शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

राजमाता के निर्देश कूडे में

राजमाता के निर्देश कूडे में


(लिमटी खरे)


कांग्रेस की सबसे ताकतवर महिला अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और कांग्रेसियों की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी की मितव्ययता की नौटंकी का कांग्रेस के ही मंत्रियों पर कोई असर नहीं हो रहा है। अधनंगे, भूखे लोगों के इस देश में पिछले तीन सालों में केंद्रीय मंत्रियों ने महज तीन सौ करोड रूपए खर्च किए हैं, विदेश यात्राओं में।


फाईव स्टार सादगी की इससे अच्छी मिसाल और कहां मिलेगी कि एक ओर जहां आम जनता को दो वक्त का खाना नसीब नहीं वहीं कांग्रेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाखों रूपए सिर्फ पार्टियों में ही खर्च कर रहे हैं। इस साल केंद्रीय मंत्रियों ने घरेलू यात्राओं में ही महज 94 करोड 40 लाख रूपए खर्च किए हैं।


बताते हैं कि अगर मंत्री अपने संसदीय क्षेत्र में भी जाते हैं तो वे चार्टर्ड प्लेन या हेलीकाप्टर का उपयोग करते हैं, साथ ही एकाध सरकारी कार्यक्रम का आयोजन महज रस्म अदायगी के लिए कर पूरा का पूरा भोगमान (हवाई जहाज या हेलीकाप्टर का बिल) मंत्रालय के मत्थे जड देते हैं।


वैश्विक मंदी की मार झेल रहे भारत में कांग्रेस की राजमात भले ही हवाई जहाज की बीस सीटें बुक करवा कर इकानामी क्लास में और युवराज राहुल गांधी शताब्दी की एक बोगी को बुक कराकर मितव्ययता बरतने का संदेश दे रहे हों, पर उनके अपने मंत्री ही इसका सरेआम माखौल उडा रहे हैं।


केंद्रीय सचिवालय से उपलब्ध आंकडे बयां करते हैं कि 2006 - 07 एवं 2008 - 09 के वित्तीय वर्ष में कैबनेट मंत्रियों ने अपनी विदेश यात्राओं पर 137 करोड रूपए फूंके हैं। सबसे अधिक राशि 2007 - 08 में 115 करोड रूपए खर्च किए हैं। जनता के गाढे पसीने की कमाई को इस कदर उडाने वाले मंत्रियों ने विदेश जाकर आखिर कौन सा तीर मारा है यह बात तो वे ही बेहतर बता सकते हैं।


जब भी प्रभावशाली मंत्री या संगठन का पदाधिकारी किसी दूसरे शहर की यात्रा करता है तो वह सरकारी गेस्ट हाउस के बजाय महंगे होटलों में रूकने में अपनी शान समझता है। इन होटलों का भोगमान (बिल) कहीं न कहीं जनता की जेब पर डाका डालकर ही भोगा जाता है।


मजे की बात तो यह है कि मंत्रियों के साथ अफसरान और उनका परिवार भी तर जाता है। जब भी मंत्री यात्रा पर जाते हैं उनके साथ महकमे के अफसरान भी हो लिया करते हैं। अगर विदेश यात्रा की बात आती है तो अफसरान अपने परिजनों को भी विदेश यात्रा कराने से नहीं चूकते हैं।


छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने एक मर्तबा विदेश यात्रा के दौरान सूबे के एक अफसर को विदेश में ही पकड लिया था। बाद में सवाल जवाब करने पर पता चला कि उक्त अधिकारी बिना विभागीय अनुमति के ही विदेश में सेर कर रहे थे। चूंकि मामला बडे अधिकारी का था सो दबा दिया गया।


कुछ नेता या मंत्रीनुमा जनसेवक तो अपने परिजनों के हवाई जहाज को ही बैलगाडी बनाकर देश नापते फिर रहे हैं, इन यात्राओं का खर्च भी उनका मंत्रालय या कोई उद्योगपति मित्र ही भुगत रहा हो तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। अगर यही सच्चाई है तो फिर कांग्रेस की राजमात श्रीमति सोनिया गांधी और उनके साहेबजादे राहुल गांधी मितव्ययता का स्वांग रचकर देश की सवा करोड से अधिक जनता को बेवकूफ क्यों बना रहे हैं।


हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जनता के जीवन स्तर को सुधारने की जवाबदारी संभालने वाले देश के नीति निर्धाकर ``जनसेवकों`` को विलासिता वाले मंहगे सितारा युक्त होटल्स और एयरलाईंस का कारोबार चलाने के लिए नहीं वरन जनता जनार्दन की सुख सुविधा कैसे जुटे इसलिए देश प्रदेश की कमान सौंपी गई है।


आश्चर्य की बात तो यह है कि 2006 से 2009 तक देश की सोलह संसदीय समितियों ने स्टडी टूर की मद में ही दस करोड रूपए हवाई यात्रा और फाईव स्टार होटल को दे दिए। हवाई यात्रा और आलीशान होटल में रूकना आज मंत्रियों का स्टेटस सिंबाल बन चुका है।


जब भी कोई मंत्री या अफसर गांव में रात बिताने की नौटंकी करने की जुर्रत करता है तो वह अपने साथ जेनरेटर सेट ले जाना कतई नहीं भूलता, क्योंकि वह जानता है कि रात को गांव में बिजली के बिना मच्छर उसे खा जाएंगे। इस सब से आजिज आ चुके जनसेवक फिर हवाई जहाज की इकानामी क्लास को ``मवेशी का बाडा यानी केटल क्लास`` का दर्जा देने से भी नहीं चूकता है।


कांग्रेस के जनसेवक अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश को कितनी तवज्जो देते हैं, यह बात तो उनके मितव्ययता के निर्देश के पालन में समझ आ जाती है। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष ने जनसेवकों को अपने वेतन के बीस फीसदी हिस्से को राहत कोष में जमा कराने के निर्देश दिए थे, पर उनकी इस अपील का जनसेवकों पर कोई असर नहीं हुआ।


आज जनसेवकों की नैतिकता पूरी तरह समाप्त हो चुकी है, इस बात में कोई संदेह नहीं रह गया है। जंग लगी व्यवस्था के चलते जनता के गाढे पसीने की कमाई को जनसेवक दोनों हाथों से लुटाने पर तुले हुए हैं, और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी अपील पर अपील किए जा रहीं हैं, किन्तु जनसेवकों की मोटी चमडी पर उसका कोई असर नहीं हो पा रहा है।