रविवार, 7 अगस्त 2011

प्रभात झा को है प्रदेश की सबसे अधिक चिन्ता


प्रभात झा को है प्रदेश की सबसे अधिक चिन्ता

एमपी के 11 राज्य सभा सदस्यों में सबसे अधिक प्रश्न पूछे प्रभात ने

मेघराज जैन और विजय लक्ष्मी के हिसाब से सब कुछ ठीक ठाक

दस सालों में विक्रम वर्मा ने नहीं पूछा एक भी प्रश्न

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के 11 राज्य सभा सदस्यों में से प्रभात झा ही अकेले एसे संसद सदस्य साबित हुए हैं जिन्होंने मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की बागडोर संभालने के साथ ही साथ प्रदेश के साथ पूरा न्याय किया है। राज्य सभा में प्रदेश के संसद सदस्यों के रिकार्ड को खंगालने पर पता चलता है कि उन्होंने ही सबसे अधिक 557 प्रश्न राज्य सभा में पूछे हैं। भाजपा के मेघराज जैन और कांग्रेस की डॉ.विजय लक्ष्मी साधो सदन में निष्क्रिय ही साबित हुई हैं।

प्रभात झा ने वर्तमान सत्र में एक अगस्त से पांच अगस्त के बीच 17 प्रश्न पूछे हैं। उधर अनिल माधव दुबे ने 25 नवंबर 2009 से अब तक 139 एवं इस सत्र में पांच, नारायण सिंह ने 20 अगस्त 2004 से अब तक कुल 14 प्रश्न पूछे हैं नारायण सिंह ने 26 अगस्त 2010 के बाद एक भी प्रश्न पूछने की जहमत नहीं उठाई है।

पत्रकार चंदन मित्रा ने 22 अगस्त 2005 से अब तक कुल 12 प्रश्न पूछे हैं। इन्होंने भी 29 अप्रेल 2008 के बाद एक भी प्रश्न नहीं पूछा है। रघुनंदन शर्मा ने 17 अक्टूबर 2008 से अब तक 182 एवं वर्तमान सत्र में महज दो तो श्रीमति माया सिंह ने 24 जुलाई 2002 से अब तक 780 एवं इस सत्र में नौ प्रश्न पूछे हैं। कप्तान सिंह सोनींगी ने 19 नवंबर 2009 के बाद 212 प्रश्न पूछे हैं उनका अंतिम प्रश्न 16 मार्च 2011 को पूछा गया था।

अनसुईया उईके ने 26 जुलाई 2006 के बाद 376 प्रश्न पूछ हैं इस सत्र में उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों की तादाद सात थी। विक्रम वर्मा ने 1996 से अब तक कुल 10 प्रश्न ही पूछे हैं। आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि दस सालों अर्थात 29 अगस्त 2001 के बाद विक्रम वर्मा सदन में प्रश्नों के मामले में पूरी तरह खामोश ही रहे।

उत्‍तराखण्‍ड के सैनिकों का सिर काट ले गयी पाक आर्मी


उत्‍तराखण्‍ड के सैनिकों का सिर काट ले गयी पाक आर्मी

देहरादून से चन्‍द्रशेखर जोशी

जब सीमा पर शांति थी और पाक विदेश मंत्री दिल्‍ली में दोस्‍ती का पैगाम दे रही थी उस समय उत्‍तराखण्‍ड के सैनिकों का सिर काट कर ले जाने का नापाक काम पाकिस्‍तानी सेना कर रही थीहालांकि रक्षा मंत्रालय ने इस घटना की पुष्‍टि नहीं की और सैनिकों का शव उत्‍तराखण्‍ड में उनके घर लाये जाने पर अधिकारियों ने यह कहकर शव दिखाने से इंकार किया कि आतंकियों ने आरपीजी यानि राकेट प्रोपेल्‍ड ग्रेनेड के हमले से जवानों के सिर उड गये थे,

यह समाचार सुर्खियों में है कि 30 जुलाई को कुपवाडा जिले में नियंत्रण रेखा पर स्‍थित फुरिकयान गली में जो घुसपैठ हुई थी वह सामान्‍य नहीं थीउसमें आतंकियों के दल के साथ पाकिस्‍तानी सेना का कमांडो दस्‍ता थाइन्‍होंने घात लगाकर भारतीय सैनिकों पर हमला कियाइस हमले में कुमाऊ रेजिमेंट के हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेन्‍द्र सिंह शहीद हो गयेश्रीनगर में सेना के प्रवक्‍ता जेएस बरार ने इसे सामान्‍य घुसपैठ बताया था परन्‍तु भारतीय सैन्‍य कर्मियों के सिर काटे जाने की असलियत उनके अंतिम संस्‍कार के समय खुलीहालांकि उस समय भी सेना के अधिकारियों ने ग्रेनेड हमले में सिर उडने की बात कही थीहमले में मारे गये दोनों सैन्‍य कर्मी उत्‍तराखण्‍ड के पिथौरागढ और हल्‍द्वानी के थे,

द्वाराहाट के पास स्थित असगोली निवासी जयपाल सिंह कुमाऊं रेजीमेंट में हवलदार था। शनिवार को वह कुपवाड़ा सेक्टर में मुठभेड़ में शहीद हो गया। जयपाल सिंह का परिवार हल्‍द्वानी हिम्मतपुर तल्ला में रहता है।   हवलदार जयपाल सिंह का अगस्त के पहले हफ्ते यहां आने का प्रोग्राम थालेकिन नियति को कुछ और मंजूर थाउसकी शहादत की सूचना आई। रविवार की दोपहर आर्मी हेड क्वार्टर जम्मू से आई मनहूस खबर के साथ ही असगोली में पूजा में शिरकत करने की तैयारी में जुटे अधिकारी परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा।

हवलदार जयपाल सिंह छह भाई-बहनों में सबसे छोटा था। उसका परिवार यहां हिम्मतपुर तल्ला में बड़ी बहन के मकान के पास रह रहा था। जयपाल के बड़े भाई हाइकोर्ट में असिस्टेंट रजिस्ट्रार चंदन सिंह अधिकारी ने बताया कि उनके छोटे भाई नंदन सिंह अधिकारी इन दिनों पैतृक गांव असगोली में बैसी पूजा में बैठा है। नौ अगस्त को पूजा का समापन होना है। जयपाल को भी उसमें शामिल होना था। इसमें आने के लिए छुंट्टी को भी आवेदन कर दिया था।

जम्मू में तैनात होने की वजह से इन दिनों वह कुपवाड़ा सेक्टर में था। रविवार को उसे वापस जम्मू लौटना थालेकिन आर्मी से मिली सूचना के मुताबिक जयपाल शनिवार को मुठभेड़ में शहीद हो गया। भाई की शहादत की सूचना मिलते ही पूजा में बैठे नंदन सिंह भी तत्काल हल्द्वानी पहुंच गए। मंगलवार को शव पहुंचने की उम्मीद है। जयपाल की पत्नी बीना और वृद्ध मां बाला देवी (84) का  बुरा हाल है। सात वर्षीया पुत्री कीर्तिका और पांच वर्षीय पुत्र दीपांशू है। इससे पहले जयपाल मार्च में छुंट्टी पर आया था।