सोमवार, 31 अक्टूबर 2011

मालवा कब्जाने की तैयारी में हैं मीनाक्षी


मालवा कब्जाने की तैयारी में हैं मीनाक्षी

इंदौर में प्रभाव बढ़ाने की जुगत में हैं मीनाक्षी

पीसीसी में अपना अलग गुट स्थापित कर रहीं नटराजन

राहुल की करीबी का है भावकाल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। कांग्रेस की नजर में देश के भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी की कोर टीम में शामिल सांसद मीनाक्षी नटराजन ने अब रंग दिखाना आरंभ कर दिया है। मंदसौर से सियासत आरंभ करने वाली मीनाक्षी अब देश के हृदय प्रदेश के मालवांचल में अपना वर्चस्व बढ़ाने को आमदा दिख रहीं हैं। मालवा में उनका सामना एमपीसीसी के चीफ कांतिलाल भूरिया से होने की उम्मीद है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि राहुल गांधी अब उमरदराज हो चुके मध्य प्रदेश के क्षत्रपों से आजिज आ चुके हैं। यही कारण है कि अब राहुल ने मध्य प्रदेश के युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया, मीनाक्षी नटराजन, अरूण यादव, राहुल सिंह जैसे नेताओं को आगे बढ़ाने का काम आरंभ कर दिया है। इसमें दिग्विजय सिंह द्वारा अपने स्वजातीय बंधु राहुल सिंह का समर्थन किया जा रहा है। उधर राहुल की इस मुहिम से उमर दराज हो रहे कमल नाथ, कांति लाल भूरिया, सुरेश पचौरी और खुद दिग्विजय सिंह भी खासे भयाक्रांत नजर आ रहे हैं।

राहुल गांधी की करीबी का लाभ उठाकर मीनाक्षी नटराजन ने अपना प्रभाव मालवा में बढ़ाना आरंभ कर दिया है। मालवा के बाद महाकौशल होगा मीनाक्षी के निशाने पर। गौरतलब है कि महाकौशल में कांग्रेस की लुटिया बुरी तरह डूब चुकी है। महाकौशल में केंद्रीय राजनीति की धुरी शहरी विकास मंत्री कमल नाथ तो सूबाई राजनीति विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर के इर्द गिर्द ही घूम रही है।

मीनाक्षी नटराजन ने जिस तरह एक शैक्षणिक संस्था को चलाने वाले गुमनाम व्यक्तित्व आर.के.दोगने को पीसीसी में सचिव बनवाया है उससे एमपी के क्षत्रपों के होश उड़े हुए हैं। वैसे भी मध्य प्रदेश की अघोषित औद्योगिक राजधानी इंदौर पर कब्जा करने का मन हर एक राजनेता, आईपीएस और आईएएस अधिकारी के मन की पहली इच्छा होती है। अखिल भारतीय सेवा वाले अधिकारी इंदौर में जीवन में एक बार कलेक्टर या पुलिस अधीक्षक बनना जरूर पसंद करते हैं।

कहा जा रहा है कि मीनाक्षी नटराजन इंदौर से अगला लोकसभा चुनाव लड़ना चाह रही हैं जिससे वे मालवा के केंद्र पर कब्जा कर सकें। वर्तमान में मंदसौर से सांसद मीनाक्षी नटराजन की मंदसौर लोकसभा सीट के लिए कोई खास उपलब्धि नहीं है। ब्लाक कांग्रेस चुनाव में भी उन्होंने इंदौर में अपनी पसंद के बीआरओ बनवा दिए थे। वैसे इंदौर लोकसभा से दिल्ली में रहकर कांग्रेस संदेश से जुड़े पंकज शर्मा किस्मत आजमाने के मूड में दिख रहे हैं।

पृथ्वीराज की छुट्टी किसी भी समय


पृथ्वीराज की छुट्टी किसी भी समय

निर्णय लेने में देरी बन रही विरोध का कारण

एनसीपी को लाभ पहुंचाने का आरोप

पंवार भी चाह रहे चव्हाण की बिदाई

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण का सूबे में भारी विरोध हो रहा है। कांग्रेस आलाकमान की नजरें भी उन पर तिरछी हो चुकी हैं। कहा जा रहा है कि अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने के पहले ही चव्हाण को मुख्यमंत्री निवास से रूखसत किया जा सकता है। कांग्र्रेस आलाकमना ने अपने विश्वस्त रहे वर्तमान में एक राज्यपाल को चव्हाण के विकल्प को खोजने जवाबदारी सौंप दी है।

