शनिवार, 7 जनवरी 2012

षणयंत्र में कमल नाथ का साथ दे रहे हरवंश: भोजराज


षणयंत्र में कमल नाथ का साथ दे रहे हरवंश: भोजराज



(अखिलेश दुबे)

सिवनी(साई)। मोहगॉंव से खवासा तक जहॉं सड़क खराब होने के कारण आये दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं जाम लग रहे हैं वहॉं की सड़क की मरम्मत के लिये एनएचएआई मात्र 39 लाख 80 हजार रूपये जारी कर रही है और सिवनी नगर के अंदर की नेशनल हाइवे के लिये जहॉं यह संभावना ही नहीं है कि बहुत तेज गति से कोई वाहन चला सके वहॉं की सड़क मरम्मत के लिये एनएचएआई 1 करोड़ 31 लाख 44 हजार रूपये जारी कर रही है। ये भी केन्द्रीय मंत्री श्री कमलनाथ का षड़यंत्र है और सबकुछ जानते हुए हरवंश सिंह उनका साथ दे रहे हैं। इस आशय के आरोप जनमंच के सदस्य श्री भोजराज मदने द्वारा लगाये गये हैं।
श्री मदने ने कहा कि एनएचएआई द्वारा हितवाद में सिवनी जिले के अंदर की सड़क का जो विज्ञापन जारी किया गया है वहीं कमलनाथ और हरवंश सिंह के षड़यंत्र की पुष्टी करता है। इस विज्ञापन में सिवनी नगर के अंदर की जो एनएच है उसकी मरम्मत के लिये 1 करोड़ 31 लाख 44 हजार रूपये स्वीकृत किये गये हैं जो कि मात्र 64 किलोमीटर है वहीं मोहगॉंव से लेकर खवासा तक की सड़क जो कि 20 किलोमीटर लंबी है जहॉं सबसे ज्यादा एक्सीडेंट हो रहे हैं उसकी मरम्मत के लिये मात्र 39 लाख 80 हजार रूपये जारी किये गये है जिससे कि कोई ठेकेदार काम करने ही नहीं आ रहा है।
श्री मदने ने कहा कि यह बहुत ही स्वभाविक और समझने वाली बात है कि शहर के अंदर नगर पालिका क्षेत्र में बस-ट्रक पलटने की संभावना बहुत कम है अभी तक एक भी बस ट्रक या वाहन नगर सीमा के अंदर गड्ढों के कारण नहीं पलटा है क्योंक यहॉं रात दिन ट्रेफिक का इतना रश रहता है कि ड्रायवर तेज गति से वाहन चला ही नहीं पाते वहीं इसके विपरीत मोहगॉंव कुरई खवासा तक की जो सड़क है वह बहुत जर्जर हालत में है, आये दिन वहॉं एक्सीडेंट हो रहे हैं, जाम लग रहे हैं ऐसे में वहॉं की सड़क के मरम्मत कार्य के लिये एनएचएआई को ज्यादा पैसा देना चाहिये ताकि वहॉं का काम अच्छा।
