गुरुवार, 25 अक्टूबर 2012

त्रणमूल में चल रहा अंर्तद्वंद


त्रणमूल में चल रहा अंर्तद्वंद

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में सरकार से अपने मंत्रियों को वापस लेने के फरमान के उपरांत त्रणमूल कांग्रेस में अंदर ही अंदर खींचतान बेहद तेज हो गई है। केंद्र सरकार से अलग हुए मंत्री अब अपने खोए रूतबे को पाने के लिए हर संभव प्रयास करने में लग गए हैं। केंद्र की तर्ज पर ममता ने एडवाईजरी काउंसिल का गठन भी कर दिया है।
त्रणमूल कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जब केंद्र से हटे मंत्रियों ने अपने घटते रसूख के बारे में ममता बनर्जी से गुहार लगाई तब ममता बनर्जी ने एक नया और अनोखा प्रयोग किया। वैसे तो प्रधानमंत्री की पीएम एडवाईजरी काउंसिल का गठन करते हैं, पर अब ममता बनर्जी ने सीएम एडवाईजरी काउंसिल का गठन कर दिया है।
कहा जाता है कि जब दिनेश त्रिवेदी रेल मंत्री थे, तब ममता बनर्जी उनकी कारपोरेट सोच के चलते खासी नाराज हो गईं थीं। इसके बाद त्रणमूल के मंत्रियों के बाहर होने के पहले कोलकता के टाउन हाल में एक परिचर्चा त्रिवेदी ने रखवाई जिसका विषय था कि क्या त्रणूल के मंत्रियों को यूपीए में रहना चाहिए अथवा नहीं। इसमें दिनेश त्रिवेदी ने ममता बनर्जी की उपस्थिति में यूपीए को जमकर आड़े हाथों भी लिया था।
उधर, ममता बनर्जी ने मुकुल राय को परिवहन, सौगत राय को उद्योग, दिनेश त्रिवेदी को पर्यटन, शिशिर अधिकारी को ग्रामीण विकास, चौधरी मोहन को सुंदरवन विकास, सुल्तान अहमद को अल्प संख्यक विकास, सुदीप बंदोपाध्याय को नगर विकास का एडवाईजर सीएम एडवाईजर काउंसिल में बनाया है।
ममता के इस फरमान से केंद्र के रूखसत हुए मंत्री तो मजे में हैं, किन्तु पश्चिम बंगाल के मंत्रियों की बन आई है। सांसदों को वे सुपर मंत्री कहने लगे हैं। दरअसल, अंदर ही अंदर इन एडवाईजर को मंत्री अपने उपर एक बोझ समझने लगे हैं। इन एडवाईर्ज्स की कार्यप्रणाली से भी मंत्रियों और विधायकों में में रोष और असंतोष पनपता दिख रहा है।
त्रणमूल कांग्रेस के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो विभागीय मंत्रियों को किसी भी फैसले को लागू करने के पहले नस्ती को ममता बनर्जी तक भेजना होता था, अब ये नस्तियां बरास्ता एडवाईजर्स जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर एडवाईजर्स को इतना अधिकार संपन्न बनाया गया है कि वे जब चाहें तब बिना मंत्रियों की जानकारी के कोई भी आदेश जारी कर सकते हैं। इस तरह मंत्रियों के अधिकार और रूतबा दोनों ही कम हो गया है।

युवराज घूमेंगे लाल बत्ती में!