सूबे के कांग्रेसी नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बारंबार शिकायत की है कि पृथ्वीराज चव्हाण शासन चलाने में पूरी तरह असमर्थ हैं। वे निर्णय लेने में इतना विलंब कर देते हैं कि लोगों का आक्रोश चरम पर पहुंच जाता है। इसका सीधा सीधा लाभा एनसीपी के अजीत पवार गुट द्वारा उठा लिया जा रहा है। इसके अलावा राज्य की सरकार शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के इशारों पर चल रही है जिससे कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सूबे में राकांपा तेजी से उभर रही है वह भी कांग्रेस की कीमत पर। नवंबर माह में होने वाले स्थानीय निकाय के चुनाव चव्हाण का भविष्य तय कर देंगे। साफ सुथरी छवि के चक्कर में एक अयोग्य व्यक्ति को कुर्सी सौंपने से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी कुपित हैं। सोनिया की नाराजगी का आलम यह है कि पिछले दिनों दिल्ली आए चव्हाण बार बार सोनिया से मिलने का समय चाहते रहे पर सोनिया ने उन्हें समय नहीं दिया।

उधर दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे की बाहें एक बार फिर सीएम बनने फड़कने लगी हैं। दोनों ही अपने अपने तौर तरीकों से मदाम को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। देशमुख द्वारा अण्णा हजारे का अनशन समाप्त करवाने में अपनी भूमिका को बार बार मदाम के सामने रेखांकित किया जा रहा है तो शिंदे बतौर मुख्यमंत्री और उसके बाद केंद्रीय मंत्री अपने कार्यकाल को साफ सुधरा बताकर मदाम को रिझाने की जुगत लगा रहे हैं।

सियासी हल्कों में एक बात साफ हो चुकी है कि पृथ्वीराज चव्हाण का भविष्य अगले नवंबर माह में होने वाले नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत, जिला और जनपद पंचायत के चुनावों के परिणाम पर ही निर्भर करेगा। अगर कांग्रेस को लाभ हुआ तो चव्हाण बच जाएंगे और अगर राकांपा हावी रही तो चव्हाण की बिदाई तय ही है।

पावर प्लांट से फेलेगा जबर्दस्त प्रदूषण


घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 2

पावर प्लांट से फेलेगा जबर्दस्त प्रदूषण

घंसौर के पावर प्लांट से पानी होगा प्रदूषित

बरगी बांध में जम जाएगी जबर्दस्त सिल्ट

पर्यावरण के ठेकेदारों की चुप्पी संदिग्ध

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की नामी गिरामी कंपनियों में शुमार थापर ग्रुप ऑफ कम्पनीज के प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से महज 100 किलोमीटर दूर आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में स्थापित किए जाने वाले पावर प्लांट से नर्मदा नदी पर बने रानी अवन्ती बाई सागर परियोजना (बरगी बांध) पर पानी के जबर्दस्त प्रदूषण का खतरा मण्डराने लगा है। अगर यह संयन्त्र यहां स्थापित कर दिया जाता है तो इस प्लांट से उडने वाली राख से बरगी बांध की तलहटी में कुछ माहों के अन्दर ही ढेर सारी सिल्ट जमा हो जाएगी और पानी प्रर्दूिषत होने की संभावना बलवती हो जाएगी। इससे आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर के निवासियों को स्वांस की समस्याओं से दो चार भी होना पड सकता है।

केन्द्रीय उर्जा मन्त्रालय के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस मध्य प्रदेश सरकार और झाबुआ पावर लिमिटेड के बीच हुए 1200 मेगावाट के पावर प्लांट के करार के प्रथम चरण में कंपनी द्वारा अभी सिवनी जिले के ग्राम बरेला में 600 मेगावाट का पावर प्लांट प्रस्तावित है। इस पावर प्लांट के लिए आवश्यक जलापूर्ति बरगी बांध के सिवनी जिले के जल भराव क्षेत्र गडघाट और पायली से की जाएगी।

सूत्रों ने आगे कहा कि प्रस्तावित संयन्त्र द्वारा प्रतिदिन 853 टन राख उत्सर्जित की जाएगी, जिसे बायलर के पास से ही एकत्र किया जा सकेगा। समस्या लगभग 1000 फिट उंची चिमनी से उडने वाली राख (फ्लाई एश) की है। इससे रोजना 3416 टन राख उडकर आसपास के इलाकों में फैल जाएगी। 1000 फिट की उंचाई से उडने वाली राख कितने डाईमीटर में फैलेगी इस बात का अन्दाजा लगाने मात्र से सिहरन हो उठती है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने अपने प्रतिवेदन में हवा का रूख जिस ओर दर्शाया है, संयन्त्र से उस ओर बरगी बांध है।

जानकारों का कहना है कि 3416 टन राख प्रतिदिन उडेगी जो साल भर में 12 लाख 46 हजार 840 टन हो जाएगी। अब इतनी मात्रा में अगर राख बरगी बांध के जल भराव क्षेत्र में जाएगी तो चन्द सालों में ही बरगी बांध का जल भराव क्षेत्र मुटठी भर ही बचेगा। यह उडने वाली राख आसपास के खेत और जलाशयों पर क्या कहर बरपाएगी इसका अन्दाजा लगाना बहुत ही दुष्कर है। इस बारे में पावर प्लांट की निर्माता कंपनी ने मौन साध रखा है।

