सोमवार, 25 मार्च 2013

कब है होली. . . .!


कब है होली. . . .!

(लिमटी खरे)

1975 में आई सुपर डुपर हिट फिल्म शोले में गब्बर सिंह का डायलाग, कब है होली . . ., उस दौर के लोगों की जुबान पर इस कदर चढ़ गया था कि मत पूछिए, वह वाकई डकैतों का समय था और उसके बाद की होली में गांव के लोग चाक चौबंद ही रहा करते थे। होली पर रूपहले पर्दे पर भी अनेक एसे गीत आए जो समय बेसमय लोग गुनगुनाते देखे गए। जब तक महान निर्माता निर्देशक और कलाकार राज कपूर जिंदा रहे तब तक उनके आर.के.स्टूडियो की होली भी अपने आप में अनोखी ही रहा करती थी। होली के जमकर शौकीन राजकपूर ने स्टूडियो में तो होली खेली पर अपनी फिल्मों में उन्होंने होली को कभी नहीं फिल्माया। होली के ना जाने कितने नाम देश विदेश में प्रचलित हैं। वैसे भी अनेकता में एकता ही भारत की विशेषता कही जा सकती है।

होली शब्द जेहन में आते ही सारा जहां रंगों से सराबोर दिखाई पडने लगता है। लगता है मानो कुदरत की सबसे अनुपम भेंट धरती और हम इंसानों सहित समूचे पशु पक्षी रंगों से नहा गए हों। होली का पर्व आते आते ही मन आल्हादित हो उठता है। युवाओं के मन मस्तिष्क में न जाने किसम किसम की भावनाएं हिलोरे मारने लगती हैं। प्रोढ और वृद्ध भी साल भर रंगो के इस त्योहार की प्रतिक्षा करते हैं। सबसे बडी और अच्छी बात तो यह है कि देश के हर धर्म, वर्ग, मजहब के लोग होली का पूरा सम्मान कर एक दूसरे से गले मिलने से नहीं चूकते हैं।
भारत को समूचे विश्व में अचंभे की नजरों से देखा जाता है। इसका कारण यह है कि यहां हर 20 किलोमीटर की दूरी पर बोलचाल की भाषा में कुछ न कुछ परिवर्तन दिखने लगता है। हिन्दुस्तान ही इकलौता एसा देश है जहां हर धर्म, हर पंथ, हर मजहब को मानने की आजादी है। दुनिया भर के लोग आश्चर्य इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि आखिर कौन सी ईश्वरीय ताकत है जो इतने अलग अलग धर्म, पंथ, विचार, मजहब के लोगों को एक सूत्र में पिरोए रखती है।
अगर देखा जाए तो भारत कुदरत की इस कायनात का एक सबसे दर्शनीय, पठनीय, श्रृवणीय करिश्मा होने के साथ ही साथ महसूस करने की विषय वस्तु से कम नहीं है, यही कारण है कि हर साल लाखों की तादाद में विदेशी सैलानी यहां आकर इन्ही सारी बातों के बारे में अध्ययन, चिंतन और मनन करते हैं। भारत के अंदर फैली एताहिसक विरासतों में विदेशी सैलानी बहुत ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं।
भारत के अनेक प्रांतों में होली को अलग अलग नामों से जाना जाता है। पर्व एक है, उल्लास भी कमोबेश एक ही जैसा होता है, बस नाम ही जुदा है। इसके साथ ही साथ इसे मनाने का अंदाज भी बहुत ज्यादा हटकर नहीं है। अगर आप इब्नेबबूता (मुगलकालीन धुमक्कड) बनकर समूचे देश की सैर करें तो आप पाएंगे कि वाकई होली एक है, भावनाएं एक हैं, प्रेम का इजाहर कमोबेश एक सा है, बस अंदाज कुछ थोडा मोडा जुदा है।

दुलैंडी
होली शब्द के कान में गूंजते ही देवर भाभी के बीच की नोक झोंक, छेड छाड के फिल्मी दृश्य जेहन में जीवंत हो उठते हैं। वैसे तो देश के अनेक भागों में देवर भाभी के बीच होने वाले पंच प्रपंच को होली से जोडकर देखा जाता है, पर हरियाणा में इसका बहुत ज्यादा प्रचलन है। मजे की बात यह है कि हरियाणा में इस दिन भाभी को देवर की पिटाई करने का सामाजिक हक मिल जाता है। इस दिन भाभी द्वारा पूरे साल भर की देवर की करतूतों हरकतों के हिसाब से उसकी पिटाई की जाती है। दिन ढलते ही शाम को लुटा पिटा देवर भाभी के लिए मिठाई लाता है।

फाग पूर्णिमा
बिहार में होली को फाग पूर्णिमा भी कहा जाता है। दरअसल फाग का मतलब होता है, पाउडर और पूर्णिमा अर्थात पूरे चांद वाला। बिहार में शेष हिन्दुस्तान की तरह आम तरह की ही होली मनाई जाती है। ‘‘नदिया के पार‘‘ में दिखाई होली बिहार में खेले जाने वाले फगवा की ओर इशारा करती है। बिहार में होली को फगवा इसलिए भी कहते हैं क्योंकि यह फागुन मास के अंतिम हिस्से और चैत्र मास के शुरूआती समय मनाई जाती है।

डोल पूर्णिमा
पश्चिम बंगाल में युवाओं द्वारा मनाई जाने वाली होली को डोल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सुबह से ही केसरिया रंग का लिबास पहनकर युवा हाथों में महकते फूलों के गजरे और हार लटकाए हुए नाचते गाते मोहल्लों से होकर गुजरते हैं। कुछ स्थानों पर युवा पालकी में राधा कृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा रखकर सज धजकर उल्लास से झूमते नाचते हैं।

