शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

10 में से 7 पंजाबी नस्सू!


10 में से 7 पंजाबी नस्सू!

(लिमटी खरे)

राजनेता देश के लोगों के पायोनियर (अगुआ) होते हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। राजनेताओं द्वारा कही बातों को उनके अनुयाई पत्थर की लकीर ही मानते हैं। तालियों की गड़गड़ाहट की चाहत में राजनेताओं द्वारा अनाप शनाप बयानबाजी कर दी जाती है, जिसका प्रभाव आम जनता पर प्रतिकूल ही पड़ता है। हाल ही में कांग्रेस के शीर्ष राजनेताओं ने जो बयानबाजी की है वह निंदनीय ही मानी जाएगी। चाहे सोनिया गांधी हों, राहुल गांधी या रेणुका चौधरी, सभी ने स्तरहीन बयानबाजी कर यह प्रदर्शित कर दिया है कि उनकी सोच का स्तर क्या है। देश के हृदय प्रदेश की राजधानी में नशे के आदी को नस्सूकहा जाता है। राहुल के अनुसार पंजाबी युवाओं में 10 में से 7 नस्सू हैं। भले ही यह बात उन्होंने सीमापार से आने वाले नशे के संदर्भ में कही हो, पर राहुल यह भूल जाते हैं कि सीमा पर तैनात जवान सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं और केंद्र में कांग्रेस की सरकार है, इस नाते पंजाबियों के नस्सू होने के मामले में वे खुद जिम्मेदार हैं।


मंच से बोलते समय तालियों की गड़गड़हाट सुनने को बेचेन राजनेता अक्सर अपना संयम तोड़ देते हैं। कभी कभी तो सुर्खियों में बने रहने भी नेताओं द्वारा आम जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है। मामला चाहे उत्तर भारतीयों को लेकर मनसे प्रमुख राज ठाकरे का हो या फिर शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे का। दोनों ही नेताओं ने जात पात और क्षेत्रवाद की बात कहकर लोगों के मन मस्तिष्क में जहर बो दिया है।
हाल ही में सोनिया गांधी ने हरियाणा के जींद में बलात्कार पीडित से मिलने के बाद मीडिया से मुखातिब होकर कहा था कि हरियाणा क्या रेप तो देश भर में हो रहें। सोनिया ने यह बात इस तरह जाहिर की मानो यह कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के ‘‘भारत निर्माण‘‘ की कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हो। देखा जाए तो बलात्कार होना शर्म की बात ही है।
बलात्कार के मामले में जब इक्कसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने अपनी पीड़ा दर्शाई तो रेणुका चौधरी कह पड़ीं कि बाबा रामदेव तो इस तरह कलप रहे हैं मानो बलात्कार उनकी बेटी के साथ हुआ हो। क्या सोनिया गांधी या रेणुका को महिला मानकर यह माना जा सकता है कि उनके मन में महिलाओं के प्रति कुछ संवेदनाएं हैं?
अगर नहीं हैं तो उन्हें राजनीति करने का या महिला हितैषी जतलाने का कोई हक नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि सोनिया एक मां हैं और उनकी भी एक बेटी है। इसके बाद भी आखिर उन्होंने इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान दे कैसे दिया। इसका उत्तर रेणुका ने दिया है, कि अगर घर में कोई रेप हुआ हो तब हाय तौबा मचाओ नहीं तो रेप तो देश भर में हो रहे हैं।
यक्ष प्रश्न तो यह है कि क्या किसी को दुखी तब होना चाहिए जब विपदा उसके अपने परिवार पर आए? दरअसल, कांग्रेस पार्टी के नेताओं का अहंकार इतना बढ़ चुका है कि वे सभी को जूते की नौक पर रख रहे हैं। यही कारण है कि देश में घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार चरम पर है पर कांग्रेस के आला नेता नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजा रहे हैं। जो पैसा मिलबांटकर खाया जा रहा है वह पैसा उनकी जेबों से नहीं निकल रहा है इसलिए वे भला क्यों इसके लिए चिंतित होने लगे। यह पैसा तो गरीब गुरबों से एकत्र करों के माध्यम से संचित धन है।
बलात्कार जैसा संगीन और अक्ष्मय अपराध को सोनिया गांधी गर्व से कह रहीं थी कि समूचे देश में हो रहे हैं। कांग्रेस पिछले आठ सालों से केंद्र में काबिज है। क्या इन आठ सालों में बलात्कार के लिए कोई कठोर कानून नहीं बना सकती थी कांग्रेस? बनाती भी कैसे, आखिर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पर भी तो एक बाला ने बलात्कार के आरोप मढ़े हैं।
कहा जाता है कि भारत की जेलों में अगर कोई बलात्कारी जाता है तो जेल के सारे कैदी उसकी पिटाई करते हैं? इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो जेल के कारिंदे ही बता सकते हैं, किन्तु जरायमपेशा लोगों, अपराधियों के बीच भी बलात्कार को सबसे घिनौना अपराध माना जाता है।
यह मामला अभी शांत हुआ नहीं कि कांग्रेस के शक्तिशाली महासचिव और कांग्रेस की ही नजर में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी ने पंजाब यूनिवर्सिटी में नए विवाद को जन्म दे दिया। राहुल का कहना है कि पंजाब में 10 में से सात युवा नशा करते हैं। प्रसिद्ध व्यंगकार और कला के महारथी जसपाल भट्टी का कहना है कि अब वोट के लिए कांग्रेस किस चीज का प्रलोभन देगी -डी एडिक्शन का या सब्सीडी वाले नशेले पदार्थों का!
दरअसल, आजकल मीडिया भले ही कांग्रेस की देहरी पर खड़ा पूंछ हिला रहा हो, पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट के रूप में भारत गणराज्य के नवोदित पांचवें स्तंभ ने अब कमान संभाल ली है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर कुछ दिन पहले तक कपिल सिब्बल और पलनिअप्पम चिदम्बरम ही चर्चा के केंद्र थे। कुछ माहों से उन्हें हाशिए पर ढकेले जाने के बाद वे अब स्ट्रीम लाईन से हट चुके हैं।
अब सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर चर्चा का बिन्दु बनी हुई है केंद्र सरकार। केंद्र सरकार में भी विशेषकर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और केंद्र सरकार (गांधी परिवार) के दमाद राबर्ट वढ़ेरा। भारत गणराज्य के इतिहास में प्रधानमंत्री को कभी इतना कोसा नहीं गया होगा जितना कि पिछले दो तीन सालों में कोसा गया है।
कांग्रेस के और नेता भी बडबोलेपन में किसी से कम नहीं हैं। देश के कानून मंत्री जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे माननीय मंत्री महोदय ने कह दिया कि वे सोनिया के लिए जान भी दे सकते हैं। क्या इस बयान को भारत गणराज्य के काननू मंत्री के मुंह से सुनना शोभा देता है?
वहीं कांग्रेस के एक और मंत्री जयराम रमेश ने शौचालयों की तुलना मंदिरों से कर मारी! इस बारे में शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे का कहना एकदम सही है कि अगर जयराम में हिम्मत है तो शौचालयों की तुलना मस्जिद या चर्च से करके बताएं फिर देखें कि कांग्रेस और रमेश की क्या गत बनाती है जनता।
हरियाणा में प्रवक्ता धर्मवीर गोयल तो इनसे दो कदम आगे निकले। उन्होंने तो बलात्कार पीडित महिलाओं और बालाओं को ही कटघरे में खडा कर दिया है। धर्मवीर का कहना है कि 90 फीसदी रेप के केस बालाओं और महिलाओं की सहमति से ही होते हैं। भले मानस आपके घर में भी महिलाएं होंगी उनको देखकर तो जुबान खोलते।
राजनेता के पीछे दौड़ने वाली जनता में से कुछ चाटुकारों को छोड़कर शेष चालीस फीसदी तो उन्हें अपना आदर्श ही मानते हैं, और अगर राजनेता ही मरने मारने, भगने भगाने जैसे बयान देना आरंभ कर देंगे तो आने वाले समय में कत्ले आम मच जाएगा। राजनेता इस तरह का बयान और कदम सिर्फ खबरों में बने रहने, तालियां सुनने के लिए उठाते हैं या फिर उनका असली मकसद कुछ और होता है।

