सोमवार, 5 दिसंबर 2011

जनता के पैसे से हो रहा मनमोहन का मेकअप


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

जनता के पैसे से हो रहा मनमोहन का मेकअप
कांग्रेस जो ना करवाए कम है। जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से संग्रहित राजस्व पर मौज करने के आदी हो चुके कांग्रेस के जनसेवकों ने अब कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की छवि निर्माण का अभिनव तरीका खोजा है। 2014 में आम चुनाव के एक साल पहले 2013 में सूचना और प्रसारण विभाग ने अपनी एक इकाई गत एवं नाटक प्रभाग के जरिए पचास करोड़ रूपयों से गाजे बाजे के साथ एक नाटक तैयार कराया जा रहा हैजिसका मंचन समूचे देश में होगा। इसके दूसरे चरण में पचास करोड़ खर्च कर इस नाटक को शेष भारतीय भाषाओं में तैयार करवाया जाएगा। इसमें संप्रग सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल की उज्जवल धवल छवि को सामने लाया जाएगा। इसमें नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) को महिमा मण्डित किया जा रहा है। इसमें लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी बाजपेयी को महज तीन सेकंड का समय दिया गया है। चरण सिंहनरसिंहरावमोरारजी देसाईव्ही.पी.सिंह इस नाटक से गायब ही हैं।

नैनों की आंख में खटकेगी नैना!
टाटा की लखटकिया कार नैनो भले ही मार्केट में धूम नहीं मचा सकी हो पर चर्चाओं में जमकर रही। नैनो को टक्कर देने के लिए आम आदमी की कार का सपना लेकर बाजार में उतरी मारूती अब नैना‘ को लांच करने की योजना बना रही है। जापान में अभी इस तरह की दो कारें सड़कों पर है। मारूती की तैयारी है कि इस कार को जनवरी के दिल्ली आटो एक्सपो में प्रदर्शित किया जाए। जनता के लिए कार का सपना साकार करने वाली मारूती ने अब 660 सीसी की कार को बाजार में उतारने का फैसला लिया है। वर्तमान में 800 सीसी वाली आल्टो और नैनो की शुरूआती कीमतों में एक लाख 43 हजार का अंतर है। मारूति 800 के उत्पादन बंद होने से लोग कठिनाई महसूस कर रहे हैं। मारूति के सर्वे के बाद यह बात उभरकर सामने आई है कि छोटी कारों के मामले में आज भी लोग मारूति पर भरोसा जता रहे हैं।

चिंकारा की मौतों पर उदासीन नटराजन!
देश के हृदय प्रदेश के मशहूर कान्हा नेशनल पार्क में सिवनी के जंगलों से स्थानांतरित किए गए पचास काले हिरणों में से नौ की मौत के बाद भी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तंद्रा नहीं टूटी है। एमपी के वन मंत्री सरताज सिंह को इससे कोई लेना देना ही प्रतीत नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं केंद्र के कानों में भी जूं नही रेंग रही है। मरे हुए इन नौ हिरणों में से पांच के शव तो क्षत विक्षत हालत में मिलने से संदेह के बादल गहरा गए हैं। मध्य प्रदेश से छः हजार काले हिरण आंध्र प्रदेश भी स्थानांतरित किए गए हैं। उल्लेखनीय होगा कि सिवनी जिले में आज भी हजारों की तादाद में काले हिरण किसानों की फसलों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं। काले हिरणों का शिकार आम बात हो चुकी है इस क्षेत्र में। काले हिरणों के लिए एक सुरक्षित सेंचुरी की मांग सालों से होती आ रही हैकिन्तु मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार इस मांग पर कान देना मुनासिब ही नहीं समझती है।

किसने खा लिए साढ़े नौ लाख!
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में इन दिनों एक चर्चा जोर पकड़ रही है कि आखिर शिवराज सिंह चौहान के खाते में नौ लाख पचास हजार रूपए डालकर किसने इसे बिना डकार के हजम कर लिया। दरअसल पिछले दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा में सरकारी बंग्लों के रखरखाव का ब्योरा पेश किया गया था। इसमें 74 बंग्ले में शिवराज सिंह को बतौर सांसद आवास जो उनके मुख्यमंत्री बनने के उपरांत रिक्त ही पड़ा हुआ है के रखरखाव में राज्य सरकार ने महज आठ माह में साढ़े नौ लाख रूपए खर्च कर दिए। शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस आवास में रह रहे हैं उस पर इन आठ माहों में 18 लाख 23 हजार 75 रूपए खर्च किए गए। अब लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री आवास से आधा खर्च आखिर उनके बतौर सांसद आवंटित आवास पर कैसे कर दिया गया!

