सोमवार, 29 अप्रैल 2013

सोशल मीडिया में सिवनी विधायक की तलाश आरंभ


सोशल मीडिया में सिवनी विधायक की तलाश आरंभ

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। सोशल मीडिया इन दिनों सर चढ़कर बोल रहा है। सिवनी में भी इसका जादू देखने को मिल रहा है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट फेसबुक पर अब सिवनी के विधायक को खोजना आरंभ कर दिया गया है। अब तक विधायक और सांसदों के कामकाज की भी फेसबुक पर समीक्षा होना आरंभ हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार छः कंडिकाओं से युक्त एक जानकारी फेसबुक पर सिवनी के युवा ना केवल जमकर शेयर कर रहे हैं, वरन् इसमें कंमेंट्स की तादाद भी बहुतायत में है। सिवनी के विधायक को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं और सुझाव भी मांगे जा रहे हैं।
फेसबुक पर पड़े एक स्टेटस में सिवनी विधानसभा कि टिकट भाजपा से किसे दिया जाना चाहिए जो कम से कम निम्न योग्यताएं लिए हुए हो
1.          ईमानदार
2.         दिलेर
3.         अधिकारियों पर नकेल कसने में सक्षम, जरुतर पढ़ने पर अधिकारियों की एैसी तैसी करने मे सक्षम
4.         चमचों से घिरा न रहे
5.         लोगों से आसानी से मिलने जुलने वाला
6.         अन्य योग्यताएं अन्य लोग बताएं एवं नाम भी सुझाएं
इसको देखकर जिले भर में मिली जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। ज्ञातव्य है कि सोशल मीडिया की ताकत को अब नकारा नहीं जा सकता है। मीडिया को भले ही विज्ञापनों के माध्यम से मैनेज करने और पेड न्यूज की खबरें आम हो रही हों पर देश भर में सोशल मीडिया की क्रांति से सभी वाकिफ हैं। यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और मध्य प्रदेश के अनेक जिलों के जनसंपर्क कार्यालय भी जारी होने वाले समाचारों को फेसबुक पर फेसबुक शेयर करते नजर आ रहे हैं।

सराफा बाजार हुआ गुलजार!


सराफा बाजार हुआ गुलजार!

(विपिन सिंह राजपूत)

