शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

सिवनी को फिर मिला आश्वासन का झुनझुना

ममता का रेल बजट
 
मध्य प्रदेश के लिए नहीं फैला ममता का आंचल 
एमपी से होकर गुजरेंगी आठ नई एक्सप्रेस और एक पैसेंजर ट्रेन
 
सात रेलगाडियों के बढ़ेंगे फेरे
 
दमोह भोपाल नई इंटरसिटी की पेशकश
 
पत्रकारों के परिवार को साल में दो बार यात्रा की पात्रता
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 25 फरवरी। पश्चिम बंगाल के रायटर बिल्डिंग पर कब्जा जमाने की जुगत में बैठी रेल मंत्री ममता बनर्जी ने आज तीसरी बार रेल बजट पेश किया। इसमें मध्य प्रदेश की झोली में कुछ खास डालने में वे सफल नहीं रहीं। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र से चलने वाली दो रेलगाडियों को दिल्ली तक बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही साथ रतलाम और सिवनी जिलों को अमान परिवर्तन का पुराना झुनझुना फिर पकड़ा दिया गया है।
 
आज पेश बजट में रेल मंत्री ममता बनर्जी ने ज्यादा लुभाया नहीं जा सका। पश्चिम बंगाल के चुनावों के मद्देनजर उन्होंने मीडिया को अवश्य ही आकर्षित करने का प्रयास किया। अब संवाददाताओं को अब परिवार के साथ पचास प्रतिशत यात्री किराए की रियायत के साथ साल में एक के बजाए दो मर्तबा यात्रा की सुविधा प्रस्तावित की गई है।
 
ममता ने 56 नई रेल गाडियां चलाना प्रस्तावित किया है। इनमें से जो रेलगाडी मध्य प्रदेश से होकर गुजरेंगी उनमें इंदौर से बरास्ता रूथियाई कोटा इंटरसिटी दैनिक, बरास्ता रतलाम उदयपुर से बांद्रा जाने वाली रेल सप्ताह में तीन दिन, नागपुर से इटारसी खण्डवा के रास्ते भुसावल जाने वाली एक्सप्रेस सप्ताह में तीन दिन, वाराणसी सिंगरोली इंटरसिटी रोजाना, लखनउ भोपाल एक्सप्रेस सप्ताह में एक दिन, जबलपुर इंदौर इंटरसिटी बीना गुना के रास्ते सप्ताह में तीन दिन, फैजाबाद, कानपुर, भोपाल के रास्ते गोरखपुर से यशवंतपुर जाने वाली एक्सप्रेस साप्ताहिक ओर कटनी कोटा के रास्ते शालीमार से उदयपुर एक्सप्रेस साप्ताहिक होगी।
 
राज्यों की राजधानियों को महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ने के लिए नई रानी एक्सप्रेस रेल गाडियां चलाने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें दमोह से भोपाल इंटरसिटी का प्रावधान दैनिक किया गया है। इसके अलावा तेरह नई पैसंेजर रेल गाडियों में एक रेल बिलासपुर से कटनी के लिए भी रोज चलना प्रस्तावित किया गया है।
 
रेलमंत्री ने 33 रेल गाडियों के परिचालन क्षेत्र में विस्तार किया है। इसमें (11101/11102) छिंदवाड़ा ग्वालियर को दिल्ली तक, (11103/11104) छिंदवाड़ा झांसी को दिल्ली तक, (12965/12966) उदयपुर ग्वालियर को खजुराहो तक, (12159/12160) जबलपुर नागपुर को अमरावती तक, (19655/19656) इंदौर अजमेर को जयपुर तक, (12183/12184) भोपाल लखनउ को प्रतापगढ़ तक एवं (59802/59803) नागदा कोटा पैसेंजर को रतलाम तक बढ़ाया गया है।
 