इतना ही नहीं प्रतिदिन बायलर के पास एकत्र होने वाली 853 टन राख जो प्रतिमाह में बढकर 26 हजार 443 और साल भर में 3 लाख 11 हजार टन हो जाएगी उसे कंपनी कहां रखेगी, या उसका परिवहन करेगी तो किस साधन से, इस बारे में भी झाबुआ पावर लिमिटेड ने चुप्पी ही साध रखी है। अगर राख को संयंत्र के आसपास ही डम्प कर रखा जाएगा तो वहां के खेतों की उर्वरक क्षमता प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी और अगर परिवहन किया जाता है तो घंसौर क्षेत्र की सड़कों के धुर्रे उड़ना स्वाभाविक ही है।

इतनी सारी विसंगतियों के बावजूद भी दो वर्ष पूर्व 22 अगस्त को घंसौर में हुई जनसुनवाई में किसी भी बात को रेखांकित नहीं किया जा सका है। कहा जा रहा है कि कंपनी ने सरकारी नुमाईन्दो और जनसेवकों को कीप मम‘ (शान्त रहने) के एवज में अपेक्षा से अधिक उपकृत किया है, यही कारण है कि पर्यावरण के नुकसान और मानव स्वभाव पर पडने वाले प्रतिकूल प्रभावों को जानबूझर इनके द्वारा उपेक्षित ही किया जा रहा है। पूर्व में जिला प्रशासन स्तर पर हुई जनसुनवाई की न तो मुनादी पिटवाई गई और न ही इसके बारे में कोई सूचना ही दी गई। कहा जा रहा है कि उस दौरान प्रशासन ने गुपचुप तरीके से घंसौर के पास जनसुनवाई की रस्म अदायगी पूरी कर दी गई थी।

(क्रमशः जारी)

प्रणव के रडार पर आ चुके हैं मनमोहन


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 14

प्रणव के रडार पर आ चुके हैं मनमोहन

पीसी पड़े प्रणव पुत्र के पीछे

चिदम्बरम भी हैं पीएम के बड़े दावेदार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे ताकतवर आसनी पर विराजे नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) से इतर प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की चला चली की बेला करीब आती दिख रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम दोनों ही मनमोहन को हटाने के सारे मार्ग प्रशस्त करते नजर आ रहे हैं। पीएमओ द्वारा चिट्ठी लीक करवाना मनमोहन के लिए घातक साबित होता दिख रहा है। इससे प्रणव और पीसी के बीच रार तो बढ़ी है पर दोनों ही के निशाने पर अब मनमोहन सिंह आ चुके हैं।

कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि वैसे तो कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी की पहली पसंद इस पद के लिए ए.के.अंटोनी हैं, किन्तु जब बारी सर्वसम्मति की आएगी तो चिदम्बरम पर भी वे दांव लगा सकती हैं। संभवतः यही बात चिदम्बरम के शुभचिंतकों ने उन्हें सुना दी। इसे सुनकर चिदम्बरम फूले नहीं समा रहे हैं। चिदम्बरम को यह भी बताया गया है कि उनकी राह का सबसे बड़ा रोढ़ा प्रणव मुखर्जी ही हैं जिन्हें हर हाल में हटाना जरूरी है।

सूत्रों ने कहा कि वैसे भी सोनिया के सामने यह स्थापित हो चुका है कि प्रणव मुखर्जी ने उनके पति और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की खिलाफत के बिगुल बजाए थे। इसलिए सोनिया कभी भी प्रणव के नाम पर सहमति नहीं देंगी। अब चिदम्बरम ने नई चाल चली है। चिदम्बरम द्वारा प्रणव मुखर्जी के विधायक पुत्र अभिजीत की जन्म कुण्डली बनवाना आरंभ कर दिया है।

चिदम्बरम के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अभिजीत के बारे में संपूर्ण जानकारी जुटा ली गई है कि किस तरह अभिजीत एक कार्पोरेट हाउस के लिए लाईजनिंग का काम करते हैं। जब इसकी भनक प्रणव मुखर्जी को लगी उन्होंने भी अपने मातहतों के जरिए चिदम्बरम पुत्र कार्तिक की संपूर्ण रामायण बनवा दी। कार्तिक को प्रणव ने शेयर घोटाले में जमकर उलझा दिया है। कांग्रेस के अंदरूनी हल्कों में अब मनमोहन की बिदाई का महूर्त तो निकाला ही जा रहा है साथ ही साथ प्रणव और चिदम्बरम की वारिसान को नग्न करने की लड़ाई के मजे भी लिए जा रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