गड़करी से संतुष्ट है संघ
लो प्रोफाईल में चलने वाले भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी ने भले ही अपने अप्रिय फैसलों से भाजपा में अपने विरोधी पैदा कर लिए हों पर भाजपा के आला नेता और संघ उन पर पूरा एतबार जता रहा है। गड़करी के अध्यक्ष बनने के वक्त लोगों का आश्चर्य जायज था कि आखिर महाराष्ट्र जैसे सूबे का नेतृत्व भी न करने वाले व्यक्ति को कैसे देश का अध्यक्ष बना दिया गया। दरअसल गड़करी की जडें संघ में काफी गहराई तक गई हुईं हैं। अध्यक्ष बनने के बाद गड़करी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा और अपनी व्यक्गित महात्वाकांक्षांओं को अपने उद्देश्य के उपर हावी नहीं होने दिया। गड़करी ने भाजपा में गुटीय राजनीति समाप्त करने के लिए पार्टी से विमुख होकर गए नाराज नेताओं की घर वापसी का अभियान चलाया। गड़करी दरअसल पार्टी में व्याप्त गुटबाजी से बुरी तरह आहत थे। गड़करी के अप्रिय फैसलों के बाद आज पार्टी में सब कुछ सामान्य ही नजर आ रहा है।

मीरा की आंख में भी खटक रहे हैं मनमोहन
प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की असफल आर्थिक नीतियों और भ्रष्टाचार पर अंकुश न लगा पाने के चलते वे कांग्रेस के कोप का शिकार हो रहे हैं। देश की पहली महिला महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल भी अगले साल जुलाई में समाप्त हो रहा है। कांग्रेस महिला आरक्षण बिल भी संसद में नहीं ला पाई है। ये सारी परिस्थितियां लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के लिए मुफीद बैठ रही हैं। अब वे भी इस जुगत में लग गईं हैं कि अगर सोनिया गांधी मनमोहन सिंह को हटाएंगी तो प्रधानमंत्री पद के लिए वे सबसे तगड़ी दावेदार होंगीं। कांग्रेस की यह मजबूरी होगी कि देश के शीर्ष पद पर किसी न किसी महिला को बिठाए। इसके लिए अगर कांग्रेस दलित कार्ड खेलने का मन बनाती है तो मीरा कुमार महिला होने के साथ ही साथ इस पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार साबित होंगी। यही कारण है कि अब वे भी अंदर ही अंदर मनमोहन सिंह की बिदाई के मार्ग प्रशस्त करने में जुट गईं हैं।

शिव का विनाश या विकास!
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उद्योगों के लिए सूबे के द्वार पूरी तरह खोल दिए गए हैं। बिना किसी सावधानी को देखे हुए मध्य प्रदेश में नदियों के मुहाने पर उद्योगों को स्थापित करने का सिलसिला चल पड़ा है। बड़े शहरों में पर्याप्त जल मल निकासी की कार्ययोजना न होना भी नदियों के लिए खतरा बन चुका है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि मध्य प्रदेश में अनेक नदियां प्रदूषण के मानक स्तर से कहीं अधिक प्रदूषित हैं। सूत्रों ने बताया कि राज्य में बहने वाली बैनगंगा नदी को छोड़कर शेष सारी नदियां मध्य प्रदेश में प्रदूषण के मानकों पर रडार पर ही हैं। राज्य की नर्मदाखानचंबलक्षिप्रानर्मदाटोंसबेतवामंदाकनी आदि में प्रदूषण इतना अधिक है कि इसका उपयोग हानिकारक ही है। सब देख रहे हैंसांसद चुप हैं विधायक मस्त हैं।

एमपी में मनरेगा में मची है जमकर लूट
कांग्रेसनीत केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) में भ्रष्टाचार की कलई धीरे धीरे खुलने लगी है। एसा नहीं कि केंद्र को इसकी जानकारी नहीं है कि उसके द्वारा दी जाने वाली अरबों खरबों रूपयों की इमदाद को दिल खोलकर लूटा जा रहा हो। विडम्बना है कि कांग्रेस और केंद्र सरकार जनता के गाढ़े पसीने की कमाई में भ्रष्टाचार का इस्तेमाल महज चुनावी लाभ को मद्देनजर रखकर किया जा रहा है। बताया जाता है कि एमपी में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक प्रशिक्षु अधिकारी अभिजीत अग्रवाल द्वारा कांग्रेस के मण्डला सांसद बसोरी सिंह मसराम के संसदीय क्षेत्र में अपनी तैनाती के दौरान एक तहसील में मनरेगा से संबंधित कामों की मानीटरिंग आरंभ की है। उक्त अधिकारी द्वारा मनरेगा योजना के आरंभ होने से वर्तमान तक पूर्णअपूर्ण एवं कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी हो चुकी समस्त कार्यों की नस्ती को बुलाया गया है।