ग्वालियर के बाद सिवनी से मार्च की तैयारी!


ग्वालियर के बाद सिवनी से मार्च की तैयारी!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। शेरशाह सूरी के शासनकाल में बनाई गई उत्तर दक्षिण की जीवनरेखा के उड़ते धुर्रों के कारण सिवनी के निवासी और यहां से होकर गुजरने वाले लोग बुरी तरह नारकीया जीवन जीने पर मजबूर हैं। वर्ष 2008 के दिसंबर महीने में विधानसभा चुनावों के एन बाद कथित षणयंत्र के तहत फोरलेन का काम रूकवा दिया गया था, जो आज तक आरंभ नहीं हो सका है।
सिवनी में 2008 से एनएचएआई को लेकर लोग बुरी तरह आहत हैं। इसमें भ्रम की स्थिति आज भी बनी हुई है। सिवनी के गौरव वास्तु इंजीनियर दीपक अग्रवाल ने एक सुझाव दिया है कि जब ग्वालियर से पच्चीस हजार लोग पैदल मार्च कर केंद्र सरकार को झुकाकर आगरा में समझौते के लिए बुला सकते हैं तो हम क्यों नहीं।
दीपक अग्रवाल का सुझाव है कि सिवनी के साथी ना हवाई जहाज, ना रेल गाडी में वातानुकूलित दर्जे में ना बस या टेक्सी से दिल्ली कूच करें वरन पैदल या साईकिल से मार्च करें। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सिवनी के निवासियों के सुझाव सादर आमंत्रित हैं।
साथ ही साथ अब देखना यह है कि अगले साल होने वाले विधानसभा और फिर लोकसभा नगर पालिका आदि चुनानों के चलते कौन कौन इस मुहिम में सिवनी की जनता का साथ देता है। यह पैदल या साईकिल मार्च किसी संगठन की अगुआई में नहीं होगा। इसमें सिवनी के हित साधने के लिए कौन आगे आता है यह बात महत्वपूर्ण है।
 दीपक अग्रवाल के इस सुझाव से अनेक लोगों ने अपनी सहमति जताई है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट फेसबुक के माध्यम से उठाई गई इस बात में अनेक सुझाव आए हैं। लोगों का सुझाव है कि संसद के शीतकालीन सत्र में संसद, मंत्रियों के आवास और मध्य प्रदेश के सांसदों के आवासों के घेरावा के बाद जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया जाएगा।
श्री अग्रवाल ने सुझाव दिया है कि सिवनी के हित में किए जाने वाले इस आंदोलन के लिए किसी से चंदा नहीं लिया जाएगा, क्योंकि चंदे के धंधे में हैं अनेक फंदे। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल होने वाले अपनी अपनी सुविधा और सहूलियत का ध्यान खुद रखकर ही शामिल हों। इसके लिए अगर आवश्यक्ता पड़ी तो अण्णा हजारे और अरविंद केजरीवाल से भी संपर्क करने की बातसामने आई है।
एक सुझाव यह भी सामने आया है कि इसमें सभी दल के कार्यकर्ता शामिल हों पर वे दलीय कार्यकर्ता के स्थान पर सिवनी के नागरिक की हैसियत से शामिल हों, क्योंकि यह किसी पार्टी, स्वयंसेवी संगठन नहीं सिवनी के हित का मामला है। साथ ही इस आंदोलन को किसी राजनैतिक अथवा गैर राजनैतिक बेनर के तले ना करने का सुझाव भी आया है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान श्री अग्रवाल ने कहा कि अक्सर इस तरह के आंदोलनों के मंच बाद में राजनैतिक शक्ल अख्तियार कर लेते हैं। सिवनी से दिल्ली तक मार्ग में पड़ने वाले शहरों में नारे लगाकर पोस्टर्स बेनर्स के माध्यम से सिवनी वासी अपनी पीड़ा का इजहार करेंगे।
वैसे देखा जाए तो ग्वालियर के लोगों ने आगरा तक पहुंचकर ही सरकार को घुटनों पर खड़ा कर दिया है। सिवनी में फोरलेन के लिए अलग अलग संगठनों द्वारा अपने अपने स्तर पर व्यापक प्रयास किए गए किन्तु सफलता किसी के हाथ नहीं लगी है। मजबूरी में आज चार साल बीतने के बाद भी 2008 के उपरांत उत्तर भारत से दक्षिण भारत को जोड़ने वाली सिवनी से गुजरने वाली इस जीवनरेखा के धुर्रे पूरी तरह उड़ चुके हैं।
ज्ञातव्य है कि सड़क मण्डला सिवनी के संसद सदस्य बसोरी सिंह मसराम, बालाघाट सिवनी के सांसद केशव दयाल देशमुख के संसदीय क्षेत्र से एवं मध्य प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह, सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, बरघाट विधायक कमल मस्कोले एवं लखनादौन की विधायक श्रीमति शशि ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरती है। इन सांसद विधायकों को जनादेश की कितनी परवाह है यह इससे स्पष्ट हो जाता है कि किसी ने भी संसद या विधानसभा में इस मामले को 2008 के उपरांत उठाने की जहमत ही नहीं उठाई है।

सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क


सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में कहीं भी शांति भंग करने की किसी भी कोशिश को नाकाम करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि दिल्ली पुलिस द्वारा तीन आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद क्या सरकार ने आतंकी हमलों के बारे में कोई एलर्ट जारी किया है।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ये आतंकवादी आगामी त्योहारों के मौके पर दिल्ली तथा बिहार के बोध गया में आतंकवादी हमले की योजना बना रहे थे। श्री शिंदे ने कहा कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि विभिन्न आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों के बारे में सर्तक रहे।
उधर, दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले त्योहारों के दौरान एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम करने का दावा किया है। दिल्ली में कल इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस को संदेह है कि ये लोग दो महीने पहले पुणे में हुए कम शक्ति के बम विस्फोट में शामिल थे।
नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने कहा कि मुम्बई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता अबू जुंदाल से पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर इन तीनों लोगों को गिरफ्तार किया गया। ये सभी लोग महाराष्ट्र के हैं।

फेसबुक पर अब संभलकर डालें चित्र कार्टून!

फेसबुक पर अब संभलकर डालें चित्र कार्टून!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। अंततः सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर परोक्ष तौर पर केंद्र सरकार ने नकेल कस ही दी है। अब इंटरनेट, ई-मेल और जनसंचार के अन्य माध्यमों पर महिलाओं को अशोभनीय ढंग से प्रस्तुत करने के मामले में दोषी किसी भी व्यक्ति को जेल जाना पड़ सकता है।
ऑन लाइन या एम.एम.एस के जरिए अश्लील वीडियो भेजने के दोषी लोगों को सात साल की कैद और पांच लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में महिलाओं के अशोभनीय प्रस्तुतिकरण निषेध अधिनियम १९८६ में संशोधन को मंजूरी दी गई जिसमें ये प्रावधान किये गये हैं। इस खबर के सार्वजनिक होते ही लोग अब सोनिया गांधी के बारे में टिप्पणी करने या कार्टून वाले चित्र डालने से हिचकिचाएंगे। दरअसल, अश्लीलता की परिभाषा बहुत ही व्यापक है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है जिसके तहत उर्वरक खरीदने के लिए सब्सिडी सीधे किसानों को दी जाएगी। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने कल इसके लिए उर्वरक सब्सिडी जारी करने की प्रक्रिया में संशोधन की मंजूरी दी। किसानों को उर्वरक मिल जाने और खुदरा व्यापारियों को इसकी रसीद मिल जाने के बाद ही कंपनियों को उर्वरक की कीमत अदा की जाएगी।
ग्रामीण इलाकों में गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रखंड स्तर पर छह हजार श्रेष्ठ स्तर के मॉडल स्कूल खोलने की मंजूरी दी। योजना का उद्देश्य छह हजार प्रखंडों में उच्च माध्यमिक स्तर का एक-एक स्कूल खोला जाएगा। ढांचागत क्षेत्र से संबद्ध मंत्रिमंडल की समिति ने राजस्थान में बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए राजसमंद-भीलवाड़ा सैक्शन को चार लेन का बनाने की परियोजना में निवेश का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है।