भाजपा नेतृत्व नहीं है आड़वाणी के साथ


उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 8

भाजपा नेतृत्व नहीं है आड़वाणी के साथ

यात्री के हाथ अब तक कुछ नहीं लगा

अड़वाणी विरोधी हो रहे तेजी से सक्रिय

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। रथ यात्री एल.के.आड़वाणी अपने रथ में अकेले ही नजर आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उनकी रथ यात्रा से किनारा ही कर रखा है। आला कमना का प्रापर मैसेज नहीं होने के कारण रथ यात्रा को सूबों के रिसपांस नहीं मिल पा रहा है। मीडिया में वांछित पब्लिसिटी नहीं मिलने से आड़वाणी बुरी तरह खफा और आहत हैं। इस बार आड़वाणी की रथयात्रा की सफलता में संदेह ही जताया जा रहा है। रथ यात्री (आड़वाणी) के साथ भाजपा नेता बेमन से ही चलते दिख रहे हैं।

रथ में सवार भाजपा नेताओं में दबी जुबान से चर्चा है कि जब आड़वाणी और उनकी पुत्री प्रतिभा को ही अभिवादन स्वीकार करना है तो भला बाकी नेता शोभा की सुपारी क्यों बनें? अब यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि राजग के पीएम इन वेटिंग से थककर अपने आप को अलग करने वाले लाल कृष्ण आड़वाणी अपनी पुत्री को राजनैतिक विरासत सौंपने उनकी ताजपोशी के पहले यह यात्रा कर रहे हैं।

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी और संघ प्रमुख को भी आड़वाणी की यात्रा समझ में नहीं आ रही है। गड़करी ने रथ यात्रा के गुजरने वाले राज्यों में भी कोई खास संदेश नहीं भेजा है जिसके चलते राज्यों में भी रथ यात्रा फीकी ही दिख रही है। इसके साथ ही साथ मीडिया मैनेजमेंट इतना घटिया है कि आड़वाणी की रथ यात्रा को वांछित कव्हरेज भी नहीं मिल पा रहा है।

उधर संघ के आला नेताओं की राय भी गड़करी से कमोबेश मिलती जुलती ही है। दिल्ली में झंडेवालान स्थित केशव कुंज के सूत्रों का कहना है कि संघ मुख्यालय नागपुर का भी मानना है कि तिरासी बसंत देख चुके आड़वाणी को अब सक्रिय राजनीति तज देना चाहिए। आड़वाणी को चाहिए कि वे अब मार्गदर्शक की भूमिका में रहें न कि खुद सारथी बनें। इतने सालों के भाजपा को दिए योगदान के बदले भाजपा और संघ उनकी विरासत उनकी पुत्री को सौंपी जाए इसमें सहमत है किन्तु प्रतिभा के महिमा मण्डन के लिए देश व्यापी दौरा किसी के गले नहीं उतर रहा है।

(क्रमशः जारी)

मोबाईल कारोबार पर क्यों मेहरबान है प्रशासन


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  10

मोबाईल कारोबार पर क्यों मेहरबान है प्रशासन

देश की सुरक्षा रखी मोबाईल सेवा प्रदाताओं ने ताक पर

क्यों ढील दे रहे हैं जिलों के अफसरान

आखिर कब तक चलेगा सिम का गोरखधंधा

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के कमोबेश हर जिले में मोबाईल सिम का गोरखधंधा मचा हुआ है और जिलों का जिला एवं पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ रखे बैठा है। प्रशासन की अनदेखी के चलते मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियां अपने उपभोक्ताओं का गला रेत रहीं हैं और उनकी रक्षा के लिए तैनात प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है। बिना आईडेंटीफिकेशन आरंभ होने वाली सिम देश की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बनी हुई हैं।

गौरतलब है कि मोबाईल के क्षेत्र में अग्रणी सेवा प्रदाता कंपनी आदित्य बिरला के स्वामित्व वाली आईडिया हर जिलों में अपने अपने टीम लीडर्स (टीएल) को भारी भरकम टारगेज प्रदाय कर दिए जाते हैं। मासिक टारगेट पूरा करने में टीएल को पसीने आ जाते हैं। यही कारण है कि अपनी भारी भरकम सेलरी को बचाने के लिए टीएल द्वारा लोकल लेवल पर अघोषित प्रलोभन उपभोक्ताओं को दिए जाते हैं। बताया जाता है कि ये प्रलोभन जब पूरे नहीं होते हैं तो कुछ ही उपभोक्ता दुकानदार के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवाता है जिसे समझा बुझाकर रफत कर दिया जाता है। इस तरह कंपनी द्वारा परोक्ष तौर पर अपने उपभोक्तओं की जेब तराशी जा रही है।