शीर्ष पदों में जमकर घमासान
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदंबरम के बीच अब समन्वय नहीं बचा है। वर्चस्व की जंग में दोनों महारथी अब एक दूसरे की जड़ें काटने की जुगत में लग चुके हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि संसद के शीतकालीन सत्र में ही इनके बीच की रार उभरकर सामने आ सकती है। प्रणव मुखर्जी और चिदम्बरम के बीच की जंग अब उनके पुत्रों की जासूसी पर आकर टिक गई है जिससे लोग भयभीत हैं कि इनके बीच का शीत युद्ध भभक न जाए। संसदीय इतिहास में पहली बार एसा हो रहा है कि गृह मंत्री और वित्त मंत्री के बीच संबंध सामान्य न हों। इन दोनों संवैधानिक पदों के बीच पहली बार तलवारें खिचीं नजर आ रही हैं। आलम इस कदर बिगड़ चुका है कि सत्ता के संवैधानिक दोनों केंद्र एक दूसरे की जासूसी में लगे हुए हों।

त्रिवेदी पर अब बनर्जी नहीं दिखाएंगी ममता
देश के रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का शनि कुछ भारी ही चल रहा है। उनके और त्रणमूल की सुप्रीमो ममता बनर्जी के बीच अब रिश्ते सामान्य नहीं बचे हैं। रेल्वे से जुड़े उद्योगपतियों से दिनेश त्रिवेदी का मंत्रालय के बजाए घर पर मिलना ममता को रास नहीं आ रहा है। साथ ही त्रणमूल के सांसदों को त्रिवेदी भाव नहीं दे रहे हैं। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के करीबी सूत्रों का कहन है कि पूर्व रेल मंत्री और त्रणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी और वर्तमान रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बीच रिश्तों में खटास आ चुकी है। पिछले दिनों जब रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पश्चिम बंगाल प्रवास पर थे तब उन्होंने कलकत्ता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भेंट में ममता बनर्जी काफी उग्र नजर आईं। ममता ने दो टूक शब्दों में इस बात पर आपत्ति दर्ज कराई कि आखिर क्या वजह है कि दिनेश त्रिवेदी उद्योगपतियों से अपने रेल मंत्रालय के सरकारी कार्यालय में मिलने के बजाए अपने घर पर क्यों मिला करते हैं।

माल्या ने साधा प्रणव को मन से
शराब माफिया या लिकर किंग की अघोषित उपाधि पाने वाले उद्योगपति सांसद विजय माल्या की ताल पर कांग्रेस अब ठुमके लगाती दिख रही है। विजय माल्या के पास अकूल दौलत हैउनकी शराब को पीकर समूचा देश झूमता है। उनके हवाई जहाज में राजनेता सैर करते हैंतब फिर माल्या को सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस सर माथे पर भला क्यों न बिठाए। माल्या के पुत्र भी इन दिनों मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं। कांग्रेस के अंदरखाने में नागरिक विमानन मंत्री वायलर रवि और वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह के द्वारा विजय माल्या की तरफदारी के मायने खोजे जा रहे हैं। रवि और मनमोहन सिंह दोनों ही किंगफिशर की डूबती नैया को बचाने की पुरजोर कोशिशों में लगे हुए हैं। दरअसल माल्या से कांग्रेस के नेता इसलिए भी खौफ खा रहे हैं क्योंकि कर्नाटक की राजनीति में माल्या की गहरी पकड़ है। सूबे के कम से कम एक दर्जन से अधिक विधायक माल्या के इशारों पर ही कदम ताल करते नजर आते हैं।

सपा में सत्ता हस्तांतरण की तैयारियां
उत्तर प्रदेश पर राज करने वाले मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी अगर सत्ता में आई तो आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश को अपेक्षाकृत युवा मुख्यमंत्री यानी अखिलेश यादव मिल सकते हैं। एक बार फिर राजनैतिक शख्सियतों में सत्ता के हस्तांतरण की तैयारियां आरंभ हो चुकी हैं। जिस तरह कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा सत्ता की बागडोर अब अपने पुत्र राहुल गांधी के हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है उसी तर्ज पर मुलायम सिंह यादव भी अपने पुत्र अखिलेश यादव को आगे बढ़ाने में लग गए हैं। समाजवादी पार्टी के अतिविश्वस्त सूत्रों का कहना है कि ढलती उम्र के कारण अब मुलायम सिंह यादव ने सूबाई राजनीति से तौबा करने का मन बना लिया है। अगर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर समाजवादी पार्टी काबज होती है तो आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की कमान अखिलेश यादव के हाथों में ही होगी। मुलायम सिंह यादव ने सत्ता हस्तांतरण का मन पूरी तरह बना लिया है।