सिवनी (साई)। कैसा आश्चर्यजनक किंतु सुखदायक समय वर्तमान बाजार में परिलक्षित हो रहा है, परन्तु इस सभी में मध्यम वर्ग की सीमा तक ही उथल-पुथल है। बाजार भीड़ भरे हो चले हैं, खासकर महिला ग्राहकों के घोर उतावलेपन के कारण।
जी हां ग्राहकों की यह रेलमपेल और कहीं नहीं बल्कि सराफा बाजारों में है। जहां एक ओर आलू, प्याज, टमाटर, जैसी रोजमर्रा की सब्जियों के दाम लगातार उछाल पर हैं, वहीं सभी प्रकार की बाजारी वस्तुओं का राजा माने जाना वाला सोना अपनी मॅुंहचढ़ी कीमतों को छोड़ नीचे की ओर जा रहा है।
एक तो लग्नसरा की खरीददारी उपर से सोने का आकर्षण घटी दरों पर सोना खरीदने की सक्षम वर्ग की महिलाओं में होड़ मची है। आलम यह है कि सराफा बाजार और दुकानों में ग्राहकों की भारी संख्या को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी अतिरिक्त पुलिस कर्मी यहां सुरक्षा की दृष्टि से तैनात कर दिए हैं।
आइए देखते हैं कि सोने की कीमतों का नाटकीय बदलाव जो कि सिवनी सराफा बाजार के आंकड़ों पर आधारित हैं- एक समय सोने की कीमतें रिकार्ड तोड़ ऊंचाई पर पहंचते हुए 32000 प्रति तोला तक पहंच गई थी जो अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंदी के चलते इस समय रु.25000 प्रति तोला के स्तर के आस-पास पहुंच गई है।
सोना आदि काल से ही आकर्षण के साथ-साथ शक्ति का प्रतीक भी रहा है। जब मुद्रा का चलन नहीं हुआ करता था उस समय सोना ही वस्तुओें के विनिमय का माध्यम हुआ करता था। सोने के संग्रहण को लेकर विभिन्न राज्यों में खूनी युद्ध हुआ करते थे। कालांतर में मुद्रा का चलन आरंभ हुआ पर बावजूद इसके सोने का आकर्षण कम नहीं हुआ बल्कि बाजारों के चलने वाला स्त्रियों का सर्वाधिक चहेता बन यह तिजारियों में बंद हो गया।
सोने की चमक सभी को सदा से ही आकर्षित करती है। इसी आकर्षण के कारण लोग अधिक से अधिक सोना खरीदना चाहते हैं। यह चाहत तब और बढ़ जाती है जब कभी सोने की कीमत में अचानक थोड़ी भी गिरावट आती है। लोग इसे मौका मान इसका लाभ उठाना चाहते हैं।
आज कल बाजार में यही स्थिति है, सोने की कीमत में कमी आई है। सोने का आकर्षण तो आकर्षण है भले ही उसके बारे में कुछ भी क्यांे न कहा जाए जैसा आम तौर पर लोग बाग कहा करते हैं ‘‘चैन से सोना है तो सोने को कहें नो ‘‘। अधिकतर पौराणिक ग्रंथों में भी इसी बात को कई तरह से कहा गया है कि सोने की खरीददारी से जितनी खुशी नहीं होती उससे अधिक चिंता बढ़ जाती है। हमेशा यह चिंता सताए रहती है कि सोना कहीं चोरी न हो जाए। वहीं महान कवि रहीम ने लिखा है ‘‘कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। वा खाए बौराए नर, वा पाए बौराए ..........
शास्त्र, पुराण, ऋषि-मुनि, चाहे जो कहें पर सोना आज भी सर्वोच्च पायदान पर बैठा हुआ है और स्त्रियों के लिए सौतिया डाह का कारक है। जो भी हो सराफा में आई सोने के मूल्यों में गिरावट ने खरीददारों को इसकी ओर तेजी से बड़ी संख्या में आकर्षित किया है। बाजारों की भीड़-भाड़ सोने की भारी लिवाली का संकेत दे रही है।

पेंच में पकड़ाया हाईटेक सट्टा!


पेंच में पकड़ाया हाईटेक सट्टा!

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। आईपीएल क्रिकेट का हाईटेक सट्टा आज पेंच नेशनल पार्क के टुरिया क्षेत्र में स्थित एक रिसोर्ट में पकड़ाने की खबर है। यद्यपि कुरई पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है पर सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पुलिस के सेंट्रल स्कॉड ने तीन आरोपियों केा सात हजार रूपए के साथ धर दबोचा गया है।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि आज टुरिया क्षेत्र के जंगल होम रिसोर्ट में तीन लोग आईपीएल क्रिकेट मैच पर सट्टा लगा रहे थे। मुखबिर सूचना के मिलने पर पुलिस के सैंट्रल स्कॉड ने वहां दबिश दी और आरोपियों को सट्टा खिलाते हुए पकड़ा। सूत्रों ने आगे बताया कि पुलिस ने इस होटल से दो दर्जन से ज्यादा मोबाईल, लेपटॉप, एलसीडी स्क्रीन एवं सात हजार रूपए नकद बरामद किए हैं।
वहीं दूसरी ओर कुरई पुलिस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बरघाट के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस मोहन सिंह पटेल के नेतृत्व में सहायक उपनिरीक्षक श्री जाटव के साथ दल बल इस सूचना पर टुरिया की ओर रवाना हो चुका है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक पुलिस दल वापस नहीं लौटा है।
ज्ञातव्य है कि सिवनी जिले में क्रिकेट विशेषकर आईपीएल के दौरान इस पर करोड़ों के सट्टा खेले और खिलाए जाने की खबरें आम हो चली हैं। शहर के सभ्रांत परिवारो के युवा इसमें फंसकर उधारी के दलदल में फंसते जा रहे हैं।

अपराधियों के लिए शरण स्थली बना सिवनी!


