ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
यूपी में भ्रष्टाचार, यूपीए साफ सुथरी!
कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी के दो चेेहरे देखकर दिल्लीवासी अचरज में हैं। राहुल गांधी के लिए प्रधानमंत्री आवास तक का रोड़ मैप तय करने में लगे हैं कांग्रेस के रणनीतिकार। इसीलिए राहुल गांधी को बने बनाए भाषण पढ़ने को दिए जाते हैं। राहुल के महिमा मण्डन के लिए मीडिया पर करोड़ों अरबों खर्च किए जा रहे हैं। राहुल की हर यात्रा में कितना खर्च होता है इस बात की कल्पना मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हाल ही में राहुल की नजरें यूपी के भ्रष्टाचार पर इनायत हैं। लोग उनके द्वारा माया मेम साहब पर तीखे वारों से काफी प्रसन्न हैं। महज बीस माह में केंद्र में कांग्रेसनीत यूपीए में अरबों करोड़ के सौ से अधिक घोटाले हो चुके हैं। जब केेंद्र के भ्रष्टाचार की बात आती है तो राहुल बाबा मौन हो जाते हैं। अब ऐसी स्थिति में यूपी में भ्रष्टाचार पर यूपीए साफ सुथरी! है न आश्चर्य की बात है राहुल बाबा को भ्रष्टाचार पर बोलने के वक्त यूपीए के भ्रष्टाचार न दिखने को क्या कहा जाएगा?
थप्पड़ पंवार के नहीं देश के गाल पर!
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पंवार के गाल पर झन्नाटेदार झापड़ क्या पड़ा मीडिया पिल पड़ा। सारा दिन चलती रही चेनल्स और वेब पोर्टल्स पर खबर, अगले दिन अखबारों ने भी जमकर शोर मचाया। भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक वजीरे आजम डाॅ.मनमोहन सिंह कह पड़े कि इसको ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं है। अरे भई क्यों न दिया जाए तूल। झापड़ किसी ओर को नहीं भारत गणराज्य के जिम्मेदार पद पर बैठी शख्सियत को पड़ा है। यह थप्पड़ राष्ट्र के मंत्री पर पड़ा है। दुनिया भर में भारत की क्या छवि बनी होगी? क्या मनमोहन सिंह इसे तूल न देने के बजाए राष्ट्र धर्म को गठबंधन धर्म से उपर बताकर शरद पंवार से त्यागपत्र मांग सकते हैं? नहीं, उन्हें सरकार जो चलाना है। भले ही इसके लिए देश के निवासी कोई भी कीमत चुकाते रहें, मनमोहन सिंह को तो बस अपनी कुर्सी की ही परवाह है।
जनता के पैसे हवा में उड़ाते दरिया दिल शिवराज
देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली के प्रेस क्लब में पिछले दिनों देश भर के हर सूबे के मुख्यमंत्रियों के बारे में चर्चा हो रही थी। सारे मुख्यमंत्रियों में दरियादिल मुख्यमंत्रियों के बारे में जब बारी आई तो देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चैहान सबसे अव्वल दर्जे में आए। जनता के टेक्स से संग्रहित राजस्व को उड़ाने में शिवराज सिंह का कोई सानी नहीं है। अपना खुद का हवाई जहाज और चैपर होने के बाद भी शिवराज ने किराए के उड़न खटोलों में नौ करोड़ आठ लाख 21 हजार 764 रूपए फूंक दिए। सरकार ने भाजपा के मंत्रियों के अलावा जमुना देवी, कांग्रेस समर्थित राज्य सभा उम्मीदवार रहे विवेक तन्खा को हवा में सैर कराई। सबसे अधिक आश्चर्यजनक बात तो यह है कि शिवराज ने शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्ध्व ठाकरे जबर्दस्त प्यार उडेला और उन्हें भी एमपी के खर्चे पर हवा में सैर करवा दी।
गरमा गरम चिंकारा ले लो!
