शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

छिंदवाड़ा नैनपुर के लिए किसी ने भी नहीं किया आंदोलन!


0 सिवनी से चलेगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 7
छिंदवाड़ा नैनपुर के लिए किसी ने भी नहीं किया आंदोलन!

रामटेक गोटेगांव के लिए आरंभ हुआ पोस्टकार्ड अभियान

लोस में प्रश्न पूछने के बजाए पत्रों की राजनीति की सांसदों ने

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। 2004 में सिवनी जिले की जनता की आवाज को लोकसभा में उठाने के लिए दिल्ली भेजी गईं परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद श्रीमति नीता पटेरिया ने भी छुक छुक रेल गाड़ी को ब्राडगेज में तब्दील कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। श्रीमति पटेरिया द्वारा कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.नरसिंहराव की चुनावी घोषणा को पूरा करने के लिए अवश्य ही 2005 में एक पत्र तत्कालीन रेल मंत्री को प्रेषित किया था।

यहां उल्लेखनीय होगा कि 30 जनवरी 2005 में वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा द्वारा रामटेक से गोटेगांव तक नई रेल लाईन हेतु पोस्टकार्ड अभियान चलाया गया था। श्री वर्मा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2005 के अंत तक इस अभियान को पूरे जोर शोर से चलाए जाने के लिए हर संभव प्रयास किए। इस दौरान जिले के समस्त जनपद अध्यक्षों, सामाजिक, जातीय, कर्मचारी, पत्रकार, व्यापारी संगठनों आदि ने रेल मंत्री को पत्र लिखे थे। जिले के विधायकों ने भी इसमें बढ़ चढ़कर अपनी हिस्सेदारी जताई थी।

जगतगुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी द्वारा भी इस हेतु दो मर्तबा केंद्र को पत्र लिखा गया। इतना ही नहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री विमला वर्मा ने केंद्रीय रेल मंत्री से इस लाईन के लिए गुहार लगाई। तत्कालीन सांसद श्रीमति नीता पटेरिया ने संसद में (जो कि उनके लिए सहज सुलभ और उचित मंच था) यह बात न उठाकर रेल मंत्री को पत्र लिखकर रस्म अदायगी कर डाली। श्री वर्मा के प्रयासों से एक साल में लगभग पच्चीस हजार पोस्टकार्ड रेल भवन पहुंचे किन्तु इसके बाद भी कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के रेल मंत्रालय के कानों में जूं नहीं रेंगी।

आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि सिवनी में सियासत की बिछात बिछाने वाले किसी भी नेता ने इतने सालों तक छिंदवड़ा से नैनपुर की छोटी लाईन के अमान परिवर्तन के लिए बड़े आंदोलन का आगाज आखिर क्यों नहीं किया? सियासी तौर पर सक्रिय लोग किस बात से खौफजदा थे यह बात समझ से परे ही है। अगर ब्राडगेज सिवनी में आ जाती तो उनके कौन से राजनैतिक मंसूबों पर पानी फिरने वाला था यह बात समझ से परे ही रही।

सिवनी के किसी संसद सदस्य ने उनके कार्यकाल के रेल मंत्रियों से यह पूछने का दुस्साहस भी नहीं किया कि उनके कार्यकाल में चलने वाली पंचवर्षीय योजनाओं में महज 139.6 किलोमीटर के छोटे से रेल खण्ड के सर्वेक्षण के लिए कब और कितनी राशि जारी होने के आदेश जारी होंगे? सिवनी संसदीय क्षेत्र की जनता द्वारा इसके अस्तित्व में आने से विलोपन तक कुल दस संसद सदस्यों पर भरोसा कर उन्हें केंद्र में अपनी नुमाईंदगी के लिए भेजा जाता रहा किन्तु किसी ने भी सिवनी के हित साधने का जतन नहीं किया। अब जबकि किसी प्रस्ताव के बिना ही अंतिम समय में परिसीमन में सिवनी लोकसभा का विलोपन किया जाकर इसे बालाघाट और मण्डला संसदीय क्षेत्र में मिला दिया गया है तब इन दोनों संसदीय क्षेत्रों के सांसदों द्वारा अगर सिवनी से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है, सिवनी के हितों की अनदेखी की जाती है तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
(क्रमशः जारी)

भुलक्कड़ के हवाले भारत की सुरक्षा!