अपराधियों के लिए शरण स्थली बना सिवनी!

(लिमटी खरे)

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर अवस्थित भगवान शिव के नाम पर बसे सिवनी के निवासी अब अपने आप को महफूज महसूस नहीं कर रहे हैं। पिछले आधे दशक में ही जो घटनाएं यहां घटी हैं उनसे नागरिकों में भय का वातावरण बन गया है। एक के बाद एक घटनाओं ने साबित कर दिया है कि जिन्दा बम के मुहाने पर ही बैठा है सिवनी जिला। नेशनल हाईवे पर होने के कारण वारदात कर यहां से भागना भी बहुत ही आसान होता है। जब तक मामले की सूचना पुलिस को मिलती है तब तक अपराधी कई किलोमीटर की दूरी नाप चुका होता है।
अस्सी के दशक के आगाज के पूर्व धूमा डकैती कांड जिसमें अमर सिंह और सज्जाद को फांसी हुई थी याद प्रोढ़ होती पीढ़ी को अवश्य ही होगी। इसके बाद वारदातें हुईं हैं, पर इन वारदातों को छिटपुट की संज्ञा दी जा सकती है। इसके बाद संध्या जैन मर्डर केस और परवेज भाई मर्डर केस, भोमा टोला रेप काण्ड आदि के बाद एक बार फिर सिवनी में शांति छा गई थी। फिर एकाएक उंट काण्ड का शोर हुआ।
इसके उपरांत अचानक ही बुधवारी बाजार के करीब पुराने दरोगा मोहल्ला में एक व्यक्ति के बम धमाकों में चिथड़े उड़ गए। कहते हैं, बोहरा समुदाय का असगर घर में ही बारूद बना रहा था। वह तो उपर वाले की नियामत थी कि कोई अनहोनी नहीं घटी, वरना उसी वक्त आधी बुधवारी तबाह हो जाती। इसी तरह मुंबई के एक टेक्सी चालक का शव मारकर लखनवाड़ा थाना क्षेत्र में फेंक दिया गया था, जिसके बारे में पता बाद में चला। उस दौरान तत्कालीन एसपी मीना़क्षी शर्मा का कहना था कि चूंकि यह हाईवे पर है अतःि यहां अपराध कर भागना आसान है। सिवनी में दक्षिण भारत से आए भानुकिरण ने सिवनी में ना केवल अपना राशन कार्ड बनवाया वरन वह सिवनी के लोगों से खसा घुल मिल गया था। कहते हैं भानु किरण पर हत्या के मुकदमे हैं।
इस साल फरवरी माह में अचानक ही सिवनी की परिस्थितियों और फिजां में जहर घुला और कर्फयू के साए में लोग घरों में दुुबके रहे। आश्चर्य तो इस बात पर हुआ जब यह पता चला कि 08 फरवरी को सिवनी में समाचार पत्र नहीं बंटे, और तो और मीडिया को भी शाम चार बजे तक घर से निकलने की इजाजत नहीं दी गई।
पत्रकारों के हितों को साधने के लिए सिवनी में अनेक पत्रकार संगठन कार्यरत हैं। इन संगठनों ने भी शासन प्रशासन के सामने अपना मुंह नहीं खोला। किसी भी संगठन या पत्रकार ने झूठे मुंह ही इस घटना की निंदा करते हुए एक पत्र तक प्रदेश के मुख्यमंत्री या जनसंपर्क मंत्री को लिखने की जहमत नहीं उठाए। किस आधार पर माना जाए कि ये संगठन पत्रकारों का हित साध रहे हैं। क्या ये संगठन बस नाम के लिए पत्रकारों के हित साधने की बात करते हैं।
