शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

नितीश का शुरू हो गया पुरजोर विरोध


नितीश का शुरू हो गया पुरजोर विरोध

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अधिकार यात्रा के दौरान किए गए विरोध प्रदर्शन को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने जायज ठहराया है। लोजपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर सत्यानंदा शर्मा ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब सरकार निरंकुश हो जाती है तो लोगों का गुस्सा इसी तरह से फूटता है।
डॉक्टर शर्मा ने कहा कि जिस ढंग से सभी जिलों में मुख्यमंत्री का विरोध हो रहा है, उससे स्पष्ट है कि जनता सरकार के झूठे आश्वासन, वायदों और अखबारी विज्ञापनों को समझ चुकी है और सरकार का असली चेहरा बेनकाब हो गया है। उन्होंने कहा कि अब जनता विरोध नहीं, बल्कि नीतीश सरकार के खिलाफ श्विद्रोहश् कर रही है।

स्लिम ही अपने समाज का श्रेय हरवंश सिंह व कमलनाथ को देना चाहते है


मुस्लिम ही अपने समाज का श्रेय हरवंश सिंह व कमलनाथ को देना चाहते है

(एम.रियाज)

सिवनी (साई)। हज मामले में अब अल्पसंख्यक समुदाय में कांग्रेस के महाकौशल के दो क्षत्रपों कमल नाथ और हरवंश सिंह के प्रति नाराजगी जमकर भरती जा रही है। कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और एमपी विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर दोनों ही महाकौशल के क्षत्रप हैं एवं अल्पसंख्यकों को राहत दिलाने के बजाए वे उन्हें उलझाते ही जा रहे थे।
गौरतलब है कि कमल नाथ का संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा है जहां से वे 1980 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। कमल नाथ ने छिंदवाड़ा के नागरिकों की हर जरूरत का ख्याल रखा है, इसी के तहत हज जाने वाले मुस्लिम भाईयों के लिए एंबारकेशन प्वाईंट को उन्होंने भोपाल से बदलवाकर छिंदवाड़ा करवा दिया था।
महाकौशल में आने वाले बालाघाट, सिवनी, मण्डला जिलों से हज जाने के इच्छुक लोगों ने हरवंश सिंह की अगुआई में कमल नाथ से भेंट कर उनसे गुजारिश की थी कि इन जिलों का एंबारकेशन प्वाईंट भोपाल के स्थान पर छिंदवाड़ा करवा दिया जाए। चर्चा है कि कमल नाथ ने इन नेताओं को दो टूक शब्दों में यह कह दिया था कि आखिर उनके सांसद इस मामले में क्या कर रहे हैं? कमल नाथ का इशारा बालाघाट के भाजपा सांसद के.डी.देशमुख और मण्डला के कांग्रेस के सांसद बसोरी सिंह मसराम की ओर था।
सिवनी में कमल नाथ और हरवंश सिंह के प्रति इस मामले में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। उल्लेखनीय है कि फिजां में पहले यह बात तैर चुकी है कि कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा को आरक्षित होने से बचाने के लिए हरवंश सिंह द्वारा सिवनी लोकसभा सीट की बली चढ़ाई गई है। इसके उपरांत हरवंश सिंह और कमल नाथ की जुगल जोड़ी पर स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में सिवनी जिले में षणयंत्र करने के आरोप आम होते रहे हैं।
चर्चा है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम नेता स्वयं के समाज की ही सामाजिक संस्था का सम्मान करने के बजाये एंबारकेशन पाइंट चेंज होने श्रेय विस उपाध्यक्ष श्री हरवंश सिंह और केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को देना चाह रहे हैं जबकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि विस उपाध्यक्ष ने अपने माध्यम से याचिकाकर्ताओं पर इतना दबाव बनाया था कि जब अंत में उनसे सहन नहीं हुआ तो वे अंडरग्राउंड हो गये थे और सारे तथ्य उजागर हो जाने के बाद भी लोगों को गुमराह किये जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