कंपनी का काम करने वो टीएल को कंपनी द्वारा हर माह हजारों की संख्या में सिम बेचने का लक्ष्य दिया जाता है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उनके द्वारा तरह तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। अति व्यापक पैमाने पर होने वाले सिम के इस गोरखधंधे से देश की सुरक्षा में भी सेंध लगने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि अगर इस गोरखधंधे की जिला स्तर पर ही बारीक जांच करवा दी जाए तो मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों के विकृत चेहरे को सामने आने से कोई नहीं रोक सकता है। समय रहते इस तरह से लाभ कमाने की प्रवृति पर अंकुश लगना बहुत आवश्यक है, वरना इसके दुष्परिणाम बेहद घातक और भयावह ही सामने आने की उम्मीद है।

(क्रमशः जारी)

वन माफिया और राजस्व की सांठ गांठ से करोड़ों के वारे न्यारे


वन माफिया और राजस्व की सांठ गांठ से करोड़ों के वारे न्यारे

अवैध कटाई को हवा धुंध में गिरे बताने का चल रहा है खेल

मण्डला में कलेक्टर करते है एसे वृक्षों को राजसात

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी। देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले में वन माफिया और राजस्व विभाग की सांठ गांठ से करोड़ों रूपयों के वारे न्यारे हो रहे हैं। राजस्व विभाग की मिली भगत से जिले में वन माफिया द्वारा अवैध कटाई चरम पर है। जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर में इस वक्त करोड़ों रूपयों की वन संपदा अवैध तौर पर कटी हुई पड़ी है, जिसे वन माफिया राजस्व विभाग के साथ मिलकर एक नंबर में करने की जुगत लगा रहा है।

वन विभाग के सूत्रों का दावा है कि राजस्व विभाग के तहसीलदार की शह पर वन माफिया के हौसले बुलंदी पर हैं। सूत्रों का कहना है कि वन माफिया द्वारा निजी भूमि पर लगी बेशकीमती वन संपदा को अवैध रूप से काट दिया जाता है। इसके उपरांत राजस्व विभाग के कारिंदों द्वारा इसे हवा धुंध आंधी में गिरा हुआ प्रमाणित कर दिया जाता है। इसके बाद आरंभ होता है सारा खेल। वन विभाग द्वारा राजस्व के इस प्रमाणपत्र के मिलते ही इन गिरे हुए वृक्षों पर हेमर लगाकर इन्हें एक नंबर की लकड़ी में तब्दील कर दिया जाता है।

इस पूरी कार्यवाही में तहसीलदार द्वारा भूमि स्वामी पर नाम मात्र का फाईन लगा दिया जाता है। इस फाईन के बाद यह अवैध तरीके से काटी गई पूरी  की पूरी लकड़ी पूरी तरह से वेध हो जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके बाद यह कटी हुई लकड़ी सीधे वन विभाग के डिपो पहुंच जाती है, इसकी ग्रेडिंग की जाकर इसके अलग अलग लाट बनवा दिए जाते हैं।

वन विभाग के एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि चूंकि तहसीलदार को ही राज्य सरकार द्वारा अधिकार दिए गए हैं अतः यह मामला जिला कलेक्टर की जानकारी तक पहुंच ही नहीं पाता है और करोड़ों अरबों रूपए के वारे न्यारे हो जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि बिना अनुमति के काटे गए झाड़ों को राजस्व की धारा 240 और 241 के तहत राजसात करने का अधिकार दिया गया है। सीमावर्ती मण्डला जिले में जिला कलेक्टर ने इस तरह की लकड़ी को राजसात करने के सख्त आदेश जारी किए हुए हैं।

व्याप्त चर्चाओं के अनुसार एक चक में अवैध तरीके से काटे गए इस तरह के झाड़ों के लिए पटवारी एवं राजस्व निरीक्षक प्रति प्रकरण दो दो हजार रूपए, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और तहसीलदार एक एक हजार रूपए, वन विभाग के रेंजर पांच सौ रूपए घन मीटर, अनुविभागीय अधिकारी वन एक हजार रूपए घन मीटर, डिपो में ग्रेडिंग के लिए वहां तैनात अमला ग्रेड के हिसात से अपना हिस्सा निर्धारित करता है। अपेक्षा व्यक्त की जा रही है कि जिला कलेक्टर अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर जिले में अवैध ट्री फालिंग के लिए राजस्व की धारा 240 और 241 के तहत राजसात की कार्यवाही को सख्ती से लागू करवाएं।

घोटाला पुरूष बने शरद पंवार!


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

घोटाला पुरूष बने शरद पंवार!


