गुरुवार, 21 जून 2012

अब चैन से रह सकेंगे शिवराज!


अब चैन से रह सकेंगे शिवराज!

छापों की कार्यवाही शिवराज के लिए बनी वरदान!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश में आयकर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक साथ एक सैकड़ा जगहों पर की गई छापेमारी से सनसनी फैली हुई है। ये छापे भाजपा के करीबियों के यहां मारे गए हैं। इन छापों में छः करोड़ रूपए से ज्यादा की नकद राशि मिलने की खबर है। इन छापों से जापान प्रवास पर गए शिवराज सिंह चौहान सबसे ज्यादा सुकून महसूस कर रहे होंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आयकर, सीबीआई और ईडी की संयुक्त कार्यवाही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी और कथित पारिवारिक मित्र दिलीप सूर्यवंशी, बीएनएस समूह के संचालक सुधीर शर्मा, भाजपा के प्रवक्ता ब्रजेश लूनावत, मीडिया प्रभारी डॉ.हितेष बाजपेयी के आवासों और प्रतिष्ठानों पर की गई है।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने मीडिया से चर्चा में इस बात को स्वीकार किया है कि दिलीप सूर्यवंशी, सुधीर शर्मा और ब्रजेश लूनावत भाजपा के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात से इंकार नहीं है कि ये भाजपाई हैं। सबके अपने अपने व्यवसाय होते हैं और राजनीति के साथ व्यवसाय करना गलत नहीं है।
वहीं दूसरी ओर भाजपा के अंदर अब यह बात तेजी से चल रही है कि इस तरह की कार्यवाही अगर की जाती है और एक दशक पूर्व गरीब एवं आज के अकूत धन संपदा के मालिकों से भाजपा सीना ठोंककर अपना रिश्ता बताती है तो इससे कांग्रेस के उन आरोपों को बल मिलता है जिसमें भाजपा को बनियों और पूंजीपतियों की पार्टी बताया जाता है।
भाजपाई कनेक्शन के साथ महाकौशल के एक कांग्रेसी क्षत्रप की किचिन कैबनेट में शामिल रहे आकृति बिल्डर्स के संचालक सिवनी निवासी हेमंत सोनी पर यह छापा डलने से आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है, क्योंकि श्री सोनी कांग्रेसी मानसिकता के बताए जाते हैं।  1995 के आसपास सिंचाई विभाग में सिवनी जिले के केलवारी अनुविभाग के अनुविभागीय अधिकारी के पद से त्यागपत्र देकर आकृति बिल्डर्स का काम आरंभ करने वाले श्री सोनी ने उत्तरोत्तर प्रगति की है। बताया जाता है कि आज आकृति बिल्डर्स का सालाना कारोबार अरबों खरबों रूपयों का है।
बहरहाल, भाजपा के नेशनल हेडक्वार्टर में चल रही चर्चाओं के अनुसार इन छापों से भले ही भाजपा को परेशानी हो रही हो अनेक भाजपाई नेता असहज महसूस कर रहे हों, पर इससे जापान की यात्रा पर गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहद सुकून में होंगे। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि जितने भी भाजपाई नेता या उनके करीबी इस छापे से प्रभावित हुए हैं से सभी परोक्ष तौर पर शिवराज सिंह चौहान के मार्ग में शूल ही बो रहे थे।
बताया जाता है कि इन छापों में प्रभावित भाजपा के सहयोगी नेताओं द्वारा अपने मीडिया कनेक्शन्स का लाभ उठाकर शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ विषवमन करवाया जा रहा था। चर्चा तो यहां तक है कि यह सब कुछ भाजपा के मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता के इशारे पर इसलिए हो रहा था ताकि शिवराज सिंह चौहान का तख्ता पलटकर वे खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो सकें। भाजपाध्यक्ष प्रभात झा द्वारा मीडिया के सामने इन प्रभावितों को भाजपाई कहना भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
माना जा रहा है कि आयकर, ईडी और सीबीआई के छापों की कार्यवाही के उपरांत अब भाजपा के शिवराज विरोधी नेता बैकफुट पर आ जाएंगे। कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में सत्ता पर संगठन हावी होने का प्रयास लंबे समय से कर रहा था, इस छापामार कार्यवाही से संगठन भी शांत हो सकता है।
चर्चाओं को सच मानें तो पिछले सात आठ माह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नगरीय प्रशासन मंत्री बाबू लाल गौर ने दिल्ली आकर कांग्रेस के अनेक नेताओं से गुफ्तगूं भी की है। इस अवधि में दोनों ही नेताओं ने कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं को बिल्कुल नहीं कोसा है, जिसके अनेक तरह के मायने लगाए जा रहे हैं।