विदित हो कि एंबारकेशन पाइंट परिवर्तन करने की लड़ाई वर्ष 2010 से सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला के मुस्लिम एक साथ लड़ रही हैं किन्तु इस वर्ष जब अकेले छिंदवाड़ा का एंबारकेशन पाइंट चेंज हो  गया और शेष तीनों जिलों का नहीं हुआ तो सिवनी के मुस्लिमों ने हर स्तर पर जोर लगाया किन्तु जब उनके राजनैतिक आका भी कुछ नहीं कर सके तो मुस्लिम सामाजिक संस्था अल-फलाह तंजीम की ओर से जबलपुर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी जिसका लाभ न केवल सिवनी बल्कि बालाघाट और मंडला जिले के हज यात्रियों को भी मिला।
ऐसा बताया जाता है कि जब यह याचिका उच्च न्यायालय में  लगी तो याचिकाकर्ता रिजवान खान और तनवीर अहमद पर विस उपाध्यक्ष श्री सिंह ने अपने स्तर से बहुत दबाव बनवाया जिससे वो याचिका वापस ले लें किन्तु इन याचिकाकर्ताओं ने जब अपने कुछ सहयोगियों से सलाह ली तो उन्होंने यही कहा कि याचिका लगने के कारण ही एंबारकेशन पाइंट चेंज रहा है याचिका अगर वापस ली गयी तो पाइंट चेंज नहीं होगा किन्तु जब याचिकाकर्ताओं पर बहुत अधिक दबाव बनाया गया तो अंततः मजबूर होकर इन्हें अंडरग्राउंड हो जाना पड़ा।
उक्त सभी बातों को जानने के बाद भी विस उपाध्यक्ष की बदौलत खड़े हुए मुस्लिम नेताओं ने ही मीडिया को सेट करना शुरू किया और विज्ञापन में आभार मानकर यह बात जनता के बीच लाने की कोशिश की गयी कि श्री हरवंश सिंह और कमलनाथ के प्रयास से एंबारकेशन पाइंट परिवर्तित हुआ है। विज्ञापन में जिन लोगों के नाम है उनमें कुछ हाजी भी है और ये बात कुछ मुस्लिम लोगों को बड़ी दुखदायी लगी है कि ये हाजी हजयात्रियो के पक्ष में जिसने लड़कर फैसला लाया है उसके ही विपक्ष में काम कर रहे हैं मात्र अपने राजनैतिक फायदे के लिये।
इसके अलावा नगर में एक चर्चा भी छेड़ी गयी कि जब 18 तारीख को याचिका दायर की है तो इतनी जल्दी कैसे इसके परिणाम आ सकते हैं। उच्च न्यायालय की तो बड़ी भारी वर्किंग है वहाँ एक दो हफ्ते में तो नोटिस भी नहीं मिलता। श्री सिंह को श्रेय दिलाने वालों का ये तर्क ऐसा था कि इसपर कुछ लोगों ने गौर किया  जबकि वास्तविकता यह है कि उच्च न्यायालय में यह व्यवस्था है कि अगर किसी याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार को पार्टी बनाया जाता है तो याचिका और संबंधित दस्तावेज पहले ही केन्द्र व राज्य सरकार के सॉलीसीटर के देना होता है और उसकी पावती पिटीशन में लगानी होती है तब जाकर पिटीशन फाइल होती है और उसकी सुनवाई होती है।
अतः उक्त नियमों के पालनार्थ याचिकाकर्ता के एडवोकेट द्वारा याचिका की एक कापी केन्द्र व राज्य सरकार के वकीलो को  दी गयी जिनके माध्यम से ये बात सेन्ट्रल हज कमेटी और स्टेट हज कमेटी को भी पता चल गयी और इन्होंने 21 तारीख को इसी संबंध में बैठक ली। इतनी जल्दबाजी दिखाने का कारण यह था कि एंबारकेशन पाइंट चेंज की लड़ाई गत दो वर्ष से सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला ये चारों जिले मिलकर लड़ रहे थे तो ये कैसे संभव था कि एक जिले का पाइंट चेंज किया जाये और शेष तीन को छोड़ दिया जाये। फिर सेंट्रल हज कमेटी के  अलावा स्टेट गवर्मेंट व स्टेट हज कमेटी भी फँसी हुई थी कि उसने कैसे एक अकेले छिंदवाड़ा जिले के लिये एनओसी दे दी।
उक्त सब बाते पता होने के बावजूद भी नगर के कुछ मुस्लिम नेता जिन्हें उनकी ही संस्था अल-फलाह तंजीम की तारीफ करना चाहिये, का श्रेय श्री सिंह व कमलनाथ को दिलवाना चाहते हैं जिनके कारण याचिका में अपना नाम देने वालों को अंडरग्राउंड होना पड़ा। इस संबंध में कमल नाथ से मिलने गए नेताओं के बारे में अल्पसंख्यकों में अच्छी प्रतिक्रिया नहीं कही जा सकती है।

भारत में आया गैलेक्सी नोट 2


भारत में आया गैलेक्सी नोट 2

(दीपक अग्रवाल)