श्री मदने ने कहा कि एनएचएआई ने मोहगॉंव कुरई खवासा की सड़क के मरम्मत के लिये मात्र 39 लाख 80 हजार रूपये दिये हैं जिसमें 39 गड्ढे भी नहीं भर पायेंगे क्योंकि कहीं कहीं तो स्थिति यह है कि सड़क ही नहीं है तो कहीं कहीं गड्डों का आकार इतना बड़ा है कि छोटी कारें पूरी की पूरी घुस जाती है, ट्रक पलट जाते हैं। और सिवनी नगर की एनएच जिसके लिये एनएचएआई ने 1 करोड़ 31 लाख 44 हजार रूपये दिये हैं यहॉं सड़क सुधारे जाने की जरूरत तो है किन्तु सड़क सुधारे जाने की प्राथमिकता मोहगॉंव,कुरई,खवासा की सड़क के मुकाबले 10 प्रतिशत भी नहीं है।
श्री मदने ने कहा कि 39 लाख 80 हजार रूपये में मोहगॉंव से लेकर खवासा तक की 20 किलोमीटर की सड़क की मरम्मत नहीं की जा सकती और अगर एन।एच।ए।आई। मरम्मत करवा भी देगी तो भी सड़क कुछ ही समय बाद पुनः पहले जैसी स्थिति में आ जायेगी क्योंकि जो हैवी व्हीकल्स हैं वो नागपुर जाने कगे लिये मोहगॉंव से लेकर खवासा तक की जो सड़क है उससे गुजरेंगे ही गुजरेंगे इसीलिये एनएचएआई को वहॉं की सड़क के लिये ज्यादा पैसा जारी करना चाहिये फिर शहर के अंदर तो सब सुविधाए सुलभ है किन्तु शहर के बाहर सड़को पर न लाइटिंग हैं न तत्काल वहॉं पर्याप्त पुलिस बल पहुँच सकता न एम्बुलेंस न जे।सी।बी। कि पलटे हुए ट्रक या बस को उठाया जाकर रोड मूवेबल बनायी जा सके।
श्री मदने ने हरवंश सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि हरवंश सिंह सब कुछ जानते हैं और केन्द्र में उनकी सरकार है वे सबकुछ करने में सक्षम भी हैं किन्तु जानबूझकर उनके द्वारा मोहगॉंव से लेकर खवासा तक की सड़क के काम को लटकाया जा रहा है ताकि किसी दिन कोई पुल पुलिया टूट जाये और महाकौशल का महाराष्ट्र से संपर्क ही टूट जाये ऐसी स्थिति में ट्रक वालों के पास छिंदवाड़ा होते हुए महाराष्ट्र में प्रवेश करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचेगा और कमलनाथ की जो इच्छा है वह पूरी हो जायेगी।श्री मदने ने कहा कि हरवंश सिंह चाहते तो खवासा से लेकर सिवनी तक की सड़क भी तभी बन गयी होती जब बंडोल से लेकर लखनादौन तक की सड़क का काम हुआ था। पर उन्होंने वैसा नहीं चाहा।

