ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
जनता के पैसे से हो रहा मनमोहन का मेकअप‘
कांग्रेस जो ना करवाए कम है। जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से संग्रहित राजस्व पर मौज करने के आदी हो चुके कांग्रेस के जनसेवकों ने अब कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की छवि निर्माण का अभिनव तरीका खोजा है। 2014 में आम चुनाव के एक साल पहले 2013 में सूचना और प्रसारण विभाग ने अपनी एक इकाई गत एवं नाटक प्रभाग के जरिए पचास करोड़ रूपयों से गाजे बाजे के साथ एक नाटक तैयार कराया जा रहा है, जिसका मंचन समूचे देश में होगा। इसके दूसरे चरण में पचास करोड़ खर्च कर इस नाटक को शेष भारतीय भाषाओं में तैयार करवाया जाएगा। इसमें संप्रग सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल की उज्जवल धवल छवि को सामने लाया जाएगा। इसमें नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) को महिमा मण्डित किया जा रहा है। इसमें लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी बाजपेयी को महज तीन सेकंड का समय दिया गया है। चरण सिंह, नरसिंहराव, मोरारजी देसाई, व्ही.पी.सिंह इस नाटक से गायब ही हैं।
नैनों की आंख में खटकेगी नैना!
टाटा की लखटकिया कार नैनो भले ही मार्केट में धूम नहीं मचा सकी हो पर चर्चाओं में जमकर रही। नैनो को टक्कर देने के लिए आम आदमी की कार का सपना लेकर बाजार में उतरी मारूती अब ‘नैना‘ को लांच करने की योजना बना रही है। जापान में अभी इस तरह की दो कारें सड़कों पर है। मारूती की तैयारी है कि इस कार को जनवरी के दिल्ली आटो एक्सपो में प्रदर्शित किया जाए। जनता के लिए कार का सपना साकार करने वाली मारूती ने अब 660 सीसी की कार को बाजार में उतारने का फैसला लिया है। वर्तमान में 800 सीसी वाली आल्टो और नैनो की शुरूआती कीमतों में एक लाख 43 हजार का अंतर है। मारूति 800 के उत्पादन बंद होने से लोग कठिनाई महसूस कर रहे हैं। मारूति के सर्वे के बाद यह बात उभरकर सामने आई है कि छोटी कारों के मामले में आज भी लोग मारूति पर भरोसा जता रहे हैं।
चिंकारा की मौतों पर उदासीन नटराजन!
देश के हृदय प्रदेश के मशहूर कान्हा नेशनल पार्क में सिवनी के जंगलों से स्थानांतरित किए गए पचास काले हिरणों में से नौ की मौत के बाद भी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तंद्रा नहीं टूटी है। एमपी के वन मंत्री सरताज सिंह को इससे कोई लेना देना ही प्रतीत नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं केंद्र के कानों में भी जूं नही रेंग रही है। मरे हुए इन नौ हिरणों में से पांच के शव तो क्षत विक्षत हालत में मिलने से संदेह के बादल गहरा गए हैं। मध्य प्रदेश से छः हजार काले हिरण आंध्र प्रदेश भी स्थानांतरित किए गए हैं। उल्लेखनीय होगा कि सिवनी जिले में आज भी हजारों की तादाद में काले हिरण किसानों की फसलों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। काले हिरणों का शिकार आम बात हो चुकी है इस क्षेत्र में। काले हिरणों के लिए एक सुरक्षित सेंचुरी की मांग सालों से होती आ रही है, किन्तु मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार इस मांग पर कान देना मुनासिब ही नहीं समझती है।
किसने खा लिए साढ़े नौ लाख!
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में इन दिनों एक चर्चा जोर पकड़ रही है कि आखिर शिवराज सिंह चौहान के खाते में नौ लाख पचास हजार रूपए डालकर किसने इसे बिना डकार के हजम कर लिया। दरअसल पिछले दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा में सरकारी बंग्लों के रखरखाव का ब्योरा पेश किया गया था। इसमें 74 बंग्ले में शिवराज सिंह को बतौर सांसद आवास जो उनके मुख्यमंत्री बनने के उपरांत रिक्त ही पड़ा हुआ है के रखरखाव में राज्य सरकार ने महज आठ माह में साढ़े नौ लाख रूपए खर्च कर दिए। शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस आवास में रह रहे हैं उस पर इन आठ माहों में 18 लाख 23 हजार 75 रूपए खर्च किए गए। अब लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री आवास से आधा खर्च आखिर उनके बतौर सांसद आवंटित आवास पर कैसे कर दिया गया!
