रविवार, 1 जुलाई 2012

राष्ट्रपति चुनाव के पहले ही मच गया घमासान


राष्ट्रपति चुनाव के पहले ही मच गया घमासान

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश में अगला महामहिम राष्ट्रपति कौन होगा इस बात पर बहस होने के पहले ही देश की उपरी सियासत में बदबूदार कीचड़ की बूंदे दिखना आरंभ हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की प्रकाशित किताब के अंश बाहर आते ही कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को त्याग की प्रतिमूर्ति तो कहीं इससे विपरीत बातें कही जाने लगी हैं।
उल्लेखनीय है कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम एक पुस्तक लिखी है जो अभी तक बाजार में नहीं आई है पर उसके अंश कथित तौर पर अवश्य ही बाहर आ गए हैं। इसमें उन्होंने उस राजनीतिक रहस्य से पर्दा उठा दिया है कि सन 2004 में जब वे राष्ट्रपति थे तब सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने के खिलाफ थे या नहीं। कलाम ने अपनी जल्द ही रीलीज होने जा रही पुस्तक टर्निंग पोइंट्स, अ जर्नी थ्रू चौलेंजेस में खुलासा किया है कि अगर सोनिया पीएम बनना चाहतीं तो उनके पास कोई और विकल्प नहीं होता सिवाय उनकी नियुक्ति के।
कहा जा रहा है कि 13 मई, 2004 को आए चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस संसदीय दल व नए बने यूपीए गठबंधन का अध्यक्ष बनने के बावजूद सोनिया ने पीएम नहीं बनने का निर्णय किया था। कांग्रेस नीत सरकार का बाहर से समर्थन करने का निर्णय करने वाले वामदलों ने भी सोनिया का नाम पीएम पद के लिए प्रस्तावित किया था लेकिन कई दक्षिण पंथी पार्टियों ने सोनिया के विदेशी होने का मुद्दा उठाकर उनके पीएम बनने का विरोध किया था।
कहते हैं कि कलाम ने लिखा है, कई नेता मुझसे मिले और किसी तरह के दबाव में न आकर सोनिया को पीएम नियुक्त करने का निवेदन किया, यह घ्सा निवेदन था जोकि संवैधानिक रूप से तर्कसंगत नहीं था। अगर सोनिया ने अपने लिए कोई दावा किया होता तो मेरे पास उन्हें नियुक्त करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। एक अखबार के अनुसार कलाम ने अपनी पुस्तक में लिखा है, मैं तब चकित रह गया जब 18 मई को सोनिया ने पीएम पद के लिए मनमोहन सिंह का नाम लिया।
एक जानकार ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि कलाम ने पुस्तक में कहा, ‘‘उस समय कई ऐसा नेता थे जो इस अनुरोध के साथ मुझसे मिलने आए कि मैं किसी दबाव के सामने नहीं झुकूं और श्रीमती सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त करुं, यह एक ऐसा अनुरोध था जो संवैधानिक रुप से मान्य नहीं होता। यदि उन्होंने स्वयं ही अपने लिए कोई दावा किया होता तो मेरे पास उन्हें नियुक्त करने के सिवा कोई विकल्प नहीं होता।’’ उन्होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो जाने के तीन दिन तक कोई भी दल या गठबंधन सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आया। उन्होंने लिखा है कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान कई कडे फैसले करने पडे।
पूर्व राष्ट्रपति ने लिखा है, ‘‘कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों की राय जानने के बाद बिल्कुल ही निष्पक्ष तरीके से मैंने अपना दिमाग लगाया। इन सभी फैसलों का प्राथमिक लक्ष्य संविधान की गरिमा का संरक्षण और संवर्धन तथा उसे मजबूती प्रदान करना था।’’ वर्ष 2004 के चुनाव को रोचक घटना करार देते हुए उन्होंने लिखा है, ‘‘यह मेरे लिए चिंता का विषय था और मैंने अपने सचिवों से पूछा तथा मैंने सबसे बडे दल को सरकार गठन के लिए आगे आने और दावा करने के लिए पत्र लिखा। इस स्थिति में कांग्रेस सबसे बडा दल था।’’
कलाम ने लिखा है, ‘‘मुझे बताया गया कि सोनिया गांधी 18 मई को दोहपर सवा बारह बजे मुझसे मिल रही हैं। वह समय से आयीं और अकेले आने के बजाय वह डॉ। मनमोहन सिंह के साथ आयीं एवं मेरे साथ उन्होंने चर्चा की। उन्होंने कहा कि उनके पास पर्याप्त संख्याबल है लेकिन वह पार्टी पदाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले समर्थन पत्र लेकर नहीं आयी हैं।’’