दादा का स्थान लेंगे अहमद पटेल


दादा का स्थान लेंगे अहमद पटेल

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस में संकट मोचक की भूमिका अदा करने वाले प्रणव मुखर्जी अब चंद दिनों तक ही सक्रिय राजनीति कर पाएंगे, क्योंकि अगले कुछ दिनों में दादा देश के महामहिम राष्ट्रपति के लिए नामांकन दाखिल कर देंगे। अगर वे राष्ट्रपति चुन लिए जाते हैं तो फिर कांग्रेस को टाटा बाय बाय कहना उनकी मजबूरी होगी, और नहीं चुने जाते तो अपनी ढलती उमर को देखकर वे राजनीति से सन्यास भी ले सकते हैं।
अब कांग्रेस के अंदरखाने में कौन बनेगा करोड़पति में पांच करोड़ रूपए का अंतिम सवाल कंप्यूटर स्क्रीन पर आ चुका है कि अब तक कांग्रेस के संकटमोचक बने प्रणव मुखर्जी के जाने के बाद आने वाली रिक्तता को कौन भरेगा? कांग्रेस का अगला संकटमोचक कौन बनेगा? कौन बनेगा दादा का उत्तराधिकारी?
इस सवाल के जवाब में कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा संभावित नामों की श्रेणी में राजा दिग्विजय सिंह, अहमद पटेल, सुरेश पचौरी, राजीव शुक्ला, गुलाम नबी आजाद, सुशील कुमार ंिशदे आदि का नाम बताया जा रहा है। इनमें से राजा दिग्विजय सिंह के बड़बोले पन के चलते उनका नाम खारिज हो गया बताया जाता है।
रही बात राजीव शुक्ला की तो वे अभी जूनियर की श्रेणी में आते हैं। सुरेश पचौरी की उम्मीदवारी प्रबल है, किन्तु उनके विरोधियों की संख्या देखकर एसा प्रतीत नहीं होता कि इतनी महत्वपूर्ण जवाबदारी उनके कांधों पर डाली जाएगी। गुलाम नबी आजाद और सुशील कुमार शिंदे भी इस तस्वीर में फिट नहीं बैठ पा रहे हैं।
अब नाम बचता है सोनिया गांधी के राजनैतिक मशविरा देने वाले सलाहकार अहमद पटेल का। अहमद पटेल को वैसे भी राहुल का अघोषित सलाहकार बना दिया गया है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ में खासी दखल रखने वाले अहमद पटेल को ना केवल प्रणव मुखर्जी के लिए रायसीना हिल्स के मार्ग प्रशस्त करने का काम सौंपा गया है, वरन् उन्हें उपराष्ट्रपति के लिए भी एकराय बनाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है।
10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि अहमद पटेल ने नितीश कुमार पर भी डोरे डाले हुए हैं। पटेल ने जनता दल यूनाईटेड और भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रही दोस्ती में भी दरार डाल दी है। गौरतलब है कि बिहार गए हर एक केंद्रीय मंत्री ने पटना से उस समय ही रवानगी डाली है जब वे मुख्यमंत्री नितीश कुमार के साथ बैठकर चाय पी चुके।
इसके अलावा कांग्रेस ने नितीश कुमार को आर्थिक मदद भी की है। कांग्रेस ने बिहार की सड़कों के लिए चार सौ करोड़ रूपए का पैकेज भी मंजूर किया है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अपने संप्रग कुनबे में जदयू के लिए कुर्सी आरक्षित करने की इच्छुक नहीं है पर वह चाहती है कि राजग के परिदृश्य से जदयू को गायब करवा दिया जाए।
दस जनपथ के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि इन सारे समीकरणों के चलते यही माना जा रहा है कि आने वाले समय में जैसे ही प्रणव मुखर्जी देश के राष्ट्रपति बनकर रायसीना हिल्स चले जाएंगे वैसे ही अहमद पटेल का कद अपने आप बढ़ जाएगा, और उन्हें केंद्र में जवाबदारी सौंपने पर भी मंत्रता चल रही है।

भूरिया खुर्शीद में खिंची तलवारें!


भूरिया खुर्शीद में खिंची तलवारें!

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बीच अघोषित शीत युद्ध छिड़ गया है। हाल ही में भोपाल यात्रा पर आए सलमान खुर्शीद से मिलने कोई नेता नहीं पहुंचा तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय जाने की जहमत नहीं उठाए। भाजपा सरकार के सत्कार से प्रफुल्लित खुर्शीद ने गुफरान आजम की तारीफ में कशीदे गढ़कर सभी को चौका दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ऑल इंडिया वक्फ कॉन्फ्रेंस में शामिल होने भोपाल आए केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का स्वागत करने कोई भी कांग्रेस नेता राजा भोज एयरपोर्ट नहीं पहुंचा। किसी बड़े नेता ने उनसे मुलाकात भी नहीं की। खुर्शीद अपने प्रवास के दौरान प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भी नहीं गए। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की उम्मीद के विपरीत खुर्शीद मप्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष गुफरान आजम की तारीफ भी कर गए।
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अमूमन केंद्रीय मंत्रियों और कांग्रेस पदाधिकारियों के आगमन पर प्रदेश और जिला कांग्रेस अध्यक्ष उनका स्वागत करते हैं। सेवा दल उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देता है। युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस और एनएसयूआई भी उनका स्वागत करते हैं। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश हैं कि केंद्रीय मंत्री जिस भी राजधानी में जाएं, वहां पीसीसी जरूर पहुंचें। इस परंपरा से उलट ना तो भूरिया ना ही जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने खुर्शीद का स्वागत करने की जहमत उठाई और ना ही खुर्शीद ने ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर रूख किया।
कांग्रेस के बजाए भाजपा के नेताओं ने खुर्शीद की आगवानी की। एयरपोर्ट पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अजय विश्नोई और वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष गुफरान आजम ही मौजूद थे। खुर्शीद ने विश्नोई के निवास पर नाश्ता भी किया। उधर, गुफरान आजम ने प्रदेश भाजपाध्यक्ष प्रभात झा को दोपहर भोज का निमंत्रण दिया है। झा ने इसकी पुष्टि की है। अल्पसंख्यक नेता निजामुद्दीन अंसारी, अकबर बेग और सईद अहमद सुरूर ने खुर्शीद को गुफरान आजम के बयानों के संबंध में ज्ञापन देकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
बताया जाता है कि आजम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दरबार में पहुंच गया है। वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि हैं। इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार भी एआईसीसी को है। मप्र प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव बीके हरिप्रसाद ने प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया की सिफारिश के साथ कार्रवाई की फाइल सोनिया गांधी तक पहुंचा दी है।

