त्रणमूल में चल रहा
अंर्तद्वंद
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में सरकार से अपने मंत्रियों को वापस लेने के फरमान के
उपरांत त्रणमूल कांग्रेस में अंदर ही अंदर खींचतान बेहद तेज हो गई है। केंद्र
सरकार से अलग हुए मंत्री अब अपने खोए रूतबे को पाने के लिए हर संभव प्रयास करने
में लग गए हैं। केंद्र की तर्ज पर ममता ने एडवाईजरी काउंसिल का गठन भी कर दिया है।
त्रणमूल कांग्रेस
के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जब केंद्र से हटे
मंत्रियों ने अपने घटते रसूख के बारे में ममता बनर्जी से गुहार लगाई तब ममता
बनर्जी ने एक नया और अनोखा प्रयोग किया। वैसे तो प्रधानमंत्री की पीएम एडवाईजरी
काउंसिल का गठन करते हैं, पर अब ममता बनर्जी ने सीएम एडवाईजरी काउंसिल का गठन कर दिया
है।
कहा जाता है कि जब
दिनेश त्रिवेदी रेल मंत्री थे, तब ममता बनर्जी उनकी कारपोरेट सोच के चलते
खासी नाराज हो गईं थीं। इसके बाद त्रणमूल के मंत्रियों के बाहर होने के पहले
कोलकता के टाउन हाल में एक परिचर्चा त्रिवेदी ने रखवाई जिसका विषय था कि क्या
त्रणूल के मंत्रियों को यूपीए में रहना चाहिए अथवा नहीं। इसमें दिनेश त्रिवेदी ने
ममता बनर्जी की उपस्थिति में यूपीए को जमकर आड़े हाथों भी लिया था।
उधर, ममता बनर्जी ने
मुकुल राय को परिवहन, सौगत राय को उद्योग, दिनेश त्रिवेदी को पर्यटन, शिशिर अधिकारी को
ग्रामीण विकास, चौधरी मोहन
को सुंदरवन विकास,
सुल्तान अहमद को अल्प संख्यक विकास, सुदीप बंदोपाध्याय
को नगर विकास का एडवाईजर सीएम एडवाईजर काउंसिल में बनाया है।
ममता के इस फरमान
से केंद्र के रूखसत हुए मंत्री तो मजे में हैं, किन्तु पश्चिम
बंगाल के मंत्रियों की बन आई है। सांसदों को वे सुपर मंत्री कहने लगे हैं। दरअसल, अंदर ही अंदर इन
एडवाईजर को मंत्री अपने उपर एक बोझ समझने लगे हैं। इन एडवाईर्ज्स की कार्यप्रणाली
से भी मंत्रियों और विधायकों में में रोष और असंतोष पनपता दिख रहा है।
त्रणमूल कांग्रेस
के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो विभागीय
मंत्रियों को किसी भी फैसले को लागू करने के पहले नस्ती को ममता बनर्जी तक भेजना
होता था, अब ये
नस्तियां बरास्ता एडवाईजर्स जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर एडवाईजर्स को इतना अधिकार
संपन्न बनाया गया है कि वे जब चाहें तब बिना मंत्रियों की जानकारी के कोई भी आदेश
जारी कर सकते हैं। इस तरह मंत्रियों के अधिकार और रूतबा दोनों ही कम हो गया है।