मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

हरिप्रसाद की होगी छुट्टी!


हरिप्रसाद की होगी छुट्टी!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। पितृपक्ष की समाप्ति के उपरांत कांग्रेसनीत संप्रग सरकार में बड़े फेरबदल के साथ ही साथ कांग्रेस में भी नेशनल लेबल पर संगठनात्मक फेरबदल किया जाएगा। सोनिया गांधी इस बार आम चुनावों के मद्देनजर संगठन में जमावट करने वाली हैं। संगठन में इस बार अर्कमण्य लोगों को बाहर का रास्ता दिखाकर पुराने पुरोधाओं की वापसी की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के उच्च पदस्थ और भरोसेमंद सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया गांधी 2014 के लिए अपनी टीम का पुनर्गठन कर रही हैं। सूत्रों की मानें तो युवाओं को आगे लाने की राहुल की हिमायत को दरकिनार कर सोनिया गांधी ने पुराने घाघ पुरोधाओं पर ही यकीन करना बेहतर समझा है।
एक समय में कांग्रेस में ताकत की धुरी समझे जाने वाले आर.के.धवन, एम.एल.फोतेदार और बूटा सिंह की वापसी की खबरें तेजी से सियासी फिजां में तैर चुकी हैं। उमर दराज कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा को भी सोनिया अवकाश देने के मूड में नहीं दिख रही हैं। युवाओं के बजाए पुराने चावलों पर यकीन करने के पीछे सोनिया की सोच इनके अनुभवों का लाभ उठाना ही है।
ज्ञातव्य है कि मामूली लिपिक से इंदिरा गांधी की नाक के बाल बने आर.के.धवन और माखन लाल फोतेदार को सोनिया गांधी के इर्द गिर्द मण्डराने वालों ने किनारे कर दिया था। एक बार फिर 10, जनपथ में इन दोनों की पूछ परख और आमद से साफ हो रहा है कि सोनिया को अपनी जुंडाली पर अब ज्यादा यकीन नहीं रह गया है।
सूत्रों ने बताया कि ममता मुलायम के मामले में सोनिया गांधी ने विचार विमर्श के लिए फोतेदार को बुला भेजा। इसी मामले में सोनिया ने धवन से भी मशविरा किया था। कहा जा रहा है कि माखन लाल फोतेदार और आर.के.धवन दोनों ही को कांग्रेस की मुख्य धारा में लाकर महासचिव के पद से नवाजा जा सकता है।
सूत्रों का कहना है कि मनीष तिवारी का सरकार में शामिल होना लगभग तय है, इसी कारण अब प्रवक्ताओं की टीम का पुर्नगठन भी जरूरी हो गया है। नए बने प्रवक्ता संदीप दीक्षित और चाको भी पूरी तरह से निष्क्रीय ही पड़े हुए हैं। रेणुका चौधरी और जनार्दन द्विवेदी भी लाल बत्ती का ख्वाब देख रहे हैं। इसके अलावा आस्कर फर्नाडिस का नाम भी सरकार में लाल बत्ती की फेहरिस्त में बताया जा रहा है।
सोनिया के करीबी सूत्रों ने साफ संकेत दिए कि बी.के.हरिप्रसाद, मधुसूदन मिस्त्री, धनी राम शांडिल्य, वीरेंद्र सिंह चौधरी, गुलचैन सिंह चरक, मुकुल वासनिक और मोहन प्रकाश के पर कतरे जा सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस ने अपनी अस्मत भारतीय जनता पार्टी के कदमों में रख दी है उससे सोनिया गांधी खासी खफा हैं और इसका नजला सीधे सीधे बी.के.हरिप्रसाद पर टूटने की सौ फीसदी संभावनाएं जताई जा रही हैं।
इसमें हाल ही में कांग्रेस का गढ़ समझी जाने वाली लखन कुंवर की नगरी लखनादौन में जिस तरह से कांग्रेस के अधिकृत किए गए प्रत्याशी द्वारा नामांकन वापसी के अंतिम दिन बी फार्म जमा कराने के पूर्व ही नाटकीय तरीके से नाम वापस लिया और उसके बाद चुनाव तक कांग्रेस अध्यक्ष कांति लाल भूरिया और हरिप्रसाद द्वारा जिस तरह की विरोधाभासी बयानबाजी की गई उससे भी कांग्रेस के आला नेता नाराज बताए जा रहे हैं।