काले हिरण को विलुप्त प्रजाति का माना जा रहा है। इसके शिकार के आरोप में वालीवुड के न जाने कितने सितारों को सीखचों की हवा भी खानी पड़ी। फिर भी चिंकारा का शिकार नहीं रूक पा रहा है। सलमान खान, सैफ अली खान, नीलम, तब्बू, सोनाली बेंन्द्रे आदि को सपने में भी चिंकारा दिख जाता होगा तो वे जाग जाते होंगे। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक की समाप्ति के बाद इस साल भारतीय सेना सर्दियों में राजस्थान की दिन में तपती तो रात में हाड़ गलाने वाली ठंड में बड़ा युद्धाभ्यास कर रही है। सेना के केंप में से तीन चिंकारा के सिर मिलना वाकई हैरत की बात है। दुश्मनों का सिर काटने वाली सेना ने अपने ही भोजन के लिए काले हिरणों का शिकार कर डाला। यह वाकई भारतीय सेना के लिए शर्म की ही बात मानी जा रही है। अब सेना के आला अफसर चुप हैं, केंद्रीय गृह मंत्री चुप हैं, सबसे आश्चर्य तो इस बात का है कि विपक्ष को मानो पक्षाघात हो गया है इस मामले में।
सत्ता और संगठन में बढ़ी दूरियां
मध्य प्रदेश भाजपा में सब कुछ सामान्य नहीं है। शिवराज सिंह चैहान और सूबे के भाजपा महिला मोर्चा में तलवारों की खनक सुनाई पड़ने लगी हैं। एक तरफ महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया अपनी विधानसभा की चिंता में दुबली होती जा रहीं हैं और दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान हैं कि उनकी ओर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। संभाग, आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, फोरलेन के मसले पर पीठ दिखाने के बाद अब शिवराज सिंह चैहान ने रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी से चर्चा के दौरान भी छिंदवाड़ा सिवनी नैनपुर की मांग न उठाकर नीता पटेरिया के प्रति अपना रवैया साफ कर दिया है। श्रीमति पटेरिया सांसद थीं और परिसीमन में सीट के अवसान के उपरांत तत्कालीन सिटिंग एमएलए नरेश दिवाकर की टिकिट कटवाकर विधायक बनीं हैं। श्रीमति पटेरिया का संसदीय अनुभव देखकर लग रहा था कि उन्हें लाल बत्ती से नवाजा जाएगा, वस्तुतः एसा हुआ नहीं।
फोरलेन हुआ दिल्ली भ्रमण का बहाना
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की राजग सरकार की महात्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में फंसा पेंच सिवनी के निवासियों के लिए दिल्ली भ्रमण का माध्यम बन चुका है। कांग्रेस और भाजपा के प्रतिनिधि जब चाहे तब दिल्ली की सैर करने जाते हैं और या तो दिल्ली से या फिर सिवनी जाकर विज्ञप्ति वीर नेता फोरलेन के रोडे हटाने की बात कहकर वाहवाही बटोर लेते हैं। हाल ही में विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर के नेतृत्व में एक पचास सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल दिल्ली आया। पता चला कि उन्होंने विज्ञप्ति जारी करवा दी कि केंद्रयी वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन, भूतल परिवहन मंत्री जयराम रमेश और शहरी विकास मंत्री कमल नाथ इस मामले में जल्द ही कार्यवाही करेंगे। भले मानस, जब मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने ही प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा तब भला केंद्रीय मंत्री किस बिनहा पर आश्वासन दे रहे हैं।
प्रणव मनमोहन में बढ़ी दरार
प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नजरें गड़ाए हुए प्रणव मुखर्जी अब दस जनपथ (सोनिया का सरकारी आवास) का विश्वास पुनः हासिल करने का जतन कर रहे हैं। कल तक मनमोहन सिंह और प्रणव मुखर्जी के बीच हुई संधि में प्रणव को उप प्रधानमंत्री बनाने की चर्चाएं थीं। कहा जा रहा था कि प्रणव ने कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ से दूरी बना ली थी। हालिया राजनैतिक समीकरणों से एक बार फिर प्रणव ने अपनी चाल बदल दी है। अब वे सोनिया के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने मशहूर नोबेल पुरूस्कार प्राप्त आर्थिक विश्लेषक जोसस इयूजिन स्टिगलिट्स को भारत आने का न्योता देकर सभी को चैंका दिया है। इन्होंने ही अमेरिका और यूरोप में आई आर्थिक मंदी की भविष्य वाणी की थी। उनका मिजाज सख्त बाजार समीक्षक का भी है। जानकारी इस न्योते को वजीरे आजम की मौजूदा बाजार नीति के खिलाफ प्रणव की पहल के तौर पर देख रहे हैं।
जन्म दिवस पर अभिनव अपील
ग्लोबल कायस्थ परिवार ने देश के पहले महामहिम राष्ट्रपति डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद का जन्म दिन अंतर्राष्ट्रीय चित्रांश दिवस के तौर पर मनाने की अपील की है। डाॅक्टर राजेंद्र प्रसाद ने सादगी की प्रतिमूर्ति बनकर मूल्यों को कायम रख कायस्थ वंशजों का मान बढ़ाया है। ग्लोबल कायस्थ फेमली के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव ने उक्ताशय की अपील करते हुए कहा है कि भगवान चित्रगुप्त के वंशजों की एकता के लिए सभी चित्रांश बंधु राजेंद्र बाबू के जन्म दिवस पर 3 दिसंबर को स्थानीय स्तर पर सामाजिक संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें याद करें। उन्होंने अपील की है कि इस दिन स्थानीय स्तर पर रक्त दान शिविर जैसे प्रोग्राम का आयोजन सराहनीय हो सकता है।
दिल के अरमा आंसुओं में बह गए. . .