प्लस 20 शिखर सम्मेलन आरंभ


प्लस 20 शिखर सम्मेलन आरंभ

(इंटरनेशनल ब्यूरो)

रियो डी जेनेरियो (साई)। सतत विकास पर रियो प्लस ट्वेंटी शिखर सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में शुरू हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने शिखर सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अब वह समय नहीं रहा है जब पर्यावरण समस्याओं की सूची बढ़ाई जाती रहे।
उन्होंने कहा कि २० साल पहले पृथ्वी सम्मेलन में टिकाऊ विकास को वैश्विक एजेंडे में रखा गया था। हमने इस संदर्भ में मौजूद चुनौतयों का सामना करने के लिए सही प्रयास नहीं किये हैं। सम्मेलन की शुरूआत तीन मिनट की लघु फिल्म से की गयी जिसमें औद्योगिक क्रांति के बाद पर्यावरण में आए अचानक बदलावों को प्रदर्शित किया गया।
सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के १९१ सदस्य भाग ले रहे हैं जिनमें ८६ राष्ट्रपति और राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं। सम्मेलन को कुल १९१ वक्ता संबोधित करेंगे जिसके बाद ५३ पृष्ठों के दस्तावेज के मसौदे को मंजूरी मिल जाएगी। मसौदे में पर्यावरण के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने वाली नीतियों के माध्यम से अरबों लोगों को गरीबी से ऊपर उठाने के उपाय शामिल हैं।
सम्मेलन में हरित अर्थव्यवस्था और टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को प्रोत्साहन देने के प्रस्तावित उपायों पर गंभीरता से विचार विमर्श किया जाएगा जो वर्ष २०१५ में समाप्त होने वाले संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों का स्थान लेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सम्मेलन के दूसरे पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे। इस बीच सम्मेलन में ८ बहुउद्देशीय विकास बैंकों ने घोषणा की है कि वे अगले दशक में सतत परिवहन प्रणाली के लिए १७५ अरब डॉलर की वित्तीय सहायता देंगे।
उधर, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने रियो डी जनेरियो में जारी रियो प्लस ट्वेंटी शिखर सम्मेलन के प्रस्ताव के मसौदे पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है ंकि इसमें भारत की सभी चिंताओं को शामिल किया गया है। मसौदे के घोषणापत्र को अंतिम रूप देने के लिए हुई वार्ता में भाग लेने के बाद श्रीमती नटराजन ने कहा कि मेजबान देश ब्राजील ने मसौदे को अंतिम रूप देने में बहुत पारदर्शी और समावेशी प्रक्रिया अपनाई। इस मसौदे को चौतरफा समर्थन मिला है।
श्रीमती नटराजन ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में भारत प्रमुख ताकत बनकर उभरा है। भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही पर्यावरणीय मामलों में एक समान किन्तु अलग-अलग जिम्मेदारियों वाले सिद्धांत की मूल भावना को बहाल रखना।

केबल टीवी डिजीटलीकरण की मियाद 31 अक्टूबर तक बढ़ी


केबल टीवी डिजीटलीकरण की मियाद 31 अक्टूबर तक बढ़ी

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने देश के चार महानगरों-दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता में वर्तमान एनालॉग केबल टीवी नेटवर्क से पूरी तरह डिजिटल एड्रेसेबल सिस्टम लागू करने की समय सीमा ३० जून से बढ़ाकर ३१ अक्टूबर २०१२ कर दी है।
देश की राजनैतिक राजधानी नई दिल्ली में जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सेट टॉप बॉक्स लगाने के काम में अभी इतनी तेजी नहीं आई है कि डिजिटलीकरण की प्रक्रिया ३० जून २०१२ तक पूरी की जा सके। केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (विनियमन) संशोधन अधिनियम, २०११ के तहत दिसम्बर २०१४ तक चरणबद्ध ढंग से वर्तमान एनालॉग केबल टीवी नेटवर्क से डिजिटल एड्रेसेबल सिस्टम अपनाना अनिवार्य है।