बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

कैसे हो आंतरिक सुरक्षा

विकराल चुनौति बन गई है आंतरिक सुरक्षा 
सरकारों की अनदेखी से समस्या हुई बेकाबू
 
राज्य और केंद्र के बीच बनाना होगा समन्वय
 
दलगत भावना को परे रख, सर्वोपरि रखना होगा राष्ट्रधर्म
 
आंतरिक सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं रहीं सरकारें
 
(लिमटी खरे)

केंद्र और राज्यों की सरकारों के बीच समन्वय के अभाव का परिणाम आज साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। अस्सी के दशक से आंतरिक सुरक्षा में गड़बड़ियां प्रकाश में आने लगी थीं। जम्मू काश्मीर के साथ ही साथ पंजाब, असम बुरी तरह सुलगा। कंेद्र सरकार ने इसके शमन के लिए प्रयास किए। मामला शांत हुआ। इसके बाद देश मंे अलगाववाद, क्षेत्रवाद, माओवाद, भाषावाद, नक्सलवाद ने तेजी से पैर पसारे।
 
नक्सलवाद को खाद पानी कहां से मिलता है, इस बारे में सरकारें बहुत ही अच्छी तरह वाकिफ हैं। आर्थिक विषमता ही किसी भी लड़ाई का प्रमुख कारक हुआ करती है। अस्सी के दशक में संयुक्त मध्य प्रदेश में नक्सलवाद की जड़ें काफी हद तक गहरी हो चली थीं। अलगाववाद, क्षेत्रवाद, माओवाद, भाषावाद, नक्सलवाद आदि के पनपने के पीछे कारण क्या है? क्या शासक इस बात से अंजान हैं? जाहिर है इसका उत्तर होगा सरकारें सब कुछ जानती हैं।
 
नक्सलवाद प्रभावित बालाघाट और मण्डला जिलों के जंगलों, आदिवासियों आदि से चर्चा के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस सबके पीछे सिर्फ और सिर्फ सरकारी तंत्र ही जवाबदार है। नक्सलवादियों के निशाने पर कौन हैं? जाहिर है पुलिस, वन, राजस्व महकमे के लोग। आखिर इन विभागों को नक्सलवादियों ने क्यों चुना है? हालात बताते हैं कि इन तीनों ही महकमों का आम जनता से रोजाना ही वास्ता पड़ता है। यह बात भी जगजाहिर है कि इन तीनों ही महकमों के लोगों को चढ़ोत्री चढ़ाए बिना कोई काम संभव नहीं है।
 
जब आम जनता को यह पता चलता है कि उनका शोषण करने वालों को ‘कोई‘ दण्ड दे रहा है तो उसका इस ‘कोई‘ का साथ देना वाजिब है। उन्हें लगने लगता है कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए कोई तो आगे आया है। वरना कोई अनजान आदमी आकर समूचे गांव को अपने बस में कैसे कर लेता है? गांव के गांव इनका साथ देने कैसे तैयार हो जाते हैं? कैसे इनकी फौज के लिए जुझारू सिपाही मिलते हैं जो मरने मारने को तैयार हो जाते हैं? हमारे नीति निर्धारकों को इस बारे में सोचना होगा?
 
आंतरिक सुरक्षा के संबंध में समाज, आम आदमी और सरकार की भूमिका क्या और कैसी होना चाहिए? इस बारे में अब तक चिंतन नहीं होना दुर्भाग्य का ही विषय माना जाएगा। सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, राजनैतिक दलों आदि की संगोष्ठियों में भी इस गंभीर विषय पर चर्चा नहीं किए जाने से साफ जाहिर हो जाता है कि इन सभी को आम आदमी की कितनी परवाह है।
 
आंतरिक सुरक्षा के लिए सरकारी तंत्र को जवाबदार इसलिए ठहराया जा रहा है क्योंकि विसंगतियां सरकारी तंत्र के कारण ही उपज रही हैं। आजादी के पहले के परिदृश्य में अंग्रेजों की लालफीताशाही के कारण समाज एकजुट हुआ, इतिहास साक्षी है इसी दौरान गांव में धनाड्य वर्ग ने जब भी कहर बरपाया है, इससे डकैतों की उत्पत्ति हुई है। कुल मिलाकर सामाजिक व्यवस्था का ढांचा जब भी गड़बड़ाया है तब तब अनैतिक रास्तों को अपनाकर अपना शासन स्थापित करने के प्रयास हुए हैं।
 
