बुधवार, 23 जनवरी 2013

तीन दिन में सिमटी राष्ट्रभक्ति


तीन दिन में सिमटी राष्ट्रभक्ति

(लिमटी खरे)

देशप्रेम का जज्बा आज कम ही देखने को मिल रहा है। आजादी कैसे मिली, किस कीमत पर कितने जतन के बाद मिली इस बारे में युवा पीढ़ी अनिभिज्ञ ही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि युवाओं को दिशा देने वाला सबसे बड़ा माध्यम केंद्रीय मानव संसाधन विभाग राजनैतिक दलों के छिपे हुए एजेंडों को लागू करने का साधन बन चुका है। दरअसल, शिक्षा के माध्यम से ही आने वाली पीढ़ी को दिशा और दशा दी जा सकती है। विडम्बना ही कही जाएगी कि अस्सी के दशक के जाते जाते केंद्रीय मानव संसाधन विभाग को प्रयोगशाला बना दिया गया है। आलम यह है कि सालों से देशप्रेम के गाने महज गणतंत्र दिसव, स्वाधीनता दिवस और गांधी जयंती पर ही सुनाई दे जाते हैं। आजादी के मतवालों को बीसवीं सदी के अंतिम दशक और इक्कीसवीं सदी में होश संभालने वाली पीढ़ी ने भुला दिया है। युवा पीढ़ी को यह भी नहीं मालूम होगा कि देश प्रेम की अलख जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, सुभद्रा कुमारी चौहान और कवि प्रदीप जैसे कवि गायकों ने। अब तो देशभक्ति महज तीन दिनों में सिमटकर रह गई है।