कर्फयू कांड के बाद सिवनी में एसटीएफ ने छापा मारकर लगभग डेढ़ सौ जिंदा बम और दो माउजर बरामद किए। पुलिस सूत्र तो यहां तक दावा करते हैं कि होलिका दहन के दिन भी पुलिस को लगभग पचास बम मिले। इसमें एक मास्टर माईंड को एकता कालोनी से धर दबोचा गया। कुछ लोग हड्डी गोदाम में पकड़ाए। कहते हैं बम कांड का सरगना एक डेढ़ माह से एसटीएफ के सर्वलेंस में था। उसके तार उपर तक कहां तक जुड़े हैं यह बात तो भगवान ही जाने, पर सिवनी के लिए खतरे की घंटी अवश्य ही बन गई है।
सिवनी में केंद्र और प्रदेश सरकार की अनेक योजनाएं संचालित हो रही हैं। इन योजनाओं का काम मध्य प्रदेश के बाहर से आए ठेकेदारों द्वारा लिया गया है। ये ठेकेदार अपने साथ पूरा लाव लश्कर लेकर आते हैं। इन ठेकेदारों के कर्मचारियों में असमाजिक तत्वों का होना आम बात है क्योंकि परदेस में जब कोई विपदा आती है तो ये असमाजिक तत्व ही इनके तारण हार बनते हैं। स्थानीय स्तर पर नेतागिरी और अन्य दबावों को ये ठेेकदार कुछ प्रपंच तो कुछ धनबल के माध्यम से निपटाते हैं, शेष मामलों में इनके साथ आए चमत्कारी कारिंदे ही खेल दिखाते हैं।
यही देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में लगाए जा रहे पावर प्लांट के अंदर काम करने वाले कर्मचारी भी किस प्रात के और किस तासीर के हैं यह कहा नहीं जा सकता है। उनमें से कितनों का आपराधिक रिकार्ड है यह भी किसी को नहीं पता। इस संयंत्र में काम करने वाले ठेकेदारों के बारे में भी किसी को पता नहीं है।
यह संयंत्र वर्ष 2008 से आरंभ हुआ है। तबसे अब तक यहां पदस्थ रहे पुलिस कर्मियों ने ना तो संयंत्र प्रबंधन और ना ही ठेकेदारों से अपने यहां काम करने वालों की कोई सूची बुलवाई ना ही कोई पता साजी करने का प्रयास किया है। एसा नही कि घंसौर थाने में संयंत्र प्रबंधन के लोगों का आना जाना ना हो। लगभग दो दर्जन लोग तो अब तक यहां चिमनी के निर्माण का काम करते करते ही चिमनी से गिरकर दम तोड़ चुके हैं। इन मजदूरों का मर्ग घंसौर थाने में अवश्य ही कायम हुआ होगा।
मृतक कहां के निवासी थे यह बात तो पुलिस के रिकार्ड में दर्ज होगी पर यह बात कि वह आया तो उसकी आमद या मुसाफिरी दर्ज क्यों नहीं है इस बारे में पुलिस के आला अधिकारियों ने पूछने की जहमत नहीं उठाई। घंसौर में एक अबोध दुधमुंही के साथ हुई दुष्कर्म की घटना पुलिस को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त मानी जा सकती है। पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह यहां पदस्थ रहे संबंधित पूर्व अधिकारियों के इस कृत्य के लिए पुलिस मुख्यालय को आवगत अवश्य करवाएं। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए भी वक्त रहते माकूल कदम उठाए। लगता नहीं है कि फिरोज द्वारा किए गए दुष्कर्म के उपरांत भी पुलिस प्रशासन ने कोई सबक लेकर संयंत्र प्रबंधन की मश्कें कसीं होंगी। यह काम बहुत मुश्किल प्रतीत होता है क्योंकि इसमें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त लोग अपना हित साध रहे हैं, इसलिए कार्यवाही निष्पक्ष और त्वरित शायद ही हो।