पुच्छल तारा
कांग्रेस पर समूचा देश लानत मलानत भेज रहा हैकिन्तु मोटी चमड़ी वाले जनसेवकों को कुछ असर नहीं पड़ रहा है। मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला के छंदों की तर्ज पर इंग्लेण्ड के लंदन शहर से अभिलाषा जैन ने एक शानदार ईमेल भेजा है। उन्होंने जूते की अभिलाषा शीर्षक से एक कविता भेजी है:-

जूते की अभिलाषा!

चाह नहीं विश्व सुंदरी के पग में पहना जाऊं!
चाह नहीं मंत्रियों के चरणों को सजाऊं!!

चाह नहीं मॉल‘ में बैठ अपने भाग्य पर इतराऊं!
मुझे पैक कर देशवासियों उनके मुंह पर देना फेंक!!

जा रहे तिहाड़ जेल जो!
बेच बेच कर भारत देश!!

जय हिन्दजय भारत

कार्पोरेट सोच के धनी हैं दिनेश त्रिवेदी


कार्पोरेट सोच के धनी हैं दिनेश त्रिवेदी

ममता को रास नहीं आ रहा त्रिवेदी का नया खेल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की पटरी अब अपनी ही पार्टी की सर्वे सर्वा सुश्री ममता बनर्जी से मेल नहीं खा पा रही है। ममता और त्रिवेदी के बीच के रिश्तों में आई खटास की वजहों पर से अब परतें उखड़ने लगी हैं। सादगी की प्रतिमूर्ति बनी ममता बनर्जी को रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का कार्पोरेट आचार विचार गले नहीं उतर पा रहा है। वैसे भी दिनेश त्रिवेदी पर त्रणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लग चुके हैं।

पश्चिम बंगाल की निजाम सुश्री ममता बनर्जी के करीबी सूत्रों का दावा है कि उनके और केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के बीच खाई कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। सूत्रों ने कहा कि त्रिवेदी विरोधी नेताओं ने ममता के कान उनके खिलाफ भरने आरंभ कर दिए हैं। इतना ही नहीं रेल विभाग की कार्यप्रणाली के बारे में त्रिवेदी विरोधियों के साथ ही साथ रेल विभाग के ममता बनर्जी के करीबी आला अफसरान ही फीड बैक देने से नहीं चूक रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि रेल वैगन का काम बिना किसी निविदा के पब्लिक सेक्टर की कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रीकल लिमिटेड को दे दिया गया है। इसमें ही जबर्दस्त खेल हुआ है। भेल वैसे तो भारी उद्योग विभाग के अधीन आती है पर यह ठेका भेल को इसलिए दिया गया है क्योंकि भेल इस ठेके को सबलेट करेगी। अगर निविदा बुलाई जाती तो कहानी कुछ और बन जाती।

सूत्रों ने कहा कि भेल इस काम को पेटी या सब कांट्रेक्ट पर टीटागढ़ वैगन को दे चुकी है। इस निजी कंपनी के मालिक अक्सर ही केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और दिनेश त्रिवेदी की चौखट चूमते दिख जाते हैं। सूत्रों ने आश्चर्यजनक खुलासा करते हुए कहा कि इस पूरी की पूरी डील में संचार क्रांति के जनक माने जाने वाले सैम पित्रोदा की महती भूमिका रही है।
दिनेश त्रिवेदी वैसे भी सैम पर मेहरबान हैं, त्रिवेदी ने पित्रोदा को रेल आधुनिकीकरण कमेटी का सर्वेसर्वा भी बनाया हुआ है। सूत्रों की मानें तो जब रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की इस कारस्तानी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और त्रणमूल कांग्रेस की चीफ सुश्री ममता बनर्जी के संज्ञान में लाया गया तो वे हत्थे से ही उखड़ गईं। अब लगने लगा है कि दिनेश त्रिवेदी की रेल जल्द ही पटरी से उतरने वाली है।

क्या माटी का कर्ज चुकाएंगे जनसेवक?


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 2

क्या माटी का कर्ज चुकाएंगे जनसेवक?