बसंत उत्सव
पश्चिम बंगाल मेें इस उत्सव की शुरूआत नोबेल पुरूस्कार प्राप्त साहित्यकार गुरू रविंद्रनाथ टैगोर ने की थी। गुरूदेव के द्वारा स्थापित शांति निकेतन में बसंत उत्सव का पर्व बहुत ही सादगी और गरिमा पूर्ण तरीके से मनाया जाता है। शांति निकेतन के छात्र छात्राएं न केवल पारंपरिक रंगों से होली खेलते हैं, बल्कि गीत संगीत, नाटक, नृत्य आदि के साथ बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं।

कमन पंडिगाई
तमिलनाडू में होली का पर्व कमन पंडिगाई के रूप में भी मनाया जाता है। तमिलनाडू में होली पर भगवान कामदेव की अराधना और पूजा की जाती है। यहां मान्यता है कि भोले भंडारी भगवान शिव ने जब कामदेव को अपने कोप से भस्म किया था, तो इसी दिन कामदेव की अर्धांग्नी रति के तप, प्रार्थना और तपस्या के उपरांत भगवान शिव ने उन्हें पुर्नजीवित किया था।

शिमगो
मूलतः शिमगो गोवा के इर्द गिर्द ही मनाया जाता है। महाराष्ट्र की कोकणी भाषा में होली को शिमगो का नाम दिया गया है। शेष भारत की तरह गोवा के लोग भी रंगों को आपस में उडेलकर बसंत का स्वागत करते हैं। इस पर्व पर ढेर सारे पकवान बनाए जाते हैं, आपस में बांटे जाते हैं। खासतौर पर पणजिम में यह त्योहार बहुत ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक और पौराणिक कथाओं पर आधारित नाटकों का मंचन भी इसी दिन किया जाता है।

होला मुहल्ला
पंजाब में होला मुहल्ला का इंतजार हर किसी को होता है। यह होली के दूसरे दिन आनंदपुर साहिब में लगने वाले सालाना मेले का नाम है। मान्यता है कि होला मुहल्ला की शुरूआत सिख पंथ के दसवें गुरू, ‘‘गुरू गोविंद सिंह जी‘‘ द्वारा की गई थी। तीन दिन तक चलने वाले इस पर्व के दौरान सिख समुदाय के लोग खतरनाक खेलों का प्रदर्शन कर उनके माध्यम से अपनी ताकत और क्षमताओं का प्रदर्शन करते हैं।

रंग पंचमी
समूचे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित मालवा अंचल में होली का जश्न और सुरूर एक दो नहीं पूरे पांच दिन होता है। होलिका दहन के दूसरे दिन धुरैडी से लेकर रंग पंचमी तक लोग होली पूरे शबाब पर होती है। धुरैडी के उपरांत लोग पांचवा दिन अर्थात रंग पंचमी का बेसब्री से इंतजार करते हैं। प्रदेश के कुछ भागों में तो होली से ज्यादा आनंद रंग पंचमी का लिया जाता है। राज्य मेें खासतौर पर मछुआरा समुदाय इस पर्व को बडी ही धूमधाम के साथ मनाता है। वे जोरशोर से नाचते गाते बजाते हैं। इस दिन हुई शादी को वे बहुत ही शुभ मानते हैं।

देखा जाए तो होली रंगों का एसा त्योहार है जिसमें दुश्मन भी आपस में मिलते हैं। होली को भारतीय सिनेमा में जमकर मशहूर किया है। शोले में अमजद खान की गब्बर सिंह वाली भूमिका वाकई जीवंत हो गई थी। सत्तर के दशक के अंत में अनेक महिलाएं घरों में गब्बर सिंह की आवाज गूंजती महसूस करतीं और वे रात को सो भी नहीं पातीं।
1940 में बनी फिल्म औरत में महबूब खान ने जमुना के श्याम खेलें होलीको स्थान दिया था। इसके बाद मदर इंडिया में होली आई रे कन्हाई, रंग छलके तो दिलीप कुमार की आन में खेलो रंग हमारे संग ने धूम मचाई थी। कोहनूर फिल्म में तन रंग लो आज मन रंग लो, का अपना अलग जलजला रहा। नवरंग में चल जा रहे हट नटखट ने युवाओं को खासा लुभाया। गाईड के एक गाने पिया तोसे . . में भी होली का एक अंतरा जोड़ा गया। कटी पतंग में आज ना छोड़ेगे बस हमजोली भी युवाओं को काफी भाया।
मशाल में ओ देखो आई होली तो लम्हे में मोहे छेड़ो ना, का जवाब नहीं। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पर शोले के अलावा सिलसिला में रंग बरसे का तो अपना अलग अनूठा अंदाज देखने को मिला। इसमें अमिताभ बच्चन जया भादुडी और रेखा के त्रिकोण को जमकर उकेरा गया था। नदिया के पार में होली पर जोगी जी का अंदाज ही अलग रहा। (साई फीचर्स)

रियल स्टेट के लिए अब नियामक!


रियल स्टेट के लिए अब नियामक!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। सरकार रीयल एस्टेट क्षेत्र के कारोबार के लिए नियामक की स्थापना करेगी। सरकार चाहती है कि रीयल एस्टेट परियोजनाओं के भ्रामक विज्ञापन जारी करने वाले कारोबारियों के लिए कैद की सजा का प्रावधान भी हो। आवास और शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्री अजय माकन ने कहा कि प्रस्तावित नियामक के गठन के बाद, डेवलपर अपनी परियोजनाएं केवल तभी शुरू कर सकेंगे, जब उन्होंने सभी आवश्यक औपचारिकताएं और मंजूरी हासिल कर ली हो।
कल शाम नई दिल्ली में राष्ट्रीय संपादक सम्मेलन में माकन ने कहा कि रीयल एस्टेट परियोजनाओं के लिए सभी जरूरी मंजूरियों के कागजात नियामक के समक्ष प्रस्तुत करने होंगे तथा निर्माण शुरू करने से पहले उसे अपनी वेबसाइट पर भी प्रदर्शित करना होगा।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को जल्दी ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। माकन ने कहा कि सरकार इस विधेयक को बजट सत्र के दौरान ही पेश करना चाहती है। इससे पहले, माकन ने कहा कि उनका मंत्रालय २०१३-१४ के दौरान राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की शुरूआत करेगा। इसे मौजूदा स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के स्थान पर लाया जा रहा है। माकन ने कहा कि इस मिशन में, शहरी रेहड़ी-पटरी वालों को सहायता और शहरी बेघरों के लिए आश्रय नामक दो नई योजनाएं शामिल की जाएंगी।

खाद्य सुरक्षा विधेयक जल्द ही होगा पारित


खाद्य सुरक्षा विधेयक जल्द ही होगा पारित

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक जल्द ही संसद से पास हो जाएगा। इससे देश की ६७ प्रतिशत जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा का अधिकार मिल जाएगा। पंजाब में लुधियाना में कल एक जनसभा को संबोधित करते हुए तिवारी ने कहा कि मंत्रिमंडल ने संशोधित खाद्य सुरक्षा विधेयक को पिछले सप्ताह मंजूरी दी और इसे शुक्रवार को लोकसभा में फिर से पेश किया गया।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद हर व्यक्ति को प्रति माह पांच किलो अनाज मिलेगा तथा ग़रीब परिवार को प्रति माह ३५ किलो अनाज दिया जाएगा। राशन की दुकानों से चावल तीन रुपये प्रति किलो, गेहूं दो रुपये प्रति किलो और मोटे अनाज एक रुपये प्रति किलो की दर से पहले तीन वर्ष तक मिलेंगे।

पीएम आज ब्रिक्स सम्मेलन के लिए होंगे रवाना


पीएम आज ब्रिक्स सम्मेलन के लिए होंगे रवाना

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पांचवे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आज दक्षिण अफ्रीका रवाना हो रहे हैं। डरबन में कल से शुरू हो रहे सम्मेलन में डॉ. सिंह ब्रिक्स संगठन के नेताओं, ब्राजील की राष्ट्रपति दिलिमा रोसेफ, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति षी चिंगफिंग की शिखर बैठक में शामिल होंगे।
डॉ. मनमोहन सिंह दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा के निमंत्रण पर डरबन की यात्रा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ब्रिक्स संगठन की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका को सौंपेंगे। वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम, वाणिज्य मंत्री आनन्द शर्मा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन सहित उच्चस्तरीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री के साथ जा रहा है।
पीएमओ के सूत्रों ने बताया कि ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का काफी व्यस्त कार्यक्रम रहेगा। वो विभिन्न अफ्रीकी देशियों के शासकों के साथ वार्तालाप करेंगे। इसके अतिरिक्त डॉ. सिंह रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति दिलिमा रोसफ, दक्षिणी अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा और चीन के नये चुने गए राष्ट्रपति षी चिंगफिंग के साथ भी बातचीत करेंगे।
उधर चीन के राष्ट्रपति ने भारत के साथ संबंधों को सुधारने की अपनी प्रतिबद्धता जातायी है। चिंगफिंग ने दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम देने की बात कही है और भारत के साथ विपक्षी संबंधों को मजबूत बनाने का स्पष्ट संकेत दिया है। उन्होंने ब्रिक्स सम्मेलन से अलग प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ मुलाकात करने की इच्छा जतायी है।

दार्जलिंग में सड़क और रेल सुधार जारी


दार्जलिंग में सड़क और रेल सुधार जारी

(जाग्रति)

दार्जलिंग (साई)। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय तथा रेल मंत्रालय पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी और कर्सियांग के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-५५ पर सड़क और रेल संपर्क बहाल करने के हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच वाहनों की आवाजाही पंखाबाड़ी और रोहिणी वैकल्पिक मार्ग से हो रही है।
ज्ञातव्य है कि न्यू जलपाई गुड़ी और दार्जलिंग के बीच ८८ किलोमीटर लंबी नेरो गेज लाइन के बीच तेरह स्टेशन हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग ५५ के समानांतर चलने वाली इस रेल लाइन का एक बड़ा हिस्सा भू-स्खलन से राजमार्ग के साथ-साथ क्षतिग्रस्त हो गया है।
रेल अधिकारियों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि क्षतिग्रस्त राजमार्ग और रेल लाइन के मरम्मत के बाद ही इस रेल खंड पर टॉयट्रेन का चलना शुरू हो सकेगा। हालांकि कर्सियांग और दार्जलिंग के बीच टॉयट्रेन का चलना अभी भी जारी है, जो देशीय और विदेशीय पर्यटकों को खासा आकर्षित करती है। यूनेस्को ने इस अद्भुत पहाड़ी रेल संपर्क को साल १९९९ में विश्व धरोहर के दर्जे से नवाजा है।

सेविनियस इंडियन डिलाइट उद्यघाटित

सेविनियस इंडियन डिलाइट उद्यघाटित

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। सात ख्याति प्राप्त चित्रकारों की चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन दीनानाथ भार्गव द्वारा हौज खास गॉव स्थित मुल्कराज आनंद सेन्टर लोकायत आर्ट गैलेरी में किया गया। दीनानाथ भार्गव का जन्म 1 नवम्बर 1927 को मध्यप्रदेश के बेतूल जिले में पंडित केदारनाथ भार्गव के यहां हुआ। भार्गव एक प्रख्यात कलाकार, चिन्तक, व्यवस्थापक, मॉड्यूलेटर और डिज़ाइनर हैं। यह प्रदर्शनी 22 मार्च से 29 मार्च 2013 तक सवेरे 11 बजे से सायं 7 बजे तक जनता के लिए खुली है। इस सात दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी में चित्रकार सर्वश्री असित रॉय, बैद्यनाथ बाल्डे, किरन दीक्षित ठक्कर, के।एस।एच। सरत सिंह, एन। थॉमस सिंह, पुलक दास और रॉकेश कुमार सिंह की चित्रों को दर्शाया गया है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ0 अमीय चन्दा, प्रो0 एन्ड्री बिटेले, अविनाश पसरीचा, केशव मलिक, सुनीत चोपड़ा उपस्थित थे। एक विशेष आदान-प्रदान का सत्र दिनांक 26 मार्च को सायं 7 बजे दीनानाथ भार्गव के लिए रखा गया है। दीनानाथ भार्गव ही वह सख्सियत हैं जिन्होंने हमें राष्ट्रीय चिन्ह दिया है। इन्होंने भारत के संविधान का कव्हर पेज डिज़ाइन किया है। भार्गव ने राष्ट्रीय चिन्ह का प्रतीक कोलकाता के चिड़ियाघर में शेरों को देखकर डिज़ाइन किया। भार्गव के प्रेरणा स्रोत शांति निकेतन कला भवन के प्राचार्य स्व0 नंदलाल बोस थे। 

क्या है पोप की दिनचर्या और कार्यप्रणाली


क्या है पोप की दिनचर्या और कार्यप्रणाली

(आर.बी.मसीह)

नई दिल्ली (साई)। पोप फ्रांसिस कैथोलिक चर्च के प्रमुख के तौर पर ज़िम्मेदारियां संभाल चुके हैं। वो इसलिए भी सुर्खियों में है कि वो पहले पोप हैं जिनका संबंध लैटिन अमरीका से है। आधिकारिक तौर पर उनके कार्यभार संभालने के मौक़े पर छह वर्तमान राजा, 31 राष्ट्राध्यक्ष और 132 देशों की सरकारों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
पोप न सिर्फ़ दुनिया के सबसे छोटे देश वेटिकन सिटी के राष्ट्राध्यक्ष होते हैं बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैले 1.2 अरब कैथोलिक ईसाइयों के आध्यात्मिक नेता भी हैं। वैसे सोचने वाली बात ये है कि पोप के जिस पद की इतनी चर्चा है, उस पर आसीन व्यक्ति का काम क्या होता है?
वेटिकन सिंटी के पोप के निवास के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पोप की धार्मिक जिम्मेदारियों के तहत अनेक काम उनके पास होते हैं। पोप के नियमित कामों में हर रविवार को क्लिक करेंवेटिकन पहुंचे दुनिया भर के श्रद्धालुओं को संबोधित करना और उन्हें आशीर्वाद देना शामिल होता है। इसके लिए वो अपने अध्ययन कक्ष की उस खिड़की का इस्तेमाल करते हैं जहां से सेंट पीटर्स स्कवेयर का भव्य नज़ारा दिखता है।
इसके अलावा वो हफ्ते में एक बार लगभग पांच हज़ार श्रद्धालुओं से मुख़ातिब होते है। सर्दियों में इसका आयोजन एक हॉल में किया जाता है तो गर्मियों में पोप सेंट पीटर्स स्कवेयर पर खुले आसमान के नीचे श्रद्धालुओं से रुबरू होते हैं। पोप सामान्य तौर पर सेंट पीटर्स के अंदर होने वाले अहम उत्सवों के दौरान आयोजनों का नेतृत्व करते हैं। इसमें क्रिसमस और ईस्टर शामिल है। इस दौरान पोप उसी खिड़की से मुख़ातिब होते हैं जहां पोप बनने के बाद वो पहली बार दुनिया के सामने आते हैं। यहीं से वो अपना उरबी एट ओरबीसंदेश देते हैं।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि ननों के रूप में पोप के कुछ निजी कर्मचारी भी होते हैं जो खाना बनाना और साफ़ सफ़ाई जैसे उनके घरेलू काम करते हैं। पोप का एक निजी रसोइया भी होता है। क्लिक करेंपोप बेनेडिक्ट और पोप जॉन पॉल, दोनों दो निजी सचिव भी रखते थे।
पोप की ज़िम्मेदारियों में ये भी शामिल है कि वो पांच साल में कम से कम एक बार दुनिया के हर बिशप से मिलें जिनकी संख्या पांच हज़ार से ज़्यादा है। इस तरह पोप साल में आम तौर पर एक हज़ार बिशपों यानी हफ्ते में बीस बिशपों से मिलते हैं। चर्च के क़ानून के तहत हर बिशप को रोम जाना ज़रूरी है ताकि वो बता सकें कि उनके डायोसिस में क्या हो रहा है।
आजकल विदेश दौरे भी पोप की ज़िम्मेदारियों में शामिल हैं। बताया जा रहा है कि बतौर पोप वो सबसे पहले अपने मूल देश अर्जेंटीना जा सकते हैं। जुलाई में ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो शहर में होने वाले कैथोलिक यूथ फेस्टिवल में भी उनके उपस्थिति रहने की उम्मीद है। इटली में वो सबसे पहले असीसी का दौरा कर सकते हैं जो इटली के सबसे प्रिय संत सैंट फ्रांसिस का जन्म स्थान है। उन्हीं के नाम पर नए पोप ने अपना नाम रखा है।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि पोप से मिलने बहुत से विदेशी मेहमान भी वेटिकन पहुंचते हैं। अपनी लाइब्रेरी में वो इन लोगों से मिलते हैं। यहां से एक बार में उनसे चार पांच लोगों के समूह से कई सौ लोग मिल सकते हैं।
पारंपरिक तौर पर पोप एक बड़े से अपार्टमेंट में रहते हैं। अपॉस्टोलिक पैलेस की सबसे ऊपरी मंज़िल पर स्थित है। लेकिन नए पोप शायद वहां न रहें। जब उन्हें ब्यूनस आयर्स का आर्चबिशप नियुक्त किया गया था, तो उन्होंने आर्चबिशप पैलेस की बजाय एक साधारण से मकान में रहना पसंद किया। अभी तक वो वैटिकन में एक होटल के कमरे से ही काम कर रहे हैं। वो अपने महलनुमा आधिकारिक निवास में नहीं गए हैं, जो उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा बड़ा लगा।

जबलपुर : एमआईएस सिस्टम का जवाब नहीं: चौबे


एमआईएस सिस्टम का जवाब नहीं: चौबे

(सुरेंद्र जायस्वाल)

जबलपुर (साई)। भारत सरकार के महिला बाल विकास विभाग द्वारा देशभर में चल रही बाल विकास परियोजनाओं के लिए नया एमआईएस सिस्टम आगामी वित्तीय वर्ष से लागू किया जा रहा है। इस सिस्टम को लागू करने के लिए संचालनालय बाल विकास सेवाएं राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी 9 संभागों में जिला स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। 
इस क्रम में जबलपुर संभाग स्तरीय चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन 21 से 24 मार्च को त्रिपुरी चौक स्थित होटल मारूति मण्डपम में आयोजित किया गया। जिसमें संभाग के सभी जिलों से 28  प्रशिक्षणार्थीयों को राज्य स्तरीय  प्रशिक्षक संजय अब्राहम  एवं  जी.एस.लौवंशी द्वारा प्रत्येक विषय पर प्रभावी प्रशिक्षण दिया जो प्रशिक्षण कार्यक्रम की विषेशता थी।
राज्य स्तरीय  प्रशिक्षकों ने  प्रशिक्षण रत प्रतिभागियों से लागू की जाने वाली सभी 11 पंजियों की  तालिकाओं  जैसे सर्वे, पोषण आहार, डाटा-ट्रान्सफ़र-शीट, टीकाकरण, आदि पर अभ्यास प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए  जिला कार्यक्रम अधिकारी एच.के. शर्मा ने कहा कि- ष्बाल विकास सेवाघ्ं की मानिटरिंग ही नहीं वरन कार्यक्रमों के लिये प्रभावी क्रियांवयन की रणनीती के लिये संवर्धित एम आई एस प्रणाली बेहद असरदार होगी ष् प्रशिक्षण का समापन  रविवार 24 मार्च संयुक्त-संचालक एस सी चौबे ने कहा कि - बदलते परिवेश में विकास कार्यक्रमों की मानिटरिंग की उच्च-स्तरीय गुणवत्ता के लिये सही सही एवम सुस्पष्ट आंकड़ों के महत्व को अनदेखा नहीं करना चाहिये। परिवर्धित एवम संवर्धित  एम आई एस सिस्टम बेहद  उपयोगी है। जिला स्तरीय प्रशिक्षकों की ज़िम्मेदारी सबसे अधिक है क्योंकि उनको निचले स्तर पर प्रशिक्षण देना है। जहां से डाटा-जनरेट होगा। अतरू प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बनाए रखना आगामी चरणों के  प्रशिक्षणघ्ं में ज़रूरी होगा।
 चार दिवसीय प्रशिक्षण का प्रबंधन एवम संचालन गिरीश बिल्लोरे बाल विकास परियोजना अधिकारी डिंडोरी ने किया। सूर्या कुमार (मंडला),श्री विवेकरंजन उपाध्याय (डिंडोरी), रविकुमार (जबलपुर) की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

सिवनी : नगर पालिका अध्यक्ष त्रिवेदी के साथ कलेक्टर के किया शहर भ्रमण


नगर पालिका अध्यक्ष त्रिवेदी के साथ कलेक्टर के किया शहर भ्रमण

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के राज में उनके अफसर किस तरह मदमस्त हाथियों के मानिंद मस्ता रहे हैं इसकी एक बानगी सिवनी में जनसंपर्क विभाग द्वारा रविवार देर शाम जारी एक पत्र विज्ञप्ति में देखने को मिली है। पीआरओ सिवनी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कलेक्टर भरत यादव और पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला को नगर पालिका अध्यक्ष के साथ शहर भ्रमण करने का समाचार प्रकाशन के लिए भेजा गया है।
जनसंपर्क द्वारा जारी समाचार के अनुसार कलेक्टर भरत यादव ने आज एस.पी. मिथलेश शुक्ला और नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के साथ सिवनी शहर का सघन भ्रमण किया। उन्होंने पूरे शहर के प्रमुख केन्द्रों का भ्रमण कर शहर के विकास कार्याे का जायजा लिया। कलेक्टर यादव ने सर्वप्रथम फुटबाल स्टेडियम से अपना नगर भ्रमण प्रारंभ कर क्रमशः ज्यारत, सर्किल जेल, रेल्वे स्टेशन, नागपुर रोड स्थित कृषि विकास केन्द्र, दलसागर, भैरोगंज स्थित मोक्षधाम, महामाया मंदिर, बडी मस्जिद क्षेत्र का अवलोकन करते हुए नेहरू रोड होकर शुक्रवारी स्थित एस.डी.ओ.पी. सिवनी कार्यालय पहुंचे। कलेक्टर ने सभी स्थानों पर स्थानीय नागरिकों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा की और चल रहे विकास कार्याे की जानकारी हासिल की। इस दौरान एस.डी.एम. सिवनी शहरी चन्द्रशेखर शुक्ला, एस.डी.ओ.पी. बहुगुणा, टी.आई. कोतवाली सिवनी हरिओम शर्मा, नायब तहसीलदार सिवनी राजेश बोरासी, सी.एम.ओ. नगरपालिका मेश्राम, मनुचंद सोनी, अन्य अधिकारीगण व नागरिकगण उपस्थित थे। निरीक्षण के दौरान नपाध्यक्ष त्रिवेदी ने कलेक्टर यादव को नगरपालिका क्षेत्र में कराये जा रहे विविध निर्माण कार्याे की जानकारी दी। कलेक्टर ने दलसागर में चल रहे निर्माण कार्याे का भी जायजा लिया।
जानकारों का कहना है कि इस पत्र विज्ञप्ति को चूंकि सरकारी तौर पर जारी किया गया है अतः यह आधिकारिक ही मानी जाएगी। इसमें जिला कलेक्टर को नगर पालिका अध्यक्ष के साथ भ्रमण की बात कुछ लोगों के गले नहीं उतर रही है। एक सरकारी कर्मचारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि वस्तुतः इसकी इबारत कलेक्टर एसपी के नगर भ्रमण के दौरान नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी का उनके साथ होने का उल्लेख किया जाता तो उचित होता।
वहीं दूसरी ओर मौके पर अनेक पार्षद मौजूद थे, जिनकी सरेआम उपेक्षा करते हुए जिला जनसंपर्क अधिकारी ने सिर्फ और सिर्फ एक ही नाम मनुचंद सोनी का उल्लेख किया है जो पूर्व पार्षद हैं। इस संबंध में जब जिला जनसंपर्क अधिकारी कार्यालय से संपर्क किया गया तो वहां उपस्थित लिपिक ने कहा कि चूंकि वे फोटो खींच रहे थे अतः उन्हें ओबलाईज करना जरूरी था इसलिए नाम डाल दिया गया।
उधर, भाजपा संगठन के सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि इसके पहले नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा अनेक बाद संगठन में उपरी स्तर पर इस बात की शिकायत की है कि तत्कालीन कलेक्टर (निर्वतमान कलेक्टर अजीत कुमार) उनकी बात नहीं सुनते हैं और उनके काम में अड़ंगे लगाते हैं। इन शिकायतों के बारे में शहर में तरह तरह की चर्चाएं आम हो चुकी थीं।
वहीं दूसरी ओर एतिहासिक महत्व वाले दलसागर तालाब के मुहाने जिस स्थान पर हिंदू धर्मावलंबी जवारों का विसर्जन करते हैं उसके ठीक बाजू में बनने वाले सुलभ शौचालय का विरोध जमकर हो रहा है। इस संबंध में जिला कलेक्टर के पास एक मामला भी लंबित है, वाबजूद इसके उस विवादित स्थल का निरीक्षण और जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा इसकी फोटो भी जारी किया जाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।