कितने जतन के बाद भारत देश में 15 अगस्त 1947 को आजादी का सूर्योदय हुआ था। देश को आजाद कराने, न जाने कितने मतवालों ने घरों घर जाकर देश प्रेम का जज्बा जगाया था। सब कुछ अब बीते जमाने की बातें होती जा रहीं हैं। आजादी के लिए जिम्मेदार देश देश के हर शहीद और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की कुर्बानियां अब जिन किताबों में दर्ज हैं, वे कहीं पडी धूल खा रही हैं। विडम्बना तो देखिए आज देशप्रेम के ओतप्रोत गाने भी बलात अप्रसंगिक बना दिए गए हैं। महान विभूतियों के छायाचित्रों का स्थान सचिन तेंदुलकर, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार जैसे आईकान्स ने ले लिया है। देश प्रेम के गाने महज 15 अगस्त, 26 जनवरी और गांधी जयंती पर ही दिन भर और शहीद दिवस पर आधे दिन सुनने को मिला करते हैं।
गौरतलब होगा कि आजादी के पहले देशप्रेम के जज्बे को गानों में लिपिबद्ध कर उन्हें स्वरों में पिरोया गया था। इसके लिए आज की पीढी को हिन्दी सिनेमा का आभारी होना चाहिए, पर वस्तुतः एसा है नहीं। आज की युवा पीढी इस सत्य को नहीं जानती है कि देश प्रेम की भावना को व्यक्त करने वाले फिल्मी गीतों के रचियता एसे दौर से भी गुजरे हैं जब उन्हें ब्रितानी सरकार के कोप का भाजन होना पडा था।
देखा जाए तो देशप्रेम से ओतप्रोत गानों का लेखन 1940 के आसपास ही माना जाता है। उस दौर में बंधन, सिकंदर, किस्मत जैसे दर्जनों चलचित्र बने थे, जिनमें देशभक्ति का जज्बा जगाने वाले गानों को खासा स्थान दिया गया था। मशहूर निदेशक ज्ञान मुखर्जी द्वारा निर्देशित बंधन फिल्म संभवतः पहली फिल्म थी जिसमें देशप्रेम की भावना को रूपहले पर्दे पर व्यक्त किया गया हो। इस फिल्म में जाने माने गीतकार प्रदीप (रामचंद्र द्विवेदी) के द्वारा लिखे गए सारे गाने लोकप्रिय हुए थे। कवि प्रदीप का देशप्रेम के गानों में जो योगदान था, उसे भुलाया नहीं जा सकता है।
इसके एक गीत ‘‘चल चल रे नौजवान‘‘ ने तो धूम मचा दी थी। इसके उपरांत रूपहले पर्दे पर देशप्रेम जगाने का सिलसिला आरंभ हो गया था। 1943 में बनी किस्मत फिल्म के प्रदीप के गीत ‘‘आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो ए दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है‘‘ ने देशवासियों के मानस पटल पर देशप्रेम जबर्दस्त तरीके से जगाया था। लोगों के पागलपन का यह आलम था कि लोग इस फिल्म में यह गीत बारंबार सुनने की फरमाईश किया करते थे।
आलम यह था कि यह गीत फिल्म में दो बार सुनाया जाता था। उधर प्रदीप के क्रांतिकारी विचारों से भयाक्रांत ब्रितानी सरकार ने प्रदीप के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया, जिससे प्रदीप को कुछ दिनों तक भूमिगत तक होना पडा था। पचास से साठ के दशक में आजादी के उपरांत रूपहले पर्दे पर देशप्रेम जमकर बिका। उस वक्त इस तरह के चलचित्र बनाने में किसी को पकडे जाने का डर नहीं था, सो निर्माता निर्देशकों ने इस भावनाओं का जमकर दोहन किया।
दस दौर में फणी मजूमदार, चेतन आनन्द, सोहराब मोदी, ख्वाजा अहमद अब्बास जैसे नामी गिरमी निर्माता निर्देशकों ने आनन्द मठ, लीजर, सिकंदरे आजम, जागृति जैसी फिल्मों का निर्माण किया जिसमें देशप्रेम से भरे गीतों को जबर्दस्त तरीके से उडेला गया था।
1962 में जब भारत और चीन युद्ध अपने चरम पर था, उस समय कवि प्रदीप द्वारा मेजर शैतान सिंह के अदम्य साहस, बहादुरी और बलिदान से प्रभावित हो एक गीत की रचना में व्यस्त थे, उस समय उनका लिखा गीत ‘‘ए मेरे वतन के लोगों, जरा आंख मंे भर लो पानी . . .‘‘ जब संगीतकार ए.रामचंद्रन के निर्देशन में एक प्रोग्राम में स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने सुनाया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी अपने आंसू नहीं रोक सके थे।
इसी दौर में बनी हकीकत में कैफी आजमी के गानों ने कमाल कर दिया था। इसके गीत कर चले हम फिदा जाने तन साथियो को आज भी प्रोढ हो चुकी पीढी जब तब गुनगुनाती दिखती है। सत्तर से अस्सी के दशक में प्रेम पुजारी, ललकार, पुकार, देशप्रेमी, कर्मा, हिन्दुस्तान की कसम, वतन के रखवाले, फरिश्ते, प्रेम पुजारी, मेरी आवाज सुनो, क्रांति जैसी फिल्में बनीं जो देशप्रेम पर ही केंदित थीं।
वालीवुड में प्रेम धवन का नाम भी देशप्रेम को जगाने वाले गीतकारों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। उनके लिखे गीत काबुली वाला के ए मेरे प्यारे वतन, शहीद का ए वतन, ए वतन तुझको मेरी कसम, मेरा रंग दे बसंती चोला, हम हिन्दुस्तानी का मशहूर गाना छोडो कल की बातें कल की बात पुरानी,
महान गायक मोहम्मद रफी ने देशप्रेम के अनेक गीतों में अपना स्वर दिया है। नया दौर के ये देश है वीर जवानों का, लीडर के वतन पर जो फिदा होगा, अमर वो नौजवां होगा, अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं . . ., आखें का उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता. . ., ललकार का आज गा लो मुस्करा लो, महफिलें सजा लो, देश प्रेमी का आपस में प्रेम करो मेरे देशप्रेमियों, आदि में रफी साहब ने लोगों के मन में आजादी के सही मायने भरने का प्रयास किया था।
गुजरे जमाने के मशहूर अभिनेता मनोज कुमार का नाम आते ही देशप्रेम अपने आप जेहन में आ जाता है। मनोज कुमार को भारत कुमार के नाम से ही पहचाना जाने लगा था। मनोज कुमार की कमोबेश हर फिल्म में देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत गाने हुआ करते थे। शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम, क्रांति जैसी फिल्में मनोज कुमार ने ही दी हैं।
अस्सी के दशक के उपरांत रूपहले पर्दे पर शिक्षा प्रद और देशप्रेम की भावनाओं से बनी फिल्मों का बाजार ठंडा होता गया। आज फूहडता और नग्नता प्रधान फिल्में ही वालीवुड की झोली से निकलकर आ रही हैं। आज की युवा पीढी और देशप्रेम या आजादी के मतवालों की प्रासंगिकता पर गहरा कटाक्ष कर बनी थी, लगे रहो मुन्ना भाई, इस फिल्म में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के बजाए शुष्क दिवस (इस दिन शराब बंदी होती है) के रूप में अधिक पहचाना जाता है। विडम्बना यह है कि इसके बावजूद भी न देश की सरकार चेती और न ही प्रदेशों की।
हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि भारत सरकार और राज्यों की सरकारें भी आजादी के सही मायनों को आम जनता के मानस पटल से विस्मृत करने के मार्ग प्रशस्त कर रहीं हैं। देशप्रेम के गाने 26 जनवरी, 15 अगस्त के साथ ही 2 अक्टूबर को आधे दिन तक ही बजा करते हैं। कुल मिलाकर आज की युवा पीढी तो यह समझने का प्रयास ही नहीं कर रही है कि आजादी के मायने क्या हैं, दुख का विषय तो यह है कि देश के नीति निर्धारक भी उन्हें याद दिलाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।
दरअसल, शिक्षा की दशा और दिशा निर्धारित करने का जिम्मा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का है। याद पड़ता है कि जब कुंवर अर्जुन सिंह ने एचआरडी मिनिस्ट्री का कामकाज संभाला तब एक पत्रवार्ता में उन्होंने कहा था कि शिक्षा में व्याप्त हिंसा को समाप्त करना होगा। इसके बाद कभी शिक्षा के भगवाकरण के आरोप लगे तो कभी शिक्षा को प्रयोगशाला बनाने के। अधिवक्ता मित्र पंकज शर्मा ने एक बार एक घटना का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि वे एक मर्तबा उत्तर प्रदेश के किसी शहर से गुजर रहे थे वहां उन्हें केप्टन हमीद का स्टेचू देखने को मिला।
केप्टन हमीद का स्टेचू? सारे के सारे युवा चौंक गए, कौन है यह शख्सियत! तब उन्होने बताया कि कि यही वह बहादुर था जिसके कारण पाकिस्तान के अभैद्य पेटन टेंक भारत के कब्जे में हैं। इस उदहारण को बताने का तातपर्य महज इतना है कि आजाद भारत गणराज्य के आज के युवा को भारत का विशेषकर आजादी का इतिहास ही नहीं पता है। वह तो बस पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर सोनिया और राहुल गांधी तक के नेताओ को जान रहा है। जाने भी क्यों ना, आधी सदी से ज्यादा देश पर कांग्रेस ने राज जो किया है, और अपने राज में उसने वास्तविक भारत को विस्मृत करने की पुरजोर कोशिश के साथ ही इंडिया को जो जिंदा कर दिया है, युवाओं के मानस पटल पर! (साई फीचर्स)