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उन्होंने (सोनिया गांधी ने) कहा कि वह 19 मई को समर्थन पत्र लेकर आयेंगी। मैंने उनसे पूछा कि आपने क्यों स्थगित कर दिया। हम आज दोपहर भी इसे (सरकार गठन संबंधी औपचारिकता) पूरा सकते हैं। वह चली गयीं। बाद में मुझे संदेश मिला कि वह (अगले दिन) शाम में सवा आठ बजे मुझसे मिलेंगी।’’ जब यह संवाद चल रहा था तब कलाम को विभिन्न व्यक्तियों, संगठनों और दलों से कई ईमेल और पत्र मिले कि उन्हें सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देना चाहिए। उन्नीस मई को निर्धारित समय शाम सवा आठ बजे सोनिया गांधी सिंह के साथ राष्ट्रपति भवन आयीं।
कलाम आगे लिखते है, ‘‘बैठक में परस्पर अभिवादन के बाद उन्होंने मुझे विभिन्न दलों के समर्थन पत्र दिखाए। उसपर मैंने कहा कि स्वागतयोग्य है। आपको जो समय सही लगे राष्ट्रपति भवन शपथग्रहण समारोह के लिए तैयार है। उसके बाद उन्होंने मुझसे कहा कि वह डॉ। मनमोहन सिंह को बतौर प्रधानमंत्री नामित करना चाहेंगी जो 1991 में आर्थिक सुधारों के शिल्पी थे और बेदाग छवि के साथ कांग्रेस पार्टी के भरोसेमंद लेफ्टिनेंट हैं।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘निश्चित रुप से यह मेरे लिए एक आश्चर्य था और फिर से राष्ट्रपति भवन सचिवालय को डॉ। मनमोहन सिंह को बतौर प्रधानमंत्री नियुक्त करने और उन्हें शीघ्र ही सरकार गठन का न्यौता देने वाला पत्र लिखना पडा।’’ पूर्व राष्ट्रपति की इस पुस्तक को हार्परकोलिंस इंडिया ने छापी है और अगले सप्ताह यह रिलीज होने वाली है। 22 मई को सिंह ओर 67 मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के बाद कलाम ने इस बात की राहत की सांस ली कि यह महत्वपूर्ण कार्य अंततः पूरा हो गया।
उधर, जनता दल (यू) के अध्यक्ष शरद यादव ने आज पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम पर उनकी इन टिप्पणियों के लिए हमला किया कि 2004 में वह सोनिया गांधी के खिलाफ जबर्दस्त लॉबिंग के बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त करने को तैयार थे। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन के संयोजक शरद यादव ने कहा, ‘‘उनकी अंतरात्मा देर से जगी है। यह खुद के अभ्युदय के लिए हैं। हम उनका बहुत सम्मान करते थे, लेकिन इस तरह की टिप्पणियों के बाद अब बहुत दुखी हैं।’’
राजग के कार्यकाल में राष्ट्रपति बने कलाम के खिलाफ जद (यू) प्रमुख की टिप्पणी पूर्व राष्ट्रपति द्वारा किताब में यह खुलासा किए जाने के बाद आई है कि सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को लेकर कुछ हल्कों में जबर्दस्त राजनीतिक विरोध के बावजूद वह 2004 में उन्हें बिना किसी हिचक के प्रधानमंत्री के रुप में शपथ दिलाने के लिए तैयार थे। अपनी पुस्तक टर्निंग प्वाइंट्समें कलाम ने यह भी कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 2002 के दंगों के बाद उनकी गुजरात यात्र के पक्ष में नहीं थे। कलाम की इस टिप्पणी पर कांग्रेस को कल वाजपेयी की राजधर्मवाली नसीहत पर सवाल उठाने का मौका मिल गया। यह सलाह वाजपेयी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दी थी।
शरद ने यह भी पूछा कि कलाम आठ साल तक चुप क्यों रहे, जब राजनीतिक जगत में ‘‘अफवाहों और चर्चाओं का दौर जारी था। शरद ने कहा, ‘‘संवैधानिक प्रमुख को सच तभी बोलना चाहिए जब इसकी जरुरत हो। अंतरात्मा की आवाज पर बोलने का तब कोई मतलब नहीं है जब उससे आपका हितसाधन हो। गांधी जी अपनी अंतरात्मा के अनुरूप तत्काल बोला करते थे। उन्होंने उस समय अपनी अन्तरात्मा को क्यों मार दिया।’’ जदयू प्रमुख ने आठ साल बाद सच बोलने का कारण जानना चाहा।
उन्होंने कहा, ‘‘सच तभी बोलना चाहिए जब इसकी आवश्यकता हो। यदि यह तब बोला जाता है जब इसकी जरूरत नहीं हो तो यह दिखावा होता है। राष्ट्रपति भवन में बैठे व्यक्ति का दायित्व है कि वह इन हालात में सच बोले और सच बोलने के लिए किसी अवसर का इंतजार नहीं करे।