वर्तमान में आंतरिक सुरक्षा एक अत्यंत गंभीर प्रश्न बनकर उभर चुकी है, जिसकी तरफ सरकार का ध्यान गया तो है, पर हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि अपने वोट बैंक की जुगत में सरकारों ने इस मुद्दे के शमन के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं किए हैं। यही कारण है कि देश में आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सलवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद आदि का जहर तेजी से फैल चुका है। आप अगर महाराष्ट्र का ही उदहारण लें तो वहां शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मराठी वाद के चलते लोगों का जीना मुहाल हुए बिना नहीं है। वोट बैंक के चलते सरकार मौन साधे हुए है।
 
हमारे विचार से इस मामले में काफी हद तक समाज भी दोषी है। समाज को भी इस तरह की व्यवस्था का प्रतिकार करना चाहिए। आम आदमी को भी इसके विरोध में स्वर बुलंद करने की आवश्यक्ता है। आखिर क्या कारण है कि आम आदमी अपना काम बिना रिश्वत के करवाने में अक्षम है। इसका उत्तर आईने की तरह साफ है। आज हमें भी जल्दी और नियम विरूद्ध काम करवाने की आदत सी हो गई है। हम कहीं भी जाते हैं तो चाहते हैं कि हमारा काम औरों से पहले, जल्दी और सुविधा के साथ हो जाए, इसके लिए हम हर कीमत देने को तैयार होते हैं। इसका भोगमान गरीब गुरबों को भुगतना होता है, जिनके पास संसाधनों का अभाव है।
 
देश की संवैधानिक व्यवस्था भी इसके लिए काफी हद तक दोषी करार दी जानी चाहिए। देश में आरक्षण को आजादी के उपरांत दस साल के लिए लागू किया गया था, जिसे आज 62 सालों बाद भी बदस्तूर जारी रखा गया है। 62 वर्षों में एक आदमी वृद्धावस्था को पा लेता है। सरकारी नौकर को भी 62 साल में सेवानिवृत किया जाता है। हमें यह कारण खोजना होगा कि आखिर क्या वजह है कि छः दशकों बाद भी हम आरक्षण पाने वालों को समाज और राष्ट्र की मुख्यधारा में नहीं ला पाए हैं? हमें इस मसले को गंभीरता के साथ लेकर सोचना होगा, मनन करना होगा और फिर प्रयास करने हांेगे कि हम इस विसंगति को दूर करें।
 
आखिर क्या वजह है कि आज देश में जाति के बजाए आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा रहा है? आखिर क्या वजह है कि सरकारी नौकरों को सेवानिवृत्ति के उपरांत पेंशन देने से परहेज किया जा रहा है और जनप्रतिनिधियों को आज भी भारी भरकम पेंशन दी जा रही है। सवाल यह है कि आखिर यह पैसा आता कहां से है? जनता के गाढ़े पसीने की कमाई ही है यह जिस पर जनता के नुमाईंदे एश किया करते हैं।
 
बहरहाल लंबे समय के उपरांत केंद्र सरकार ने आंतरिक सुरक्षा की सुध ली है। मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह ने जिन बातों को रेखांकित किया वे संभवतः गैरजरूरी ही थीं। वस्तुतः आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ सुरक्षा बल, खुफिया एजेंसियों का सूचना तंत्र है, जो तहस नहस ही पड़ा हुआ है। जनता और पुलिस के बीच संवादहीनता के चलते जरायमपेशा लोगों के लिए बेहतर उपजाउ माहौल तैयार हो रहा है। छोटे मोटे अपराध से ग्रसित आम जनता थाने की चारदीवारी लांघने से डरती है। अपराधियों में पुलिस का खौफ न के बराबर है, पर जनता के मानस पटल पर पुलिस का कहर आतंक बरपा रहा है। जब तक जनता और पुलिस के बीच दूरी कम नहीं होगी, आंतरिक सुरक्षा के लिए लाख कोशिशें कर ली जाएं बेकार ही होंगी।
 