कोई विकास पुरूष बनता है तो कोई युग पुरूष पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पंवार तो घोटाला पुरूष की अघोषित संज्ञा पा गए हैं। इंटरनेट पर इन दिनों शरद पंवार के घोटालों की चर्चाएं जोरों पर हैं। शरद पंवार कांड के नाम से एक फोटो फेसबुक सहित अनेक सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर चर्चा का विषय बनी हुई है। इसमें लवासा, रायगढ़, पुणें में लेण्ड स्केम, ललित मोदी के साथ आईपीएल क्रिकेट का घोटाला, अब्दुल तेल घी (तेलगी) के साथ स्टेम्प पेपर घोटाला, गेंहंू खरीदी और शक्कर घोटाला, शहीद बलवा, आदिमत्थू राजा संग टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, अजीत पंवार के साथ महाराष्ट्र बैंक घोटाला, इंडोसल्फान, पप्पू कालानी को संरक्षण देना, प्रफुल्ल पटेल के साथ एयर इंडिया घोटाले का जिकर मिल रहा है। पवार साहेब या कोई भी राजनेता अब इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया को जैसा मर्जी चाहे मैनेज कर लें पर ब्लाग या सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स तो उन्हें नंगा कर ही देगी।

भूटान नरेश ने की सोनिया की तोहीन

हाल ही में हुई भूटान नरेश की शादी में हिन्दुस्तान के दिग्गज प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल और देश की सबसे ताकतवर महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को न्योता नहीं भेजा। भूटान नरेश ने युवाओं के प्रतीक पुरूष राहुल गांधी और भाजपा की वसुंधरा राजे सिंधिया के पुत्र दुष्यंत को अवश्य ही आमंत्रित किया। अमूमन भारतीय संस्कृति के हिसाब से घर में माता पिता के जीवित रहते किसी भी कार्यक्रम का निमंत्रण उनके नाम से ही आता है। उनके अवसान के उपरांत फिर बेटा या बेटी को निमंत्रण भेजा जाता है। भूटान नरेश ने सोनिया को नहीं न्योता उधर राहुल गांधी इस बात की परवाह किए बिना ही कूदकर उनके विवाह में शरीक हो गए। जब इस मामले में किरकिरी होना आरंभ हुआ तब कांग्रेस के मीडिया मैनेजर डैमेज कंट्रोल में जुटे।

एसे बन रहा शिवराज का स्वर्णिम एमपी

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देश के हृदय प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने में जुटे हुए हैं। शिवराज सिंह चौहान द्वारा समय समय पर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को कोसने की औपचारिकता पूरी की जाती है। हाल ही में योजना आयोग के द्वारा मानव विकास प्रतिवेदन पेश किया गया। इसमें मध्य प्रदेश की स्थिति पिछड़े राज्यों में बदतर ही प्रतीत हो रही है। करोड़ों अरबों रूपए बर्बाद कर केंद्र पोषित समग्र स्वच्छता अभियान की कलई उस वक्त खुल गई जब इस प्रतिवेदन में यह कहा गया कि मध्य प्रदेश में पचहत्तर फीसदी घरों में पक्के शौचालय नहीं हैं। सीएजी अगर इस ओर गौर फरमाए तो मध्य प्रदेश में कामन वेल्थ घोटालें से कई गुना बड़ा घोटाला समग्र स्वच्छता अभियान में उजागर हो सकता है।

वामदलों की पेशानी पर चिंता की लकीरें

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं का चैन गायब हो चुका है। नेशनल पार्टी का दर्जा छिनने के बाद अब यह पार्टी सूबाई पार्टी की फेहरिस्त में शामिल हो चुकी है। सत्ता के मद में चूर रहे वाम दलों के नेताओं की नींद अब टूटी है जब उनके नीचे से धरातल ही खिसक चुका है। वाम दल अब आत्म मंथन कर रहे हैं कि किस तरह अपनी साख बचाई जाए। पार्टी के अंदर मंत्रणाओं के दौर आरंभ हैं। पार्टी की जनरल काउंसिल की बैठक मार्च में पटना में प्रस्तावित है। यह बैठक हंगामेदार होने की उम्मीद है। इसमें पार्टी की वर्तमान स्थिति के बारे में गहन विचार विमर्श होने की उम्मीद है। इसमें पार्टी को नया मुखिया मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि वर्तमान उप सचिव सुदावरम सुधाकर ही पार्टी के नए मुखिया होंगे।

हृदय प्रदेश में नए डीजीपी की तलाश आरंभ

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए दो साल का वक्त बचा है। इसके लिए सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने अफसरशाही जमावट आरंभ कर दी है। एमपी के पुलिस विभाग के मुखिया का चयन भी इसी क्रम में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दिल्ली में चल रही चर्चाओं के अनुसार शिवराज सिंह चौहान ने अपने कांग्रेसी मित्रों से पूछकर अब पुलिस महानिदेशक पद के लिए सुरेंद्र सिंह को इस पद पर काबिज करवाने का मन बना लिया है। 1980 बैच के अधिकारी सुरेंद्र सिंह वैसे तो दिग्विजय सिंह के काफी पसंदीदा अफसर बताए जा रहे हैं। काफी विचार विमर्श के बाद अब इस पद पर उनके नाम पर अंतिम मुहर लगनी बाकी है। शिवराज सिंह की चौकड़ी सुरेंद्र सिंह के नाम के लिए संघ के आला नेताओं को भी सिद्ध करने का जतन करने में जुट रहे हैं। पुलिस विभाग के वर्तमान मुखिया एस.के.राउत अगले साल फरवरी माह में सेवानिवृत होने वाले हैं।