युवराज घूमेंगे लाल बत्ती में!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी जल्द ही लाल बत्ती में भ्रमण कर सकते हैं। जी हां, राहुल गांधी को मनमोहन सिंह की कैबनेट में जगह मिलना तय माना जा रहा है। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह नेहरू गांधी परिवार के इस कदर ऋणी लग रहे हैं कि वे राहुल को कैबनेट में शामिल कर आपने आप को धन्य ही समझेंगे।
देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से सियासी सरगर्मियां बढ़ गयी हैं क्योंकि 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने कैबिनेट का विस्तार करने जा रहे हैं। लगातार घोटालों के आरोपों को झेल रही यूपीए सरकार के लिए यह कैबिनेट मीटिंग काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस युवराज राहुल गांधी कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं।
पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि तीन मंत्रालयों के साथ छेड़छाण से सोनिया गांधी ने मना कर दिया है। वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय को में कोई फेर-बदेल नहीं होगा लेकिन अंदर की खबर रखने वाले कह रहे हैं कि इस बार राहुल गांधी को कोई बड़ा और अहम मंत्रालय दिया जायेगा उपरोक्त तीनों क्षेत्रों को छोड़कर। अगर ऐसा होता है तो यह राहुल गांधी के लिए काफी अहम होगा क्योंकि साल 2014 में कांग्रेस राहुल गांधी को पीएम पद का उम्मीदवार मानकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार के फेरबदेल में राहुल कि युवा बिग्रेड जैसे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे लोगों को प्रमोट भी किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो यूपीए का एक अहम कदम होगा जो उसके आने वाले दिनों में उसके अस्तित्व की रूप रेखा तय करेगा। राहुल गांधी के कैबिनेट में शामिल होने की बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि पिछले दिनों राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह से डेढ़ घंटे तक मुलाकात की थी। उसके बाद ही पीएम ने मंत्रिमंडल के फेरबदल की घोषणा की।
पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि राहुल गांधी को अगर टीम मनमोहन में स्थान मिलता है तो उन्हें मानव संसाधन अथवा ग्रामीण विकास मंत्री बनाया जा सकता है। इसके साथ ही साथ कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी को भी कैबनेट में स्थान मिलना तय माना जा रहा है। साथ ही साथ रेणुका चोधरी और चिरंजीवी को भी कैबनेट में शामिल किया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट में फेरबदल की तैयारी दो महीने से ज्यादा समय से चल रही है। कहा जा रहा है कि दो मंत्रालय वाले मंत्रियों के वजन को हल्का किया जा सकता है। राज्यसभा के उपसभापति रहमान खान अल्प संख्यक कल्याण मंत्रालय देने की चर्चाएं जोरों पर हैं। वहीं पश्चिम बंगाल को प्रतिनिधित्व देने के लिए दीपा दासमंुशी और रंजन चौधरी के नाम चल रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर स्टील मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले बेनी प्रसाद वर्मा और पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय की लाल बत्ती छीनने की चर्चाएं भी हैं। संप्रग सहयोगी एनसीपी के कोटे से मंत्री बनी अगाथा संगमा को हटाकर उनके स्थान पर तारिक अनवर को मंत्री बनाया जा सकता है।