भागवत की कमी खल रही होगी शिवराज को!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------41

भागवत की कमी खल रही होगी शिवराज को!

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। इस बार निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जनसंपर्क संचालनालय में पदस्थ रहे मिलिंद भागवत की कमी बुरी तरह खल रही होगी, जिनके ना रह पाने से चुनावी साल में शिवराज सिंह चौहान की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में दिल्ली के राजपथ पर झांकयां नहीं दिख पाएंगी। गौरतलब है कि मिलिंद भागवत जनसंपर्क संचालनालय के क्षेत्रीय प्रचार अनुभाग में पदस्थ थे, और उनका निधन हो गया है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो से राजेश शर्मा ने जनसंपर्क संचालनालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि मिलिंद भागवत फील्ड पब्लिसिटी अनुभाग में विज्युलाईजर के पद पर पदस्थ थे, उन्हें उप संचालक का वेतन स्केल मिल रहा था। स्व.भागवत बहुत मेहनती और ईमानदार कर्मचारी के बतौर संचालनालय में प्रसिद्ध थे।
सूत्रों ने कहा कि मिलिन्द भागवत ही वे कर्मचारी थे जो हर साल मध्य प्रदेश की प्रस्तावित झांकियों के स्वरूप को प्रस्ताव के रूप में लिपिबद्ध कर उचित माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा करते थे। भागवत इतने तत्पर और कर्तव्यों के प्रति सजग कर्मचारी थे कि वे हर काम को बिना किसी के स्मरण कराए ही अंजाम दे दिया करते थे। चूंकि वे अपने काम को बखूबी अंजाम दिया करते थे अतः उस काम में अन्य किसी ने ना दिलचस्पी दिखाई और ना ही किसी ने सीखने का ही प्रयास किया।
सूत्रों ने बताया कि उनके निधन के उपरांत फील्ड पब्लिसिटी अनुभाग मानो मृत प्राय ही हो गया। कहते हैं कि इस अनुभाग में अब कोई काम अंजाम ही नहीं दिया जाता है। संभवतः यही कारण है कि पिछले साल कमजोर प्रस्तावों के चलते राजपथ देश के हृदय प्रदेश की झांकियों से रीता ही रहा। इसी तरह इस साल तो प्रस्ताव ही नहीं भेजे गए जिससे इस बार लगातार दूसरे साल भी राजपथ पर एमपी की झांकियां नहीं दिखाई देंगी।
ज्ञातव्य है कि यह मध्य प्रदेश के लिए चुनावी साल है और इस साल अगर चुनावी झांकी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा सूबे में लागू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं को झांकी की शक्ल में पेश किया जाता तो निश्चित तौर लाड़ली लक्ष्मी, मुख्ममंत्री तीर्थ दर्शन, मुख्यमंत्री पंचायत आदि जैसी योजनाओं का लाभा इस अवसर पर भाजपा को अवश्य ही मिल गया होता।

राजनाथ ही होंगे भाजपा के निजाम!


राजनाथ ही होंगे भाजपा के निजाम!