वैसे प्रधानमंत्री का यह कहना शत प्रतिशत सही है कि आज समाज की सुरक्षा पुराने पड़ गए कानूनों के माध्यम से ही की जा रही है। पुलिस सुधार के लिए न जाने कितनी कमेटियां, न जाने कितने आयोग बैठ चुके हैं, इन सबकी सिफारिशें धूल खा रही हैं। मनमोहन सिंह किस बात से डर रहे हैं। उनके पास पुलिस सुधार की सिफारिशें हैं तो उन्हें लागू किया जाना चाहिए। वजीरे आजम इसके लिए किस महूर्त का इंतजार कर रहे हैं, यह बात समझ से ही परे है।
 
भारत गणराज्य के महाराष्ट्र सूबे में शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के गुर्गे सरेराह आतंक बरपाते घूम रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासियों को वहां से भाग कर आना पड़ रहा है, उधर कांग्रेस को इसके पीछे भी सियासत की ही पड़ी है। बाला साहेब ठाकरे और राज ठाकरे ने दिखा दिया है कि आजाद भारत में तंत्र का नहीं उनका राज कायम है। किसी में इतनी दम नहीं कि राज या बाला साहेब की लगाम कस सकें।
 
आंतरिक सुरक्षा के मामले में देश में सभी राज्यों को एक ही लाठी से हांका जाता है, जो अनुचित है। पूर्वोत्तर क्षेत्रों की जमीनी हकीकत और भोगोलिक परिस्थियां अलग है, तो दक्षिण, पश्चिम की अलग। आज विदेशी ताकतें सूचना और प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल कर अपने रास्ते आसान करती जा रहीं हैं, और हमारे सुरक्षा बल या पुलिस वही बाबा आदम के जमाने में ही जी रहे हैं। हमें इसे बदलना ही होगा।
 
पुलिस या सुरक्षा बलों की कार्यप्रणाली को इक्कीसवीं सदी के हिसाब से ढाले बिना आंतरिक सुरक्षा की चर्चा बेमानी है। अगर हम एसा नहीं कर पाए तो इस तरह मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को आहूत कर करोड़ों रूपयों को बहाने के अलावा हम कुछ और नहीं करने वाले। इसका नतीजा निश्चित तौर पर सिफर ही होगा।
 
कुल मिलाकर अगर किसी भी राज्य में आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया जाना है तो उसके लिए राज्य को बाकायदा अपनी एक ठोस नीति बनाना सुनिश्चित करना होगा। महज नीति बनाने से कुछ होने वाला नहीं, इसके लिए उस नीति का ईमानदारी से पालन कैसे हो? इस बारे में कठोर कदम उठाने की जरूरत होगी। इस सबके लिए जरूरी है सरकार में बैठे नुमाईंदो, राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि और समाज के पायोनियर (अगुआ) की ईमानदार पहल की, जिसकी गुंजाईश बहुत ज्यादा दिखाई नहीं पड़ती।

उमरदराज नेताओं को सन्यास की नसीहत दी सोनिया ने


जल्द ही हो सकती है युवराज की ताजपोशी 
बुजुर्गवार बांध लें बोरिया बिस्तर
 
युवा नजर आ सकती है सोनिया की कार्यकारिणी
 
खुद सोनिया हैं 64 साल की
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस का चेहरा अब युवा हो सकता है। बारह साल के कार्यकाल में पहली मर्तबा सोनिया गांधी ने संगठनात्मक फेरबदल के पहले तीखे तेवर दिखाए हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चौधरी रणबीर सिंह की स्मृति में डाक टिकिट जारी करते समय सोनिया गांधी ने इशारों ही इशारों में उमरदराज हो चुके नेताओं को स्वेच्छिक सेवानिवृति लेने की बात कह डाली। जानकार सोनिया के इस बयान को राहुल की संभावित ताजपोशी से भी जोड़कर देख रहे हैं।
 