दवाओं की कीमतें ना बढ़े: सुको


दवाओं की कीमतें ना बढ़े: सुको

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि केन्द्र को ऐसी औषधि नीति नहीं बनानी चाहिए जिससे आवश्वयक दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी हो। न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि मरीजों के लिए डॉक्टर जो दवायें लिखते हैं वे आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही हैं। अदालत ने कहा कि आम जनता के हितों के खिलाफ जाने वाले किसी भी मूल्य निर्धारण फार्मूले को रद्द कर देना चाहिए।
अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल ने न्यायालय को भरोसा दिलाया कि नई नीति २५ नवम्बर तक अधिसूचित कर दी जाएगी। मामले की अगली सुनवाई २७ नवम्बर को होगी। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को सरकार के फैसले की जानकारी दी। सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति एस.जे. मुखोपाध्याय की पीठ ने सरकार को नई दवा मूल्य निर्धारण नीति के कार्यान्वयन की समय सीमा के बारे में बताने का निर्देश दिया था।
पीठ ने सरकार से कहा कि वह 1995 की कीमत निर्धारण फार्मूला को प्रभावित नहीं करे। पीठ ने कहा कि क्या आप लिखित गारंटी दे सकते हैं कि दवाओं की कीमत वर्तमान कीमत से नहीं बढ़ेगी। पीठ ने कहा कि हम कीमत को लेकर अधिक संजीदा हैं। निर्माताओं के गणित को समझा जा सकता है। लेकिन अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा वाजिब मूल्य पर दवाओं की उपलब्धता है।
अदालत ने कहा कि हमने यह कहा है कि सरकार को ऐसी नीतियां लानी चाहिए जो आम आदमी के लिए लाभदायक हो और जिसके कारण कीमत नहीं बढ़े। अदालत ने तीन अक्टूबर को जनहित सुरक्षा के लिए सरकार से कहा था कि आवश्यक दवाओं की सूची तैयार करते वक्त मूल्य नियंत्रण निर्देश के तहत दवाओं की मौजूदा कीमत को प्रभावित नहीं करे।

पहली बार आई अराध्या सबसे सामने


पहली बार आई अराध्या सबसे सामने

(निधि गुप्ता)

मुंबई (साई)। सत्तर की उम्र में भी अपने अभिनय से लोगों को लोहा मनवाने वाले सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की 70वीं सालगिरह पर यूं तो सैकड़ों मेहमान जुटे थे, लेकिन इसमें सबसे खास थी उनकी पोती अराध्या। बिग बी के जन्मदिन पर शानदार पार्टी के दौरान पहली बार अभिषेक और ऐश्वर्या राय बच्चन की 11 माह की बेटी अराध्या सबके आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी।
दिखने में मां ऐश की तरह अराध्या पार्टी में काफी खुश नजर आ रही थी। कभी वह दादी जया बच्चन की गोद में रहते हुए मेहमानों को कौतुहल बस देख रही थी, तो कभी मां ऐश की गोद में रहते हुए लोगों का मानो स्वागत कर रही हो। इस साल बिग बी के जन्मदिन को अराध्या ने खास बना दिया। पहली बार वह पोती के साथ अपने जन्मदिन का जश्न मना रहे थे।
इस मौके पर मंच पर आकर बिग बी ने लोगों को पार्टी में आने के लिए धन्यवाद दिया और अपने अनुभव शेयर किए। जब मां की गोद में अराध्या मंच पर पहुंची तब सभी मेहमानों ने ताली बजाकर उसका स्वागत किया। वह चारों ओर निहार रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह भी सभी को शुक्रिया कह रही हो। सफेद फ्रॉक में परी-सी नजर आ रही अराध्या पहली बार सार्वजनिक तौर पर लोगों के सामने आई और जश्न में सबसे खास बन गई।

कानून मंत्री के ट्रस्ट के फर्जीवाड़े पर कैग की मुहर!


कानून मंत्री के ट्रस्ट के फर्जीवाड़े पर कैग की मुहर!

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट को विकलांगों की मदद के लिए मिले सरकारी अनुदान में गहरा फर्जीवाड़ा हुआ है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के ताजा ऑडिट ने इसे प्रमाणित कर दिया है. गौरतलब है कि केंद्रीय समाज कल्याण मंत्रालय ने ट्रस्ट में अनियमितता की जानकारी होने के बावजूद 2011 में इसके लिए फंड जारी कर दिया.
दस्तावेज बताते हैं कि जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश के जिन 17 जिलों में 2010 के दौरान विकलांगों के उपकरण वितरित करने के लिए कैंप आयोजित करने का दावा किया, उनमें चार जिलों में कोई कैंप ही नहीं लगा. जिन जिलों में कैंप आयोजित होने के प्रमाण मौजूद हैं, वहा विकलांगों को उपकरण बांटे जाने पर भी गहरा संदेह है.
सलमान खुर्शीद व लुईस खुर्शीद के नेतृत्व वाले ट्रस्ट के इन कैंपों के आयोजन में कैग ने भारी अनियमितताएं पाई हैं और समाज कल्याण मंत्रालय ने इसकी अनदेखी की है. ट्रस्ट को कैंप लगाने के लिए मार्च 2011 में फिर 68.25 लाख रुपये दे दिए गए, जबकि कैंप की पिछली रिपोर्ट का सत्यापन भी नहीं हुआ था. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट को अनुदान समाज कल्याण मंत्रालय ही देता है.
ताजा मामला उत्तर प्रदेश के 17 शहरों में विकलांग कैंप लगाने के लिए दिए गए 71.50 लाख रुपये का है. एक टीवी चौनल ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिये इन कैंपों में गड़बड़ी का मामला उठाया था. केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद ने चौनल की रिपोर्ट को आरोपों पर आधारित ना बताकर इसे खारिज किया है लेकिन कैग का ऑडिट यह साबित करता है कि जाकिर हुसैन ट्रस्ट को मिले सरकारी अनुदान में गड़बड़ियां हुई हैं.

नीतीश की यात्रा में उतरवाए लड़कियों के दुपट्टे!


नीतीश की यात्रा में उतरवाए लड़कियों के दुपट्टे!