जे एण्ड के मसले पर भारत ने की पाक की आलोचना


जे एण्ड के मसले पर भारत ने की पाक की आलोचना

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर का उल्लेख किये जाने की कड़ी आलोचना की है और इसे अनावश्यक बताया है। भारत ने ये भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पिछले सप्ताह पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी की ओर संकेत करते हुए श्री कृष्णा ने कहा कि इस मसले पर भारत का सैद्धांतिक दृष्टिकोण जगजाहिर है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता भारत की स्थापित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से बार-बार अपने फैसल की पुष्टि कर चुकी है। हम एक बार फिर यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है। श्री कृष्णा ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू की है और वह द्विपक्षीय संबंधों को धीरे-धीरे सामान्य बनाने का पक्षधर है।
उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण एशिया में, सार्क संगठन के माध्यम से सभी देशों के साथ आपसी संबंध बढ़ाना चाहता है। श्री कृष्णा ने अफगानिस्तान की सरहद से बाहर आतंकवादियों के ठिकाने बरकरार रहने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के ये ठिकाने अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा बहाल करने की दिशा में बड़ी रुकावट है।
उन्होंने कहा कि भारत ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जहां अफगान जनता शांति और सुरक्षा के साथ रह सके और अपने भविष्य का फैसला किसी बाहरी हस्तक्षेप या जोर जबरदस्ती के बगैर कर सके। सीरिया में सेना का इस्तेमाल बढ़ाने के विरुद्ध चेतावनी देते हुए श्री कृष्णा ने कहा कि इसके नतीजे विनाशकारी होंगे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के प्रति भारत का समर्थन जारी रखने की बात कही।

यूपी में आया एक और बड़ा घोटाला प्रकाश में


यूपी में आया एक और बड़ा घोटाला प्रकाश में

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश में वर्ष २००९-१० और २०१०-११ के दौरान विभिन्न जि$लों में कम लागत वाली एकीकृत स्वच्छता योजना-आईएलसीएस को लागू करने में हुए लाखों रुपयों के कथित घोटाले का मामला सामने आया है। आधिकारिक सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के इलाहाबाद संवाददाता ने समाचार दिया है कि सरकार ने राज्य शहरी विकास एजेंसी के तत्कालीन निदेशक, तत्कालीन वित्त नियंत्रक, परियोजना निदेशकों और इंजीनियरों सहित २१ व्यक्तियों तथा गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई विभागीय जांच रिपोर्ट मिलने के बाद की गई है। रिपोर्ट में आरोपी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने और दुरुपयोग की गई धनराशि की उनसे वसूली करने की सिफारिश भी की गई है। जांच के दौरान भौतिक सत्यापन में यह पाया गया है कि १७५ लाख रुपये का भुगतान लगभग दो हजार दो सौ चालीस शौचालयों के बिना निर्माण के ही कर दिया गया। इसी तरह कुछ लाभार्थियों के नाम दो-दो बार दर्ज हैं और कइयों के नाम बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के भी बदल दिये गये हैं।

यूपी में आया एक और बड़ा घोटाला प्रकाश में


यूपी में आया एक और बड़ा घोटाला प्रकाश में

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश में वर्ष २००९-१० और २०१०-११ के दौरान विभिन्न जि$लों में कम लागत वाली एकीकृत स्वच्छता योजना-आईएलसीएस को लागू करने में हुए लाखों रुपयों के कथित घोटाले का मामला सामने आया है। आधिकारिक सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के इलाहाबाद संवाददाता ने समाचार दिया है कि सरकार ने राज्य शहरी विकास एजेंसी के तत्कालीन निदेशक, तत्कालीन वित्त नियंत्रक, परियोजना निदेशकों और इंजीनियरों सहित २१ व्यक्तियों तथा गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई विभागीय जांच रिपोर्ट मिलने के बाद की गई है। रिपोर्ट में आरोपी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने और दुरुपयोग की गई धनराशि की उनसे वसूली करने की सिफारिश भी की गई है। जांच के दौरान भौतिक सत्यापन में यह पाया गया है कि १७५ लाख रुपये का भुगतान लगभग दो हजार दो सौ चालीस शौचालयों के बिना निर्माण के ही कर दिया गया। इसी तरह कुछ लाभार्थियों के नाम दो-दो बार दर्ज हैं और कइयों के नाम बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के भी बदल दिये गये हैं।

शास्त्रीजी की जन्मतिथि पर संदेह


शास्त्रीजी की जन्मतिथि पर संदेह

(दिव्या शर्मा)