गड़करी से संतुष्ट है संघ
लो प्रोफाईल में चलने वाले भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी ने भले ही अपने अप्रिय फैसलों से भाजपा में अपने विरोधी पैदा कर लिए हों पर भाजपा के आला नेता और संघ उन पर पूरा एतबार जता रहा है। गड़करी के अध्यक्ष बनने के वक्त लोगों का आश्चर्य जायज था कि आखिर महाराष्ट्र जैसे सूबे का नेतृत्व भी न करने वाले व्यक्ति को कैसे देश का अध्यक्ष बना दिया गया। दरअसल गड़करी की जडें संघ में काफी गहराई तक गई हुईं हैं। अध्यक्ष बनने के बाद गड़करी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा और अपनी व्यक्गित महात्वाकांक्षांओं को अपने उद्देश्य के उपर हावी नहीं होने दिया। गड़करी ने भाजपा में गुटीय राजनीति समाप्त करने के लिए पार्टी से विमुख होकर गए नाराज नेताओं की घर वापसी का अभियान चलाया। गड़करी दरअसल पार्टी में व्याप्त गुटबाजी से बुरी तरह आहत थे। गड़करी के अप्रिय फैसलों के बाद आज पार्टी में सब कुछ सामान्य ही नजर आ रहा है।
मीरा की आंख में भी खटक रहे हैं मनमोहन
प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की असफल आर्थिक नीतियों और भ्रष्टाचार पर अंकुश न लगा पाने के चलते वे कांग्रेस के कोप का शिकार हो रहे हैं। देश की पहली महिला महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल भी अगले साल जुलाई में समाप्त हो रहा है। कांग्रेस महिला आरक्षण बिल भी संसद में नहीं ला पाई है। ये सारी परिस्थितियां लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के लिए मुफीद बैठ रही हैं। अब वे भी इस जुगत में लग गईं हैं कि अगर सोनिया गांधी मनमोहन सिंह को हटाएंगी तो प्रधानमंत्री पद के लिए वे सबसे तगड़ी दावेदार होंगीं। कांग्रेस की यह मजबूरी होगी कि देश के शीर्ष पद पर किसी न किसी महिला को बिठाए। इसके लिए अगर कांग्रेस दलित कार्ड खेलने का मन बनाती है तो मीरा कुमार महिला होने के साथ ही साथ इस पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार साबित होंगी। यही कारण है कि अब वे भी अंदर ही अंदर मनमोहन सिंह की बिदाई के मार्ग प्रशस्त करने में जुट गईं हैं।
शिव का विनाश या विकास!
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उद्योगों के लिए सूबे के द्वार पूरी तरह खोल दिए गए हैं। बिना किसी सावधानी को देखे हुए मध्य प्रदेश में नदियों के मुहाने पर उद्योगों को स्थापित करने का सिलसिला चल पड़ा है। बड़े शहरों में पर्याप्त जल मल निकासी की कार्ययोजना न होना भी नदियों के लिए खतरा बन चुका है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि मध्य प्रदेश में अनेक नदियां प्रदूषण के मानक स्तर से कहीं अधिक प्रदूषित हैं। सूत्रों ने बताया कि राज्य में बहने वाली बैनगंगा नदी को छोड़कर शेष सारी नदियां मध्य प्रदेश में प्रदूषण के मानकों पर रडार पर ही हैं। राज्य की नर्मदा, खान, चंबल, क्षिप्रा, नर्मदा, टोंस, बेतवा, मंदाकनी आदि में प्रदूषण इतना अधिक है कि इसका उपयोग हानिकारक ही है। सब देख रहे हैं, सांसद चुप हैं विधायक मस्त हैं।
एमपी में मनरेगा में मची है जमकर लूट
कांग्रेसनीत केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) में भ्रष्टाचार की कलई धीरे धीरे खुलने लगी है। एसा नहीं कि केंद्र को इसकी जानकारी नहीं है कि उसके द्वारा दी जाने वाली अरबों खरबों रूपयों की इमदाद को दिल खोलकर लूटा जा रहा हो। विडम्बना है कि कांग्रेस और केंद्र सरकार जनता के गाढ़े पसीने की कमाई में भ्रष्टाचार का इस्तेमाल महज चुनावी लाभ को मद्देनजर रखकर किया जा रहा है। बताया जाता है कि एमपी में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक प्रशिक्षु अधिकारी अभिजीत अग्रवाल द्वारा कांग्रेस के मण्डला सांसद बसोरी सिंह मसराम के संसदीय क्षेत्र में अपनी तैनाती के दौरान एक तहसील में मनरेगा से संबंधित कामों की मानीटरिंग आरंभ की है। उक्त अधिकारी द्वारा मनरेगा योजना के आरंभ होने से वर्तमान तक पूर्ण, अपूर्ण एवं कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी हो चुकी समस्त कार्यों की नस्ती को बुलाया गया है।
शीर्ष पदों में जमकर घमासान
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदंबरम के बीच अब समन्वय नहीं बचा है। वर्चस्व की जंग में दोनों महारथी अब एक दूसरे की जड़ें काटने की जुगत में लग चुके हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि संसद के शीतकालीन सत्र में ही इनके बीच की रार उभरकर सामने आ सकती है। प्रणव मुखर्जी और चिदम्बरम के बीच की जंग अब उनके पुत्रों की जासूसी पर आकर टिक गई है जिससे लोग भयभीत हैं कि इनके बीच का शीत युद्ध भभक न जाए। संसदीय इतिहास में पहली बार एसा हो रहा है कि गृह मंत्री और वित्त मंत्री के बीच संबंध सामान्य न हों। इन दोनों संवैधानिक पदों के बीच पहली बार तलवारें खिचीं नजर आ रही हैं। आलम इस कदर बिगड़ चुका है कि सत्ता के संवैधानिक दोनों केंद्र एक दूसरे की जासूसी में लगे हुए हों।