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने रणबीर सिंह का उदहारण देते हुए कहा कि उन्होंने 64 साल में स्वेच्दा से राजनीति से सन्यास ले लिया था। सोनिया ने कहा कि आज समय है हम सभी को सोचना ही होगा कि आखिर आने वाली नई पीढ़ी के सामने हम कौन सा आदर्श छोड़ रहे हैं। सोनिया जब रणबीर सिंह के 64 साल का बखान कर रहीं थीं, तभी पिछली पंक्ति में सोनिया गांधी के 64 बसंत पूरे करने की चर्चाएं चल रहीं थीं। गौरतलब है कि 9 दिसंबर 1946 को जन्मीं सोनिया खुद 64 की हो चुकी हैं, लोगों का कहना था कि नैतिकता बघारने के पहले सोनिया को खुद ही स्वेच्छा से राजनीति त्याग देना चाहिए।
 
वहीं दूसरी ओर सोनिया गांधी की इस बात का आशय यह भी लगाया जा रहा है कि जल्द ही सोनिया गांधी संगठन की जवाबदारी से खुद को पृथक करने का मन बना रही हैं। इसी के साथ ही साथ साठ से अधिक उम्र के नेताओं को रास्ते से हटाकर राहुल गांधी के लिए नए जवान मजबूत कांधों के मार्ग प्रशस्त करती नजर आ रही हैं सोनिया।
 
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र दस जनपथ से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो सोनिया जल्द ही संगठन में फेरबदल कर युवाओं को आगे लाएंगी, इसके उपरांत जैसे ही संसद का बजट सत्र निपटेगा उसके तुरंत बाद ही सत्ता से भी उन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा जो साठ की उम्र पूरी कर चुके हैं। कांग्रेस के वायोवृद्ध नेताओं में सोनिया के इस तरह के इशारे को लेकर हडकम्प मचा हुआ है।
दिग्गी के एजेंडे पर सोनिया राहुल
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह के एजेंडे पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी चलते नजर आ रहे हैं। गौरतलब होगा कि दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में दिल्ली में हुए पार्टी के महाधिवेशन में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा था कि पार्टी की कमान नई पीढ़ी को सौंपी जानी चाहिए, इसके साथ ही उन्होंने अपने सरीखे नेताओं को एक्सपायरी डेट की केटेगरी में रख दिया था।

शिव उमा में मंथन


शिव और उमा के बीच पिघल रही है बर्फ

किसानों के बहाने दोनों ने की बंद कमरे में चर्चा
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली । मध्य प्रदेश के किसानों की बदहाली के चलते मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और वर्तमान निजाम शिवराज सिंह चौहान के बीच दूरियां कम होती नजर आ रही हैं। मंगलवार रात में मध्य प्रदेश भवन में दोनों ही नेताओं के बीच लगभग एक घंटे मंत्रणा हुई। उमा शिव के बीच हुई गुफ्तगंू के बाद भाजपा में सियासत गर्मा गई है।
गौरतलब है कि भाजपा में उमा भारती की वापसी पर सबसे बड़े अडंगे के तौर पर शिवराज सिंह चौहान सहित मध्य प्रदेश भाजपा के अनेक नेता सामने आ रहे थे। इसी बीच राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी और भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी ने उमा भारती की वापसी की संभावनाओं को बल देकर ठहरे हुए पानी में लहरें पैदा कर दी थीं।
जैसे ही फिजां में उमा की घर वापसी की खबरें तैरीं वैसे ही उनके विरोधियों ने लामबंद होकर इसका विरोध करना आरंभ कर दिया था। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि आड़वाणी ने उमा भारती की वापसी का रोड़मेप वहाया उत्तर प्रदेश निकाला, किन्तु यूपी के भाजपाई उमा भारती को झेलने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि उमा भारती अब मध्य प्रदेश में अपने घुर विरोधियों से हाथ मिलाने से नहीं चूक रहीं हैं।
बताया जाता है कि आड़वाणी के निर्देश पर ही शिवराज सिंह चौहान ने अपने सहयोगियों के साथ उमा भारती की मिजाज पुरसी उस वक्त अस्पताल में जाकर की थी जब वे दुर्घटना में घायल हो गईं थीं। गत दिवस एमपी भवन में भाजपा के दो विपरीत धु्रवों के बीच हुई मंत्रणा के बाद उमा भारती के चेहरे पर सकून के भाव इस बात की ओर साफ इशारा कर रहे थे कि वे शिवराज को साधने में काफी हद तक सफल रहीं हैं।