कद्दावर नेताओं की कर्मभूमि रहा है महाकौशल

केंद्रीय और सूबाई मंत्रियों की खदान है महाकौशल


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर को अगर केंद्र बना दिया जाए तो इसके इर्दगिर्द के लगभग अस्सी जिलों को इससे जोड़ा जा सकता है। वैसे भी महाकौशल क्षेत्र देश और प्रदेश के कद्दावर नेताओं की कर्मभूमि रहा है। कांग्रेस भाजपा और अन्य राजनैतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं ने महाकौशल को सदा से ही अपनी कर्मभूमि बनाया हुआ है।

महाकौशल क्षेत्र का इतिहास अगर देखा जाए तो मध्य प्रदेश के छटवें मुख्यमंत्री के रूप में द्वारका प्रसाद मिश्रा को इसी महाकौशल प्रांत ने प्रदेश को दिया जो 30 सितम्बर 1963 से 8 मार्च 1967 एवं 9 मार्च 1967 से 29 जुलाई 1967 तक मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री पंडित गार्गीशंकर मिश्र की कर्मभूमि भी छिंदवाड़ा और सिवनी ही रही है।

कांग्रेस के खेमे में भी अनेक कद्दावर नेताओं की फौज आज भी महाकौशल का प्रतिनिधित्व करती दिखती है। मध्य प्रदेश और केंद्र में अपनी ईमानदारी एवं दबंग प्रशासनिक क्षमताओं का लोहा मनवाने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा, केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, रामेश्वर नीखरा, सत्येंद्र पाठक, हरवंश सिंह ठाकुर, नर्मदा प्रसाद प्रजापति, बाबू चंद्र मोहन दास आदि न जाने अनगिनत चेहरे हैं। कांग्रेस में श्रीमति उर्मिला सिंह और नंद किशोर शर्मा इसी महाकौशल के वाशिंदे रहे हैं जिनमें से उर्मिला सिंह वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की महामहिम राज्यपाल के पद पर विराजमान हैं।

वहीं दूसरी और भाजपा में भी महाकौशल की गोद में अनेक विभूतियां हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गन सिंह कुलस्ते, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के असंगठित मजदूर संघ के नेशनल प्रेजीडेंट प्रहलाद सिंह पटेल, विधानसभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी, मध्य प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया, अजजा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धुर्वे, अनुसुईया उईके, राकेश सिंह आदि बैठे हुए हैं।

वहीं शरद यादव आज जनता दल यूनाईटेड के माध्यम से देश में छाए हुए हैं, उनकी शिक्षा दीक्षा भी जबलपुर में ही हुई और उन्होंने छात्र राजनीति में जबलपुर में ही कदम रखा। अब लाख टके का सवाल यह खड़ा हुआ है कि महाकौशल प्रांत में पैदा हुए या इस प्रांत को कर्मभूमि बनाकर नेम फेम कमाने वाले जनसेवकों द्वारा अपनी इस माटी को प्रथक प्रदेश में तब्दील करने के प्रयास कर इस माटी का कर्ज चुकाने का जतन किया जाएगा अथवा नहीं?

(क्रमशः जारी)

सौ करोड़ का ड्रामा देखेगा हिन्दुस्तान


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 45

सौ करोड़ का ड्रामा देखेगा हिन्दुस्तान

एक नाटक के लिए बहाया पानी की तरह पैसा

नेहरू गांधी परिवार को महिमा मण्डित करने का प्रयास


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अंबिका सोनी के नेतृत्व वाले सूचना और प्रसारण विभाग के द्वारा सौ करोड़ रूपए पानी में बहाकर कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की छवि को चमकाने की कार्ययोजना बनाई गई है। सूचना और प्रसारण विभाग के अधीन कार्यरत विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय की शाखा साउंड एण्ड ड्रामा डिवीजन (गीत एवं नाटक प्रभाग) के द्वारा नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) को महिमा मण्डित करने की गरज से एक नाटक तैयार करवाया जा रहा है।

डीएवीपी के सूत्रों का कहना है कि यह नाटक मूलतः नेहरू गांधी परिवार की महिलाओं पर केंद्रित है। इस नाटक के शुरूआत में लगभग 45 मिनिट तक स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन को चित्रित किया गया है। इसके उपरांत लगभग सवा घंटे तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के पहले और दूसरे कार्यकाल का बखान किया गया है। इस तरह यह दो घंटे का नाटक तैयार किया गया है।

सूत्रों ने कहा कि दो घंटे की इस श्रृव्य और दृश्य अर्थात आडियो वीडियो सीडी को बनाने के लिए पहले चरण में पचास करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है। वर्तमान में यह हिन्दी भाषा में तैयार हो रही है। इसके बाद देश की अन्य भाषाओं के लिए इसे बाद में तैयार किया जाएगा, जिसके लिए पचास करोड़ रूपए की राशि प्रथक से जारी की जाएगी।

(क्रमशः जारी)

सारासर लूट मची है आईडिया के नेट कनेक्शन में!


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  31

सारासर लूट मची है आईडिया के नेट कनेक्शन में!

अभिषेक बच्चन को कोस रहे आईडिया सब्सक्राईबर

एक माह के बाद सर पकड़कर बैठ जाते हैं उपभोक्ता


(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। आदित्य बिरला के स्वामित्व वाली आईडिया सेल्युलर द्वारा एक तरफ तो नित ही सफलताओं के नए कीर्तिमान स्थापित करने का दावा किया जाता है वहीं दूसरी ओर जूनियर बी यानी अभिषेक बच्चन से प्रभावित होकर उपभोक्ताओं द्वारा आईडिया सेल्युलर का मोबाईल कनेक्शन लिया जा रहा है। बाद में जब उपभोक्ता अपने आप को लुटा पिटा सा महसूस करता है तब वह आईडिया के साथ ही साथ अभिषेक बच्चन को कोसता नजर आता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आईडिया का मोबाईल या नेट कनेक्शन लेने पर उपभोक्ताओं को रिटेलर या आईडिया के कारिंदों द्वारा मनमानी स्कीम बता दी जाती हैं। समय गुजरने के साथ ही जब उपभोक्ताओं को बताई गई स्कीम उसे नहीं मिल पाती है तब उपभोक्ता अपने आप को लुटा पिटा ही पाता है। रिटेलर, स्टाकिस्ट या आईडिया के कर्मचारियों द्वारा उसे बाद में भ्रामक जानकारियां देकर भरमाया जाता है।

अनेक उपभोक्ताओं का कहना है कि आईडिया की सेल आफ्टर सर्विस इतनी घटिया है कि बाद में ग्राहक अपने आप को बुरी तरह ठगा सा ही महसूस करता है। आईडिया में कस्टर केयर अधिकारियों से बात करना भी आसान नहीं है। लोगोें ने कहा कि टीवी और अखबारों में अभिषेक बच्चन को आईडिया का विज्ञापन करते देख वे आईडिया का कनेक्शन तो ले लेते हैं पर बाद में सर्विसेस न मिल पाने पर वह आईडिया के बजाए अभिषेक बच्चन को ही कोसता नजर आता है। आईडिया के इस रवैऐ से वह अपनी साख पर तो बट्टा लगा ही रहा है, साथ ही साथ सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साहब जादे जूनियर बच्चन की छवि पर भी जमकर बट्टा लगा रही है।

(क्रमशः जारी)

मिशन 2013 के मद्देनजर प्रशासनिक सर्जरी की कवायद


मिशन 2013 के मद्देनजर प्रशासनिक सर्जरी की कवायद

शिव के पसंदीदा पाएंगे मैदानी पदस्थापना

कलेक्टर्स और एसपी को लेकर पत्ते फेंट रहे शिव

प्रशासनिक सर्जरी में शिव का होगा प्रभात!

(नंद किशोर)

भोपाल। 2013 में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अब प्रशासनिक सर्जरी की कवायद आरंभ हो गई है। माना जा रहा है कि अब जिन अफसरों की तैनाती मैदानी क्षेत्रों में की जाएगी उन्हें 2013 तक हटाया नहीं जाएगा। वे ही अधिकारी विधानसभा के चुनाव करवाएंगे। राजनैतिक वीथिकाओं में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षकों को काफी हद तक चुनाव जितवाने के लिए जवाबदेह माना जाता है यही कारण है कि शिवराज भी आईएएस और आईपीएस अधिकारियों में अपने पसंदीदा अफसरों की फेहरिस्त बनाने में जुट गए हैं। इस तरह की प्रशासनिक सर्जरी में संगठन को कितना साधा जा सकेगा यह बात भविष्य के गर्भ में ही है।

शिवराज सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अपनी तीसरी पारी खेलने के लिए आतुर दिख रहे हैं। इसके लिए वे प्रशासनिक कसावट लाने के सारे उपायों पर विचार कर रहे हैं। उधर संगठन में शिवराज विरोधियों ने भी अपने पत्ते बिछाने आरंभ कर दिए हैं। भाजपा का एक धड़ा प्रदेश के भाजपाई निजाम प्रभात झा को सीएम बनाने के लिए लाबिंग कर रहा है। मौजूदा मंत्रीमण्डल के सदस्यों में प्रभात और शिव के समर्थकों के धड़े बट चुके हैं। भाजपा में चर्चा जोरों पर है कि प्रशासनिक सर्जरी में शिवराज सिंह और प्रभात झा के बीच टकराव की नौबत भी आ सकती है।

सूत्रों ने कहा कि ग्वालियर के जिलाधिकारी आकाश त्रिपाठी को मुख्यमंत्री अपनी कोर कमेटी में रखना चाह रहे हैं, इसलिए उनका मुख्यमंत्री सचिवालय में जाना तय माना जा रहा है। त्रिपाठी के स्थान पर राजगढ़ के जिलाधिकारी एम.बी.ओझाा के लिए कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रयासरत हैं, ताकि महाराजा सिंधिया के गढ़ में सेंध लगाई जा सके। वहीं कुछ नेता सिंगरोली कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि को ग्वालियर ले जाने आतुर दिखाई दे रहे हैं।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों को भी मथा जा सकता है। नरोन्हा प्रशासनिक अकादमी में प्रदस्थ प्रशांत मेहता की सेवानिवृति के बाद यह पद रिक्त है। इस पद पर एसीएस स्तर के अधिकारी की पदस्थापना किए जाने के संकेत मिले हैं। दिल्ली में मध्य प्रदेश की आवासीय आयुक्त लवलीन कक्कड़ भी प्रदेश वापसी की इच्छुक बताई जा रही हैं। उन्हें इस पद पर बिठाया जा सकता है। कक्कड़ के अलावा परिवहन की एसीएस आभा आस्थाना, या वन विभाग के एसीएस स्वदीप सिंह भी इस पद के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं।

मंत्रालय में पदस्थ वरिष्ठ आईएएस में राजकिशोर स्वाई, आई.एन.दाणी, डी.के.सामंतरे, डॉ.देवराज बिरदी, अलका उपाध्याय, आशीष उपाध्याय के विभागों में भी फेरबदल की उम्मीद जताई जा रही है। आईपीएस लाबी इस बात से भी खफा नजर आ रही है कि राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) के अफसरों को जिलों में पुलिस अधीक्षक बनाकर बिठा दिया गया है। अनेक आईपीएस अधिकारी अपनी जमीनी तैनाती के लिए मारे मारे फिर रहे हैं वहीं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी जिलों में पुलिस अधीक्षक बने बैठे हैं।

अभी करना होगा आईएएस के लिए इंतजार


अभी करना होगा आईएएस के लिए इंतजार

केंद्र को नहीं भेजी चयनित अफसरों की सूची

(अंशुल गुप्ता)

भोपाल। मध्य प्रदेश के अनेक अफसरों का भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर बनने का सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है। राज्य सरकार की हीला हवाली से इस साल भी गैर प्रशासनिक सेवा के अफसरों को आईएएस बनने से वंचित ही रहना पड़ेगा। राज्य सरकार की ओर से अफसरों का चयन ही काफी विलंब से किया गया फिर दूबरे पर दो असाढ़ की कहावत को चरितार्थ करते हुए चयनित अफसरों की सूची पर लालफीताशाही इस कदर हावी हुई कि अफसर उस सूची पर ही कुंडली मारकर बैठ गए हैं।

राज्य सचिवालय वल्लभ भवन के सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा लंबी कवायद के उपरांत विभिन्न विभागों के डेढ़ दर्जन से अधिक अफसरों की सूची तैयार कराई गई। इस सूची के बनने के साथ ही विवाद आरंभ हो गया। कहा जा रहा है कि माता लक्ष्मी और प्रभाव इस सूची पर जमकर हावी रहा। यही कारण है कि इस सूची में अनेक विवादस्पद नाम भी शामिल कर लिए गए।

सूत्रों ने आगे कहा कि जब यह मामला विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रमुखता से उठाया तब जीएडी के हाथ पांव फूल गए थे। सामान्य प्रशासन विभाग ने विवाद के बढ़ते देख इस सूची को ठंडे बस्ते में डालना ही उचित समझा। चर्चा है कि इस सूची में विवादस्पद नाम आने से उन अफसरान में निराशा फैल गई थी जो इसके लिए पूरी तरह योग्य थे और उनका नाम सूची में शामिल नहीं किया जा सका।

उधर संघ लोक सेवा आयोग के सूत्रों का कहना है कि अगर राज्य सरकार द्वारा यह सूची जल्द ही केंद्र सरकार को नहीं भेजी गई तो चयनित 20 अफसरों का भविष्य अंधेरे में ही चला जाएगा। इसका कारण यह है कि विलंब के चलते संघ लोक सेवा आयोग द्वारा इन अफसरान का साक्षात्कार आहूत नहीं करवा पाया जाएगा, जिसके परिणाम स्वरूप चयन की यह कवायद अकारत ही चली जाएगी।

सिवनी में धूल का स्तर खतरनाक स्थिति में


सिवनी में धूल का स्तर खतरनाक स्थिति में

नेत्र रोग से अनजान हैं जनसेवक!