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी में बड़े ही नाटकीय तरीके से अध्यक्ष नितिन गड़करी की छुट्टी का ताना बाना बुन दिया गया। गड़करी के स्थान पर अब पूर्व में अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह को दुबारा कमान सौंपी गई। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में राजनाथ के नाम पर मुहर लगने के बाद उन्हें बीजेपी अध्यक्ष चुने जाने का ऐलान कर दिया गया। इसी के साथ राजनाथ को बधाई देने का दौर शुरू हो गया। नितिन गडकरी सहित बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने उन्हें बधाई दी। इस ऐलान के साथ ही बीजेपी कार्यालय के बाहर भी जश्न शुरू हो गया और पटाखे छूटने लगे।
बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में राजनाथ के नाम पर मुहर लगने के बाद उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा। इसके कुछ देर बाद उन्हें अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध चुने जाने का ऐलान किया गया। नामांकन भरने के दौरान नितिन गडकरी सहित बीजेपी के सभी बड़े नेता बीजेपी कार्यालय में मौजूद थे। गडकरी ने विदाई भाषण में कहा कि राजनाथ किसानों के नेता हैं और उनके अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी नई उंचाइयों पर जाएगी।
नाटकीय घटनाक्रम के तहत राजनाथ की ताजपोशी की गई। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो ने राजनाथ सिंह की ताजपोशी पर बारीक नजर रखी। साई न्यूज के दिल्ली ब्यूरो से मणिका सोनल के अनुसार सुबह पोने नौ बजे के लगभग राजनाथ सिंह के बीजेपी अध्यक्ष बनने की खबर के बाद से उनके घर पर हलचल तेज हो गई है। बुधवार सुबह बीजेपी के कुछ सीनियर लीडर राजनाथ सिंह के घर पर पहुंचे। इसमें प्रकाश जावड़ेकर, अनंत कुमार, किरीट सोमैया शामिल थे।
सबुह नो बजे राजनाथ सिंह भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल होने घर से निकले और सीधे एल.के.आड़वाणी के घर पहुंचे। इसके बाद वे गड़करी से मिलने उनके निवास पहुंचे। फिर दोनों संसदीय बोर्ड की बैठक में भाग लेने साथ पहुंचे। लगभग साढ़े नौ बजे संसदीय बोर्ड की बैठक आरंभ हुई जो पच्चीस मिनिट के लगभग चली।

एक बार फिर सजेगा निर्मल बाबा का दरबार!


एक बार फिर सजेगा निर्मल बाबा का दरबार!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। धर्म के नाम पर दुकान खोलने के आरोपों के चलते चर्चाओं का केंद्र रहे निर्मलजीत सिंह निरूला उर्फ निर्मल बाबा एक बार फिर मुख्य धारा में लौटते दिख रहे हैं। समाचार चेनल्स की कमाई के जरिए का पर्याय बन चुके निर्मल बाबा के विज्ञापन एक बार फिर समाचार चेनल्स पर दिखने लगे हैं। माना जा रहा है कि कानूनी मशविरों के उपरांत निर्मल बाबा ने एक बार फिर छोटे पर्दे पर उतरने का फैसला ले ही लिया है।
निर्मल बाबा के नेहरू प्लेस स्थित निर्मल दरबार के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि निर्मल बाबा का इस साल का समागम देश की राजनैतिक राजधानी मुंबई में संपन्न होगा। मुंबई में बाबा के दो समागम होंगे जो 27 और 28 फरवरी को संपन्न होंगे। इन दोनों ही समागमों के लिए हाउसफुल होने के कारण बुकिंग बंद कर दी गई है। मुंबई में बाबा का यह 12वां और 13वां समागम होगा। पिछले साल 7 नवंबर के उपरांत बाबा का यह पहला समागम होगा।
लगता है निर्मल बाबा पंजाब बैंक से भी खफा हो गए हैं। इस बार उन्होंने पंजाब बैंक की बजाए एक्सिस बैंक में पैसे जमा करवाने के लिए निर्देश दिए हैं। बाबा ने पंजीयन की राशि भी बढ़ा दी है। लोगों को टोटकों से राह दिखाने का दावा करने वाले निर्मल बाबा के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि बाबा अब पंजीयन में टेक्स भी वसूलने लगे हैं। बाबा ने अपनी वेब साईट पर पंजाब बैंक के बजाए एक्सिस बैंक के नए एकाउंट नंबर भी जारी कर दिए हैं।
निर्मल बाबा की वेब साईट खंगालने पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को पता चला कि निर्मल बाबा की वेब साईट पर अब एक्सिस बैंक को वरीयता देते हुए उसे पहली पायदान पर ना केवल रखा गया है वरन एक्सिस बैंक के चालान फार्म को भी पीडीएफ फार्मेट में डाला गया है। उधर, निर्मल बाबा का यस बैंक का खाता 023584100000032 पहले ही बंद कर दिया गया है। निर्मल दरबार के सूत्रों का कहना है कि बाबा अब पंजाब बैंक के बजाए एक्सिस बैंक को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।
उधर, चर्चा है कि बाबा की वेब साईट पर एक्सिस बैंक के पीडीएफ फार्मेट में निर्मल दरबार, चिरंजीवी टावर, नेहरू प्लेस नई दिल्ली का पता सबसे उपर लाल रंग में अंकित है, जो कि गलत है। देखा जाए तो बैंक की स्टेशनरी बैंक ही मुद्रित करा सकता है। जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाईड लाईन्स के हिसाब से बैंक की स्टेशनरी को निजी संस्था या व्यक्ति द्वारा मुद्रित नहीं करवाया जा सकता है। मजे की बात यह है कि इसमें पंजाब बैंक की डिपाजिट स्लिप का कोई फार्मेट ना होना, दर्शा रहा है कि बाबा का पंजाब नेशनल बैंक से मोहभंग होने लगा है।
टोटकों के माध्यम से लोगों को राह दिखाने वाले निर्मल बाबा ने पिछले साल अप्रेल माह में एक निजी समाचार चेनल के साथ चर्चा के दौरान कहा था कि आप अपना फिगर ठीक कर लीजिए मेरे खाते में 235 करोड़ रूपए जमा हैं। निर्मल बाबा पर कमाई के आरोपों के जवाब में बौखलाए निर्मलजीत सिंह निरूला ने कहा था कि वे अगर कमाएंगे नहीं तो टीवी चेनल्स वालों को विज्ञापन का पैसा कहां से देंगे। पत्रकार अभिसार शर्मा उस वक्त निर्मल बाबा के सामने निरूत्तर हो गए थे जब बाबा ने उनसे ही प्रतिप्रश्न कर पूछ लिया था कि क्या बिना पैसे के टीवी वाले उनके प्रोग्राम को दिखाएंगे?
निर्मल दरबार के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि निर्मल दरबार का फिर दो निजी चौनलों पर प्रसारण किया जा रहा है, पर इस बार उस पर विज्ञापन लिखा होता है। इस विज्ञापन में भी वह भक्तों को गोलगप्पा खाने, भुट्टा खाने और महंगे लिपिस्टिक लगाने की सलाह दे रहे हैं।
निर्मल दरबार के सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि पहले निर्मल दरबार का रजिस्ट्रेशन शुल्क दो हजार रुपये होता था। अब वह बढ़ कर 2250 रुपये (कर सहित) मुंबई के लिए और 2550 रुपये (कर सहित) दिल्ली के लिए हो गया है। यह रजिस्ट्रेशन शुल्क और अन्य राशि अब एक्सिस बैंक के खाते में जमा होगी। राशि नकद भी जमा की जा सकती है, बैंक ड्राफ्ट से भी। समागम में भाग लेने की शर्ते पूर्व की ही रखी गयी हैं।
यहां गौरतलब है कि नीलम कपूर का नाम आते ही बाबा असहज हो जाते हैं। आज भी यह बात रहस्य ही बनी हुई है कि आखिर नीलम कपूर नाम की महिला कौन है जिसके नाम पर निर्मलजीत निरूला उर्फ निर्मल बाबा ने खाता खोला हुआ था और उसमें पैसे जमा करवाए जा रहे थे। नीलम कपूर के बारे में निर्मल बाबा ने कोई भी संतोषजनक जवाब अब तक नहीं दिया है।

सज रहा है 24 अकबर रोड़ युवराज के लिए


सज रहा है 24 अकबर रोड़ युवराज के लिए

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की नई भूमिका के लिए अब कांग्रेस मुख्यालय 24, अकबर रोड़ भी सज संवर रहा है। मुख्यालय में नए उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अगवानी की तैयारी शुरू हो गई है। उस ऑफिस को सजाया संवारा जा रहा है जो औपचारिक रूप से उनका दफ्तर होगा।
कांग्रेस मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान उम्मीद जताई है कि अगले एक दो दिन में राहुल गांधी औपचारिक रूप से अपना कामकाज संभाल सकते हैं। मंगलवार को एआईसीसी स्थित राहुल के ऑफिस को तैयार किया गया। इतना ही नहीं, उनके ऑफिस में उनकी नई जिम्मेदारी के मुताबिक नई नेमप्लेट भी लगा दी गई। राहुल गांधी की टीम के एक अति महत्वपूर्ण मेंबर ने मंगलवार को अपनी देखरेख में राहुल गांधी का ऑफिस तैयार करवाया। इतना ही नहीं, उक्त टीम मेंबर ने मोतीलाल वोरा व जनार्दन द्विवेदी जैसे कांग्रेस के सीनियर नेताओं से मिलकर उनके पूरे ऑफिस व स्टाफ वगैरह से जुड़ी तैयारियों के बारे में भी चर्चा की।
अकबर रोड स्थित कांग्रेस हेडक्वॉर्टर में राहुल गांधी का अलग से ऑफिस है। लेकिन अपनी मां व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरह राहुल भी यहां कभी कभार ही आते हैं। हालांकि इसके पीछे एक बड़ी वजह एसपीजी सुरक्षा है। एसपीजी बंदोबस्त के चलते राहुल ज्यादातर काम अपने तुगलक लेन स्थित घर या 10 जनपथ से ही करते हैं। हालांकि अभी भी यही माना जा रहा है कि सुरक्षा कारणों के चलते राहुल यहां ज्यादा उपलब्ध न हो पाएं। 

साप्ताहिक जनसुनवाई में पहुंचे १०३ आवेदक


साप्ताहिक जनसुनवाई में पहुंचे १०३ आवेदक

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। साप्ताहिक जनसुनवाई कार्यक्रम के तहत कलेक्टर अजीत कुमार एवं अपर कलेक्टर आर.बी. प्रजापति ने जनसुनवाई की। जनसुनवाई में आज १०३ आवेदकों ने अपने समस्या आवेदन कलेक्टर एवं अपर कलेक्टर को दिये। कलेक्टर कुमार एवं अपर कलेक्टर प्रजापति ने उन्हे प्राप्त सभी प्रकार के प्रकरणों में सुनवाई कर दूरभाष पर संबंधित विभागाधिकारियों को इन प्रकरणों का त्वरित निराकरण करने के निर्देश दिये।
जनसुनवाई में आंखों में खराबी की समस्या से जूझ रहे रामदास पिता झाडूलाल पहुंचे। रामदास ने बताया कि जन्म से ही उसकी आंखों में खराबी है और डाक्टरों ने ऑपरेशन का सुझाव दिया है। कलेक्टर ने रामदास को तात्कालिक सहायता के रूप में रेडक्रास से चार हजार रूपये की राशि मंजूर कर कहा कि वे रामदास को मुख्यमंत्री स्वेश्छानुदान मद से भी मदद दिलाने का प्रयास करेंगे। एक वाहन दुर्घटना में अपना दायां हाथ गवां चुकी बश्ची को मुआवजा दिलाने संबंधी प्रकरण में कलेक्टर ने बश्ची के पिता से कहा कि वे वाहन स्वामी से मुआवजा दिलाने का प्रयास कर रहे है और शिक्षा-दीक्षा के लिये बश्ची को मुख्यमंत्री स्वेश्छानुदान मद से भी मदद दिलायेंगे। एक अत्यंत वृद्व एवं निराश्रित दम्पत्ति द्वारा उन्हें इंदिरा आवास योजना से मकान दिलाने संबंधी आवेदन पर संवेदनशीलतापूर्वक कार्यवाहीं कर कलेक्टर ने उन्हें आश्वस्त किया कि शीघ्र ही उन्हें मकान मंजूर किया जायेगा। जनसुनवाई में मातृधाम, कातलबोडी निवासी जन्म से सूरदास हरिप्रसाद भी पहुंचे। हरिप्रसाद इंदौर स्थित विशेष योग्यता वाले लोगों के लिये स्थापित एक कॉलेज से बी।एङ करना चाहते है। जिसकी एकमुश्त फीस १५ हजार रूपये है। हरिप्रसाद आघ्थक तंगी से जूझ रहे है। उन्होंने कलेक्टर को दिये आवेदन में गुजारिश की कि उसकी फीस का इंतजाम कर दिया जाये। कलेक्टर ने आवेदन लेकर कहा कि वे हरिप्रसाद को मदद दिलाने का प्रयास करेंगे। रूबरू जनसुनवाई में दूरदराज से आये आवेदकों द्वारा अपनी पट्टे की जमीन/निज सम्पत्ति पर किसी अन्य द्वारा अतिक्रमण/अवैध कब्जा हटवाने, गंभीर बीमारी के इलाज हेतु सहायता राशि दिये जाने, राजस्व अभिलेखों में सुधार किये जाने, बी।पी।एल। का राशन कार्ड बनवाने, अनुकम्पा नियुक्ति/नौकरी दिलाने, विकलांग पेंशन दिलाने, पति की प्रताडना/घरेलू हिन्सा से निजात दिलाने, जंगली जानवरों से फसल नुकसानी का मुआवजा दिलाने, बीमारी का इलाज करवाने, लाडली लक्ष्मी योजना का लाभ दिलाने, स्थायी जाति प्रमाण-पत्र बनवाने, बैंकलोन माफकरवाने तथा अन्य प्रकार के आवेदन दिये गये।      