रेल मंत्री ने कहा कि 25 नई रेल परियोजनाओं में रतलाम बांसवाड़ा को शामिल किया गया है। 22 नई डीजल इंजन मल्टीपल यूनिट को आरंभ करना प्रस्तावित है जिसमें रतलाम नीमच के नामों का शुमार किया गया है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 10 - 11 में अमान परिवर्तन के आठ सौ किलोमीटर के लक्ष्य को या तो पूरा कर लिया गया है या फिर मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा। ममता बनर्जी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में 1075 किलोमीटर नए रेल खण्ड का निर्माण प्रस्तावित है, जिसमें मध्य प्रदेश के खाते में ललितपुर खजुराहो सतना, खजुराहो महोबा एवं रीवा सिंगरोली का हिस्सा शामिल कर लिया गया है। उन्हांेने कहा कि भोपाल, नागपुर, चंडीगढ़ आदि में अतिरिक्त मैकेनाईज्ड लाउंड्री क्लीनिक यूनिट की स्थापना प्रस्तावित है।
 
पिछले बजट में 251 नए सर्वेक्षण की घोषणा की गई थी। ममता बनर्जी ने का कि इनमें से 190 का काम पूरा हो गया है या फिर इस वित्तीय वर्ष में अर्थात 31 मार्च 2011 तक पूरा हो जाएगा। इसमें मध्य प्रदेश की तीन परियोजनाओं का समावेश किया गया है। इसमें 73 नंबर पर रतलाम बांसवाड़ा डूंगरपुर, 90 नंबर पर छिंदवाड़ा, सिवनी, नैनपुर, मण्डला फोर्ट और 124 नंबर पर जगतगुरू शकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद स्वरस्वती के श्री धाम गोटेगांव से पूर्व प्रधानमंत्री स्व.नरसिंहराव के संसदीय क्षेत्र रामटेक तक बारास्ता सिवनी को स्थान दिया गया है। ममता बनर्जी का कहना है कि इस परियोजना में बारहवीं पंचवर्षीय परियोजना में काम आरंभ हो जाएगा।
 
रामगंज मण्डी नीमच, दमोह हातानगर खजुराहो, रतलाम इंदौर परियोजना के साथ ही साथ फतेहाबाद चंद्रावती रेल परियोजना, छिंदवाड़ा सागर, जबलपुर उदयपुरा सागर, बालाघाट के कटंगी तिरोड़ी को नए सर्वेक्षण में शामिल किया गया है।

यहां उल्लेखनीय होगा कि राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके मोगली की कर्मभूमि सिवनी जिले से होकर गुजरने वाले अति प्राचीन नेशनल हाईवे को यहां से अन्यत्र ले जाने का षणयंत्र रचा जा रहा है, इतना ही नहीं सालों साल से नेरोगेज की छुक छुक में सफर करने वाले सिवनी वासियों को ब्राडगेज के नाम पर छला जा रहा है। सिवनी जिले के दक्षिण पश्चिम में स्थित छिंदवाड़ा, दक्षिण में नागपुर, पूर्व में बालाघाट, उत्तर मंे जबलपुर जिला तो उत्तर पश्चिम में नरसिंहपुर जिलों में ब्राडगेज की सुविधा है, किन्तु इनके मध्य वाले सिवनी जिले को नेतृत्व विहीन होने का दण्ड हमेशा मिलता आया है और यहां से एक एक कर सौगातों को छीना ही जा रहा है।

रेल बजट की मुख्य विशेषताएं
 
वरिष्ठ नागरियों की रियायत तीस से बढ़ाकर चालीस फीसदी।
 
महिलाओं को 58 साल में ही सीनियर सिटीजन की रियायत की पात्रता।
 
शारीरिक विकलांग के लिए अब राजधानी और शताब्दी में भी रियायत की पात्रता।
 
ईटिकिटिंग के लिए नया पोर्टल।
 
वातानुकूलित श्रेणी में थ्री टियर, टू, टियर, फर्सट क्लास, सिटिंग के अलावा अब नया दर्जा।

आधुनिक चाणक्य के निशाने पर हैं बाबा रामदेव

सियासी दांव में उलझने लगे बाबा रामकिशन

बैंक में खाता नहीं पर किया एक लाख करोड़ का कारोबार!

