शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013

पेड न्यूज पर स्पष्ट गाईडलाईन का अभाव

पेड न्यूज पर स्पष्ट गाईडलाईन का अभाव

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। विधानसभा चुनावों में पेड न्यूज पर अभी भी मीडिया में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। पेड न्यूज के बारे में स्पष्ट गाईड लाईन मीडिया को लिखित तौर पर न मिल पाने से मीडिया में भी संशय की स्थिति बनी हुई है।
दैनिक हिन्द गजट द्वारा आज जिला जनसंपर्क अधिकारी के माध्यम से जिला निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र में पेड न्यूज के बारे में स्पष्ट गाईड लाईन एवं चुनाव आचार संहिता के बारे में विस्तार से आवगत कराने का अनुरोध किया गया है। ताकि मीडिया को पेड न्यूज के प्रसारण और प्रकाशन से दूर रखा जा सके।

आज जिला जनसंपर्क अधिकारी से भेंट के दौरान हिन्द गजट और समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की ओर से आग्रह किया गया है कि पेड न्यूज के बारे में जिला निर्वाचन अधिकारी अथवा जिला जनसंपर्क विभाग द्वारा राज्य निर्वाचन पदाधिकारी या केंद्रीय निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से जारी दिशा निर्देश की प्रति उपलब्ध कराई जाए ताकि इसे रोकने की दिशा में कारगर कार्यवाही हो सके।

टिकिट को लेकर कांग्रेस में मचा जमकर घमासान

टिकिट को लेकर कांग्रेस में मचा जमकर घमासान

(नन्द किशोर/पीयूष भार्गव)

भोपाल/सिवनी (साई)। मतदान को अब महज 38 दिन शेष बचे हैं, और प्रमुख राजनैतिक दलों कांग्रेस और भाजपा ने टिकिटों का वितरण आरंभ नहीं किया है। इसी बीच समाचार चेनल्स द्वारा नित नए नामों की संभावनाओं के पुख्ता होने की खबरों के साथ सनसनी फैलाई जा रही है। कांग्रेस के अंदर टिकिट को लेकर जमकर खींचतान मची हुई है।
सिवनी जिले में कांग्रेस की चारों सीटों के लिए नाम अभी तक तय नहीं हो पाए हैं। वहीं दूसरी ओर पेनल में नामों की खबरों से मीडिया पट गया है। प्रदेश में कांग्रेस के अनेक मौजूदा विधायकों के टिकिट काटे जाने की खबरें हैं, तो वहीं दूसरी ओर सिवनी में सालों से कांग्रेस की एक ही सीट पर परचम फहराने वाले हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के उपरांत अब कांग्रेस में टिकिट को लेकर गलाकाट स्पर्धा मच चुकी है।

कट सकते हैं इन विधायकों के टिकिट
कांग्रेस के आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा विधायक कल्पना पारूलेकर, प्रभुदयाल गहलोत, गंगा बाई उरेती, रणवीर जाटव, औंकार सिंह मरकाम, मूल सिंह चौहान, शिवनारायण मीणा, सुलोचना रावत आदि के टिकिट काटे जा सकते हैं। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रभुदयाल गहलोत व सुलोचना रावत अपने अपने बेटों हर्ष गहलोत व विशाल रावत को उतारने के लिए लाबिंग कर रहे हैं, जबकि गंगाबाई उरेती अपनी बेटी कृष्णा उरेती के लिए सीट छोड़ने वाली हैं। मूलसिंह दादा दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के लिए और शिवनारायण मीणा छोटे राजा यानि लक्ष्मण सिंह के लिए मैदान से हट रहे हैं। ओंकार सिंह, पारूलेकर व रणवीर जाटव को पार्टी टिकट नहीं दे रही हैं।

बदले जा सकते हैं विधानसभा क्षेत्र
मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो विधायकों के विस क्षेत्र बदले जा सकते हैं। इनमें से जावरा विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा को मुंगावली तो पनसेमल के विधायक बाला बच्चन को राजपुर भेजा जा सकता है।

युवराज को टिकिट हेतु जद्दोजहद
मध्य प्रदेश में उमर दराज होते नेताओं ने अपने पुत्रों के लिए जमीन तैयार करने का मानस बना लिया है। इनमें केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ, दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह, सज्जन वर्मा के बेटे पवन वर्मा, प्रेमचंद गुड्डू के बेटे अजित बौरासी, स्व.हरवंश सिंह के बेटे रजनीश ठाकुर, इन्द्रजीत पटेल के बेटे कमलेश्वर पटेल, श्रीनिवास तिवारी के बेटे सुंदरलाल तिवारी, सत्यव्रत चतुर्वेदी के भाई आलोक चतुर्वेदी, दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह एवं स्व.सुभाष यादव के बेटे सचि के नाम सामने आ रहे हैं।