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। काले कपड़े से डरने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अधिकार यात्रा के दौरान नवादा में लड़कियों के काले दुपट्टे उतरवा दिए गए. इस घटना ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. जदयू के निलंबित सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री को अधिकार यात्रा बंद करने की नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि ऐसा असभ्य आचरण किसी सरकार ने नहीं किया होगा.
काले कपड़ों पर रोक के मुख्यमंत्री के आदेश का पालन करते हुए पुलिसकर्मियों ने वृद्धजनों के छाते रखवा लिए. महिलाओं और युवतियों को जबरदस्ती दुपट्टे उतारने के लिए बाध्य किया गया. बुधवार को उन्होंने कहा कि इस घटना का वे पुरजोर विरोध करते हैं.
भाजपा नेता व पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने भी दुपट्टे उतरवाने की घटना की निंदा की है. उन्होंने कहा कि यह महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ है. हालांकि पिंटू ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है और मंत्री होने के नाते नहीं कह रहे.
लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा कि अपनी सभाओं में काले दुपट्टे उतरवाकर मुख्यमंत्री राज्य की बेटियों का चीरहरण करा रहे हैं. बुधवार को जारी बयान में पारस ने कहा कि इस कृत्य से पूरे बिहार का सिर शर्म से झुक गया है. उन्होंने कहा कि जनविरोध से विचलित होकर नीतीश कुमार ऐसा कर रहे हैं. यह उनकी तानाशाही प्रवृत्ति का परिचायक है.
नीतीश पर कटाक्ष करते हुए लालू ने कहा था कि क्या लोग अपने काले बाल भी हटवा कर मुख्यमंत्री की सभा में जायें. ज्ञातव्य है कि विकास पुरुष नीतीश कुमार का उनके अधिकार यात्रा में लगातार विरोध किया जा रहा है. उनपर जूते-चप्पल फेंके जा रहे हैं. काले झंडे दिखाए जा रहे हैं. कुछ दिन पहले इससे नीतीश कुमार खफा हो गए थे और उन्होंने आंदोलन कर रहे अध्यापकों को ही चुनौती दे डाली थी.

जाली नोटों का बैग बरामद


जाली नोटों का बैग बरामद

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश के फैजाबाद रेलवे स्टेशन पर लावारिस बैग मिलने पर स्टेशन पर हड़कंप मच गया. लावारिस बैग में नौ लाख 70 हजार रुपये के जाली नोट निकले, तो वहीं मुगलसराय स्टेशन पर एक व्यक्ति से 90 हजार रुपये के जाली स्टाम्प बरामद किए.
रेलवे पुलिस के सूत्रों ने समाचर एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि फैजाबाद रेलवे स्टेशन पर पड़े लावारिस बैग से नौ लाख 70 हजार रुपए के जाली नोट मिले. इस सिलसिले में मामला दर्ज करा दिया गया है. पुलिस ने छानबीन शुरु कर दी. पुलिस पकड़े गए व्यक्ति से पूछताछ कर रही है.

तरूण विजय और धु्रव नारायण की करीबी स्वीकारी शेहला के पिता ने


तरूण विजय और धु्रव नारायण की करीबी स्वीकारी शेहला के पिता ने

(विजय सिंह राजपूत)

इंदौर (साई)। सनसनीखेज हत्याकांड की शिकार आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद के बुजुर्ग पिता ने यहां विशेष सीबीआई अदालत में स्वीकार किया कि भाजपा के राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता तरुण विजय और भोपाल के भाजपा विधायक धु्रवनारायण सिंह से उनकी बेटी के गहरे रिश्ते थे। हालांकि, सीबीआई के इस अहम गवाह ने हाई प्रोफाइल हत्याकांड को लेकर दोनों भाजपा नेताओं पर कोई सीधा आरोप नहीं लगाया जिनके नाम मामले में उछल चुके हैं।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश अनुपम श्रीवास्तव के सामने शहला के पिता मसूद सुल्तान (70) ने बचाव पक्ष के वकीलों की जिरह के दौरान कहा कि वर्ष 2000.01 में किसी माहिरा ने शहला की ध्रुवनारायण से मुलाकात करायी थी। उन्होंने बताया कि भोपाल (मध्य क्षेत्र) के भाजपा विधायक की शहला से हार्दिकदोस्ती हो गई थी।
ध्रुवनारायण का उनके घर आना-जाना था और आरटीआई कार्यकर्ता अपने घर पर भाजपा विधायक के लिए खुद खाना भी पकाती थी। उन्होंने हालांकि कहा कि हत्या से डेढ़ साल पहले शहला का कार्यक्षेत्र दिल्ली हो गया था। इसलिए ध्रुवनारायण का उनके घर आना-जाना कम हो गया था।
सुल्तान के मुताबिक ऐसा क्यों हुआ, इस बारे में उन्होंने अपनी बेटी से कोई पूछताछ नहीं की थी। बहरहाल, जब उनसे पूछा गया कि क्या शहला का भाजपा विधायक से कोई मनमुटाव हो गया था, तो उन्होंने इस सिलसिले में कोई जानकारी होने से इंकार किया। शहला के पिता ने बताया कि 16 अगस्त 2011 को अपनी बेटी की हत्या के बाद उन्होंने सिंह को इसकी सूचना देने के लिए फोन किया था। लेकिन उनसे उस दिन बात नहीं हो सकी।