मुंबई (साई)। सैमसंग ने गैलेक्सी नोट 2 को भारत में लॉन्च कर दिया है। इसके अलावा एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाला गैलेक्सी कैमरा भी जल्द ही बाजार में आ सकता है। नोट 2 के दाम पर सबकी नजर थी और आई फोन 5 से टक्कर बनाए रखने के लिए सैमसंग ने इसे 40 हजार से ठीक नीचे रखा है। 55 इंच सुपर एमोलेड स्क्रीन, 16 क्वाड कोर प्रोसेसर, 2जीबी रैम और 3100 एमएएच बैटरी जैसे दमदार फीचर वाले इस फोन में स्टाइलस ( एस-पेन) के इस्तेमाल को और भी बेहतर किया गया है। टैबलेट और फोन के हाइब्रिड वाली इस डिवाइस में 8 मेगापिक्सल का बैक कैमरा और 19 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा है। यह फोन एंड्रॉयड के लेटेस्ट वर्जन जेली बीन 41 पर ऑपरेट करता है। गैलेक्सी कैमरा भी जेली बीन पर चलता है और यह दिवाली तक बाजार में आ जाएगा। इसमें 16 मेगापिक्सल का सेंसर है और 21 एक्स का ऑप्टिक जूम है। इसमें 14 गीगा हर्त्ज का क्वाड कोर प्रोसेसर और सिम कार्ड से 3 जी कनेक्टिविटी है लेकिन यह फोन की तरह काम नहीं करता है।
इसके साथ ही साथ सोनी ने 10 हजार रुपये से नीचे की रेंज में अपनी एक्सपीरिया रेंज का पहला हैंडसेट उतारा है। एक्सपीरिया टीपो की खासियत है कि यह एंड्रॉयड आइसक्रीम सैंडविच यानी 40 से लैस है। 32 इंच की स्क्रैच प्रूफ स्क्रीन वाले इस फोन में 32 मेगापिक्सल कैमरा है और 1500 एमएएच की बैटरी है। 800 मेगाहर्त्ज का प्रोसेसर है और 2 जीबी की इंटरनल मेमरी है, इसे 32 जीबी तक एक्सपेंड कर सकते हैं। इसका डुअल सिम मॉडल भी है। एक्सपीरिया रेंज में अब तक महंगे फोन ही थे लेकिन इस एंट्री लेवल सेट से कंपनी यूथ मार्केट पर पकड़ बनाना चाहती है। मल्टीमीडिया फीचरों से लैस यह फोन म्यूजिक पसंद करने वालों के हिसाब से बनाया गया है। इसमें म्यूजिक, न्यूज और एंटरटेनमेंट से जुड़े इनबिल्ट एप्स भी लोड हैं।
वैसे बाजार में ऐसुस ने अपनी नई डिवाइस पैडफोन उतारी है जो फोन और टैबलेट दोनों का काम करती है। पहली नजर में तो यह 43 इंच स्क्रीन वाला एंड्रॉयड फोन है, जिसमें एंड्रॉयड 40 ऑपरेटिंग सिस्टम है। लेकिन जब इसे एक और डिवाइस पैड स्टेशन के साथ कनेक्ट किया जाता है तो यह 10 इंच की टैबलेट में बदल जाता है। इससे भी बड़ी बात यह है कि जब आप पैड फोन और पैड स्टेशन को पैड डॉक के साथ जोड़ते हैं तो यह की-बोर्ड के साथ टचस्क्रीन वाली नेटबुक की तरह काम करने लगता है। यानी यह एक डिवाइस तीन तरह से काम करने की क्षमता रखती है। कंपनी के मुताबिक हर शख्स अलग-अलग वक्त पर अलग रोल में होता है और यह उसकी हर जरूरत को पूरा करेगा। इसके अलावा अलग-अलग डिवाइस के लिए डेटा प्लान अलग से लेने की जरूरत नहीं। सुपर एमोलेड डिस्प्ले के साथ इसमें 15 गीगा हर्त्ज का डुअल कोर क्वालकॉम स्नैपड्रैगन एस 4 प्रोसेसर इसमें है। इसमें 8 एमपी कैमरा भी है। पैडफोन का ऐसुस ने दाम 64,999 रुपये रखा है।

