बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 100 (समापन किस्त)
यूपी चुनाव ने दी मनमोहन को संजीवनी
औंधे मुंह गिरी कांग्रेस से बच गई मनमोहन की कुर्सी
ममता लेंगी समर्थन वापस, सपा का केंद्रीय मंत्री बनना तय
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। भारत गणराज्य में देश के अब तक के सबसे कमजोर और मजबूर वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह की कुर्सी के पाए उत्तर प्रदेश चुनाव परिणामों के बाद अब सुरक्षित महसूस किए जा रहे हैं। यूपी चुनावों के परिणामों से भले ही कांग्रेस गमज़े में हो पर प्रधानमंत्री कार्यालय में खुशी की लहर दौड़ गई है। ममता बनर्जी केंद्र सरकार से समर्थन वापसी का ताना बना बुन रही हैं, पर वहीं दूसरी ओर मुलायम या अखिलेश यादव का केंद्रीय मंत्री बनना तय माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश चुनावों के पहले तक यह माना जा रहा था कि अगर यूपी में कांग्रेस सौ से ज्यादा सीटें लेकर आती है तो मनमोहन सिंह से त्यागपत्र दिलवाकर राहुल गांधी को वज़ीरे आज़म की आसनी (कुर्सी) पर काबिज़ करवा दिया जाएगा। इससे उलट चुनाव परिणामों में कांग्रेस की हुई दुगर्ति को देखकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री बनने का सपना फिलहाल त्याग दिया है। अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश में हार के कारणों की खोज में लग चुकी है।
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इस हार से कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह का कद काफी कम हो गया है। सूत्रों की मानें तो दिग्विजय सिंह विरोधियों ने सोनिया गांधी को बताया है कि किस तरह दिग्गी राजा ने अपने दस साल के राज में मध्य प्रदेश में तत्कालीन क्षत्रपों स्व.अर्जुन सिंह (संसदीय क्षेत्र बदलकर होशंगाबाद किया), स्व.माधवराव सिंधिया (संसदीय क्षेत्र ग्वालियर से बदला), अजीत जोगी (काफी हद तक कमजोर किया), श्यामा चरण और विद्याचरण शुक्ल (नामलेवा नहीं बचा), कमल नाथ (1997 में अजेय योद्धा ने सुंदरलाल पटवा के हाथों पटखनी खाई) के अहम को तोड़ा था, ठीक उसी तरह अब राहुल गांधी को भी साईज में ला दिया गया है।
इन समस्त समीकरणों के बाद भी अब सरकार पर संकट के बादल छाते दिख रहे हैं। ममता बनर्जी ने सरकार को झटका देने का मन बना लिया है। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने मीडिया से चर्चा के दौरान भी इसी तरह के कुछ संकेत दिए हैं। कांग्रेस के प्रबंधकों ने माईनस ममता के ऑप्शन पर भी विचार करना आरंभ कर दिया है। सूत्रों की मानें तो केंद्र में अब कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को केंद्र में स्थान देने का मन बना लिया है। यूपी में अखिलेश यादव की ताजपोशी के बाद अब केंद्र में मुलायम सिंह का मंत्री बनना तय है।
वैसे उत्तरप्रदेश में सपा के हाथों मिली शर्मनाक पराजय ने कांग्रेस के अंदरखाने में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस हाईकमान ने गुपचुप तरीके से हार के उन कारणों की पड़ताल आरंभ कर दी है। यूपी के नतीजों ने कांग्रेस की आगामी रणनीतियों को उलट-पुलट कर रख दिया है। नतीजों ने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गाधी को भी नाराज कर दिया है और मीडिया के समक्ष उन्होंने जिस प्रकार हार के कारणों को बयां किया, उसे देखने के बाद तो यही लगता है कि चुनाव में पार्टी को मिली इस पराजय के लिए सोनिया की नाराजगी का खामियाजा कई बड़े नेताओं को भुगतना पड़ सकता है।
सोनिया के इर्द गिर्द घूमने वाले नेताओं ने दिग्गी राजा की रणनीति को ही कसूरवार ठहराया है। सोनिया के कान भरने वालों ने राहुल गांधी का दलित के घर रूकना, खाना खाना आदि को भी इसके लिए कसूरवार ठहराया है। यद्यपि दिग्गी राजा की रणनीति के चलते भट्टा परसौला प्रकरण में मीडिया की सुर्खियों में राहुल गांधी आए पर उसका लाभ कांग्रेस को नहीं मिला। सूत्रों की माने तो बैठक में हार के कारणों की पड़ताल के लिए एक कमेटी गठित करते हुए सोनिया ने केंद्रीय मंत्रियों सलमान खुर्शीद, बेनी प्रसाद वर्मा, श्रीप्रकाश जायसवाल तथा पीएल पुनिया द्वारा की गई बयानबाजी को भी बेहद गंभीरता से लिया है। टिकट वितरण में लापरवाही तथा संगठन कमजोर होने जैसी बातों का हवाला देकर सोनिया ने मीडिया के तीखे हमलों का सामना चाहे कर लिया हो, लेकिन इतना तय है कि इस हार के लिए कांग्रेस हाईकमान केंद्रीय मंत्रियों समेत कांग्रेस महासचिव दिग्विजय को शोकाज नोटिस जारी कर उनके विरुद्ध कुछ कड़े कदम उठा सकता है, जिसके संकेत बैठक में भी सोनिया के तेवरों को देखने में मिले हैं।
कुल मिलाकर देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश सूबे में कांग्रेस की पतली हालत से किसी को लाभ हुआ हो न हुआ हो, पर मनमोहन सिंह की कुर्सी कुछ समय के लिए बच जरूर गई है। अब पीएमओ में पुलक चटर्जी सहित सोनिया के विश्वस्त नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं।