10 में से 7 पंजाबी नस्सू!
(लिमटी खरे)
राजनेता देश के लोगों के
पायोनियर (अगुआ) होते हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। राजनेताओं द्वारा
कही बातों को उनके अनुयाई पत्थर की लकीर ही मानते हैं। तालियों की गड़गड़ाहट की चाहत
में राजनेताओं द्वारा अनाप शनाप बयानबाजी कर दी जाती है, जिसका प्रभाव आम जनता पर प्रतिकूल ही पड़ता है। हाल ही में
कांग्रेस के शीर्ष राजनेताओं ने जो बयानबाजी की है वह निंदनीय ही मानी जाएगी। चाहे
सोनिया गांधी हों, राहुल गांधी या रेणुका चौधरी, सभी ने स्तरहीन बयानबाजी कर यह प्रदर्शित कर दिया है कि उनकी
सोच का स्तर क्या है। देश के हृदय प्रदेश की राजधानी में नशे के आदी को ‘नस्सू‘ कहा जाता है। राहुल के
अनुसार पंजाबी युवाओं में 10 में से 7 नस्सू हैं। भले ही यह बात उन्होंने सीमापार
से आने वाले नशे के संदर्भ में कही हो,
पर
राहुल यह भूल जाते हैं कि सीमा पर तैनात जवान सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन
आते हैं और केंद्र में कांग्रेस की सरकार है, इस
नाते पंजाबियों के नस्सू होने के मामले में वे खुद जिम्मेदार हैं।
मंच से बोलते समय तालियों की
गड़गड़हाट सुनने को बेचेन राजनेता अक्सर अपना संयम तोड़ देते हैं। कभी कभी तो
सुर्खियों में बने रहने भी नेताओं द्वारा आम जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया
जाता है। मामला चाहे उत्तर भारतीयों को लेकर मनसे प्रमुख राज ठाकरे का हो या फिर
शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे का। दोनों ही नेताओं ने जात पात और क्षेत्रवाद की
बात कहकर लोगों के मन मस्तिष्क में जहर बो दिया है।
हाल ही में सोनिया गांधी ने
हरियाणा के जींद में बलात्कार पीडित से मिलने के बाद मीडिया से मुखातिब होकर कहा
था कि हरियाणा क्या रेप तो देश भर में हो रहें। सोनिया ने यह बात इस तरह जाहिर की
मानो यह कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के ‘‘भारत निर्माण‘‘ की कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हो। देखा जाए तो बलात्कार होना
शर्म की बात ही है।
बलात्कार के मामले में जब
इक्कसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने अपनी पीड़ा दर्शाई तो रेणुका
चौधरी कह पड़ीं कि बाबा रामदेव तो इस तरह कलप रहे हैं मानो बलात्कार उनकी बेटी के
साथ हुआ हो। क्या सोनिया गांधी या रेणुका को महिला मानकर यह माना जा सकता है कि
उनके मन में महिलाओं के प्रति कुछ संवेदनाएं हैं?
अगर नहीं हैं तो उन्हें
राजनीति करने का या महिला हितैषी जतलाने का कोई हक नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात
तो यह है कि सोनिया एक मां हैं और उनकी भी एक बेटी है। इसके बाद भी आखिर उन्होंने
इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान दे कैसे दिया। इसका उत्तर रेणुका ने दिया है, कि अगर घर में कोई रेप हुआ हो तब हाय तौबा मचाओ नहीं तो रेप
तो देश भर में हो रहे हैं।
यक्ष प्रश्न तो यह है कि
क्या किसी को दुखी तब होना चाहिए जब विपदा उसके अपने परिवार पर आए? दरअसल, कांग्रेस पार्टी के नेताओं
का अहंकार इतना बढ़ चुका है कि वे सभी को जूते की नौक पर रख रहे हैं। यही कारण है
कि देश में घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार चरम पर है पर कांग्रेस के आला नेता नीरो के मानिंद
चैन की बंसी बजा रहे हैं। जो पैसा मिलबांटकर खाया जा रहा है वह पैसा उनकी जेबों से
नहीं निकल रहा है इसलिए वे भला क्यों इसके लिए चिंतित होने लगे। यह पैसा तो गरीब
गुरबों से एकत्र करों के माध्यम से संचित धन है।
बलात्कार जैसा संगीन और
अक्ष्मय अपराध को सोनिया गांधी गर्व से कह रहीं थी कि समूचे देश में हो रहे हैं।
कांग्रेस पिछले आठ सालों से केंद्र में काबिज है। क्या इन आठ सालों में बलात्कार
के लिए कोई कठोर कानून नहीं बना सकती थी कांग्रेस? बनाती भी कैसे,
आखिर
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पर भी तो एक बाला ने बलात्कार के आरोप मढ़े हैं।
कहा जाता है कि भारत की
जेलों में अगर कोई बलात्कारी जाता है तो जेल के सारे कैदी उसकी पिटाई करते हैं? इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो जेल के कारिंदे ही बता सकते
हैं, किन्तु जरायमपेशा लोगों, अपराधियों के बीच भी बलात्कार को सबसे घिनौना अपराध माना जाता
है।
यह मामला अभी शांत हुआ नहीं
कि कांग्रेस के शक्तिशाली महासचिव और कांग्रेस की ही नजर में भविष्य के वजीरे आजम
राहुल गांधी ने पंजाब यूनिवर्सिटी में नए विवाद को जन्म दे दिया। राहुल का कहना है
कि पंजाब में 10 में से सात युवा नशा करते हैं। प्रसिद्ध व्यंगकार और कला के
महारथी जसपाल भट्टी का कहना है कि अब वोट के लिए कांग्रेस किस चीज का प्रलोभन देगी
-‘डी एडिक्शन का या सब्सीडी वाले नशेले
पदार्थों का!
दरअसल, आजकल मीडिया भले ही कांग्रेस की देहरी पर खड़ा पूंछ हिला रहा
हो, पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट के रूप
में भारत गणराज्य के नवोदित पांचवें स्तंभ ने अब कमान संभाल ली है। सोशल
नेटवर्किंग वेब साईट्स पर कुछ दिन पहले तक कपिल सिब्बल और पलनिअप्पम चिदम्बरम ही
चर्चा के केंद्र थे। कुछ माहों से उन्हें हाशिए पर ढकेले जाने के बाद वे अब
स्ट्रीम लाईन से हट चुके हैं।
अब सोशल नेटवर्किंग वेब
साईट्स पर चर्चा का बिन्दु बनी हुई है केंद्र सरकार। केंद्र सरकार में भी विशेषकर
प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और केंद्र सरकार (गांधी परिवार) के दमाद राबर्ट
वढ़ेरा। भारत गणराज्य के इतिहास में प्रधानमंत्री को कभी इतना कोसा नहीं गया होगा
जितना कि पिछले दो तीन सालों में कोसा गया है।
कांग्रेस के और नेता भी
बडबोलेपन में किसी से कम नहीं हैं। देश के कानून मंत्री जैसे जिम्मेदार ओहदे पर
बैठे माननीय मंत्री महोदय ने कह दिया कि वे सोनिया के लिए जान भी दे सकते हैं।
क्या इस बयान को भारत गणराज्य के काननू मंत्री के मुंह से सुनना शोभा देता है?
वहीं कांग्रेस के एक और
मंत्री जयराम रमेश ने शौचालयों की तुलना मंदिरों से कर मारी! इस बारे में शिवसेना
सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे का कहना एकदम सही है कि अगर जयराम में हिम्मत है तो
शौचालयों की तुलना मस्जिद या चर्च से करके बताएं फिर देखें कि कांग्रेस और रमेश की
क्या गत बनाती है जनता।
हरियाणा में प्रवक्ता
धर्मवीर गोयल तो इनसे दो कदम आगे निकले। उन्होंने तो बलात्कार पीडित महिलाओं और
बालाओं को ही कटघरे में खडा कर दिया है। धर्मवीर का कहना है कि 90 फीसदी रेप के
केस बालाओं और महिलाओं की सहमति से ही होते हैं। भले मानस आपके घर में भी महिलाएं
होंगी उनको देखकर तो जुबान खोलते।
राजनेता के पीछे दौड़ने वाली
जनता में से कुछ चाटुकारों को छोड़कर शेष चालीस फीसदी तो उन्हें अपना आदर्श ही
मानते हैं, और अगर राजनेता ही मरने
मारने, भगने भगाने जैसे बयान देना
आरंभ कर देंगे तो आने वाले समय में कत्ले आम मच जाएगा। राजनेता इस तरह का बयान और
कदम सिर्फ खबरों में बने रहने, तालियां सुनने के लिए उठाते
हैं या फिर उनका असली मकसद कुछ और होता है।