सरकार की चोरी पर सुप्रीम कोर्ट की सीनाजोरी


सरकार की चोरी पर सुप्रीम कोर्ट की सीनाजोरी

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। टूजी स्पेक्ट्रम का आवंटन हो या फिर कोयला ब्लाक का आवंटन, वह घोटाला इसलिए है क्योंकि आवंटन का तरीका गलत था। गलत तरीके का इस्तेमाल करके मनमानी तरीके से मनपसंद लोगों को फायदा पहुंचा दिया गया। जिन घोटालों पर संसद पिछले करीब साल भर से अस्त व्यस्त है और सरकार को सफाई नहीं सूझ रही थी, सरकार के उस संकट को अब माननीय सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने आज टिप्पणी की है कि सिर्फ नीलामी ही आवंटन का एकमात्र तरीका नहीं हो सकता।
हालांकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इसे सिर्फ सुझाव के तौर पर ही कहा है लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट यह सुझाव सरकार को कितना पसंद आया है यह तत्काल कपिल सिब्बल की टिप्पणी से पता चल जाता है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस संक्षिप्त सुझाव से सरकार को अपनी समस्त चोरी पर सीनाजोरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पूरा मौका जो दे दिया है।
टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले का सार यही था कि नियम कानूनों में बदलाव करके नीलामी नीति को प्रभावित किया गया। कमोबेश यही आरोप कोयला आवंटन में भी सरकार पर लग रहा है। अगर सरकार के आवंटन के तरीकों को सही मान लिया जाए तो कहीं कोई घोटाला हुआ ही नहीं। स्पेक्ट्रम का बाजार मूल्य निर्धारित करने का विवेक सरकार के पास सुरक्षित है। इसी तरह अगर उद्योग जगत को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक रुपये एकड़ के हिसाब से कारोबारियों को सौ साल के पट्टे पर जमीन दे सकती है तो बिजली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोयले के ब्लाक निजी घरानों को वांक्षित तरीके से दे दिये जाते हैं तो इसमें बुराई क्या है? सब जानते हैं कि कारोबारी पेट भरने के लिए कम से कम कोयला तो नहीं खायेगा। वह कोयला पायेगा तो बिजली ही बनायेगा।
लेकिन घोटाला इसलिए है क्योंकि आवंटन में जो पूर्व निर्धारित सरकारी नियम हैं उनकी अनदेखी की गई। नियमों की खिल्ली उड़ाई गई। और जब सरकारी नियमों को तोड़ा मरोड़ा जाता है तो निश्चित ही किसी न किसी को फायदा पहुंचाया जाता है। इसी से भ्रष्टाचार का जन्म होता है। तो फिर भला, सुप्रीम कोर्ट यह सुझाव कैसे दे सकता है कि आवंटन की एक ही नीति नहीं हो सकती? क्या सुप्रीम कोर्ट यह सुझाव दे दिया है कि देश का एक ही संविधान नहीं हो सकता? देश में एक ही सुप्रीम कोर्ट नहीं हो सकती? सरकार का अस्तित्व तभी तक होता है जब तक वह एक नीति पर कायम है। जिस दिन एक ही काम के लिए अनेक नीतियां पैदा कर दी जाएंगी, देश को बनाना रिपब्लिक बनने से कौन रोक पायेगा?
लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी है इसलिए लोकतंत्र में अब वही आखिरी सत्य है। लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट की इस संक्षिप्त टिप्पणी से लोक खजाने को लगा करीब चार लाख करोड़ का वह घाटा पूरा हो जाएगा जो इन दो आवंटनों के दौरान लगा है? माननीय सुप्रीम कोर्ट से पूछने की हिमाकत कौन करेगा?