निर्मल बाबा स्वदेश वापस!


निर्मल बाबा स्वदेश वापस!

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। भक्तों पर किरपा (कृपा) बरसानेवाले निर्मल बाबा स्वदेश लौट आये हैं। खबर थी कि वह पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए बैंकॉक चले गये थे। एक निजी समाचार चेनल के अनुसार, निर्मल बाबा को शुक्रवार रात नौ बजे नयी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर देखा गया।
ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों मध्यप्रदेश पुलिस ने निर्मल बाबा पर दबिश बनायी थी। इसके बाद से उनका कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। खबर आयी थी कि वह देश से बाहर चले गये हैं। इस बीच शुक्रवार को मध्यप्रदेश हाइकोर्ट, जबलपुर से उन्हें राहत मिल गयी। इसकी सूचना मिलते ही वह स्वदेश लौट आये।
प्रत्यक्षदर्शियों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा थाइ एयरवेज की विमान संख्या टीडी 315 से 8.55 बजे नयी दिल्ली पहुंचे। यह विमान 4.30 बजे बैंकॉक से उड़ान भरता है। एयरपोर्ट पर बाबा नये रूप में दिखायी दे रहे थे। बाबा पिंक कलर की शर्ट और क्रीम कलर की पैंट पहने हुए थे। लोगों से घिरे रहने वाले बाबा एयरपोर्ट में अकेले थे।
उधर, समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के मध्य प्रदेश ब्यूरो से समाचार मिला है कि मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने निर्मल बाबा के खिलाफ वारंट पर स्थगनादेश जारी किया है।  हाइकोर्ट की एकलपीठ के न्यायाधीश आरसी मिश्र ने याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए नौ अगस्त की तिथि निर्धारित की है। सागर-बीना जिला न्यायालय ने दायर परिवाद की सुनवाई करते हुए निर्मल बाबा के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य आपराधिक धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिया था। साथ ही वारंट भी जारी किया था, जिसके खिलाफ निर्मल बाबा की तरफ से याचिका दायर की गयी थी।
इस बीच निर्मल बाबा की आधिकारिक वेबसाइट पर पहली बार उनका संक्षिप्त विवरण डाला गया है।  जहां-जहां भी बाबा रहे, उनका परिवार कब पाकिस्तान से आया, कैसे-कैसे उन्हें बिजनेस किया, साइट पर उसका उल्लेख है।  यह भी लिखा गया है कि उनकी लोकप्रियता से घबरा कर ही उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है और फरजी मुकदमे दायर किये जा रहे हैं।