नई दिल्ली (साई)। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के रूप में देष भर में मनाई जाती है और इस दिन को राष्ट्रीय अवकाष भी घोषित किया गया है। 2 अक्टूबर को ही षास्त्री जयंती भी होती है यह कम लोग ही याद रखते हैं हांलाकि आज़ाद देष के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर षास्त्री की जन्मतिथि 2 अक्टूबर है इस पर भी संदेह है। इस विषय पर जब पता किया गया तो यह तथ्य सामने आया कि वाराणसी के ईस्ट इंडिया रेल्वे स्कूल और हरीष्चन्द्र पीजी कॉलेज से अपनी षिक्षा पूर्ण करने वाले लाल बहादुर वर्मा उर्फ ननकू की कॉलेज के स्कॉलर रजिस्टर में जन्म तारीख 8 मई 1903 दर्ज है। लेकिन उसी कॉलेज में लगी प्रतिमा पर उनकी जन्म तिथि 2 अक्टूबर 1902 अंकित है। इस बारे में कॉलेज प्रबंधन के अमरेन्द्र कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि कॉलेज रिकार्ड के मुताबिक उनकी सही जन्मतिथि 8 मई है, लेकिन जब उनकी प्रतिमा लगाने के आदेष आए तो पता नहीं क्यों उसमें जन्मतिथि 2 अक्टूबर अंकित की गई। इस बारे में सरकारी अधिकारियों से भी बोला गया पर कोई जवाब नहीं मिला।
प्रयाग में जन्में षास्त्रीजी ने महज डेढ़ साल की उम्र में अपने पिता षारदा प्रसादजी को खो दिया था। उसके पष्चात वे अपनी मां के साथ वाराणसी में रहने लगे और वहीं से अपनी षिक्षा पूर्ण की। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण रोज़ाना नदी तैर कर रामनगर से बनारस आकर पढ़ने की लगन रखने वाला यह छात्र सातवी कक्षा में फीस नहीं दे पाने के कारण स्कूल से निकाला जा रहा था लेकिन इतने मेघावी छात्र को प्रबंधन खोना नहीं चाहता था इसलिए सभी की सहमती से उन्हें पढ़ने की अनुमति दे दी गई।
अपने स्कूली षिक्षक से गुलाम भारत की कहानियां सुनकर वह आज़ादी की जंग में षामिल होने के लिए प्रेरित होने लगे और फिर एक दिन वाराणसी में गांधीजी से असहयोग आंदोलन के बारे मंे सुनकर वह खुद को रोक नहीं पाए और उसमंे षामिल हो गए। उसी दौरान प्रतिबंधित जुलूस का हिस्सा होने के दोष में उन्हें पहली बार जेल हुई। कुछ वर्ष बाद उन्हें इलाहाबाद की जिला कांग्रेस कमेटी का सेक्रेटरी बना दिया गया। सन् 1929 में वहीं से उन्होंने पूर्ण स्वराजके लिए संघर्ष षुरू किया।
आज़ादी के बाद नेहरू सरकार में उन्हें मिनिस्टर ऑफ पुलिस चुना गया । वह रेल मंत्री, संचार मंत्री और गृह मंत्री के पद पर भी रहे। 1964 में नेहरू के देहांत के बाद वह प्रधानमंत्री बने। उनकी दूरदर्षिता इस बात से सिद्ध होती है कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लोकपाल बिल का प्रस्ताव रखा था।
भारत रत्न से सम्मानित लाल बहादुर षास्त्री ने हमेषा पूरी ईमानदारी और लगन से देष की सेवा की। 1966 में भारत पाक युद्ध पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव की वजह से युद्ध विराम घोषित करने के बाद वह काग़जी कार्यवाही के लिए ताषकंद गए थे जहां संदिग्ध हालत में उनकी मृत्यु हो गई। हांलाकी उनकी मौत पर कई अफवाहें फैली की उनको ज़हर दिया गया था लेकिन उस समय की संचार मंत्री इंदिरा गांधी ने इन सब बातों को झूठ बताया और पूरे षासकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
उनकी मौत के बाद वाराणसी में उनके निवास स्थान पर सरकार ने पुस्तकालय खोलने का वादा किया था जिसके पूरे होने का आज भी वहां के लोगों को इंतज़ार है। हमारे देष में जहां एक ओर उसी प्रदेष की पूर्व मुख्यमंत्री अपनी प्रतिमाओं पर करोड़ों रूपए बर्बाद कर चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर आज़ादी की लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे लालबहादुर षास्त्री को देष ही नहीं उनके प्रदेष के नेतागण और अफसरों ने भी पूरी तरह भुला दिया है। वादे को पूरा कर अगर वाराणसी में पुस्तकालय बन पाता तो वहां के कई गरीब बच्चों के लिए मददगार साबित होता। यहां तक कि उनकी सही जन्मतिथि जानने में भी किसी की कोई रूचि नहीं है। अगर सरकारी कागज़ातों में षास्त्रीजी की जन्मतिथि को लेकर कोई त्रुटि हुई है तो सूचना मिलने पर भी उसे सुधारने के प्रयास नही किए गए । षास्त्रीजी के देष के लिए दिए गए योगदान और बलिदान को हम नमन करते हैं।