बांग्लादेश में हाशिये पर है हिन्दू आबादी

बांग्लादेश में हाशिये पर है हिन्दू आबादी

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। अगर एक तरफ असम में बांग्लादेशी घुसपैठ से असम के इस्लामीकरण की आवाज उठाई जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश में हिन्दू आबादी तेजी से कम हो रही है। बांग्लादेश में 2001 से 2011 के बीच तेज गिरावट दर्ज की गई है। 2001 में बांग्लादेश की जनगणना के अनुसार वहां 168 करोड़ हिन्दू थे जो 2011 में घटकर 123 करोड़ रह गये हैं। बांग्लादेश में अब कम से कम 15 जिले ऐसे हैं जहां हिन्दू आबादी नदारद हो गई है।
2011 की गई जगनणना की जो रिपोर्ट सामने आई है उसके मुताबिक 2001 की जगनणना में बांग्लादेश में कुल आबादी के 92 प्रतिशत हिन्दू थे लेकिन 2011 में उनकी संख्या बढ़ने की बजाय घटकर बांग्लादेश की कुल आबादी के 85 प्रतिशत रह गई है। 2001 में बांग्लादेश की हिन्दू आबादी 168 करोड़ थी। हिन्दू जन्मदर के आधार पर जो आंकलन किया गया था उसके मुताबिक 2011 में बांग्लादेश में हिन्दू आबादी 182 करोड़ होनी चाहिए थी लेकिन जो नतीजे निकले हैं वे चौंकानेवाले हैं। बांग्लादेश में हिन्दू आबादी बढ़ने की बजाय तेजी से घटी है और अब बांग्लादेश में हिन्दू आबादी घटकर 123 करोड़ रह गई है। यानी एक दशक के भीतर करीब साठ लाख हिन्दू कम हो गये। हालांकि इसी अवधि के दौरान ईसाई, बौद्ध और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के वृद्धिदर में कोई कमी नहीं दर्ज की गई है। बांग्लादेश में 904 प्रतिशत मुस्लिम हैं बाकी नौ प्रतिशत में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक हैं।
बांग्लादेश में हिन्दूओं की इस घटती संख्या के पीछे बांग्लादेश में चरमपंथी मुस्लिम संगठन हैं जो इस्लाम के नाम पर मुस्लिमों के बीच काम करते हैं और बड़े पैमाने पर हिन्दुओं के खिलाफ अभियानों को मदद करते हैं। बांग्लादेश में इससे संबंधित जो रपटें प्रकाशित हुई हैं वे बताती हैं कि बांग्लादेश में हिन्दुओं का जबर्दस्त उत्पीड़न हो रहा है। केवल हिंसक वारदातों के जरिए ही उनकी जर जमीन उनसे हासिल नहीं की जा रही है बल्कि इस्लामिक देशों से आर्थिक मदद हासिल करके काम करनेवाले गैर सरकारी मुस्लिम संगठन बड़े पैमाने पर धर्मांतरण को भी अंजाम दे रहे हैं। एक अनुमान है कि बांग्लादेश में ऐसे करीब तीन सौ गैर सरकारी संगठन सक्रिय हैं जो हिन्दुओं को धर्मांतरित कर रहे हैं जिसके कारण हिन्दू आबादी में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है।
लेकिन बांग्लादेश में हिन्दुओं का ध्रर्मांतरण ही उनके लिए एकमात्र समस्या नहीं है। बांग्लादेश के नेशनल हिन्दू ग्रैण्ड एलायंस के महासचिव गोविन्द चन्द्र प्रमाणिक के हवाले से बांग्लादेश के अखबार वीकली ब्लिट्ज कहता है कि बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिन्दू लड़कियों का अपहरण करके उनका जबरन मुस्लिमों के साथ विवाह कर दिया जाता है। विरोध करने पर उनके साथ गैंगरेप तक की घटनाएं अंजाम दी जाती हैं। एनेमी प्रापर्टी एक्ट के प्रावधानों के तहत वहां हिन्दुओं की जर जमीन बड़े पैमाने पर मुस्लिम आबादी ने कब्जा कर लिया है जिसके कारण हिन्दू पलायन पर मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा मुस्लिम बहुल इलाकों में हिन्दुओं का उत्पीड़न के कारण भी वहां हिन्दू आबादी में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है।
उम्मीद की जा रही थी कि शेख हसीना की सरकार आने के बाद बांग्लादेश के हालात में कुछ बदलाव नजर आयेंगे लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं आये हैं। प्रमाणिक एक उदाहरण से बताते हैं कि शेख हसीना की सरकार में भी हिन्दुओं के उत्पीड़न में कोई कमी नहीं आई है। उनका कहना है कि बांग्लादेश के गोपालगंज जिले में 2001 की जनगणना के अनुसार हिन्दू आबादी 3 लाख 71 हजार थी। बांग्लादेश में गोपालगंज हिन्दू बहुल जिला था और ऐसा समझा जाता था कि हिन्दू वोटबैंक की लालच में यहां हिन्दुओं को कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन 2011 की जनगणना रिपोर्ट बताती है कि गोपालगंज में हिन्दुओं की संख्या घटकर पचास हजार से भी नीचे चली गई है। प्रणाणिक कहते हैं कि इस उदाहरण से स्पष्ट हो जाता है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं के लिए अब कोई स्वर्ग नहीं बचा है। बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग को हिन्दू अपनी पार्टी समझते थे और उन्हें उम्मीद थी कि लीग की सरकार आयेगी तो हिन्दुओं की रक्षा हो सकेगी लेकिन लीग की सरकार आने के बाद भी हिन्दुओं के उत्पीड़न में कोई कमी नहीं आई।