हरिद्वार से स्काटलेण्ड तक फैली है मिल्कियत

विवादों से गहरा नाता है बाबा रामदेव का

बाबा के गांव में पसरी हैं महामारियां!

(लिमटी खरे)

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा राज्य का एक जिल है महेंद्रगढ़, इस जिले का एक कस्बा है सैदअलीपुर। यह कस्बा बहुत महत्वपूर्ण है, इसका कारण है कि इक्कीसवीं सदी में योग गुरू बनकर उभरे रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव इसी गांव के बाशिंदे हैं। इस गांव को महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने निर्मल गांव का पुरूस्कार भी प्रदान किया है। कहा जाता है कि इस पुरूस्कार को पाने के लिए संत्री से मंत्री तक सभी को अंधेरे में रखा गया था।

इस गांव की हकीकत तब सामने आई जब उत्तराखण्ड सरकार की एक अकादमी को निर्मल गांव के लिए चिन्हित ग्रामों के भौतिक सत्यापन का काम सौंपा गया। इस टीम ने पाया कि साढ़े चार सौ के तकरीबन परिवार वाले इस गांव में दो सौ परिवारों के पास शौचालय ही नहीं हैं। इस गांव में महिलाएं और पुरूष खुले में शौच करने विवश हैं, यह बात निश्चित तौर पर हरियाणा सरकार के साथ ही साथ रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के लिए शर्मसार करने के लिए पर्याप्त कही जा सकती है।

इक्कीसवीं सदी में स्वयंभू योग गुरू बनकर उभरे रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने बीमारियों के सटीक इलाज के लिए योग को ही सर्वोपरि बताया। आरंभ में तो लोग इनकी ओर आकर्षित नहीं हुए किन्तु कालांतर में कुछ चुनिंदा धार्मिक चेनल्स के स्लाट खरीदकर बाबा रामदेव ने लोगों को इसका आदी बना दिया। इसके बाद रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव का जादूू सर चढ़कर बोलने लगा। टीआरपी के मामले में इन्होंने संत आशाराम बापू को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया। बाबा के शिविर जहां भी आयोजित होते वहां लोग टूट पड़ते। मंहगे टिकिट खरीदकर संपन्न लोग बाबा से योग के गुरू सीखते। बाबा ने जड़ी बूटी की आड़ में एक नई दुकान भी खोल दी जो खूब फल फूल रही है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि छोटे से जिले में बाबा रामदेव की दवाओं की फ्रेंचाईजी लेने के लिए आठ लाख रूपयों की दवाएं एक साथ खरीदनी होती है, जिसमें आठ से बारह फीसदी कमीशन ही मिलता है। इन दवाओं में अधिकांश वे दवाएं होती हैं जो सालों साल आपकी दुकान की शोभा बढ़ाती रहेंगी, उनके ग्राहक बहुत ही कम हैं।

रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव को जैसे ही लोकप्रियता मिलना आरंभ हुई उन्होंने कसम खाई कि जब तक देश के हर आदमी को वे निरोग न कर देगे तब तक देश की धरा के बाहर कदम न रखेंगे। बाबा को उनके अनुयाईयों ने समझाया कि आखिर क्या कह गए बाबा। न कभी एसा वक्त आएगा और न ही बाबा विदेशी वादियों की सैर कर पाएंगे। फिर अचानक बाबा ने विदेश की ओर रूख कर लिया। इसके बाद बाबा के लग्गू भग्गुओं ने उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाना आरंभ किया। बाबा ने सियासतदारों की कालर ही खीचना आरंभ कर दिया। बाबा ने एक और बयान सियासी हवा में उछाला कि विदेशों में जमा काले धन को भारत लाने वे सड़कों पर उतरेंगे। समय बीतता गया और दो साल पूरे होने को हैं, देश की सड़कें आज भी रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव का इंतजार कर रही हैं।

रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के इस कदम से कांग्रेस में बौखलाहट बढ़ गई है। इसका कारण यह है कि वर्तमान में काला धन ही कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बना हुआ है। कांग्रेस के इक्कीसवीं सदी के चाणक्य एवं महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है, अब तय मान लीजिए कि बाबा रामदेव की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे आना सुनिश्चित ही है। दिग्गी राजा ने बाबा रामदेव से पूछा है कि वे पता कर लें कि कहीं उन्हें चंदा देने वाले ने तो काला धन उन्हें नहीं दिया है।

उधर रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने दिग्गी राजा के आरोपों के बाद तलवार पजाते हुए कहा है कि उन्होंने अपने ट्रस्ट को मिलने वाले धन का हिसाब आना पाई से सरकार को दे दिया है अब समय है कांग्रेस का कांग्रेस को चाहिए कि वह भी अपने से जुड़े सारे ट्रस्ट के हिसाब किताब को सरकार को दे दे।

राजा दिग्विजय सिंह के तीर कहां जाकर किसे और कितने समय बाद घायल करते हैं इस बात के बारे में इस नश्वर दुनिया में सिर्फ और सिर्फ एक ही आदमी जानता है और वह है खुदा राजा दिग्विजय सिंह। गौरतलब होगा कि 2008 में रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने खुद ही स्वीकार किया था कि उनका सालाना करोबार एक लाख करोड़ रूपयों का होने वाला है। बाबा रामदेव ने स्वीकारा था कि पतांजली योग के साम्राज्य में अप्रत्याशित तौर पर बढोत्तरी दर्ज की गई थी। इसकी शाखाएं ब्रिटेन, अमेरिका, थाईलेण्ड, नेपाल, उत्तर और दक्षिण अफ्रीका, दुबई आदि में खुल चुकीं हैं।

उत्तराखण्ड में कनखल के दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट से आरंभ हुई रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव की छोटी सी दुकान आज लाखों करोड़ रूपयों की हो चुकी है। गौरतलब है कि 2003 में बाबा रामदेव और उनके सखा आचार्य बाल कृष्ण इसी ट्रस्ट के तीन कमरों में मरीजों का उपचार किया करते थे। यक्ष प्रश्न तो यह है कि रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के हाथों में आखिर कौन सा जादुई जिन्न आ गया जिसे रगड़कर महज आठ सालों में ही उन्होंने कई सौ करोड़ का साम्राज्य स्थापित कर लिया है।

वर्तमान मे रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के पतंजलि योग ग्राम का रकबा दस बीस बीघा नहीं वरन आठ सौ बीघा है, जहां हर प्रकार की सुविधाओं के साथ फाईव स्टार संस्कृति वाला पंचकर्म सेंटर शोभायमान है। इतना ही नहीं यहां अत्याधुनिक शहर की स्थापना भी की गई है। इसके कनखल में ही अलावा सर्वप्रिय विहार कालोनी में तीन बड़ी अट्टालिकाएं हैं, जिनमें इनके रिश्तेदार निवास करते हैं और गोदामों की जगह भी यहीं बनाई गई है।

गायों के लिए रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने पतंजलि गोशाला की स्थापना भी की है। बाबा के गायों के बेड़े में पांच सौ से भी अधिक गायंे शोभा बढ़ा रही हैं, जिनमें से विदेशी नस्लों की गायों की तादाद बहुतायत में बताई जाती है। बाबा ने गायों के लिए सैकड़ों बीघा जमीन रख छोड़ी है। बाबा की संपत्ति में हिमाचल प्रदेश के सोलन का नाम भी जुड़ जाता है। कहते हैं रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने पिछले साल स्काटलैण्ड में एक द्व़ीप भी खरीद लिया है।