सिवनी के नामों पर चर्चा तेज
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सिवनी से युवा प्रत्याशी राजा बघेल तो केवलारी से रजनीश सिंह ठाकुर के नाम लगभग तय ही बता दिए गए। वहीं पीसीसी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी में अभी किसी के नाम पर अंतिम मुहर नहीं लगी है। सिवनी विधानसभा से जिन नामों पर चर्चा तेज हो गई है उनमें राज कुमार खुराना, राजा बघेल, मोहन चंदेल, सुहेल पाशा के नाम सबसे ऊपर बताए जा रहे हैं। वहीं बरघाट से अर्जुन काकोड़िया और सीता मर्सकोले, केवलारी से रजनीश ंिसंह ठाकुर, कुंवर शक्ति सिंह, बसंत तिवारी एवं लखनादौन से बेनी कुंदन परते के नामों का शुमार है।

दो सांसद लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

कांग्रेस के दो सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वाने का मन आलाकमान ने बना लिया है। इनमें से धार के सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी को मनावर तो होशंगाबाद सांसद उदय प्रताप सिंह को तेंदूखेड़ा से मैदान में उतारा जा सकता है।

बिजली: अटल या अटक योजना!

बिजली: अटल या अटक योजना!

(शरद खरे)

लोगों को बिजली, पानी, सुरक्षा, भोजन की व्यवस्था कराना सरकार की महती जवाबदेही है। इसके लिए सरकार को हर स्तर, पर हर संभव प्रयास करना आवश्यक होता है। सरकारों का दीन ईमान अब नहीं बचा है। यही कारण है कि सरकारें अब लोगों की बुनियादी जरूरतों की तरफ ध्यान देना मुनासिब नहीं समझती हैं। सरकारों को अपनी रियाया की कोई चिंता नहीं रह गई है। बड़े बूढ़े बताते हैं कि जब देश पर ब्रितानी हुकूमत थी, उस वक्त लोगों द्वारा पानी और प्रकाश की मांग की जाती थी तो क्रूर शासक लोगों पर कोड़े बरसाते हुए यह कहते कि पानी और प्रकाश देना उनका काम नहीं है। पानी के लिए घरों में कुएं खोदो और प्रकाश की व्यवस्था स्वयं ही करो।
आज आजादी के साढ़े छः दशकों के बाद भी देश प्रदेश की हालत उस समय से बदतर ही नजर आ रही है। आज के समय में लोग पानी, बिजली, साफ सफाई आदि बुनियादी व्यवस्थाओं को तरस ही रहे हैं। इसमें सिवनी जिला कोई अपवाद की श्रेणी में नहीं आता है। सिवनी जिले में भी पानी और प्रकाश का अभाव साफ दिखाई पड़ जाता है। सूबे के निज़ाम 22 जून को सिवनी में अटल ज्योति अभियान का श्रीगणेश करके चले गए हैं। सरकार और भाजपा दावा कर रही है कि चौबीसों घंटे बिजली प्रदेश में मिलना आरंभ हो गई है। जमीनी हकीकत कुछ और ही कह रही है। सुबह, सवेरे से दोपहर बारह बजे तक बिजली की आंख मिचौली जारी रहती है। कभी कभार शाम को भी बिजली आंख मारने लगती है सिवनी जिला मुख्यालय में।
केवलारी और बरघाट विधानसभा की हालत लाईट के मामले में बहुत ही दयनीय है। अटल ज्योति अभियान के आरंभ होने के बाद भी लाईट का बुरा हाल है दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में। दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों के तीन दर्जन से ज्यादा गांव के वाशिंदे आज़ादी के बाद से लाईट के इंतजार में हैं। इन गांवों में लाईट का न होना आश्चर्यजनक इसलिए भी है क्योंकि इन दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कांग्रेस और भाजपा के कद्दावर नेताओं ने विधानसभा और लोकसभा में किया है। आजादी के बाद साढ़े छः दशकों में भी कांग्रेस भाजपा के नुमाईंदों द्वारा लाईट के लिए इन गांव वालों की सुध न लिया जाना अपने आप में अनोखा ही मामला है।