विशाल कृषक एवं काव्य संगोष्ठी


विशाल कृषक एवं काव्य संगोष्ठी

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। आत्मा परियोजना के अंतर्गत राज्य के अंर्तगत कृषक दल मंडला का राज्य के अंदर भ्रमण कार्यक्रम में सिवनी जिले के बरघाट विकासखंड के ग्रामों में धान की एस.आर.आई. पद्धति से धान का उत्पादन अधिक कैसे प्राप्त किया जा रहा है इसकी तकनीकि का पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान किया गया। मंडला से डॉ. आर. के. सिंह आत्मा परियोजना उपसंचालक के कुशल मार्गदर्शन में सिवनी जिले के उपसंचालक कृषि श्री सुधीर धुर्वे के विशेष सहयोग से प्रदान किया गया। 153 कृषकों का विशाल भ्रमण दल को सिवनी के श्री हनुमान व्यायामशाला भैरोगंज में कृषक संगोष्ठी एवं काव्य संगोष्ठी में जिला पंचायत अध्यक्ष श्री मोहनसिंह चंदेल, उपसंचालक कृषि श्री सुधीर धुर्वे, सहायक संचालक पशु श्री मनीष शेन्डे ने विशेष रूप से कृषकों को कृषि एवं पशुपालन की गहराईयों को समझाया। कवियों ने कुछ इस तरह काव्य पाठ किया।
कौशलेश पाठक-काव्य गोष्ठी संगोष्ठी के मुख्य संचालक ने अपने गंभीर अंदाज में कहा-
     अब मेरी आंखें में आंसू नही आते है,
     अब मेरे बच्चों को भूख नही लगती है।
     मेरा एक बाजू दूसरे बाजू को कर रहा है,
     ये मुझे आपस में कौन बांट रहा है।।
पूनाराम कुल्हाड़े पूनम‘- ने बेटियों व्यथा पर काव्य पाठ सुनाया
     बिटिश की उम्र सोलह सबको ललकारती है,
     आ होश में फरिश्ते, बिटिया पुकार  रही है।
     बिटिया की उम्र सोलह, सबको ललकारती है।
मिनहाज कुरैशी- ने हौसलों की बुलंदियों पर कहा-
     अपनी नाकामिनयों पे ए हम एम,
     इस कदर क्यूं उदास होता है।
     मुश्किलें उसके पांव पड़ती है,
     हौसला जिस के पास होता है।
अरविन्द कर्बे- ने बैल एवं ट्रेक्टर की लड़ाई का चितरण किया-
     एक दिन एक खेत करे बात,
     बैल व ट्रेक्टर में हो गई मुलाकात
रामभुवनसिंह ठाकुर- ने बेटी धन पर समाज को आगाह किया-
पुत्री, धन पराया नहीं, है अपना ही खून।
     पुत्र-पुत्री दोनों ही हैं, इक डाल के प्रसून।।
सूफी रियाज मो. निंदा-ने शायरी में आंसू को गढ़ा-
     जुल्फ बादल, घटा, देखते-देखते,
     चान्द यूं भी छुपा देखते-देखते।
     अश्क टपका मिरी आंख से और फिर
     खाक में मिल गया देखते-देखते
‘‘भुजंग‘‘ राधेश्याम सेन-ने पर्यावरण संरक्षण में यह कहा-
     दो-दो लगें द्वार-द्वार आंगन में चार-चार,
     गली और कूचों में कतारें लगवाइयें।
     गांव गलियारों और नगर चौराहों साथ,
     खेतों के किनारे खलियानों को सजाइयें।
राजेश मिश्रा राज‘ - जागते रहने का आव्हान किया-
     जागों सानो वाले जागों सोने में रोना है,
     सूरज ने आकर अम्बर से बरसाया सोना है।
देवेन्द्र शर्मा-ने गुनाहगारों को ललकारा-
     कितने सबूत दे दिये हमने गुनाह के,
     तो घूमते है ठाठ से सरहद में आपके।
     वे वक्त की ललकार को कब तक सहेगें हम,
     क्यों ना करें फिर वारउनके वार देखके।
सिराज कुरैशी-ने गम की महत्ता प्रतिपादित की-
     अब बिछड़ने का गम नहीं होता,
     दीदा ए इश्क नम नहीं होता।
     इतने अपनों ने गम दिये है सिराज,
     अब तो गैरों का गम नहीं होता।
अरूण चौरसिया प्रवाह‘- ने बदनाम की समीक्षा की-
     जो शय किसी के काम की नहीं होती,
     वह कभी बदनाम नहीं होती।
     चन्दा के लिए बदनाम है चकोरी,
     कली के दिये बदलनाम भंवर टोली।
     शीप में ही निखरता है मोती।। जो शय...
नसीम असर‘- मानवता धर्म की बात रखी-
     दिल में हर इक शक्स के अरमान होना चाहिए।
     आदमी को कम से कम इंसान होना चाहिए।

भ्रष्टाचार रोकने के बजाए उसके प्रचार प्रसार रोकने की अपील हास्यास्पद!

भ्रष्टाचार रोकने के बजाए उसके प्रचार प्रसार रोकने की अपील हास्यास्पद!

(लिमटी खरे)

संप्रग की दूसरी पारी ने देश को शर्मसार किया है यह बात किसी से छिपी नही है। यूपीए वन के कार्यकाल के घोटालों को यूपीए टू में हवा मिली और देश भर में छा गया भ्रष्टाचार का मुद्दा। कहा जाता है कि जैसे ही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने बीसवीं सदी के अंतिम दशकों में कांग्रेस के चाणक्य कुंवर अर्जुन सिंह को घर बिठाया वैसे ही यूपीए के भ्रष्टाचार के मामले सामने आना आरंभ हो गए। दक्षिण भारत की एक वेब साईट ने तो बाकायदा कुंवर अर्जुन सिंह के नाम का उल्लेख कर यह लिखा था कि ये सारे मामले अर्जुन सिंह को नजर अंदाज करने का ही परिणाम है। भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे मनमोहन सिंह से यह उम्मीद तो कतई नहीं की जाती है कि वे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बजाए भ्रष्टाचार और नकारात्मक बातें ना करने की अपील करें। दरअसल, मीडिया पर तो सरकार विज्ञापन का डर बताकर अंकुश लगा सकती है पर सोशल मीडिया अर्थात सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट्स पर लोगों को भावनाएं व्यक्त करने से रोकना दुष्कर उस वक्त है जब ट्विटर जैसी साईट पर खुद मनमोहन सिंह अपने अपडेट्स देते हों। भारतवासी खुद फैसला करें कि क्या भारत गणराज्य इतना कमजोर हो गया है कि देश का प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार रोकने की बजाए उसके प्रचार प्रसार को रोकने की अपील करे!

भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक की अघोषित उपाधि पाने वाले भारत गणराज्य के वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह इस समय खुद एवं यूपीए सरकार पर होने वाले भ्रष्टाचार के हमलों से बुरी तरह आहत और घबराए हुए हैं। विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उनकी जुबान कुछ इस तरह फिसली कि वह देश में चर्चा का विषय बन गई। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का कहना है कि बिना सोचे समझे नकारात्मकता और निराशावादी दुष्प्रचार से कुछ नहीं होने वाला है। पीएम का कहना है कि भ्रष्टाचार की वजहों की तह में जाए बिना उसका प्रचार प्रसार विश्व भर में भारत की छवि को धूमिल कर रहा है।
विज्ञान भवन में आयोजित सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो के 19वें सम्मेलन में को प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून में सिर्फ भ्रष्टाचारियों को सजा दिलवाने के मकसद से संशोधन नहीं किया जा रहा। बल्कि इसका मकसद कानून में मौजूद उन कमियों को भी दूर करना है जिसका फायदा उठाकर भ्रष्टाचारी नए-नए हथकंडे अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में देश को ऐसे कानूनी प्रावधानों की जरूरत है जिससे भ्रष्टाचार के अंतरराष्ट्रीय फैलाव को भी रोका जा सके। इसके लिए कॉरपोरेट कंपनियों को भी कानूनी तौर पर जिम्मेदार ठहराने की दिशा में भी काम चल रहा है। मनमोहन सिंह ने कहा कि घूस लेने-देने के मामले में घूस देने वाला अक्सर बच कर निकल जाता है।
मनमोहन सिंह के मुताबिक खुली बाजार व्यवस्था के आने के बाद देश में कई नई तरह के भ्रष्टाचार पनपे हैं। सरकार मौजूदा कानून में संशोधन कर भ्रष्टाचार की सभी संभावनाओं को खत्म करने की दिशा में पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल जैसे लोगों द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों के बीच प्रधानमंत्री ने यह भी साफ किया कि भ्रष्टाचार के नकारात्मक प्रचार से काम करने वाले ईमानदार लोग बुरी तरह हतोत्साहित होते हैं। ऐसे में प्रचार के बजाए भ्रष्टाचार की वजहों पर चोट करना ज्यादा जरूरी है और सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री के मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी देश के शीर्ष मीडिया को साधने में असफल ही साबित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया (सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स) पर प्रधानमंत्री की ईमानदारी की उड़ती धज्जियों से वे बेहद घबराए दिख रहे हैं। इन वेब साईट्स पर मनमोहन सिंह को परोक्ष तौर पर ईमानदार के बजाए भ्रष्टाचार का ईमानदार संरक्षकही बताया जा रहा है।
मनमोहन सिंह भूल जाते हैं कि देश के चुनिंदा संपादकों की टोली के साथ बैठकर उन्होंने अपने आपको मजबूर बताया था। उस वक्त प्रधानमंत्री ने राष्ट्र धर्म से बड़ा गठबंधन धर्म का सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जिसे संपादकों की टोली ने परोक्ष तौर पर एक चाय के एहसान तले दबकर सराहा था।
मनमोहन सिंह की सरपरस्ती में देश की जनता के गाढ़े पसीने की कमाई को हवा में उड़ाया जाता रहा है। ना जाने कितने घपले घोटाले सामने आए। कामन वेल्थ, टूजी, सीएजी, के बाद अब तो जीजाजी यानी राबर्ट वढेरा का घोटाला भी छाया हुआ है। सलमान खुर्शीद पर विकलांग बच्चों के पैसे खाने का आरोप है।
लाखों करोड़ रूपयों के घोटाले हो गए, फिर मनमोहन सिंह ने आठ सालों में पहली बार (स्वतंत्रता दिवस को छोड़कर) देश को संबोधित कर डीजल, पेट्रोल रसोई गैस आदि की कीमतें बढ़ाने को मजबूरी बताया। मनमोहन सिंह अर्थशास्त्री हैं, वे जानते हैं कि जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से अर्जित राजस्व ही सरकार का कोष होता है। इसी कोष से सरकार खर्च चलाती है। अब सरकार के कोष में मनमोहन सिंह के दमादों (कांग्रेस और सहयोगी दलों के नेताओं) ने आग लगा दी। कोष खाली हो गया तो फिर उसे भरने के लिए करारोपण कहां तक उचित है।
पहले मीडिया को साधकर सरकार अपनी मुगलई चला लेती थी, किन्तु अब सोशल नेटवर्किंग बेव साईट्स के कारण सरकार एसा किसी काम को चुपचाप अंजाम नहीं दे पाती है। जनता के सामने सच्चाई आई तो जनता का आक्रोश उबलना स्वाभाविक ही है। सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट्स पट गईं मनमोहन सिंह, सोनिया और इनकी मण्डली के भ्रष्टाचार के कारनामों से।
वेश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार की गूंज और इसके लिए सीधे सीधे मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जाने लगा। यह देखकर मनमोहन सिंह छटपटा गए। इस बार उनकी जुबान फिसल गई और उन्होंने भ्रष्टचार के खिलाफ प्रचार प्रसार के बजाए उसकी वजहों की तह में जाने का मशविरा दे डाला।
मनमोहन सिंह भूल जाते हैं कि वे प्रधानमंत्री हैं। भ्रष्टाचार अगर हो रहा है तो मुखिया होने के नाते वे ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसकी क्या वजह है इसकी तह में भी वे ही जाएं। जनता इसकी तह में जाकर क्या करेगी? वजह चाहे जो भी हो जनता की तो आखिर जेब ही खाली हो रही है। जनता क्या इसकी वजह जानकर अपना सौ ग्राम खून और जलवाए?
दरअसल, अब नैतिकता ही नहीं बची है। अस्सी के दशक के आरंभ तक सरकारी कार्यालयों में घूस (रिश्वत) लेना और देना अपराध है, दोनों पाप के भागी हैं‘‘ का जुमला अक्सर लिखा दिख जाता था। याद पड़ता है 84 - 85 की बात है एक परिचित ने फ्रिज खरीदा और रात को तीन बजे अपने घर के अंदर रखवाया वह भी पूजन कक्ष में क्योंकि वहां नौकर चाकर नहीं जाया करते थे। कारण पूछने पर उसने बताया कि बाबू आदमी हूं यार, कहीं किसी ने देख लिया तो शिकायत हो जाएगी फिर नौकरी भी जा सकती है। एक अन्य उदहारण हमारे एक परिचित बुजुर्गवार बताते हैं कि जब वे नौकरी में थे तो 65 या 66 के सन में उन्होंने एक पालीस्टर की शर्ट सिलवाई पर पहन नहीं सके। रात के अंधेरे में घर पर पहनते और सुबह होने पर उतार देते। इसका कारण यह था कि कहीं किसी को पता चल गया कि पालीस्टर की शर्ट सिलवाई है तो कहीं विभागीय जांच आरंभ ना हो जाए।
इन उदहारणों के उल्लेख का तातपर्य महज इतना है कि पहले भ्रष्टाचारी समाज से डरता था, अब तो समाज भ्रष्टाचारी से डरने लगा है। यक्ष प्रश्न यह है कि क्या किसी भी नेता पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप में अब तक न्यायालय से सजा हुई है। सुखराम का मामला इसमें अपवाद माना जा सकता है। अपने प्रभावों का उपयोग कर नेता जांच को लंबित करवाते जाते हैं, फिर क्या लोग आरोपों को भूल ही जाते हैं।
हम प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह से यह पूछना चाहते हैं कि क्या उनके कार्यकाल में हुए घपले घोटाले, भ्रष्टाचार के मामलों में वे किसी को दोषी मानते हैं या नहीं। अंतरात्मा (जो शायद मर चुकी है) की आवाज पर अगर वे कह देते हैं कि देश में कलमाडी राबर्ट वढेरा, प्रथ्वीराज चव्हारण, शरद पंवार, रामविलास पासवान, लालू यादव, सलमान खुर्शीद, पी.चिदम्बरम आदि ने भ्रष्टाचार नहीं किया है तो क्या देश की जनता मान लेगी।
प्रधानमंत्री जी बहुत पुरानी कहावत है बिना आग के धुंआ नहीं निकलता आप देश के मुखिया होने के बाद अपने आप को कभी निरीह बताते हैं तो कभी भ्रष्टाचार का प्रचार प्रसार करने से रोकते हैं तो कभी नकारात्मक बातें ना करने की अपील करते हैं। भारतवासी खुद फैसला करें कि क्या भारत गणराज्य इतना कमजोर हो गया है कि देश का प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार रोकने की बजाए उसके प्रचार प्रसार को रोकने की अपील करे!