सिवनी : भ्रष्टाचार कांग्रेस की संस्कृति का हिस्सा: अग्रवाल


भ्रष्टाचार कांग्रेस की संस्कृति का हिस्सा: अग्रवाल

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। प्रदेश में अपना राजनैतिक अस्तित्व समाप्त होने के भय से कांग्रेसी अब शोषितों और पीडितों के कन्धों पर बन्दूक रखकर भाजपा पर राजनैतिक निशाना साधने की नाकाम कोशिश कर रहे है। कांग्रेस ने बलात्कार जैसी निंदनीय और निर्मम घटनाओं पर संवेदना व्यक्त करने के बजाय उसे राजनैतिक हथियार बना लिया है। धर्मनिरपेक्षता का ढिंढोरा पीट कर समाज में साम्प्रादियकता जहर घोलना कांग्रेस का इतिहास रहा है। भाजपा पर आरोप लगाने वाले कांग्रेसी आज खुद कठघरे में खड़े है। देश में भ्रष्टाचार के कीर्तिमान बनाने वाले कांग्रेसी प्रदेश सरकार पर उगंली उठाकर स्वयं का उपहास उडा रहे है। इस आशय के आरोप भाजपा मीडिया प्रभारी श्रीकांत अग्रवाल द्वारा जारी विज्ञप्ति में लगये गये।
श्री अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों में काले घन के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर लाठिया भांजी जाती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालो को जेल में डाल दिया जाता है। बलात्कार पीडितों को न्याय दिलाने के लिये दोषियों के खिलाफ आन्दोलन करने वालों पर ऑंसू गैस और गोलियों दागी जाती है। आंतकवादियों और अपरोधियों को संरक्षण देने के लिये कुख्यात हो चुके कांग्रेसी प्रदेश की घटनाओं पर गैर जिम्मेदाराना राजनीति कर सत्ता में वापसी के मंसूबे पाल रहे है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि देश, प्रदेश या जिले में कही भी महिलाओं के साथ हो रही घटनाऐं वैहद निन्दनीय है। इनमें लिप्त दुराचारियों को पकडना और उन्हें सजा दिलावाना सरकार और समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए। मध्यप्रदेश शासन एवं प्रशासन पूरी संवेदनशीलता से न सिर्फ आरोपियों को गिरफ्त में लेने के लिये प्रतिवद्ध है बल्कि मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य जहां न्यायालय में सबसे तीव्रगति से आरोपियों को मृत्युदण्ड तक की सजा सुनाई गई है। ऐसी घटनाओं पर संवेदनशीलता व्यक्त करते हुये पीडितों और शोषितों का साथ देने तथा समाज में सांस्कृतिक जागरूकता के प्रयास करने के बजाय कांग्रेसी पीडितों के कन्धें का उपयोग राजनैतिक हितों के लिये कर रहें है। इन दिनों बढ़ रही इन घटनाओं के पीछे विकृत मानसिकता के साथ ही पाश्चात्य संस्कृति के घृणित प्रभाव को भी नकारा नही जा सकता दुभार्ग्य से कांग्रेस इस पाश्चात्य सस्कृति की पोषक और संरक्षक  बनकर उभरी है।     
श्री अग्रवाल ने कहा कि भ्रष्टाचार कांग्रेस की संस्कृति में शामिल है वह घपलो घोटालों और भ्रष्टाचार में लिप्त होकर देश को दोनो हाथों से लूट रही है। इसके साथ ही कांग्रेस भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिये सी।बी।आई जैसी कानूनी संस्थाओं का दुरूप्रयोग कर रही है। इसके विपरीत मध्यप्रदेश सरकार भ्रष्टचारियों के खिलाफ पूरी कठोरता वरत् हुये कार्यवाही कर रही है। उसी का परिणाम है कि लोकायुक्त जैसी स्वतंत्र संस्था भ्रष्टचारियों पर खुलकर कार्यवाही कर रही है।
श्री अग्रवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस जिले के संवेदनशील वातावरण को दूषित करने का घटिया प्रयास कर रही है। लोगों में अमन एकता और भाईचारे को बनाये रखने के प्रयास करने के बजाय पूर्व में कर्फ्यू के दौरान हुई घटना और वर्तमान में कुछ अपराधी तत्वों के पकडे जाने की घटना को जिले के कांग्रेसी अपना राजनैतिक हित साधने के लिए उपयोग करने के शर्मनाक प्रयासों में जुटकर कानूनी कार्यवाही को प्रभावित करने का कुतसित प्रयास कर रहे है जो सर्वथा निदनीय है। भाजपा पर संरक्षण का आरोप लगाने वाले कांग्रेसी आज खुद कठघरे में खड़े है।

कैथल : अधिकारियों की मिली भगत से घटिया क्वालिटी की सामग्री से इन सड़कों पर टांकियां लगाई


अधिकारियों की मिली भगत से घटिया क्वालिटी की सामग्री से इन सड़कों पर टांकियां लगाई

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। कैथल की नई अनाज मंडी में सड़कों को टांकी लगाने में सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया जाने का मामला प्रकाश में आया है। जिसके विरोध में आढ़ती रामकुमार, सेवा सिंह, राममेहर, सत्यवान आदि ने आरोप लगाया कि मार्केट कमेटी के अधिकारियों की मिली भगत से घटिया क्वालिटी की सामग्री से इन सड़कों पर टांकियां लगाई गई। इन्होंने इसका विरोध उस समय किया जब मार्केट कमेटी के जेई व ठेकेदार इन टाकियों का पमाईश कर रहे थे, जिसके आधार पर ठेकेदार को पेमेंट की अदायगी की जानी थी। ठेकेदार जयप्रकाश ने आढ़तियों के इन आरोपों को निराधार भी बताया है और कहा कि आज तक मंडी के अंदर ऐसी टांकियां नहीं बनाई गई होंगी जो अब तोडऩे पर भी नहीं टूटेगी। इस पर तुरंत मंडी के आढ़ती रामकुमार ने अपने जुते को इन टांकियों पर घिसाया तो इन टांकियों से तुरंत बजरी निकल गई। जिस पर इन्होंने उनको खरी खरी सुनाते हुए कहा कि यह सबसे निचले स्तर की सामग्री लगाई गई है। इतना ही नहीं मंडी के अंदर कई गढ्ढों व खस्ता खालत में सड़कों की मुरम्मत नहीं की गई। उन्होंने कहा कि मार्केट कमेटी को वैसे तो मंडी के अंदर ही ये सड़कें हर वर्ष बनानी होती है। परन्तु एक दशक से ये सड़कें मात्र टांकियां लगाकर ही कार्य को पूरा किया दिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि जो टांकियां लगाई गई वे 2 दिन पूर्व ही लगाई गई और अभी से ही टूटनी शुरू हो गई है। तो वे ऐसी हालत में अपना एक साल कैसे पूरा करेंगी। इससे तो किसानों की फसल इस बजरी व मिट्टी मेें मिलकर बर्बाद हो जाएगी। मौके पर पमाईश देने पहुंचे मार्केटिंग बोर्ड के जेई राकेश सैनी ने बताया कि मंडी की टाकियां लगाने में सही सामग्री इस्तेमाल की गई। जब उनको यह कहा गया कि मंडी के अंदर अब भी अनेक गहरे गढ्ढे व टूटी सड़कें पड़ी है तो उन्होंने कहा कि अभी तो कार्य चल रहा है और इनको भी सही कर दिया जाएगा। इस पर जब उन्होंने कहा कि जब कार्य अधूरा पड़ा है तो फिर पेमेंट देने के लिए पमाईश क्यों दी जा रही है तो इस पर ठेकेदार व जेई बगले झांकने लगे और वहां से तुरंत रफूचक्कर हो गए। उन्होंने इसकी जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। 