राज्यस्तरीय पुरस्कार के लिये आवेदन १५ फरवरी तक आमंत्रित


राज्यस्तरीय पुरस्कार के लिये आवेदन १५ फरवरी तक आमंत्रित

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। उपभोक्ता संरक्षण के लिये राश्य एवं संभाग स्तरीय पुरस्कार योजना के तहत उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने एवं उपभोक्ता सरंक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों एवं व्यक्तियों के प्रोत्साहन के लिये राज्य शासन द्वारा राश्य एवं संभाग स्तरीय पुरस्कार दिये जाते है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस १५ मार्च के अवसर पर प्रदान किये जाते हैं।
इन पुरस्कारों के लिये ऐसे संगठन एवं व्यक्तियों का चयन किया जायेगा, जिन्होंने कलेण्डर वर्ष एक जनवरी से ३१ दिसंबर १२ तक की अवधि में उपभोक्ता हितों के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की है। इस वर्ष राश्यस्तरीय पुरस्कार योजना के अंतर्गत प्रदेश के ऐसे स्वैश्छिक उपभोक्ता संगठनों एवं व्यक्तियों को चुना जायेगा, जो उपभोक्ताओं के हित संरक्षण से सक्रिय रूप से जुडे हैं। इसमें ग्रामीण आदिवासी एवं पिछडे क्षेत्र में कार्यरत संगठनों की प्राथमिकता दी जायेगी।         
राश्यस्तरीय तीन पुरस्कार क्रमशरू प्रथम पुरस्कार ३० हजार रूपये, द्वितीय पुरस्कार २० हजार रूपये एवं तृतीय पुरस्कार १० हजार रूपये (मय प्रशस्ति पत्र) के दिये जायेंगे। इसी तरह प्रदेश के प्रत्येक संभाग में भी तीन-तीन पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। जिसमें प्रथम पुरस्कार ६ हजार रूपये, द्वितीय पुरस्कार ४ हजार रूपये एवं तृतीय पुरस्कार २ हजार रूपये (मय प्रशस्ति पत्र) के दिये जायेंगे।
पुरूस्कार पाने के लिये आवेदन करने वाले उपभोक्ता संगठनों को समिति पंजीकरण अधिनियम १९६० या ऐसे किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है। पुरस्कार के लिये चयन में यह विशेष रूप से ध्यान रखा जायेगा कि ये व्यक्ति या संगठन उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित गतिविधियों में पिछले तीन वर्षाे से सक्रिय रूप से जुडे हों। साथ ही ऐसे संगठन गैर राजनैतिक और गैर मालिकाना हक के प्रबंध के अंतर्गत संचालित हैं।
 जिला आपूघ्त अधिकारी ने आज यहां बताया कि राश्यस्तरीय पुरस्कार के लिये इश्छुक आवेदक यथा व्यक्ति/संस्थायें अपने आवेदन १५ फरवरी १३ तक जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत करें। राश्यस्तरीय पुरस्कार के लिये कलेक्टर अपनी अनुशंसा सहित आयुक्त, खाद्य, नागरिक आपूघ्त एवं उपभोक्ता संरक्षण को आवेदन अग्रेषित करेंगे।
संभागस्तरीय पुरस्कार के लिये जिला कलेक्टर अनुशंसा सहित संबंधित आयुक्त को भेजेंगे। राश्यस्तरीय पुरस्कार के लिये इश्छुक संस्थायें/व्यक्ति आवेदन की अग्रिम प्रति सीधे खाद्य संचालनालय को प्रस्तुत कर सकते है। विलंब से प्राप्त आवेदन स्वीकार नहीं किये जायेंगे।                                                   

करोड़ा का युवक मिला मृत


करोड़ा का युवक मिला मृत

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। कैथल के गांव करोड़ा के काव्य तीर्थ के शिव मंदिर पर करोड़ा के ही एक युवक को मृतक हालत में पाया गया। जिसके सिर में गोली लगी पाई गई। मृतक के पास से एक सुसाईड नोट भी बरामद हुआ है। परन्तु यह नहीं पता चल पाया कि मृतक की किसी अज्ञात व्यक्ति ने हत्या की है या फिर उसने खुद आत्म हत्या की है।
मृत्यु के कारणों को कुछ भी पता नहीं चल सका है। सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह यादव एवं थाना राजौंद प्रभारी घटना स्थल पर पहुंच गए थे।  पुलिस ने मृतक के पिता अर्जुन की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मंदिर के पुजारी नंद किशोर सुपुत्र गंगा बिशन व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि वे लगभग 11 बजे मंदिर बंद करके खाना खाने के लिए गए थे।
उस समय मंदिर में यह व्यक्ति नहीं था। जब वह लगभग 1 बजे खाना खाने के बाद मंदिर में आया तो इसको मंदिर में मृत अवस्था में पाया गया। जिसके सिर में गोल लगी हुई थी। मंदिर के पुजारी व ग्रामीणों ने इसकी सूचना गांव के महिला सरपंच के पति सुच्चा सिंह व थाना राजौंद प्रभारी अशोक कुमार को दी। पुलिस ने आते ही शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था और मृतक के पिता अर्जुन की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया था।
कार्यवाही होने तक पुलिस ने मंदिर के गेट को ताला भी लगवा दिया था। ताकि सबूतों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो। सुसाईड नोट में आत्म हत्या का जिक्र किया हुआ था परन्तु परिवार जन इस पर राजी नहीं हुए, जिस पर पुलिस ने सुसाईड नोट अपने कब्जे में ले लिया ताकि इसकी जांच की जा सके कि यह सुसाईड नोट इसने खुद लिखा है या किसी ओर ने लिखा है। उधर शव के पास से समाचार लिखे जाने तक अन्य कोई असला भी बरामद नहीं हुआ था।

