गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

विकास के नाम पर पर्यावरण की चढ़ाई जा रही बली


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  60

विकास के नाम पर पर्यावरण की चढ़ाई जा रही बली

पावर प्लांट के प्रदूषण के होंगे अनेक दुष्प्रभाव



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। पुण्य सलिला जीवन दायनी मां नर्मदा के नाम पर सामाजिक कुंभ भरवाकर, करोड़ों रूपए पानी में बहाने, घर घर जाकर चंदा और अनाज मांगने का स्वांग करने वाली देश के हृदय प्रदेश में शासन करने वाली भारतीय जनता पार्टी द्वारा विकास के नाम पर पर्यावरण को छलनी करने के मार्ग प्रशस्त किए जा रहे हैं। भाजपा द्वारा अपने पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मंशाओं पर भी पानी फेरने से गुरेज नहीं किया जा रहा है।
उस मां नर्मदा को प्रदूषण का शिकार बनाने का जतन किया जा रहा है जिस मां नर्मदा की जयंती पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने परिवार के साथ जाकर हजारों मीटर की चुनरी को अर्पित किया जाता है। भारतीय जनता पार्टी के असंगठित मजदूर संगठन के नेशनल प्रेजीडेंट प्रहलाद सिंह पटेल के साथ ही साथ संसद सदस्य अनिल माधव दवे द्वारा मां नर्मदा की यात्रा की जाती है, बावजूद इसके भाजपा सरकार द्वारा नर्मदा को प्रदूषण की गोद में भेजने की तैयारी कर ही ली गई है।
गौरतलब है कि जब रानी अवंती बाई सागर परियोजना अर्थात बरगी बांध की आधार शिला रखी गई थी तब मध्य प्रदेश के किसानों के चेहरों पर गजब का तेज नजर आया था। किसानों को लगा था कि इसके बनने से अथाह जलराशि एकत्र होगी जो साल भर खेती किसानी के काम आएगी। वस्तुतः हुआ भी यही, नर्मदा के तीरे बसे शहर, कस्बे, गांव, मजरे टोले आदि में खेती किसानी के साथ ही साथ दिनचर्या के लिए पानी सुलभ हो गया।
कालांतर में नर्मदा का जल प्रदूषित होना आरंभ हुआ। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि जीवनदायनी मां नर्मदा अमरकंटक से निकलने के कुछ किलोमीटर बाद ही प्रदूषित होना आरंभ हो गई। जबलपुर के उपरांत कई स्थानों पर इसका पानी पीने योग्य भी नहीं बचा।
विडम्बना देखिए, एमपी पीसीबी द्वारा खुद सर्वेक्षण करवाया गया और अब एमपी पीसीबी द्वारा खुद ही मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड को नर्मदा नदी के मुहाने पर कोल आधारित पावर प्लांट लगाने की अनुमति प्रदाय की जा रही है। इस पावर प्लांट की लगभग एक हजार फुट उंची चिमनी से उड़ने वाली राख जब बरगी बांध में समाएगी तो रानी अवंती बाई सागर परियोजना का पानी जहरीला होने से कोई नहीं रोक सकेगा।
कुल मिलाकर सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में पर्यावरण बिगड़े, प्रदूषण फैले, क्षेत्र झुलसे या आदिवासियों के साथ अन्याय हो इस बात से मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कुछ लेना देना नहीं है। यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के।डी।देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