भुलक्कड़ के हवाले भारत की सुरक्षा!

पलनिअप्पम चिदम्बरम की याददाश्त है कमजोर

शार्ट टर्म मेमोरी के साथ ही मजबूर भी हैं चिदम्बरम

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा व्यवस्था इन दिनों एक भुलक्कड़ के हाथों में हैं। देश के गृह मंत्री न केवल भुलक्कड़ हैं वरन् वे मजबूर भी हैं। शुक्रवार को मीडिया से रूबरू पलनिअप्पम चिदम्बरम ने दोनों ही बातों को स्वीकार कर देश को हैरत में डाल दिया है।

केंद्र में जारी पत्र वार में मीडिया के प्रश्नों का जवाब देते वक्त चिदम्बरम से जब यह पूछा गया कि क्या उन्होंने अपने त्यागपत्र की पेशकश की थी? इसके जवाब में चिदम्बरम ने अपनी शार्ट टर्म मेमोरी का हवाला दे दिया। शार्ट टर्म मेमेरी का अर्थ है कि उन्हें पुरानी बातें याद नहीं रहती हैं। एक सप्ताह के अंदर ही चिदम्बरम द्वारा त्यागपत्र की पेशकश की खबरें सुर्खियां बनी थी। अगर देश के गृह मंत्री को एक सप्ताह के अंदर की ही बात याद नहीं है तो भला वे इससे पुरानी बातों को कैसे याद रख पाएंगे?

इतना ही नहीं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत गणराज्य किस कदर तक लाचार है, इसका एक नमूना शुक्रवार को देखने को मिला। केंद्रीय गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदंबरम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमें मालूम है कि अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान के कराची में मौजूद है, लेकिन हम मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के इनकार के कारण इस मामले में भारत कुछ करने की स्थिति में नहीं है।

गौरतलब है कि मुंबई में 1993 के ब्लास्ट के बाद दाऊद भारत से भाग गया था। उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी है। अमेरिका के मुताबिक दाऊद के अल कायदा से नजदीकी रिश्ते हैं। उसे 2003 में इंटरनैशनल आतंकवादी घोषित किया गया था।

अब गड़करी का मिशन यूपी


अब गड़करी का मिशन यूपी

मोदी, पोखरियाल और येदयुरप्पा ने किया कार्यकारिणी से किनारा

बढ़ सकती है उमा की पूछ परख

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी वर्सेस एल.के.आड़वाणी शीत युद्ध में अब भारतीय जनता पार्टी दो धड़ों में बंटी साफ दिखाई पड़ने लगी है। एक तरफ तो पार्टी निजाम नितिन गड़करी उत्तर प्रदेश पर सारा ध्यान केंद्रित करना चाह रहे हैं वहीं दूसरी ओर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदयुरप्पा और उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ने अपने आप को इस कार्यकारिणी की इस महत्वपूर्ण बैठक से अपने आप को दूर ही रखा है।

2014 में होने वाले आम चुनावों के पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनवों पर हर किसी की नजरें टिकी हुई हैं। भाजपा भी यूपी के सहारे ही आम चुनावों की वेतरणी पार करने की इच्छुक दिख रही है। राजनैतिक और भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़े इस सूबे में भाजपा अब समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी से सुरक्षित दूरी बनाकर चलेगी। यूपी में भाजपा ने अपने दम पर ही चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। शनिवार की बैठक में उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने वाली एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री और फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती को हाथों हाथ लिए जाने की उम्मीद है। इसके साथ ही साथ संजय जोशी का कद भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

बीजेपी की शुक्रवार से शुरू हुई 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदयुरप्पा और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल श्निशंकश् भी नहीं पहुंचे। पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने बताया कि येदयुरप्पा कुछ धार्मिक कर्मकांड की वजह से कार्यकारिणी की बैठक में नहीं आ पाए। प्रसाद ने कहा श्श्येदयुरप्पा जी को अपनी दिवंगत पत्नी के लिए पूजा करनी थी, इसलिए उन्होंने पार्टी से इसकी अनुमति ले ली थी। जब निशंक की बारी आई तो उन्होंने हालांकि निशंक की अनुपस्थिति के कारण के बारे में नहीं बताया।