सेवाकर की नई व्यवस्था लागू


सेवाकर की नई व्यवस्था लागू

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। आज से सेवा कर की नई व्यवस्था लागू हो जायेगी । सकारात्मक सूची में शामिल ३८ सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं पर अब १२ प्रतिशत सेवाकर लगेगा। सरकार ने कर के दायरे में लाने के लिए सेवाओं की परिभाषा को भी व्यापक बनाया है। अब तक सकारात्मक सूची में शामिल ११९ सेवाओं पर यह कर लगता था।
मीटर से चलने वाली टैक्सी, ऑटो रिक्शा, शर्त लगाने, जुआ, लॉटरी, मनोरंजन उद्यानों में प्रवेश, माल और यात्रियों की ढुलाई तथा बिजली वितरण और पारेषण जैसी सेवाओं को नकारात्मक सूची में रखा गया है और इन पर सेवाकर नहीं लगेगा।
कोचिंग क्लासिस और प्रशिक्षण संस्थान अब इस कर के दायरे में आएंगे, लेकिन विद्यालयों और विश्वविद्यालयों तथा मान्यता प्राप्त व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर सेवाकर नहीं लगेगा।
रेल मंत्री मुकुल राय ने कहा है कि माल भाड़े पर आज से सेवाकर नहीं लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को इस मामले में पत्र लिखा गया है। डॉक्टर सिंह इस समय वित्त मंत्रालय भी देख रहे हैं। सेवाओं के कराधान के संबंध में नई नीति देश और अर्थव्यवस्था को माल और सेवाकर-जी एस टी शुरू करने की तरफ ले जाने के लिए तैयार की गई है।

विमान का ईंधन हुआ सस्ता


विमान का ईंधन हुआ सस्ता

(शिवेश नामदेव)

नई दिल्ली (साई)। वित्तीय संकट से जूझ रही एयरलाइन्स कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए विमान इंधन के दाम में लगभग दो प्रतिशत कटौती की गई है। दिल्ली में प्रति किलोलीटर १,२४१ रुपये की कटौती कर इसकी कीमत आधी रात से ६१ हजार १६९ रुपये प्रति किलोलीटर कर दी गई है।
इंडियन ऑयल कार्पाेरेशन के अनुसार मुम्बई में इसकी कीमत ६१ हजार ९३४ रुपये प्रति किलोलीटर होगी। तीन तेल कंपनियां आईओसी, हिंदुस्तान पैट्रोलियम और भारत पैट्रोलियम हर महीने की १६ तारीख को जेट ईंधन में संशोधन करती हैं। यह संशोधन पिछले पखवाड़े के अंतर्राष्ट्रीय औसत मूल्य पर आधारित होता है।

निर्मल भारत के लिए 3500 करोड़ का प्रावधान


निर्मल भारत के लिए 3500 करोड़ का प्रावधान

(प्रियंका चौपड़ा)

नई दिल्ली (साई)। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि खुले में शौच करने से मुक्ति दिलाने के लिए दस वर्षीय अभियान शुरू किया गया है। अगरतला में कल पूर्वाेत्तर राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ पेय जल और सफाई के संबंध में बैठक के बाद श्री रमेश ने पत्रकारों को बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान केंद्र सरकार ने निर्मल भारत अभियान के लिए तीन हजार पांच सौ करोड़ रूपये निर्धारित किए हैं। देश के सभी ग्राम पंचायतों को इसका लाभ मिलेगा।
समीक्षा बैठक का हवाला देते हुए श्री रमेश ने कहा कि सिक्किम को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और केरल इस दिशा में आगे बढ़ा है। इस समय देश में दो लाख चालीस हजार ग्राम पंचायतें हैं। श्री रमेश ने कहा कि उनका मंत्रालय रेल पटरियों के किनारे शौच की समस्या से निपटने के लिए बिल गेट्स फाउंडेशन के साथ बातचीत कर रहा है।