पेड न्यूज पर चुनाव आयोग सख्त


पेड न्यूज पर चुनाव आयोग सख्त

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। सियासी बियावान में अब मीडिया की मश्कें जमकर कसने की तैयारियां पूरी मुकम्मल हो रही हैं। चुनाव आयोग ने धन देकर खबरें प्रकाशित करवाने को रोकने के लिए कड़े दिशा निर्देश जारी किए है और उम्मीदवारों से इस बारे में जारी नोटिस का जवाब ४८ घंटे के अंदर देने को कहा है। पहले ये समय सीमा ९६ घंटे की थी।
आयोग ने उम्मीदवार द्वारा जवाब मिलने के ४८ घंटे के भीतर जिला और राज्य स्तर पर मीडिया प्रमाणन तथा निगरानी समितियों-एमसीएमसी से ऐसे मामलों में निर्णय लेने को भी कहा। गुजरात और हिमाचल प्रदेश सहित सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को नए निर्देश जारी करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि अगर कोई उम्मीदवार दी गयी समय सीमा के अंदर जवाब नहीं देता तो एमसीएमसी का निर्णय अंतिम माना जाएगा। नये दिशानिर्देश टीवी चौनलों के अतिरिक्त सिनेमा हॉल, केबल टीवी नेटवर्क और एफ एम चौनलों सहित रेडियो पर भी लागू होंगे।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश समेत सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए आयोग ने कहा कि अगर कोई उम्मीदवार निर्धारित अवधि के भीतर जवाब नहीं देता है तो एमसीएमसी के फैसले को अंतिम माना जाएगा। आयोग ने कहा, ‘जिला, राज्यस्तरीय एमसीएमसी को त्वरित गति से जवाबों पर फैसला करना चाहिए और जवाब मिलने के 48 घंटे के भीतर फैसला करने को तरजीह दी जानी चाहिए और उम्मीदवार, पार्टी को अंतिम फैसला बता देना चाहिए।
उधर, अहमदाबाद से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से जलपन पटेल ने बताया कि चुनाव आयोग ने चुनाव आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए कल गुजरात के कृषि मंत्री दिलीप संघानी को कारण बताओं नोटिस जारी किया। निर्वाचन आयोग ने चुनाव संहिता लागू होने के बाद एक सड़क परियोजना की आधार शिला रखने पर श्री संघानी को  नोटिस जारी किया।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के गुजरात ब्यूरो ने बताया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष और केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कल बड़ोदरा में कहा कि उनकी पार्टी आगामी गुजरात विधान सभा चुनाव कांग्रेस के साथ गठजोड़ करके लड़ेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में वोटों का विभाजन रोकने और भारतीय जनता पार्टी को फायदा न होने देने के लिए उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ सीटों का तालमेल करेगी। श्री पवार ने कहा कि २००७ के विधान सभा चुनाव में सीटों के तालमेल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को ८ सीटें दी गयी थी, जिसमें से वह ३ सीटें जीतने में कामयाब रही। उन्होंने कहा कि इस बार उनकी पार्टी और अधिक सीटे जीतना चाहती है।