प्रार्थी को गुमराह कर आरोपी का साथ दे रही बरघाट पुलिस


प्रार्थी को गुमराह कर आरोपी का साथ दे रही बरघाट पुलिस

चाचा को और दिखा देना भैया ध्यान से



(रोहित सक्‍सेना)

सिवनी,(साई)। एक पीड़ित युवती का पिता थाने रिपोर्ट लिखाने आया, तो थानेदार द्वारा यह कहकर उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी लड़की आयेगी तभी रिपोर्ट लिखी जायेगी। थानेदार की बात सुन वह गरीब थाने से पुनः अपने गांव पहुँचा जहॉं को ही एक वर्ग ने उसे ऐसा डराया-धमकाया कि वह थाने तो छोड़ो घर से भी बाहर नहीं निकल पाया।
यह मामला बरघाट थाना अंतर्गत ग्राम कल्याणपुर का है। जहॉं एक प्रभावशाली धनाड्य राजेश पिता झालसिंह उम्र 35 वर्ष द्वारा ग्राम की ही एक नाबालिक लड़की की अस्मत उसके माता पिता के सूने में लूट ली गयी और बताने पर जान से मारने की धमकी दी गयी।
एक स्थानीय दैनिक संवाद कुंजके अनुसार द्वारा जब ग्राम के ही सरपंच पति तामसिंह देशमुख से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दिवस गांव का ही राजेश हिरनखेड़े जो पहले से ही शादीशुदा है के द्वारा गांव के एक गरीब परिवार की नाबालिक लड़की के घर पहुँचा और उसकी अस्मत लूट ली। सरपंच ने बताया कि इस दौरान पीड़िता के माता पिता मजदूरी करने गये थे।
घटना की जानकारी पीड़ित लड़की ने अपने परिजनों को दी। पीड़ित पिता द्वारा अपने 02-03 सहयोगियों के साथ बरघाट थाने जाकर जब इसकी रिपोर्ट शाम के समय लिखानी चाही तो थानेदार द्वारा यह कहकर उन्हें वहॉं से भगा दिया कि जाओ और जाकर लड़की को लेकर आओ।
ग्रामीणों में ऐसी चर्चा है कि इस मामले में थानेदार द्वारा राजेश हिरनहेड़े से लंबी रकम लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया है। जब इस संबंध में बरघाट थाना प्रभारी श्री आरबी पांडे से चर्चा की गयी तो उन्होंने बताया कि मैंने लड़की के पिता से यह कहा था कि जाओ और जाकर लड़की को साथ ले आओ मुआयजा कराया जाकर रिपोर्ट दर्ज की जायेगी।
रिपोर्ट न लिखने के बाद लड़की के परिजन अपने गांव पहुँचे। तब तक पंवार समाज की एक मीटिंग हो रही थी जिसमें पीड़ित परिजनों को भी बुलाया गया और सभी पंवार समाज के लोगों ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए यह तय किया कि आरोपी राजेश हिरनखेे को 05 हजार रूपये का जुर्माना लगाया जाता है जो राशि पंवार समाज के खाते में जमा होगा। इसके बाद मीटिंग स्थगित कर दी गयी। इस घटना के बाद न तो पीड़ित परिजनों को थाने जाने दिया जा रहा है और न ही इस बात की जानकारी किसी को बताने का दबाव व धमकी दी जा रही है।
यहॉं यह भी उल्लेखनीय है कि पुलिस पिता के बयाने के आधार पर आरोपी के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर सकती थी और लड़की का मुलायजा बाद में भी कराया जा सकता था किन्तु नाबालिग से बलात्कार जैसे मालमे को पुलिस द्वारा प्रार्थी को गुमराह कर उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी जो कि अपने आप में एक अपराध है।