हास्य सरताज जसपाल भट्टी का अवसान


हास्य सरताज जसपाल भट्टी का अवसान

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। घरेलू घटनाक्रमों में हास्य का तड़का देकर लोगों को पेट पकड़कर हंसते हुए लोटपोट होने पर मजबूर कर देने वाले मशूहर हास्य कलाकार जसपाल भट्टी का आज तड़के करीब तीन बजे जालंधर में सड़क हादसे में मौत हो गई। उनके बेटे जसराज भी दुर्घटना में घायल हुए हैं। जसपाल भट्टी ने अपना कैरियर चंडीगढ़ के एक दैनिक में कार्टूनकार के रूप में शुरू किया था और वे अपने नुक्कड़ नाटकों से सामाजिक विसंगतियों पर व्यंग्य करते थे।
३ मार्च १९५५ को अमृतसर में जन्मे भट्टी की मोहाली के उनके स्टूडियो में चल रही जोंक फैक्टरी अब और हमको हंसा नहीं पाएगी। लेकिन उनके हास्य व्यंग से लोटपोट हाने वाले दूरदर्शन के दर्शक झ्उल्टा-पुल्टाश् और झ्फ्लॉप शोश् को कभी नहीं भुला पाएंगे। आम आदमी के दर्द को हास्य के माध्यम से उजागर करने वाले के अद्भुत कलाकार थे। जसपाल भट्टी समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और विसंगतियों का पर्दाफाश करने के लिए सड़कों पर भी उतरे और उन पर अहिंसक रूप से चोट की और इसके लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे।
दुर्घटना के समय भट्टी अपनी फिल्म पावर कटके प्रमोशन से लौट रहे थे, तभी उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में जसपाल भट्टी के बेटे जसराज, फिल्म की हिरोइन और पीआरओ नवीन जोशी घायल हो गए। आज दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके असमय निधन से बॉलीवुड के तमाम कलाकारों ने दुख जताया है।
दुर्घटना के बाद 57 वर्षीय भट्टी को जालंधर के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दुर्घटना में भट्टी का बेटा जसराज, उनकी फिल्म की हीरोइन सुरीली गौतम व एक अन्य व्यक्ति भी घायल हो गए। चण्डीगढ़ से 150 किलोमीटर दूर जालंधर के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
भट्टी ने अपनी नई फिल्म पॉवर कट- का निर्माण व निर्देशन किया था। यह फिल्म शुक्रवार को प्रदर्शित होने वाली थी। इस फिल्म से उनका बेटा जसराज अभिनय की दुनिया में शुरुआत कर रहा था। नजदीकी सूत्रों ने बताया कि फिल्म के प्रचार के लिए वह 40 दिन के टूर पर थे। गुरुवार को जालंधर में एक मीडिया सम्मेलन के साथ इस टूर का समापन होना था।
भट्टी भारतीय टेलीविजन व बॉलीवुड फिल्मों का एक लोकप्रिय चेहरा थे। उन्होंने 80 के दशक के आखिर में व 90 के दशक में उल्टा-पुल्टाफ्लॉप शोजैसे कार्यक्रम देकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। उन्होंने 1999 में एक फिल्म माहौल ठीक हैका निर्देशन भी किया। यह फिल्म पुलिस, प्रशासन व समाज पर एक व्यंग्य है। भट्टी सबसे प्रसिद्ध सिख हास्य अभिनेता रहे हैं, जिन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय किया।
इंजीनियर कहें या कार्टूनिस्ट, अभिनेता कहें या डायरेक्टर-प्रोड्यूसर, व्यंग्यकार कहें या फिर कॉमेडियन। जसपाल भट्टी एक ऐसा नाम है जिन्होंने जहां भी हाथ आजमाया वहां अपनी छाप छोड़ी। 3 मार्च 1955 को अमृतसर में पैदा हुए जसपाल भट्टी शुरू से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले जसपाल का झुकाव शुरू से ही अभिनय की तरफ रहा।
कॉलेज के दिनों में नॉनसेंस क्लब के जरिये उन्होंने स्ट्रीट प्ले से शुरुआत की। इसके बाद द ट्रिब्यून अखबार में कार्टूनिस्ट के तौर पर भी काम किया। लेकिन उन्होंने पहली बार तब सुर्खियां बटोरी जब दूरदर्शन में उल्टा पुल्टा शो लेकर आए। विशुद्ध कॉमेडी और बिना द्विअर्थी संवाद के ही उन्होंने कॉमेडी की एक नई मिसाल पेश की। 80 के दशक में शुरू हुए इस शो के लोग दीवाने हो गए थे। हाल ये था कि लोग दूरदर्शन में सुबह सुबह इस शो का बेसब्री से इंतजार करते थे।
उल्टा पुल्टा के साथ कॉमेडी का जो करियर शुरू हुआ उसके बाद जसपाल भट्टी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उल्टा पुल्टा के बाद फ्लॉप शो में वो अपनी पत्नी के साथ नजर आए। एक्टिंग के साथ साथ भट्टी ने निर्देशन में भी हाथ आजमाया। टीवी पर उनके दूसरे शोज में थैंक्यू जीजा जी, हॉय जिंदगी-बॉय जिंदगी, फुल टैंशन भी चर्चित रहे। छोटे पर्दे पर एक्टिंग के साथ साथ जसपाल भट्टी ने सब टीवी के शो कॉमेडी का किंग कौन में जज के भूमिका भी निभाई।
2008 में अपनी पत्नी सविता के साथ डांस शो नच बलिए में उन्होंने अपने डांस का हुनर भी दिखाया। टीवी शो ही नहीं बल्कि फिल्मों में भी जसपाल भट्टी ने कॉमेडी के रंग दिखाए। इनमें श्फनाश्, श्कुछ मीठा हो जाएश्, श्कुछ ना कहोश्, श्कोई मेरे दिल से पूछेश्, श्हमारा दिल आपके पास हैश्, श्आ अब लौट चलेंश्, श्इकबालश्, श्कारतूसश् जैसी कई फिल्में शामिल हैं। हाल के समय में वो अपने बेटे के साथ पावर कट फिल्म में व्यस्त थे।
फिल्म और टीवी सीरियल ही नहीं बल्कि सड़क पर उतरकर भी जसपाल भट्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी। कॉमेडी और व्यंग्य के जरिये न सिर्फ उन्होंने लोगों का मनोरंजन किया बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की और हमेशा समसामयिक ज्वलंत मुद्दों को उठाया। इसके लिए उन्होंने कभी भी फूहड़ा भाषा या द्विअर्थी संवाद का सहारा नहीं लिया।

