंदाजा नहीं लगा सकता। मुंह के कैंसर से लेकर फेफडों व मृत्यु के दरबार में पहुंचाने वाली सभी बीमारियां इस छोटे से गुटखे से हो जाती है। एक से दो रूपये के बीच बिकने वाला यह जहरीला गुटखा आज बाजार में कई रोचक नामों से प्रसिद्ध है। गुटखे और खैनी को लेकर कई बार बहसे भी हुई है। इससे पहले कैंसर का बिच्छू वाला निशान इस पर बनाकर चेतावनी भी दी गयी थी। जिला प्रशासन ने अब स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि जो भी गुटखा बेचेगा वह सख्त कार्रवाई की चपेट में आयेगा भले ही उसे जेल क्यों न भेजना पडे़। माना जा रहा है कि इस प्रतिबंध के बाद गुटखा कुछ दिनों तक ब्लैक में भी बेचा जायेगा और इसे खाने वालो को कुछ ज्यादा पैसे देकर इसे ब्लैक में लेना होगा।
पान-पनवाड़ियों की दुकाने निशाने पर
मुजफ्फरनगर। जनपद में जिला प्रशासन की सख्ती के बाद पान पनवाड़ियों की दुकानंे निशाने पर आ जायेगी। अनेक लोगों ने होली से पूर्व ही गुटखों की और खैनियों की कई कई पेटियां अपने घरों में स्टाक कर ली है। फिलहाल पान मंडी से भी बड़ी संख्या में गुटखा खाने खिलाने वालांे ने गुटखे ओर खैनियों की पेटियों को अपने घरों व गोदामों में छिपाकर रख लिया है। जिला प्रशासन के लिए इस बात की आवश्यकता है कि गुटखे को जब्त करने के लिए वह घरों व पनवाड़ियों की दुकानों तक भी जाये। सबसे ज्यादा दिक्कत शहर की बजाए छोटे कस्बों व गांवों में आयेगी क्योंकि जिला प्रशासन के पास इतना स्टाफ नहीं है कि वह गांव-गांव जाकर गुटखे का स्टाक खत्म करा दे। इससे पहले भी अन्य मामलों में चाहे वह प्रतिबंधित दवाई का मामला हो या खासी के सिरप का मामला हो स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इन पर सही तरीके से लगाम भी नहीं लगा पाया है। गुटखा तो उनके सामने बहुत छोटी चीज है।
0 एक अप्रैल से गुटखे पर प्रतिबंध: एडीएम
अपर जिलाधिकारी प्रशासन मनोज कुमार सिंह एवं सिटी मजिस्ट्रेट इंद्रमणि त्रिपाठी ने पत्रकार वार्ता में तम्बाकू तथा निकोटिन से युक्त पान मसााला और गुटखा की बिक्री निर्माण वितरण तथा भंडारण पर उत्तर प्रदेश राज्य में प्रतिबंध के सम्बन्ध में विस्तार से बताते हुए कहा कि खाद सुरक्षा आयुक्त एवं औषधि प्रशासन विभाग उत्तर प्रदेश के आदेशानुसार उत्तर प्रदेश में तम्बाकू तथा निकोटिन से युक्त पान मसाला और गुटखे की बिक्री निर्माण वितरण व भंडारण पर एक अप्रैल 2013 से प्रतिबंध लगाया गया है। खाद सुरक्षा और मानक (विक्रय प्रतिषेध और निर्बधन) विनियम, 2011 के विनियम 2.3.4 में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत उत्पाद में ऐसा कोई पदार्थ नहीं होगा जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, किसी खाद उत्पाद में संघटकों के रूप में तम्बाकू और निकोटीन का उपयोग नहीं किया जायेगा। इसके उल्लंघन पर छह माह तक की सजा, तीन लाख रूपये तक का जुर्माना व अन्य दंडों होगा। इसके परिणामस्वरूप कोई क्षति पहुंचने पर कारावास व अन्य दंड होंगे। जिसके परिणाम स्वरूप अगर मृत्यु होती है तो कारावास की अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किंतु आजीवन कारावास तक ही हो सकेगी और जुर्माना भी दस लाख रूपये से कम नहीं होगा।