पेंच नेशनल पार्क देश का सर्वश्रेष्ठ हन्टिंग ग्राउण्ड बन गया है: तिवारी


पेंच नेशनल पार्क देश का सर्वश्रेष्ठ हन्टिंग ग्राउण्ड बन गया है: तिवारी



(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। बेस्ट मेन्टेन्ड इको फ्रेण्डली टूरिज्म और प्रभावकारी प्रबंधीय मूल्यांकन जैसे पुरस्कार प्राप्त कर चुके पेंच प्रोजेक्ट टाईगर रिजर्व की उपलब्धियां सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। पेंच पार्क में पदस्थ कुछ अधिकारियों के भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण पेंच राष्ट्रीय उद्यान और इसके आसपास का क्षेत्र देश का सर्वश्रेष्ठ हंटिंग ग्राउन्ड बन गया है। इस आशय की बात जनमंच के सदस्य संजय तिवारी ने अपनी विज्ञप्ति के माध्यम से कही है।
पेंच लैण्ड स्केप के अंतर्गत आने वाले पेंच पार्क से सटे दक्षिण वनमंडल के क्षेत्र में 1995 से 2009 तक वन्यप्राणियों के शिकार के 129 प्रकरण सिवनी के न्यायालय में लंबित हैं जिसमें 7 बाघ, 05 तेन्दुए समेत दुर्लभ बायसन के शिकार भी शामिल हैं। पिछले दो महीनों में पेंच पार्क के आसपास के क्षेत्रों से चार से ज्यादा बाघ और तेन्दुओं की खाल पुलिस के द्वारा जप्त होने के बाद भी पेंच पार्क प्रशासन सुस्त पड़ा है। सूत्र बताते हैं कि बाघों की खालों का अंतर्राष्ट्रीय तस्कर संसारचंद और उसके भाई कल्याण का तैयार किया गया नेटवर्क अभी भी पेंच राष्ट्रीय उद्यान और  उसके आसपास के क्षेत्र में सक्रिय है।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान के द्वारा बाघों की मौत के अधिकृत आंकड़े अपनी पोल स्वयं खोलते नजर आते हैं। पेंच पार्क प्रशासन वर्ष 2002-2010 के बीच पार्क और इससे सटे क्षेत्रों में 9 बाघों की मौत की पुष्टि स्वाभाविक मृत्यु के तौर पर करता है जबकि सच्चाई यह है कि पार्क के अंदर और इससे सटे क्षेत्रों में बाघों और तेन्दुओं को फंदे में फंसाकर, जहर देकर एवं बिजली करंट से पार्क प्रशासन के 400 से ज्यादा कर्मचारियों और
अधिकारियों की नाक के नीचे मारा जा रहा है। वेटरनरी से पदस्थापना पर नियुक्त डॉक्टर द्वारा तैयार की गयी मृत बाघ व तेन्दुए की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी अमूमन संदिग्ध रहती है। जवान बाघ के पानी में डूबकर मरने के बिरले उदाहरण पेंच राष्ट्रीय उद्यान में ही देखने को मिलते हैं।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान के आसपास बाघों और तेन्दुओं के शिकार के मामले पकड़े जाने पर पेंच पार्क के अधिकारियों का सीधा उत्तर होता है मारे गये बाघ और तेन्दुये पेंच राष्ट्रीय उद्यान की सीमा से बाहर के हैं जबकि यही पेंच पार्क प्रशासन पेंच लैण्ड स्केप के अंतर्गत इन बाघों को अपनी गिनती में शामिल करता है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण आयोग के अधिकारी डॉ। राजेश गोपाल पेंच राष्ट्रीय उद्यान और इसके आसपास के क्षेत्रों में 64 बाघों की उपस्थिति का जिक्र करते हैं परंतु सच्चाई यह है कि जो बाघ और तेन्दुए पार्क के संरक्षित और सुरक्षा वाले क्षेत्र से बाहर आ जाते हैं उनकी शिकारियों के हाथ बचने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। यही डॉ। राजेश गोपाल राष्ट्रीय उद्यानों के आस पास के क्षेत्रों में मानवीय दखल कम करने के लिये धारा 144 लगाने की सलाह भी देते हैं। पेंच राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले दस में से नौ पर्यटकों को उद्यान में बाघ के दर्शन के बिना ही लौटना पड़ता है।
बाघों के संरक्षण और संवर्धन के नाम पर पेंच राष्ट्रीय उद्यान को भारी भरकम राशि प्राप्त होती है। सिर्फ प्रोजेक्ट टाईगर योजना के अन्तर्गत पिछले 18 वर्षों में 27 करोड़ रूपये एवं वर्ष 1996 से 2005 तक इंडिया ईको डेव्हलपमेंट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत लगभग 28 करोड़ रूपये की राशि पेंच राष्ट्रीय उद्यान को प्राप्त हो चुकी है। स्पष्ट है सरकार बाघों को बचाने के लिये धन की कमी नहीं कर रही है लेकिन भ्रष्टाचार और अफसरशाही के कारण पेंच पार्क को मिलने वाले धन का एक बड़ा हिस्सा कुछ भ्रष्ट वन अधिकारियों की जेबों में जा रहा है।
दिसंबर 2011 में पेंच पार्क में वन्यप्राणियों के शिकार और इसके कानूनी प्रावधानों को लेकर आयोजित कार्यशाला में पेंच राष्ट्रीय उद्यान के उपसंचालक ओ।पी। तिवारी यह नहीं बता पाये कि गिरफ्त में आये कितने वन्य प्राणियों के शिकारियों को वे न्यायालय से सजा दिलवा पाये। पार्क के डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर को शिकार के मामले वाले न्यायालयीन प्रकरणों में कोई रूचि नहीं है जिस कारण अपनी जान को जोखिम में डालकर खतरनाक हथियारों से लैस शिकारियों को पकड़ने वाले पेंच पार्क में पदस्थ छोटे स्तर के साहसी वन कर्मचारियों का मनोबल लगातार गिरते जा रहा है।