किडनी की सफाई भी करती है धनिया


हर्बल खजाना ----------------- 24

किडनी की सफाई भी करती है धनिया

(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। आमतौर पर सब्जियों में मसाले और सुगंध के लिए इस्तेमाल होने वाले धनिया की खेती भारत के हर हिस्से में होती है। औषधीय गुणों से भरपूर धनिये का वानस्पतिक नाम कोरिएंड्रम सटाईवम है। हरे ताजे धनिया की पत्तियाँ लगभग २० ग्राम और उसमें चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें और रस छान लें।
इस रस की दो बूँदे नाक के छिद्रों में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर हल्का हल्का मलने से नाक से निकलने वाला खून जिसे नकसीर भी कहा जाता है, तुरंत बंद हो जाता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें और इसकी दो बूँदे आँखों में टपकाने से आँखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएँ दूर होती हैं।
धनिया महिलाओं में मसिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यदि मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर पानी में लगभग ६ ग्राम धनिए के बीज डालकर खौलाएं और इसमें शक्कर डालकर पीएं, फायदा होगा। धनिए को मधुमेह नाशी भी माना जाता है। इसके सेवन से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है।
धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। धनिए के जूस में हल्दी का चूर्ण मिलाकर चेहरे पर लगाएं, इससे मुहाँसों की समस्या दूर होती है और यह ब्लैकहेड्स को भी हटाता है। सौंफ, मिश्री व धनिया की समान मात्रा लेकर चूर्ण बना कर ६-६ ग्राम प्रतिदिन भोजन के बाद खाने से हाथ पैर की जलन, एसिडिटी, आँखों की जलन, पेशाब में जलन व सिरदर्द दूर होता है। धनिया के बारे में नवीन शोध बताते हैं कि धनिया की पत्ती खाने से किडनी स्वस्थ्य रहती है। (साई फीचर्स)

(लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ हैं)

चहुंओर त्रस्त हैं आईडिया के उपभोक्ता


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  24

चहुंओर त्रस्त हैं आईडिया के उपभोक्ता

हर सेवा में उपभोक्ताओं को लूटने का आईडिया

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई) देश के मशहूर उद्योगपति आदित्य बिरला के स्वामित्व वाली आईडिया सेल्यूलर कंपनी अपने उपभोक्ताओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर ही है। एक समय में एकाधिकार करने वाले क्षेत्रीय मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों को खरीदकर आईडिया में तब्दील करने के बाद इस कंपनी ने उपभोक्ताओं की जेब हल्का करने के नए नए प्रयोग आरंभ किए हैं।
राजधानी के हजारो मोबाईल उपभोक्ता जो आईडिया सेल्लुलर कंपनी की सर्विसेस से आजकल बुरी तरह से परेशान है, जिनकी कही सुनवाई नही है। प्रीपेड उपभोक्ताओ के पैसे कही ये कम्पनी मेसेज के नाम तो कही रिंग टोन के नाम पर तो कही इन्टरनेट ब्राउसिंग के नाम पर हड़प रही है। वही दूसरी और जो उपभोक्ता पोस्ट पैड है जिन्होंने मिनिमम मासिक प्लान पर आईडिया का पोस्ट पैड प्लान लिया हुआ है उन उपभोक्ताओ को भी भारीभरकम बिल थमा कर आईडिया चूना लगा रहा।
जब इस तरह की शिकायत को लेकर ग्राहक आईडिया के आउट लेट पर जाते है तो वहा बैठे कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव द्वारा उपभोक्क्ताओं को उनकी तकलीफों को तुरंत हल करने के बजाये कंपनी के मुख्यालय मेसेज भेज कर ग्राहक को चलता कर देते है। जिलों में आईडिया प्वाईंट्स पर उपभोक्ताओं की सुनवाई भी नहीं हो पा रही है। जब आईडिया प्वाईंट पर ग्राहक जाता है तो उसे पोस्ट पेड या प्री पेड के चक्कर में ही उलझा दिया जाता है।
दस दस बार उपभोक्ता इन आउटलेट पर चक्कर लगाता रहता है मगर कोई सुनवाई नही होती। आईडिया की ग्राहक सेवा पर भी कोई शिकायत दर्ज करने के लिए अगर फोन लगाया जाता है तो पहले उससे बिना बात के दस विज्ञापन झेलने पड़ते है तब जाकर कंपनी का कोई पकाऊ बंदा फ़ोन अटैंड करता है। इन सब प्रक्रियाओ से ग्राहक को हर तो चार दिन में एक बार सामना करना पड़ता है मगर फिर भी समस्या जस की तस रहती है आईडिया के इस चूना लगाने की योजना ने ग्राहक को परेशानी में डाल रखा है लगता है जब तक कोई ग्राहक अपनी परेशानी के लिए अदालत की शरण में नही जायेगा तब तक शायद आईडिया ग्राहकों को चूना लगाने से बाज़ आने वाला नही।