धंधे में रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव किसी पर विश्वास नहीं करते हैं। उन्होंने अपने परिवार के लोगों को ही प्रशासनिक पदों पर बिठा रखा है अपने साम्राज्य में। कनखल में दिव्य योग ट्रस्ट मंदिर में दस बीघे में बाबा के भाई रामभरत का प्रशासनिक कार्यालय और गोदाम स्थापित है। इसके अलावा पतंजलि की अन्य इकाईयों में पतंजली आयुर्वेद लिमिटेड का साम्राज्य हरिद्वार में फैला हुआ है। यहां हरिद्वार के पुराने औद्योगिक क्षेत्र में बी 38 और ए 1 में दो कारखाने हैं जिनमें ढाई सौ से ज्यादा आयुर्वेदिक उत्पाद बनाए जाते हैं। इन दोनों का सालाना कारोबार अरबों रूपयों का बताया जाता है।

इसके अलावा पतंजली फूड और हर्बल पार्क के लिए रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने यहीं पचास एकड़ का रकबा खरीद रखा है। इसमें दस इकाईयां अभी चालू हैं बाकी आरंभ होने की बाट जोह रहीं हैं। कहते हैं इस पूरी इकाई का प्रारंभिक निवेश ढाई सौ करोड़ रूपयों से ज्यादा है।

पतंजली नर्सरी और कारखाने की स्थापना दिल्ली राजमार्ग पर दो सौ बीघा जमीन में की गई है। यहां औषधीय पुष्पों और पौधों की खेती की जाती है। यहां नर्सरी के साथ ही साथ च्यवनप्राश और साबुन बनाने का कारखाना स्थापति है। दिल्ली राजमार्ग पर ही रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने पतंजली योगपीठ चरण एक में अत्याधुनिक चिकित्सालय, विशाल देखने योग्य भव्य भवन और पतंजली विश्विद्यालय की प्रस्तावना देखते ही बनती है। यह पूरा इलाका डेढ़ सौ एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।

इसी के दूसरे चरण में साढ़े चार सौ एकड़ भूमि को आरक्षित रखा गया है। इसमें दस हजार लोगो को एक साठ ठहराने और योग करने की अत्याधुनिक सुविधा की व्यवस्था की गई है। यहां भवन देखते ही बनता है और तो और अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र भी यहां पर है।

रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव अब घिरते नजर आ रहे हैं। धर्मार्थ काम की आड़ में बाबा रामदेव ने जो झाड़ काटे हैं वे अब कांग्रेस की नजरों में गड़ने लगे हैं। कल तक मलाई खाने वाले बाबा को अब कांग्रेस के प्रबंधक जमीन चटवाकर ही मानेंगे, क्योंकि बाबा ने काले धन की बात को फैलाकर उसकी दुखती रग पर हाथ रख ही दिया है।

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बयान के बाद अब आयकर विभाग ने भी अपनी नजरें तिरछी करना आरंभ कर दिया है। यह सच है कि रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव आयकर विवरणिका दाखिल करते हैं किन्तु धर्मार्थ संस्था को दर्शाकर बाबा करोड़ों रूपयों के आयकर जमा करने से खुद को बचाते फिर रहे हैं। गौरतलब होगा कि रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के शिविर में शामिल होने और आर्युवेदिक दवाओं को खरीदने के लिए आम आदमी को खासी रकम चुकानी पड़ती है। इतना ही नहीं रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव की संस्था विदेशों से भी मोटा चंदा काट रही है।

लोगों की धारणा बन चुकी है कि रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव अब गरीबों के लिए काम करने के बजाए राजवैद्य बन चुके हैं जिनके पास पहुंचना गरीब गुरबों के बस की बात नहीं रही। बाबा अब अमीरों के हाथों का खिलौना बन चुके हैं। वैसे भी किसी धर्मार्थ संस्था के सर्वेसर्वा का महज आठ सालों में जीरो से हीरो बनना और जनसेवा का काम करने वाली संस्था के पास इतनी कम अवधि में लाखों करोड़ रूपयों की संपत्ति का होना अपने आप में एक अजूबे से कम नहीं माना जा सकता है।

