बुधवार, 5 अक्टूबर 2011

दवा विक्रेताओं के आगे घुटने टेके आजाद ने


दवा विक्रेताओं के आगे घुटने टेके आजाद ने

शेड्यूल एचएक्स को डाला ठंडे बस्ते में

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्र सरकार का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सदा से ही चर्चा और विवादों में रहा है। मनमानी जनविरोधी एवं दवा उत्पादकों की सेहत का ध्यान रखने वाली नीतियों के कारण सभी की नजरें इस पर टिकी रहती हैं। हाल ही में एंटीबायोटिक्स के मामले में शेड्यूल एचएक्स को लागू न कर उसे लंबित करने से एक बार फिर केंद्र सरकार इन दवा विक्रेताओं के आगे घुटने टेकते नजर आ रही है।

गौरतलब है कि वर्तमान में फुटकर दवा विक्रेताओं के पास दवा की बिक्री का रिकार्ड नहीं रहता है। वे महीने में एक बार छःमाही या सालाना बिल कटवाते रहते हैं। इस तरह इनका सेल्स टेक्स इंकम टेक्स आदि का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। इसके साथ ही साथ प्रतिबंधित दवाओं को भी इनके द्वारा खुलेआम बेचा जाता है।

हेल्थ मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि एंटीबायोटिक्स पर शेड्यूल एचएक्स लागू करने की घोषणा की थी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद ने। कहा जा रहा है कि अगर यह लागू हो जाता तो दवा विक्रेताओं को एंटीबायोटिक दवा बेचने के साथ ही साथ मरीज का रिकार्ड जैसे उसकी जांच पर्ची आदि की फोटोकापी संभालकर रखना होता।

सूत्रों का कहना है कि एसा करने से दवा विक्रेताओं की हेराफेरी करने की गुंजाईश नगण्य हो जाती। इस मामले में जैसे ही दवा उत्पदकों में हडकम्प मचना आरंभ हुआ वैसे ही यह लाबी सक्रिय हो गई और गुलाम नबी आजाद पर दबाव बनाया गया। चर्चा है कि भारी भरकम लेन देन के बाद अंततः केंद्र सरकार द्वारा शेड्यूल एच एक्स को लंबित कर ही दिया। अब देखना यह है कि विपक्ष में बैठी भाजपा और अन्य दल इस मामले को क्या लोकसभा में उठाने की जहमत उठाएंगे?