आखिर क्यों हैं स्वामी के नजदीक मन

नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) के घोषित विरोधी सुब्रम्हणयम स्वामी इन दिनों भाजपा और प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के आंखों के तारे बने हुए हैं। सोनिया के विरोध के बावजूद भी प्रधानमंत्री न जाने क्यों उन्हें बेहद भाव दे रहे हैं। जानकारो ंका कहना है कि आग और पानी का समन्वय बनाते हुए वजीरे आजम द्वारा एक तरफ सोनिया गांधी को तो दूसरी तरफ उनके विरोधी स्वामी को साधे हुए हैं। पिछले दिनों गांधी जयंती के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने स्वामी को सोनिया के समकक्ष बिठाकर कांग्रेस की आला कमान की बुराई मोल ले ली। कांग्रेस के हल्कों में चल रही चर्चाओं के अनुसार सोनिया को पीएम का यह कदम बुरी तरह नागवार गुजर रहा है। हो सकता है पीएम की बिदाई का सबब भी यही बन मुद्दा बन जाए।

यूपी फतह है कांग्रेस की फर्स्ट प्रायारिटी

कांग्रेस किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश में अपना परचम लहराना चाह रही है। इसके लिए वह साम, दाम, दण्ड और भेद की नीति अपनाना चाह रही है। एक मर्तबा उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों को लुभाकर मुलायम सिंह ने सत्ता हासिल की थी। यही बात कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह बात जमी और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों को आरक्षण देने के संकेत दिए। सलमान खुर्शीद के मन में यूपी का निजाम बनने की हसरत कुलांचे भर रहीं हैं। यही कारण है कि वे उत्तर प्रदेश के मामलों में अब ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हें। कहा जा रहा है कि अगर इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन नहीं सुधारा तो आने वाले आम चुनावों में विपक्ष के हाथों में अनजाने में ही सोनिया और राहुल को घर संभालने की नसीहत का मुद्दा मिल सकता है। कांग्रेस विपक्ष को अवसर देने के पक्ष में कतई नहीं दिख रही है।

घपलों घोटालों से आहत हैं राजमाता

संप्रग की दूसरी पारी में इतने घपले और घोटाले उजागर हुए हैं कि कांग्रेस की छवि पर पूरी तरह बट्टा लग गया है। इससे कांग्रेस की राजमाता बुरी तरह आहत नजर आ रही हैं। आज सोनिया गांधी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे आखिर भरोसा करें तो किस पर। उन्हें सलाह देने वाले सारे नेता कांग्रेस के बजाए खुद को स्थापित करने की जुगत में ही लगे हुए हैं। मनमोहन सिंह पर भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक होने की छाप लग चुकी है। मनमोहन खुद को बेबस और लाचार साबित कर अपना दामन बचा चुके हैं। इस परिस्थिति में इस सबका ठीकरा कांग्रेस पर ही फूट रहा है। सोनिया को इस बात का डर सता रहा है कि अगर कांग्रेस की छवि नहीं सुधरी तो आने वाले समय में युवराज राहुल गांधी की ताजपोशी कैसे हो सकेगी?

आईपीएस नहीं आईएएस बैठेगा टीसी की कुर्सी पर

मध्य प्रदेश में सत्रह साल के उपरांत परिवहन आयुक्त की कुर्सी पर भारतीय पुलिस सेवा के बजाए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की पदस्थापना होने वाली है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के मध्य प्रदेश काडर के दिल्ली में पदस्थ अधिकारियों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार परिवहन आयुक्त एस.एस.लाल की बिदाई अब सुनिश्चित ही है। 2013 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए शिवराज सिंह चौहान की पोस्टस पर अपने चुनिंदा अधिकारियों को बिठाने की कवायद में जुट गए हैं। विधानसभा चुनावों के वक्त इंदौर कलेक्टर रहे राकेश श्रीवास्तव को जनसंपर्क आयुक्त बनाकर शिवराज ने उनके प्रति अनुराग जता दिया था। चर्चा है कि जल्द ही उन्हें परिवहन आयुक्त के मलाईदार पद पर बिठाया जाएगा, ताकि फंड मेनेजमेंट भी संभाला जा सके।

एमपी कांग्रेस में मीनाक्षी गुट का उदय!