वैसे भी रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव का विवादों से बड़ा पुराना और गहरा नाता है। बाबा ने 2003 में अपना काम आरंभ किया और 2005 में ही दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के मातहत कर्मचारियों में से 113 कर्मचारियों ने न्यूनतम मजदूरी मिलने का मामला सार्वजनिक किया था।

इसके बाद 2006 में वाम नेता सीपीआईएम की वृंदा करात ने रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के उपर यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी कि दिव्य योग मंदिर में बनने वाली दवाओं में मनुष्य और जनवरों की हड्डियों का प्रयोग किया जाता है। बाद में उत्ताखण्ड सरकार की क्लीन चिट के बाद मामला शांत हो पाया था।

रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने न्यायालयों को भी आड़े हाथों लेने से गुरेज नहीं किया। जुलाई 2009 में जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक सेक्स को जायज ठहराया था तब बाबा ने इसका कड़ा विरोध दर्ज कराया था। बाबा ने चुनिंदा ब्रांड के कोल्ड ड्रिंक्स के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अभियान छेड़ रखा है। इतना ही नहीं बाबा के द्वारा कैंसर और एड्स जैसी बीमारी के योग से इलाज के मामले में भी बाबा पर सवाल उठे, जिनका जवाब बाबा ने आज तक नहीं दिया है।

कुल मिलाकर अब उंट पहाड़ के नीचे आ चुका है। बाबा रामदेव अब सियासी गोदे (अखाड़े) में उतरे हैं। बाबा को सपने में उम्मीद नहीं होगी कि उनकी पहली भिडंत ही दिग्विजय सिंह जैसे घाघ पहलवान से हो जाएगी। या तो बाबा चारों खाने चित्त मिलेंगे या फिर दस जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) में पूंछ हिलाते नजर आएंगे।

टीम सोनिया की तैयारियां जोरों पर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष अपनी टीम को लेकर संजीदा हो चुकी हैं, और उन्होंने इसके लिए चेहरों पर विचार विमर्श भी आरंभ कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष की नई टीम में 45 से 65 साल के राजनैतिक युवाओं की भागीदारी देखने को मिल सकती है। बाद में यही प्रयोग सत्ता में भी किए जाने की उम्मीद है।

कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के भरोसे मंद सूत्रों का दावा है कि सोनिया गांधी ने मन बना लिया है कि संसद के बजट सत्र के चलते ही वे अपनी नई टीम की घोषणा कर देंगी। इसके लिए सोनिया ने वजीरेआजम के अलावा कांग्रेस के अन्य रणनीतिकारों और प्रबंधकों से सोनिया गांधी ने विचार विमर्श लगभग पूरा कर लिया है।

हाल ही में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरेश पचैरी द्वारा भविष्य में राज्य सभा के रास्ते संसद में न जाने की घोषणा को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि सुरेश पचैरी को केंद्रीय कार्यकारिणी में अहम जिम्मेदारी से नवाजा जा सकता है। उधर कुछ मंत्रियों को सत्ता से हटाकर संगठन की जिम्मेदारी संभालने का निर्देश भी देने की बातें कही जा रही हैं।

जनवरी में हुए मंत्रीमण्डल फेरबदल में सत्ता का स्वाद चखने वाले नकारा मंत्रियों के विभाग बदलकर ही कांग्रेस आलाकमान को संतोष करना पड़ा था। उस समय हुई सौदेबाजी और बजट सत्र में कोई गफलत न हो इसके चलते सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह दवाब को झेल गए थे, किन्तु अब सोनिया गांधी राहुल के लिए रोड मेप बनाने में जुटी हुई हैं और वे इस मामले में कोेई रिस्क नहीं लेना चाहतीं हैं।
इस बार इन पर है नजर

सूत्रों का कहना है कि अंबिका सोनी, गुलाम नवी आजाद, मुकुल वासनिक, वीरप्पा माईली, नारायण सामी जैसे चेहरों का इस्तेमाल संगठन में फुल टाईम करने की मंशा में दिख रही हैं कांग्रेस आलाकमान।