(क्रमशः जारी)

मुहूर्त का महत्व


मुहूर्त का महत्व

(पंडित दयानन्द शास्त्री)

नई दिल्ली (साई)। आस्थावान भारतीय समाज तथा ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त का अत्यधिक महत्व है। यहां तक कि लोक संस्कृति में भी परंपरा से सदा मुहूर्त के अनुसार ही किसी काम को करना शुभ माना गया है। हमारे सभी शास्त्रों में उसका उल्लेख मिलता है। भारतीय लोक संस्कृति में मुहूर्त तथा शुभ शकुनों का प्रतिपालन किया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार मुहूर्तों में पंचांग के सभी अंगों का आकलन करके, तिथि-वार-नक्षत्र-योग तथा शुभ लग्नों का सम्बल तथा साक्षी के अनुसार उनके सामंजस्य से बनने वाले मुहूर्तों का निर्णय किया जाता है। किस वार, तिथि में कौन सा नक्षत्र किस काम के लिए अनुकूल या प्रतिकूल माना गया है, इस विषय में भारतीय ऋषियों ने अनेकों महाग्रंथों का निर्माण किया है जिनमें मुहूर्त मार्तण्ड, मुहूर्त गणपति मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त पारिजात, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु आदि अनेक ग्रंथ प्रचलित तथा सार्थक हैं। जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत तथा भारत का धर्म समाज मुहूर्तों का प्रतिपालन करता है।
भारतीय संस्कृति व समाज में जीवन का दूसरा नाम ही श्मुहूर्तश् है। भारतीय जीवन की नैसर्गिक व्यवस्था में भी मुहूर्त की शुभता तथा अशुभता का आकलन करके उसकी अशुभता को शुभता में परिवर्तन करने के प्रयोग भी किये जाते हैं। महिलाओं के जीवन में रजो दर्शन परमात्मा प्रदत्त तन-धर्म के रूप में कभी भी हो सकता है किंतु उसकी शुभता के लिए रजोदर्शन स्नान की व्यवस्था, मुहूर्त प्रकरण में इस प्रकार दी गयी है- सोम, बुध, गुरु तथा शुक्रवार, अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती नक्षत्र शुभ माने गये हैं।
मासों में वैशाख, ज्येष्ठ, श्रवण, अश्विनी, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन श्रेष्ठ माने गये हैं। शुक्ल पक्ष को श्रेष्ठ माना गया है, दिन का समय श्रेष्ठ है। इसी प्रकार- गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्त, सूतिका स्नान, जातकर्म-नामकरण, मूल नक्षत्र, नामकरण शांति, जल पूजा, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, कर्णवेधन, चूड़ाकरण, मुंडन, विद्यारंभ यज्ञोपवीत, विवाह तथा द्विरागंमनादि मुहूर्त अति अनिवार्य रूप में भारतीय हिंदू समाज मानता है। इसके अतिरिक्त भवन निर्माण में, भी नींव, द्वार गृह प्रवेश, चूल्हा भट्टी के मुहूर्त, नक्षत्र, वार, तिथि तथा शुभ योगों की साक्षी से संपन्न किये जाते हैं विपरीत दिन, तिथि नक्षत्रों अथवा योगों में किये कार्यों का शुभारंभ श्रेष्ठ नहीं होता उनके अशुभ परिणामों के कारण सर्वथा बर्बादी देखी गयी है।
भरणी नक्षत्र के कुयोगों के लिए तो लोक भाषा में ही कहा गया है- श्श्जन्मे सो जीवै नहीं, बसै सो ऊजड़ होय। नारी पहरे चूड़ला, निश्चय विधवा होयघ्श्श् सर्व साधारण में प्रचलित इस दोहे से मुहूर्त की महत्ता स्वयं प्रकट हो रही है कि मुहूर्त की जानकारी और उसका पालन जीवन के लिए अवश्यम्यावी है। पंचक रूपी पांच नक्षत्रों का नाम सुनते ही हर व्यक्ति कंपायमान हो जाता है।