(शिवेश नामदेव)

सिवनी। भगवान शिव की नगरी सिवनी में जर्जर सड़कें न केवल दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रही हैं, वरन् चहुंओर उड़ती धूल गंभीर नेत्र विकारों को भी जन्म दे रही है। ठंड के दिनों में अस्थमा के मरीजों के लिए यह धूल जानलेवा साबित हो सकती है। वर्चस्व, अहम, भ्रष्टाचार, बंदरबांट की भेंट चढ़ चुकी सिवनी की सड़कों से उड़ती धूल गंभीर नेत्र विकारों के लिए उपजाऊ माहौल तैयार कर ही है। गौरतलब है कि जिला चिकित्सालय में नेत्र विभाग में सदा ही सन्नाटा पसरा रहता है।

शहर के मुख्य मार्ग ज्यारत नाके से नागपुर नाके तक के रखरखाव न हो पाने से यहां चौबीसों घंटे जबर्दस्त धूल उड़ती रहती है। इसके अलावा शहर का राजपथ कहलाने वाला कलेक्टर बंग्ले से एसपी बंग्ले तक का मार्ग अपनी दुर्दशा पर बुरी तरह कराह रहा है। इन दोनों ही सड़कों पर शहर का आधिकांश यातायात का दबाव रहता है।

इन दोनों ही मार्ग के सौ मीटर के दायरे में ही सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, बरघाट विधायक कमल मस्कोले, लखनादौन विधायक श्रीमति शशि ठाकुर, केवलारी विधायक हरवंश सिंह ठाकुर, पूर्व विधायक डॉ.ढाल सिंह बिसेन, नरेश दिवाकर, टक्कन सिंह मरकाम, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी आशुतोष वर्मा, राज कुमार खुराना, प्रसन्न चंद मालू, का निवास है। इतना ही नहीं जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह चंदेल, सहकारी बैंक अध्यक्ष अशोक तेकाम भी इसी मार्ग के सिरों पर निवास करते हैं।

कलेक्टर बंग्ले से एसपी बंग्ले तक के मार्ग का निर्माण जब कराया जा रहा था तभी लोगों का कहना था कि यह मार्ग पहली बरसात नहीं झेल पाएगा। वस्तुतः हुआ भी वही, तीन साल से अधिक समय बीत गया है तबसे इस मार्ग की सुध किसी ने भी नहीं ली है। हाल ही में महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने इसके लिए तीस लाख रूपए की राशि की घोषणा की है।

श्री दिवाकर द्वारा राशि की घोषणा और स्वीकृति से साफ जाहिर है कि इस मार्ग के निर्माण में कहीं न्यायालीयन बाधा नहीं है। यक्ष प्रश्न यही खड़ा हुआ है कि जब कोई बाधा इसमें नहीं है तब फिर क्या कारण है कि विधायकों सहित आला अधिकारियों के रोजाना आवागमन का जरिया बने इस मार्ग के सुधार की दिशा में किसी ने प्रयास क्यों नहीं किया? क्या इसके लिए दोषी ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्यवाही का साहस भाजपा विधायक उठा पाएंगे? जाहिर है इसका उत्तर नकारात्मक ही आएगा, विधायक इन ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं, जनता इस बात को बखूबी जान रही है।

बहरहाल, शहर में धूल का स्तर खतरनाक की सीमा को पार कर चुका है। सड़कों में उड़ती धूल से लोगों के फेंफड़े छलनी हुए बिना नहीं हैं। लगातार धूल में आने जाने या इन मार्गों के दुकानदारों के चौबीसों घंटे धूल के संपर्क में रहने से उनकी आंखों में अजीब सा संक्रमण देखने को मिले तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जानकारों का कहना है कि लगातार धूल के संपर्क में रहने से आंखों की नमी सूखने लगती है, और अजीब सी जलन पैदा होने लगती है।

चिकित्सकों के अनुसार लगातार धूल के संपर्क में रहने से आंखों में सूखापन, पलकों के इर्द गिर्द खुजली, आखों का लाल होन, सुबह सोकर उठते समय आंखों का गड़ना, आंखों में कंकड़ जैसा लगना, आंख में पानी आना जैसे लक्षण पाए जाने पर तत्काल ही नेत्र चिकित्सक की सलाह ली जानी चाहिए। वैसे भी सर्दी के मौसम में अस्थमा और नेत्र विकार से ज्यादा सावधानी बरतने की हिदायत दी जाती है। सिवनी में नेत्र विभाग के हालात देखकर मरीजों को निजी चिकत्सकों के पास जाकर जेब ढीली करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।