त्रिवेदी पर अब बनर्जी नहीं दिखाएंगी ममता
देश के रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का शनि कुछ भारी ही चल रहा है। उनके और त्रणमूल की सुप्रीमो ममता बनर्जी के बीच अब रिश्ते सामान्य नहीं बचे हैं। रेल्वे से जुड़े उद्योगपतियों से दिनेश त्रिवेदी का मंत्रालय के बजाए घर पर मिलना ममता को रास नहीं आ रहा है। साथ ही त्रणमूल के सांसदों को त्रिवेदी भाव नहीं दे रहे हैं। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के करीबी सूत्रों का कहन है कि पूर्व रेल मंत्री और त्रणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी और वर्तमान रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बीच रिश्तों में खटास आ चुकी है। पिछले दिनों जब रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पश्चिम बंगाल प्रवास पर थे तब उन्होंने कलकत्ता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भेंट में ममता बनर्जी काफी उग्र नजर आईं। ममता ने दो टूक शब्दों में इस बात पर आपत्ति दर्ज कराई कि आखिर क्या वजह है कि दिनेश त्रिवेदी उद्योगपतियों से अपने रेल मंत्रालय के सरकारी कार्यालय में मिलने के बजाए अपने घर पर क्यों मिला करते हैं।
माल्या ने साधा प्रणव को मन से
शराब माफिया या लिकर किंग की अघोषित उपाधि पाने वाले उद्योगपति सांसद विजय माल्या की ताल पर कांग्रेस अब ठुमके लगाती दिख रही है। विजय माल्या के पास अकूल दौलत है, उनकी शराब को पीकर समूचा देश झूमता है। उनके हवाई जहाज में राजनेता सैर करते हैं, तब फिर माल्या को सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस सर माथे पर भला क्यों न बिठाए। माल्या के पुत्र भी इन दिनों मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं। कांग्रेस के अंदरखाने में नागरिक विमानन मंत्री वायलर रवि और वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह के द्वारा विजय माल्या की तरफदारी के मायने खोजे जा रहे हैं। रवि और मनमोहन सिंह दोनों ही किंगफिशर की डूबती नैया को बचाने की पुरजोर कोशिशों में लगे हुए हैं। दरअसल माल्या से कांग्रेस के नेता इसलिए भी खौफ खा रहे हैं क्योंकि कर्नाटक की राजनीति में माल्या की गहरी पकड़ है। सूबे के कम से कम एक दर्जन से अधिक विधायक माल्या के इशारों पर ही कदम ताल करते नजर आते हैं।
सपा में सत्ता हस्तांतरण की तैयारियां
उत्तर प्रदेश पर राज करने वाले मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी अगर सत्ता में आई तो आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश को अपेक्षाकृत युवा मुख्यमंत्री यानी अखिलेश यादव मिल सकते हैं। एक बार फिर राजनैतिक शख्सियतों में सत्ता के हस्तांतरण की तैयारियां आरंभ हो चुकी हैं। जिस तरह कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा सत्ता की बागडोर अब अपने पुत्र राहुल गांधी के हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है उसी तर्ज पर मुलायम सिंह यादव भी अपने पुत्र अखिलेश यादव को आगे बढ़ाने में लग गए हैं। समाजवादी पार्टी के अतिविश्वस्त सूत्रों का कहना है कि ढलती उम्र के कारण अब मुलायम सिंह यादव ने सूबाई राजनीति से तौबा करने का मन बना लिया है। अगर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर समाजवादी पार्टी काबज होती है तो आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की कमान अखिलेश यादव के हाथों में ही होगी। मुलायम सिंह यादव ने सत्ता हस्तांतरण का मन पूरी तरह बना लिया है।
पुच्छल तारा
कांग्रेस पर समूचा देश लानत मलानत भेज रहा है, किन्तु मोटी चमड़ी वाले जनसेवकों को कुछ असर नहीं पड़ रहा है। मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला के छंदों की तर्ज पर इंग्लेण्ड के लंदन शहर से अभिलाषा जैन ने एक शानदार ईमेल भेजा है। उन्होंने जूते की अभिलाषा शीर्षक से एक कविता भेजी है:-
जूते की अभिलाषा!
चाह नहीं विश्व सुंदरी के पग में पहना जाऊं!
चाह नहीं मंत्रियों के चरणों को सजाऊं!!
चाह नहीं ‘मॉल‘ में बैठ अपने भाग्य पर इतराऊं!
मुझे पैक कर देशवासियों उनके मुंह पर देना फेंक!!
जा रहे तिहाड़ जेल जो!
बेच बेच कर भारत देश!!
जय हिन्द, जय भारत