मध्य प्रदेश में कांग्रेस कई गुटों में बटी है। कमल नाथ, सिंधिया, दिग्गी राजा, पचौरी, श्रीनिवास तिवारी, भूरिया आदि न जाने कितने गुट अस्तित्व में हैं। हाल ही में एमपी कांग्रेस कमेटी में नए गुट का अभ्युदय हुआ है। यह गुट है मीनाक्षी नटराजन का। कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी की करीबी मीनाक्षी नटराजन ने दबे पांव सियासत करना आरंभ किया है। मीनाक्षी अपने चहेतों को अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी में न केवल स्थान दिलवा रही हैं वरन् गुमनाम चेहरों को भी धो पोंछकर सामने लाना चाह रही हैं। इसी तारतम्य में इंदौर के एक शैक्षणिक संस्था चलाने वाले व्यवसाई को लगे हाथ वीटो का प्रयोग कर मीनाक्षी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सचिव बनवा दिया है। एमपी के कांग्रेसी क्षत्रप बेबस हैं क्योंकि मीनाक्षी की दखल राहुल गांधी के किचिन तक जो ठहरी।

क्या आड़वाणी सन्यास लेंगे?

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में इन दिनों एक ही बात पर चर्चा चल रही है कि क्या राजग का पीएम इन वेटिंग पद छोड़ चुके भाजपा के कथित लौह पुरूष लाल कृष्ण आड़वाणी सन्यास की घोषणा करेंगे। तिरासी बसंत देख चुके भाजपा के वयोवृ; नेता आड़वाणी के मन में अभी भी प्रधानमंत्री बनने की उत्कंठ इच्छा है। यही कारण है कि वे यात्रा पर यात्रा किए जा रहे हैं। एक तरफ तो सियासी पार्टियां युवाओं को आगे लाने की हिमायत करती हैं वहीं दूसरी ओर जब अमली जामा पहनाने की बारी आती है तो वे इससे कन्नी काट लेती हैं। राजनैतिक तौर पर सक्रियता अगर देखी जाए तो हर दल में साठ से ज्यादा उम्र वाले ही मलाईदार पदों पर बैठे हुए हैं। आड़वाणी भी नब्ज टटोल रहे हैं अगर उन्हें कुछ नहीं मिला तो वे निसंदेह वे सन्यासी हो जाएंगे।

बच्चे और दलित हैं आताताईयों के निशाने पर

देश में बच्चों और दलित आदिवासियों पर बलशालियों की नजरें तिरछी हैं। यह कहना हमारा नहीं है, इस बात को कह रहे हैं भारत गणराज्य के जिम्मेदार गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम। भारत में अपराध 2010 का विमोचन करते हुए चिदम्बरम ने ये तथ्य उजागर किए। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी आंकड़ों पर अगर गौर फरमाया जाए तो भयावह सच्चाई सामने आती है। बच्चों के खिलाफ अपराध में दस दशमलव तीन तो अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ अपराध में आठ दशमलव पांच की बढोत्तरी दर्ज की गई है। यक्ष प्रश्न यही खड़ा हुआ है कि इन भयावह आंकड़ों के बाद भी देश के जिम्मेदार गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम की रीढ़ में सिहरन भी पैदा नहीं हो रही है, तो फिर देश किस अंधी सुरंग और अंतहीन में चल पड़ा है।

कांग्रेस का किसान, भाजपा का किसान

देश का अन्नदाता है किसान, किसान न तो किसी सियासी दल का कारिंदा होता है और न ही उसे किसी से कोई लेना देना ही होता है। वह तो बस धरती का सीना चीरता है और फसल उगाता है। जब उसकी फसल किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार हो जाती है तब वह विचलित होता है। सियासी दलों के नेताओं ने किसान को ही भाजपा और कांग्रेस में बांट दिया है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव जुुलानिया के सामने किसानों की हुई दुर्दशा को विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर देखते रहे। शायद वे सोच रहे होंगे कि ये किसान तो भाजपा के हैं इनसे हमें क्या लेना देना? यही कारण है कि वे सर्किट हाउस में किसानों की बेईज्जती चुपचाप अपने कमरे में बैठकर देखते रहे। सवाल यह है कि किसान किस दल का सदस्य है कांग्रेस या भाजपा का? वह तो अन्नदाता है साहेब।

पुच्छल तारा

देश में घपले घोटाले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। राजनेता फावड़े क्या जेसीवी कंपनी की संूड वाली मशीन से पैसा खीचने में लगे हैं। देश में अराजकता का आलम है। चंद लोग पकड़े गए और तिहाड़ जेल में बंद हैं। राजा दिग्विजय ंिसह उन्हें छोड़ने की वकालत कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और युवराज राहुल खामोश हैं। क्या हो रहा है इस देश में कोई बताने को तैयार नजर नहीं आ रहा है। इन परिस्थितियों में महाराष्ट्र के अमरावति से लक्ष्मी पाटिल ने एक ईमल भेजा है। लक्ष्मी लिखती हैं -‘‘ब्रेकिंग न्यूज!!!!!! स्विस बैंक ने जल्द ही दिल्ली के तिहाड़ जेल में जहां सारे घपले, घोटालेबाज बंद हैं में अपने बैंक के एटीएम को खोलने का फैसला लिया है।‘‘