14 हजार श्रृद्धालु एक साथ रूक सकेंगे बाबा के दरबार में


14 हजार श्रृद्धालु एक साथ रूक सकेंगे बाबा के दरबार में

(विनीता विश्वकर्मा)

शिर्डी (साई)। देश विदेश में श्रृद्धा का पर्याय बन चुके अहमदनगर के शिरडी गांव के फकीर साई बाबा के दर पर आने वाले लोगों के लिए यह खुशखबरी ही है कि अब साई बाबा संस्थान द्वारा एक और बड़े भक्त निवास का निर्माण करवाया गया है। इस नए भक्त निवास में एक साथ चौदह हजार श्रृद्धालु रूक सकते हैं।
शिर्डी स्थित साईं मंदिर को बुधवार को एक ऐसा आवासीय परिसर समर्पित किया गया, जिसमें 14,000 श्रद्धालुओं को ठहराया जा सकता है। यह देश में सर्वाधिक क्षमता वाली आवासीय सुविधा होगी। अत्याधुनिक पर्यावरण अनुकूल इस साईं आश्रम परिसर का उद्घाटन अगले महीने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा किए जाने की संभावना है।
इस परिसर का निर्माण पांच साल में पूरा हुआ है। इस पर 1.10 अरब रुपये खर्च आया है। इस परिसर में 1,536 कमरों वाला साई आश्रम-1, 192 शैयाओं (डॉरमिटरी) वाला साई आश्रम दो शामिल हैं। परिसर निर्माण का पूरा खर्च शिर्डी साईं ट्रस्ट, चेन्नई ने वहन किया है। परिसर में सड़क निर्माण, बिजली व्यवस्था, पैदल पथ, पार्किं ग जैसी सुविधाओं पर 45 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिसे शिर्डी स्थित ट्रस्ट ने वहन किया। परिसर के उद्घाटन के बाद श्रद्धालु आश्रम में कमरों के लिए ऑनलाइन बुकिंग करा सकेंगे।

एफएम की भाषा सम्मानजनक हो


एफएम की भाषा सम्मानजनक हो

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एफ एम रेडियो चौनलों से कहा है कि वे अपने कार्यक्रमों की भाषा पर दें और उन्हें साफ सुथरे तरीके से पेश करें। इन चौनलों को जारी परामर्श में मंत्रालय ने कहा है कि ऐसा देखा गया है कि एफ एम रेडियो पर कुछ प्रस्तुतकर्ता अभद्र और गंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। खासकर रात्रि पारी में ऐसा किया जाता है जिसका श्रोताओं पर गलत असर पड़ता है।
मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि इन रेडियो चौनलों को इस आधार पर अनुमति दी गई थी कि वे अपनी प्रस्तुति, संदेश, विज्ञापन या अन्य किसी सूचना में आपत्तिजनक, अश्लील और देश के कानूनों के खिलाफ कोई भी प्रस्तुति नहीं करेंगे। मंत्रालय ने कहा कि उनको आकाशवाणी के कार्यक्रमों की आचार संहिता का पालन करना पड़ेगा नही तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी।

दंगे होने पर सीधे हस्ताक्षेप करेगा केंद्र


दंगे होने पर सीधे हस्ताक्षेप करेगा केंद्र

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। केन्द्र सरकार ने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों के अनुरूप दंगे होने की स्थिति में और संवैधानिक तंत्र के भंग होने की संभावना को देखते हुए सीधे केन्द्र को हस्तक्षेप करने का अधिकार देने सहित विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार की राय मांगी है।
गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केन्द्र सरकार को इस बारे में अधिकार देने का कानून बनाया जाना चाहिए, जिससे कि वह कानून-व्यवस्था की ऐसी बड़ी समस्या पैदा होने पर अपने सुरक्षाबलों को तैनात कर सके, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में संवैधानिक व्यवस्था के बिगड़ने की संभावना हो।
लेकिन साथ में गृहमंत्रालय ने यह भी कहा है कि सुरक्षाकर्मियों की यह तैनाती तभी होनी चाहिए जब संबद्ध राज्य संविधान के अनुच्छेद २५६ के अंतर्गत केन्द्र द्वारा जारी निर्देश का पालन करने में विफल रहा हो। इस प्रकार की तैनाती अधिक से अधिक तीन महीने की अवधि के लिए होनी चाहिए। इस अवधि को संसद की मंजूरी से और तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।
अन्य मुद्दे, जिन पर राज्य सरकारों की राय मांगी गई है, उनमें अपराधों की जांच को अन्य पुलिस गतिविधियों से अलग रखना, नगर पालिका पुलिस सेवा का गठन, अर्दली प्रथा की समाप्ति और पुलिस बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर ३३ प्रतिशत करने जैसे मुद्दे शामिल हैं। गृह मंत्रालय ने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की-सार्वजनिक व्यवस्थाः प्रत्येक के लिए न्याय, सभी के लिए शांति-नाम की इस रिपोर्ट को वेबसाइट पर भी डाला है।