पंचकों के पांच-श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तरा भाद्रप्रद तथा रेवती नक्षत्रों में, होने वाले शुभ- अशुभ कार्य को पांच गुणा करने की शक्ति है अतः पंचकों में नहीं करने वाले मुहूर्त अथवा कार्य इस प्रकार माने गये हैं- दक्षिण की यात्रा, भवन निर्माण, तृण तथा काष्ट का संग्रह, चारपाई का बनाना या उसकी दावण-रस्सी का कसना, पलंग खरीदना व बनवाना तथा मकान पर छत डालना।
पंचकों में अन्य शुभ कार्य किये जाते हैं तो उनमें पांच गुणा वृद्धि की क्षमता होती है लोक प्रसिद्ध विवाह या शुभ मुहूर्त बसंत पंचमी तथा फुलेरादूज पंचकों में ही पड़ते हैं जो शुभ माने गये हैं किसी का पंचकों में मरण होने से पंचकों की विधिपूर्वक शांति अवश्य करवानी चाहिए। इसी प्रकार सोलह संस्कारों के अतिरिक्त नव उद्योग, व्यापार, विवाह, कोई भी नवीन कार्य, यात्रा आदि के लिए शुभ नक्षत्रों का चयन किया जाता है अतः उनकी साक्षी से किये गये कार्य सर्वथा सफल होते हैं।
बहुत से लोग, जनपद के ज्योतिषी, सकलजन तथा पत्रकार भी, पुष्य नक्षत्र को सर्वश्रेष्ठ तथा शुभ मानते हैं। वे बिना सोचे समझे पुष्य नक्षत्र में कार्य संपन्नता को महत्व दे देते हैं। किंतु पुष्य नक्षत्र भी अशुभ योगों से ग्रसित तथा अभिशापित है। पुष्य नक्षत्र शुक्रवार का दिन उत्पात देने वाला होता है। शुक्रवार को इस नक्षत्र में किया गया मुहूर्त सर्वथा असफल ही नहीं, उत्पातकारी भी होता है। यह अनेक बार का अनुभव है।
एक बार हमारे विशेष संपर्की व्यापारी ने जोधपुर से प्रकाशित होने वाले मासिक पत्र में दिये गये शुक्र-पुष्य के योग में, मना करते हुए भी अपनी ज्वेलरी शॉप का मुहूर्त करवा लिया जिसमें अनेक उपाय करने तथा अनेक बार पुनः पुनः पूजा मुहूर्त करने पर भी भीषण घाटा हुआ वह प्रतिष्ठान सफल नहीं हुआ। अंत में उसको सर्वथा बंद करना पड़ा। इसी प्रकार किसी विद्वान ने एक मकान का गृह प्रवेश मुहूर्त शुक्रवार के दिन पुष्य नक्षत्र में निकाल दिया।
कार्यारंभ करते ही भवन बनाने वाला ठेकेदार ऊपर की मंजिल से चौक में गिर गया। तत्काल मृत्यु को प्राप्त हो गया। अतः पुष्य नक्षत्र में शुक्रवार के दिन का तो सर्वथा त्याग करना ही उचित है। बुधवार को भी पुष्य नक्षत्र नपुंसक होता है। अतः इस योग को भी टालना चाहिए, इसमें किया गया मुहूर्त भी विवशता में असफलता देता है। पुष्य नक्षत्र शुक्र तथा बुध के अतिरिक्त सामान्यतया श्रेष्ठ होता है। रवि तथा गुरु पुष्य योग सर्वार्थ सिद्धिकारक माना गया है।
इसके अतिरिक्त विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि विवाह में पुष्य नक्षत्र सर्वथा अमान्य तथा अभिशापित है। अतः पुष्य नक्षत्र में विवाह कभी नहीं करना चाहिए। मुहूर्त प्रकरण में ऋण का लेना देना भी निषेध माना गया है, रविवार, मंगलवार, संक्राति का दिन, वृद्धि योग, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग, हस्त नक्षत्र में लिया गया ऋण कभी नहीं चुकाया जाता।
ऐसी स्थिति में श्रीगणेश ऋण हरण-स्तोत्र का पाठ तथा- श्श्ऊँ गौं गणेशं ऋण छिन्दीवरेण्यं हँु नमः फट्।श्श् का नित्य नियम से जप करना चाहिए। मानव के जीवन में जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त मुहूर्तों का विशेष महत्व है अतः यात्रा के लिए पग उठाने से लेकर मरण पर्यन्त तक- धर्म-अर्थ- काम-मोक्ष की कामना में मुहूर्त प्रकरण चलता रहता है और मुहूर्त की साक्षी से किया गया शुभारंभ सर्वथा शुभता तथा सफलता प्रदान करता है। (साई फीचर्स)