आधार कार्ड बनवाने जनता को लूट का शिकार होना पड़ रहा


आधार कार्ड बनवाने जनता को लूट का शिकार होना पड़ रहा

(ब्यूरो कार्यालय)

कैथल (साई)। कैथल शहर में इस समय आधार कार्ड बनाए जा रहे है, परन्तु इन आधार कार्ड बनवाने में एक तरफ जहां जनता को लूट का शिकार होना पड़ रहा है। वहीं कम्पनी के साथ-साथ फोटो स्टेट वालों की भी चांदी बनी हुई है। उधर कम्पनी द्वारा आधार कार्ड बनाने के लिए अनटें्रड लड़के रखे हुए है। उल्लेखनीय यह है कि कैथल शहर में इस समय कई जगह आधार कार्ड बनाने का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। आधार कार्ड बनाने के लिए लोगों को एक फार्म की जरूरत होती है। जो कम्पनी द्वारा दिया जाना होता है। जब आधार कार्ड बनाने वाला व्यक्ति जहां पर आधार कार्ड बन रहे होते है वहां पर जाकर फार्मों की मांग करता है तो उसके हाथ में एक फार्म पकड़ा दिया जाता है। बाकी सभी परिवार वालों के लिए आधार कार्ड बनवाने के लिए फार्म की फोटो स्टेट करवाने के बारे में कहा जाता है। ओमप्रकाश, विनोद, सुरेश आदि अनेक ने बताया कि जिस घर में 5-5 10-10 सदस्य होते है तो उनको फार्मांे की भी उतनी ही जरूरत होती है। जिस कारण से उनको दिए गए एक फार्म की फोटो स्टेट दोनों ओर से करवानी पड़ती है। जिस कारण से फोटो स्टेट करने वाला उनसे 2 रुपए प्रति फार्म फोटो स्टेट करवाने के लेता है। इस प्रकार से जो फार्म कम्पनी को देने होते है वह जनता खुद अपनी पैसे लगाकर खरीद रही है। उधर यह भी शिकायत देखने को मिली है कि आधार कार्ड बनाने के लिए जो लड़के रखे हुए है वे अनटें्रड है। यदि कोई व्यक्ति फार्म को अंग्रेजी में भर कर देता है तो ये लड़के अंग्रेजी में तो फार्म की नकल करके सही भर देते है परन्तु हिंदी में नाम, पिता का नाम तथा पते में कहीं न कहीं गलती कर दी जाती है और यदि फार्म हिंदी में भरकर दिया जाता है। तो गलती अंग्रेजी के शब्दों में कर दी जाती है। भीड़ अधिक होने के कारण वैसे भी ये इस की ओर अधिक नहीं दे सकते। जो व्यक्ति पड़ा लिखा होता है वह तो देखकर हिंदी अंग्रेजी में अपने नाम पते ठीक करवा सकता है परन्तु अनपढ़, बच्चे व औरतें इस ओर कोई ध्यान नहीं देते। परन्तु उनको यह नहीं पता कि बाद में उनके जो अन्य परिचय पत्र जैसे राशन कार्ड, वोटर कार्ड, शिक्षा प्रमाण पत्र व बैंक अकाऊंट आदि है जब उनसे मेल नहीं खाएंगे तो उनके लिए यह आधार कार्ड कोरा कागज साबित होगा। इतना ही नहीं वैसे भी महिलाओं के लिए यह आधार कार्ड मुसीबत बना हुआ है और आधार कार्ड बनाने वाले युवको के सामने भी महिलाओं के आधार कार्ड बनाने की समस्या बनी हुई है। क्योंकि घरेलू कार्य करते समय महिलाओं के उंगलियों व अंगूठे के निशान समाप्त हो जाते है और मशीन इसको पकड़ नही पाती। जिस कारण से बार-बार प्रयत्न करने के बाद भी आधार कार्ड बनाने वाले युवक इन अंगुलियों व उंगूठे के ऊपर कांटे का निशान नहीं मिले लगा देते है। अब यह आने वाला वक्त ही बताएगा कि सरकार द्वारा यह चलाई गई योजना कहां तक सही साबित होगी।