2जी मामले में नप गए राजा


2जी मामले में नप गए राजा
नई दिल्ली (ब्यूरो)। 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने संचार मंत्री एण्डीमुत्थू राजा को गिरफ्तार कर लिया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हालांकि अभी तक सीबीआई की ओर से आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है, फिर भी सीबीआइ्र के सूत्रों ने कहा है कि राजा सीबीआई हिरासत में हैं।
राजा के पूर्व निजी सचिव आर. के. चंदोलिया और पूर्व टेलिकॉम सचिव सिद्दार्थ बेहुरा को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। राजा के भाई के. पेरूमल पर भी सीबाआई ने शिकंजा कसा है। राजा पर आपराधिक दुर्व्यवहार और टेलिकॉम कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नीतियों के उल्लंघन का मामला बनाया गया है।
राजा की गिरफ्तारी पर भाजपा ने कहा है कि यह कदम काफी देरी से उठाया गया और इसका श्रेय सरकार को कतई नहीं जाता। भाजपा का कहना है कि यह गिरफ्तारी 2009 में हो जानी चाहिए थी।
इस गिरफ्तारी पर कांग्रेस का कहना है कि इस गिरफ्तारी का डीएमके के साथ गठबंधन में कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं वाम दलों का कहना है कि इस गिरफ्तारी से साफ होता है कि घोटाला हुआ है और इसकी जड़ें अदंर तक हैं। वाम दलों सहित भाजपा ने जेपीसी जांच की मांग की है।

मनरेगा की बढ़ेगी मजदूरी


मनरेगा की बढ़ेगी मजदूरी
नई दिल्ली (ब्यूरो)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत श्रमिकों को महंगाई के अनुसार अधिक मजदूरी दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने इस योजना की पांचवीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हमने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में हुई वृद्धि के आधार पर पारिश्रमिक बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
डॉ.सिंह ने कहा कि 2006 में जब यह योजना शुरू हुई थी तो एक श्रमिक की न्यूनतम दैनिक मजदूरी 65 रुपये थी। उन्होंने कहा कि अब न्यूनतम दैनिक मजदूरी 100 रुपये है, जो अपने आप में एक बड़ी वृद्धि है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया ने कहा कि इस योजना में व्याप्त खामियों पर मंथन करने और नई दिशाओं में बढ़ने का समय आ गया है। सोनिया ने कहा कि यह योजना ग्रामीण लोगों के लिए रोजगार पैदा करने में बहुत सफल रही है, खासतौर से कमजोर वर्गाे एवं महिलाओं के लिए। लेकिन इस योजना में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की भी शिकायतें है। उन्होंने कहा कि योजना के क्रियान्वयन में व्याप्त कमियों का विश्लेषण करनेए नई दिशाओं की योजना बनाने और आगे बढ़ने का यह एक अवसर है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि मनरेगा के लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं का है। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में समर्थ साबित हुई है। सिंह ने कहा कि यह योजनाए गरीबी मिटाने के महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने के लिए संप्रग सरकार का एक बड़ा कदम है।

एयर शो नौ को

नौ फरवरी से सबसे बड़े एयर शो का आयोजन
नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारत नौ फरवरी से बेंगलूर में अपने सबसे बड़े एयर शो का आयोजन करेगा जिसमें 30 देश अपने नवीनतम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उत्पादनों का प्रदर्शन करेंगे। शो में लड़ाकू, परिवहन और असैन्य विमान भी शामिल होंगे।