रीढ़ विहीन लोगों से घिरीं सोनिया


रीढ़ विहीन लोगों से घिरीं सोनिया

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के इतिहास में पहली बार एसा हो रहा होगा जबकि कांग्रेस को समूचा देश पानी पी पी कर कोस रहा होगा। घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार, अनाचार सर चढ़कर बोल रहा है, पर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी मुंह सिले बैठे हैं।
घोषित तौर पर सोनिया गांधी को सियासी सोच समझ देने के लिए पाबंद अहमद पटेल भी प्रत्यक्ष तौर पर चुनाव जीते नहीं हैं। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा, महासचिव राजा दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला आदि सभी जनता को फेस कर चुनाव जीते नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश सूबा ही एक एसा राज्य रहा है जहां से कांग्रेस ने देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री दिए हैं। बावजूद इसके सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद उत्तर प्रदेश की हालत किसी से छिपी नहीं है। मजे की बात तो यह है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही के संसदीय क्षेत्र भी उत्तर प्रदेश में होने के बाद भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस आक्सीजन पर ही है।
सोनिया गांधी का वरद हस्त मिला है कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह को। अपने दस साल के शासनकाल में राजा दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को संगठनात्मक तौर पर इस स्थिति में ला दिया है कि अब देश के हृदय प्रदेश में कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं बचा है।
मध्य प्रदेश में तो चर्चा होने लगी है कि प्रदेश और केंद्रीय स्तर के क्षत्रपों का यह प्रयास है कि उनके क्षेत्रों में उनके अलावा कांग्रेस का कोई सांसद या विधायक ही ना जीत पाए। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस तरह के आरोप अब कांग्रेस की बैठकों में लगने लगे हैं।
इसके उपरांत आता है कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को राजनैतिक समझबूझ प्रदान करने वाले राजनैतिक सचिव अहमद पटेल का। अहमद पटेल मूलतः गुजरात सूबे से हैं। गुजरात में कांग्रेस सालों से औंधे मुंह गिरी हुई है। कांग्रेस के अंदरखाने में यह बात तेजी से उठ रही है कि जो अहमद पटेल अपने राज्य में कांग्रेस को नहीं जिला सके वे अहमद पटेल भला सोनिया गांधी को क्या सलाह दे रहे होंगे कि देश में कांग्रेस को जिंदा करो?
अहमद पटेल कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता माने जाते हैं। उनकी जड़ें गुजरात राज्य में बुरी तरह खोखली हैं। गुजरात में भी कांग्रेस का नामलेवा नहीं बचा है। सोच समझ के धनी अहमद पटेल पर कुछ साल पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह को साईड लाईन करने का आरोप लगा था।
हाल ही में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल की करीबी और गुजरात कांग्रेस की प्रवक्ता आसिफा खान ने अपने हाथमें कमलपकड़ लिया है।
माना जा रहा है कि आशिफा के बीजेपी में आने मोदी की मुस्लिम विरोधी छवि को भी सुधारने का मौका मिलेगा। प्रदेश पार्टी नेताओं का कहना है कि नरेंद्र मोदी के विकास को देखकर लोग बीजेपी के साथ जुड़ रहे हैं। प्रदेश में लोग जाति, धर्म से ऊपर उठकर विकास को तवज्जो दे रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस आसिफा के बीजेपी में शामिल होने को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है।
आसिफा कांग्रेस की पुरानी सदस्य हैं और वे अहमद के गृह नगर भरूच की रहने वाली हैं। पेशे से पत्रकार रहीं आसिफा कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता थीं। उनके भाजपा का दामन थामने से कांग्रेस को जो झटका लगना है वह तो लगेगा ही साथ ही मोदी का मुस्लिम विरोधी आरोप काफी हद तक धुल सकता है।