कैथल : जैविक खेती को अपनाएं किसान: सुरजेवाला


जैविक खेती को अपनाएं किसान: सुरजेवाला

(ब्यूरो कार्यालय)

कैथल (साई)। हरियाणा के लोक निर्माण एवं उद्योग मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने किसानों से अनुरोध किया कि वे खेती में रासायनिक खादों व कीटनाशकों का उपयोग कम से कम करते हुए जैविक खेती को अपनाएं तथा परंपरागत खेती को छोड़कर खेती के विविधिकरण पर ज्यादा जोर दें, जिससे उन्हें ज्यादा लाभ मिलेगा। रणदीप सिंह सुरजेवाला आज नई पुलिस लाईन में उत्तर-पश्चिम क्षेत्रीय दो दिवसीय राज्य स्तरीय किसान मेले के उद्घाटन के बाद किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिला कैथल के किसान हमेशा से प्रगतिशील व तरक्की के प्रेमी रहे हैं, जो खेती में नई तकनीक का उपयोग करके ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लेते हैं। जिला के किसानों का हरियाणा के उत्पादन में विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा आज देश के अन्न उत्पादन में 30 प्रतिशत योगदान दे रहा है। ज्यादा अन्न उत्पादन का श्रेय प्रदेश के मेहनती किसानों व किसानों द्वारा अपनाई जा रही नई तकनीकों को जाता है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में धान का भरपूर उत्पादन होता है। पूंडरी के नजदीक कौल में धान अनुसंधान केंद्र में भी किसानों को फसल संबंधि तकनीकी जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि कचरे से ऊर्जा उत्पादन की नई तकनीक को किसान मेले में प्रदर्शित किया गया है। किसान इस प्रदर्शनी में कृषि के आधुनिक उपकरणों तथा नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए कृषि के क्षेत्र में और ज्यादा प्रगति कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेले में आए हुए किसान व ग्रामीण प्रतिनिधि अपने-अपने गांव में जाकर किसान मेले की नई तकनीकों के बारे में ज्यादा से ज्यादा किसानों को बताएं तथा इस मेले में आए कृषि वैज्ञानिकों से वाद-विवाद करते हुए कृषि संबंधि ज्यादा से ज्यादा ज्ञान हासिल करें। लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि कुछ समाचार पत्रों ने जल संरक्षण व बेटी बचाओं जैसे महत्वपूर्ण विषयों को इस मेले में शानदार ढंग से उठाया है। इस मुहिम को बहुत से लोगों का समर्थन हासिल हुआ है। जल संरक्षण करना हम सबकी जरूरत है, वरना जल की कमी से समस्त मानवता को मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। हरियाणा प्रदेश के दक्षिण क्षेत्र में आज भी पानी की बहुत कमी है, क्योंकि वहां भूमिगत जल स्तर काफी नीचे चला गया है। इसलिए हमें जल का उपयोग खेती व अन्य साधनों में किफायत से करना होगा तथा जल के महत्व को समझना होगा। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने रात्रि ठहराव कार्यक्रमों के माध्यम से भी जल संरक्षण के बारे में नाटकों व अन्य उपायों से जागरूक करने का अभियान चलाया है। उन्होंने प्रशासन के रात्रि ठहराव कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्र में उनके घरद्वार पर जाकर बहुत सी समस्याओं का समाधान करने के साथ-साथ कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया है। लोक निर्माण मंत्री ने किसान मेले के उद्घाटन के पश्चात मैदान में विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया।
जिला उपायुक्त चंद्रशेखर ने लोक निर्माण मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि कैथल में पहली बार किसान मेला आयोजित किया गया है। इस कृषि मेले में किसानों को नई-नई कृषि तकनीकों के साथ-साथ जल संरक्षण के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला की प्रेरणा से आयोजित राज्य स्तरीय किसान मेले से किसानों को कृषि संबंधि नई तकनीक का ज्ञान मिलने से लाभ होगा। उन्होंने लोक निर्माण मंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट किया। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देवेंद्र सिंह ने कहा कि  इस किसान मेले से यमुनानगर, अंबाला, कुरूक्षेत्र, पानीपत, करनाल, कैथल, जींद, फतेहबाद से किसान पहुंचे हैं। किसानों के लिए किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया है, जिसमें कृषि वैज्ञानिक किसानों की विभिन्न समस्याओं को दूर करेंगे। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह यादव, जिला परिषद के चेयरमैन नाजर सिंह, अतिरिक्त उपायुक्त दिनेश सिंह यादव, एसडीएम हवा सिंह, नगराधीश पूजा चावरिया, जिला राजस्व अधिकारी राजबीर धीमान, उपकृषि निदेशक सुरेंद्र यादव, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी राजेश कोथ, रामनिवास मित्तल सहित अन्य जिलों से आए किसान उपस्थित रहे।