कहते हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और कांग्रेस के नेताओं के बीच अघोषित अदृश्य समझौता है। शिवराज अपने सूबे में केंद्र और कांग्रेस पर जमकर बरसते हैं, पर जब दिल्ली आते हैं तब वे खामोशी ओढ़ लेते हैं। यह बात भाजपा और कांग्रेस के नेशनल लेवल के नेताओं के संज्ञान में आ चुकी है। पिछले दिनों शिवराज सिंह चैहान ने भोपाल में राजा भोज सहस्त्राब्दी समारोह में घोषणा कर दी कि भोपाल का नाम भोजपाल किया जाएगा। एमपी कोटे के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री को यह बात नागवार गुजरी। उन्होंने इसका प्रस्ताव केंद्र को ही न जाए इसके लिए एडी चोटी एक कर दी। बाद में जैसे तैसे मामला केंद्र के पास गया तो उन्होंने अपना वीटो पावर लगा दिया इसे रद्द करवाने में। केंद्र को तीस शहरों के नाम बदलने के प्रस्ताव मिले, भोपाल को छोड़कर शेष 29 को हरी झंडी मिली और शिवराज का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया।
राहुल की नजरें भूरिया पर तिरछी!
कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी इन दिनों संगठन के काम काज में ज्यादा रूचि दिखाने लगे हैं। उनकी नजरें मध्य प्रदेश पर भी हैं। मध्य प्रदेश में 14 से 19 नवंबर तक चलने वाले पोल खोल अभियान पर उन्होंने विशेष नजर रखी थी। मध्य प्रदेश में यह अभियान चारों खाने चित्त गिरा। राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि इसके लिए राहुल ने भूरिया को लताड़ा भी है। राहुल इस बात से ज्यादा चकित बताए जाते हैं कि मध्य प्रदेश में राजा दिग्विजय सिंह, कमल नाथ, ज्यातिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचैरी, अरूण यादव, मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर, खुद कांति लाल भूरिया, मीनाक्षी नटराजन, राहुल सिंह, श्रीनिवास तिवारी, जैसे प्रदेश के दिग्गजों के क्षेत्र में भी पोल खोल अभियान परवान नहीं चढ़ सका। सारी जमीनी हकीकत से रूबरू होने के बाद राहुल गांधी का पारा सातवें आसमान पर पहुंचना लाजिमी ही था।
हंगामा है क्यूं बरपा. . .
केंद्रीय मंत्री शरद पंवार को थप्पड़ पड़ा और हंगामा हो गया। सबसे ज्यादा चीख पुकार तो तब हुई जब सरकार को हिलाने वाले अण्णा हजारे ने कहा -‘‘क्या बस एक ही मारा!‘‘ दोनों ही महाराष्ट्र सूबे से हैं। पंवार और हजारे के बीच की अनबन किसी से छिपी नहीं है। दोनों एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। फिर क्या था पंवार समर्थकों ने बबाल काटा। पंवार समर्थक अण्णा के गांव रालेगण सिद्धि में जाकर हंगामे पर उतर आए और अनशन पर बैठ गए। अण्णा समर्थक भी पीछे नहीं रहे। झड़पों के कई दौर हुए उनके बीच। आरोप प्रत्यारोप के बीच अण्णा समर्थकों ने कहा कि जब किसानों पर गोलियां दागी जाती हैं तब कहां रहते हैं एनसीपी के लोग। इस सबका दुखद पहलू यह था कि अहिंसा का पाठ पढाने वाले अण्णा के गांव के लोग पत्थरबाजी तक पर उतर गए।
पुच्छल तारा
इस समय हरविंदर सिंह का पंजा और शरद पंवार का गाल हाट टापिक है। जिसे देखो वह इसी बात में लगा हुआ है। अहमदनगर से अखिल जैन से एक ईमेल भेजा है। अखिल लिखते हैं कि हरविंदर सिंह ने पहले सुखराम पर हमला बोला, सुखराम को जेल हो गई। अब हरविंदर ने शरद पंवार को मारा, तो क्या पंवार भी जेल जाएंगे। कभी कभी तो लगता है कि अण्णा हजारे ही गलत हैं। एसे लोगों को जेल में बंद करने का यही रास्ता शायद ठीक है। अधिकतर लोगों का मानना है कि हरविंदर जी आपका तरीका गलत हो सकता है पर आप किसी भी दृष्टिकोण से गलत नहीं हैं। इसके साथ ही वे आगे लिखते हैं
एक सरदार, बैठा था बेकार!
मंहगाई से था लाचार!!
उसकी मां को आया विचार!
खिलाया उसको सिंधी अचार!!
हो गया चमत्कार!
लाफा खाया शरद पंवार!!