विद्युत मण्डल के अधिकारी इन गांवों को वनबाधित ग्राम मानते हैं। वनबाधित क्या चीज होती है। जहां लोग रह रहे हैं, अगर वह वनबाधित क्षेत्र है, तो उन्हें वहां से विस्थापित किया जाना चाहिए था, वस्तुतः जो हुआ नहीं। अगर विस्थापित नहीं किया गया तो उन्हें बिजली मुहैया करवानी चाहिए थी। सरकारी चाल किस मंथर गति से चल रही है, इसका साफ उदाहरण हैं ये गांव। इन गांवों में आज़ादी के उपरांत साढ़े छः दशकों में सरकारी नस्तियां परवान नहीं चढ़ पाई हैं, जो दुःखद है। एमपीईबी का कहना है, कि वन विभाग इस क्षेत्र में केबल के माध्यम से लाईन डालने की बात कह रहा है, पर विस्तृत प्राक्कलन में इसका जिकर नहीं है।
सरकारी स्तर पर बनाए गए विस्तृत प्राक्कलन या डीपीआर में क्या है, क्या नहीं है, इस बात से बेचारे ग्रामीणों को क्या लेना देना? ग्रामीण तो बस लाईट ही चाह रहे हैं। साढ़े छः दशकों में भी इन गांवों में रोशनी की किरण न पहुंच पाना, आश्चर्यजनक ही है। जब ग्रामीण स्तर पर यह हाल है, तो भला कैसे मान लें कि कांग्रेस भारत निर्माण कर रही है और भाजपा का शाईनिंग इंडिया परवान चढ़ रहा होगा। सरकारी स्तर पर दावे क्या हैं और इनकी जमीनी हकीकत क्या है, इस बात के बारे में जनपद पंचायत घंसौर की अध्यक्ष चित्रलेखा नेताम की बात से स्थिति साफ हो जाती है। उनका कहना है कि एक लाईनमेन के भरोसे 45 गांव की व्यवस्था है। अगर यह सच है, तो वाकई जमीनी हालात भयावह ही माने जाएंगे। एक लाईनमेन भला 45 गांव की व्यवस्था कैसे संभाल सकता है। घंसौर में कुल 77 ग्राम पंचायत में 250 गांव हैं, जिनमें लाईनमेन की तैनाती 15 है, इस लिहाज से चित्रलेखा नेताम का कहना सही ही साबित हो रहा है। हालात दयनीय और भयावह हैं, फिर भी मोटी चमड़ी वाले राजनेता और नौकरशाहों के कानों में जूं भी नहीं रेंग रही है।
घंसौर की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि छोटा सा भी फाल्ट आने पर उसे सुधारने में हफ्तों लगना आम बात होगी। घंसौर जहां कि तीन तीन पावर प्लांट प्रस्तावित हैं, जिनकी ठेकेदारी वहीं के नेता नुमा दबंगकर रहे हैं, पर उन्हें भी गांव वालों की सुध लेने की फुर्सत नहीं है।
सिवनी जिले में कोल आधारित तीन पावर प्लांट प्रस्तावित हैं। इनमें से एक का काम मंथर गति से जारी है। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा इस पावर प्लांट की संस्थापना का काम किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस पावर प्लांट को इस साल फरवरी में ही काम करना आरंभ कर देना चाहिए था, किन्तु लेट लतीफी के चलते यह संभव नहीं हो सका। अगर इस पावर प्लांट का काम पूरा हो भी जाता तो इससे उत्पादित बिजली का एक भी यूनिट सिवनी के खाते में नहीं आता। गौतम थापर के कारिंदे इसे बेचकर मुनाफा कमाते।
अब ठंड का मौसम आ गया है। ठंड में बिजली की मांग बढ़ना स्वाभाविक ही है। यह मांग गर्मी की अपेक्षा कम ही होगी, पर दिन छोटे होने से घरों में बिजली की खपत बढ़ेगी ही। साथ ही साथ बच्चे परीक्षाओं की तैयारियों के लिए रतजगा भी करेंगे इसलिए बिजली की मांग बढ़ सकती है। जिले में मीटर बाहर करने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। मांटो कार्लो नामक कंपनी के द्वारा यह काम करवाया जा रहा है। इसमें नियमानुसार काम हो ही नहीं रहे हैं। घटिया पटियों पर बिना प्रापर अर्थिंंग के मीटर बाहर हो रहे हैं। मीटर से कटाउट तक कॉपर वायर के बजाए एल्यूमीनियम के घटिया वायर डालने की शिकायतें हैं, वह भी जोड़ जुगाड़ लगाकर, जबकि इस हिस्से में जोड़ नहीं होना चाहिए।

चुनाव सर पर हैं, इसलिए जिला प्रशासन की व्यस्तता समझी जा सकती है, किन्तु जिला प्रशासन से जनापेक्षा है कि बिजली विभाग को निर्देशित किया जाए कि चौबीस घंटे बिजली न सही पर अघोषित बिजली कटौती से तो निजात दिलवाई जाए।