अखिल भारतीय हॉकी 16 से

अखिल भारतीय हॉकी प्रतियोगिता का भव्य आयोजन16 से

धनराज पिल्ले सहित अनेक मंत्री रहेंगे उद्घाटन अवसर पर , एतिहासिक होगा नगर पालिका गोल्ड कप


(मनोज मर्दन त्रिवेदी)

सिवनी यशो-:  अखिल भारतीय गोल्ड कप हॉकी प्रतियोगिता सिवनी नगरपालिका परिषद द्वारा आगामी १६ फरवरी से २६ फरवरी तक सिवनी नगर में आयोजित की जायेगी। इस एतिहासिक निर्णय की जानकारी सिवनी नगरपालिका के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने नगर पालिका कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदान की। इस अवसर पर जिला कलेक्टर मनोहर दुबे, पुलिस अधीक्षक आर.के. जैन, नगरपालिका उपाध्यक्ष राजिक अकली, अनेक पार्षद जिला हॉकी संघ के पदाधिकारी, और पत्रकार उपस्थित थे। नगरपालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि सिवनी जिले की पहचान हॉकी से है और हॉकी को इस जिले ने राष्ट्रीय स्तर के भी खिलाड़ी उपलब्ध कराये है। हॉकी के क्षेत्र में ऐसी प्रतिभाओं को इस प्रकार के एतिहासिक आयोजन से सम्बल प्रदान होगा आर्थिक आर्थिक परेशानियों के कारण हॉकी के भव्य आयोजन सम्भव नहीं हो पा रहे थे खिलाडिय़ों एवं खेल प्रेमियों की भावनाओं के अनुरूप सिवनी नगरपालिका परिषद ने सर्व सम्मत्ति से यह निर्णय लिया है कि हर वर्ष सिवनी नगर पालिका परिषद अखिल भारतीय गोल्ड कप हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन करेगी और इस एतिहासिक निर्णय का आगाज १६ फरवरी से प्रारंभ होगा। उद्घाटन अवसर पर भारतीय हॉकी के सरताज धनराज पिल्ले को आमत्रित किया गया है, उद्घाटन के अवसर पर म.प्र. शासन के कुछ मंत्री और खेल से सम्बन्धित अनेक प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहेंगे नगरपालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने बताया कि ऐसे भव्य आयोजन की सफलता के लिए संरक्षक मंडल भी बनाया गया है, जिसमें सिवनी बालाघाट सांसद के.डी. देशमुख, सिवनी विधायक श्रीमती नीता पटेरिया,  जिला कलेक्टर मनोहर दुबे, पुलिस अधीक्षक आर.के. जैन का समावेश है। जिला हॉकी संघ इस आयोजन का आयोजक रहेगा प्रतियोगिता में सभी टीमों को आमंत्रित करने की जिम्मेदारी जिला हॉकी संघ को सौंपी गई है। जिला हॉकी संघ के डी.एल. गौर ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए २० टीमों की स्वीकृति प्राप्त हो गई है सभी राष्ट्र स्तर की टीमें हैं। उन्होंने जानकारी दी है कि जिन टीमों की स्वीकृति प्राप्त हुई है उनमें यूनाईटेड लखनऊ, ई.एम.ई. जालंधर, सेल पाम्पोस राऊरकेला, आर.सी.एफ. बाम्बे, डी.एल.डब्ल्यू. बनारस, बी.ई.जी. पूना, टाउन हाल बल्व शाहजहानंपुर, एस.सी.ई. रेल्वे बिलासपुर, सांई हास्टल राजनांदगांव, स्टेअ अकादमी भोपाल, डब्ल्यू.सी.आर. भोपाल, सांई हास्टल भोपाल, सेन्ट्रल रेल्वे नागपुर, जिला हॉकी संघ ब्रम्हपुरी, जिला हॉकी संघ जबलपुर, जिला हॉकी संघ बालाघाट, अमरावती इलेवन स्टार, मऊ ब्लूज, जिन्दल स्टील अकादमी रायगढ़, डब्ल्यू.सी.ओ. हुगली बेंगलोर की टीमों ने प्रतियोगिता में शामिल होने की स्वीकृति प्रदान कर दी है।