गलत समय में पीएमओ पहुंचे थे खरे


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 82

गलत समय में पीएमओ पहुंचे थे खरे

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। तीक्ष्ण बुद्धि के धनी हरीश खरे को वज़ीरे आज़म डॉक्टर मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय में लाकर बेहद ही अच्छा काम किया था, किन्तु हरीश खरे ने शायद राहुकाल में पीएमओ ज्वाईन किया था, यही कारण है कि विवादों के साथ उनका समूचा कार्यकाल चर्चित रहा। दरअसल, हरीश खरे को जब पीएमओ ले जाया गया तब, केंद्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार आकंइ भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी।
हरीश खरे के सामने सबसे बड़ी चुनौति यह थी कि उनकी ज्वाईनिंग के साथ ही टू जी घोटाला, अंतरिक्ष घोटाला, कामन वेल्थ गेम्स घोटाला, एस बेण्ड घोटाला, आदर्श सोसायटी और न जाने कितने घोटाले परवान चढ़ रहे थे। हरीश खरे के बस में यह कतई नहीं था कि वे न्यायपलिका को इस बात के लिए प्रेरित कर पाते कि वह सरकार के पक्ष में नरम रवैया अपनाए।
इतना ही नहीं मीडिया में भी इस बात को उछलने से रोकना इसलिए भी संभव नहीं था क्योंकि मीडिया के पास इन सारी बातों के पुख्ता सबूत थे। इन सबूतों के प्रकाश में मीडिया शांत रहने की स्थिति में नहीं दिख रही थी। मनमोहन सरकार के मंत्री और कांग्रेस के आला नेता भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकी लगा रहे थे और उसकी कालिख को पोंछना हरीश खरे के बस की बात कतई ही नहीं दिखाई पड़ रही थी।
हरीश खरे की परेशानी यह भी थी कि जैसे ही घपले घोटाले की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनतीं वैसे ही राजनेता और जनसेवक अपने इन काले कारनामों को मीडिया में उछलने के लिए प्रधानमंत्री के मीडिया एडवाईजर को ही दोषी करार देकर कटघरे में खड़ा कर देते। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि हरीश खरे अपनी सफाई में पीएम से कई बार मंत्रियों के भ्रष्टाचार को रोकने की बात कह चुके थे किन्तु मंत्री थे कि पीएम को भी नीचा दिखाने से नहीं चूक रहे थे।
सूत्रों ने यहां तक कहा कि जब प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने एक मंत्री को बुलाकर भ्रष्टाचार के बारे में फटकार लगाना चाहा तो उस मंत्री ने साफ तौर पर कह दिया कि वह भ्रष्टाचार खुद के लिए नहीं वरन पार्टी के लिए कर रहे हैं। पार्टी के कोषाध्यक्ष महोदय ने उन्हें टारगेट दिया है। सूत्रों ने कहा कि दरअसल, जिन राज्यों में कांग्रेस की सत्ता नहीं है, उन राज्यों की प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दैनिक खर्चे आखिर एआईसीसी से ही पूरे किए जाते हैं।

(क्रमशः जारी)

यूआईडीए और खाद्य निगम द्वारा एमपी की प्रशंसा


यूआईडीए और खाद्य निगम द्वारा एमपी की प्रशंसा

(धीरेंद्र श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश में राशन कार्डों को डिजिटाइजेशन और मंडी आवक कार्य का कम्प्यूटरीकरण किये जाने पर यूआईडीए और भारतीय खाद्य निगम के चेयरमेन ने प्रशंसा की है। यहां आयोजित दो दिवसीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी राष्ट्रस्तरीय बैठक में मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव एंटनी डीसा ने मध्यप्रदेश में किये गये कार्यों की जानकारी दी और विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में इस साल 65 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया जायेगा जो देश में पंजाब के बाद सर्वाधिक होगा। प्रदेश में गेहूं भण्डारण बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
बैठक में श्री डीसा ने बताया कि मध्यप्रदेश में गेहूं खरीदी के लिए ई-उपार्जन प्रणाली अपनायी गयी है। अभी तक प्रदेश में दस लाख किसानों का पंजीयन किया जा चुका है। इस प्रणाली के तहत पंजीकृत किसानों को एस.एम.एस. से संदेश भेजकर गेहूं खरीदी केन्द्रों पर गेहूं बेचने के लिए आने की सूचना दी जायगी। किसानों से खरीदे गये गेहूं के मूल्य का भुगतान भी एकांउट पेई चैक के माध्यम से किया जायगा। बैठक में चर्चा के दौरान स्पष्ट हुआ कि ई-उपार्जन प्रणाली केवल मध्यप्रदेश में ही लागू की गयी है। भारतीय खाद्य निगम के चेयरमेन ने इस कार्य के लिए मध्यप्रदेश की सराहना की।
श्री डीसा ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा राशन कार्डों का डिजिटाइजेशन अभी तक किया जा चुका है। प्रदेश के छह जिलों में बायोमैट्रिक कार्ड दिये गये हैं। प्रदेश में हुए इस कार्य की यूडीआईए के चेयरमेन ने विशेष तौर पर प्रशंसा की।
उन्होंने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के संबंध में प्रदेश की आपत्तियां बतायीं और कहा कि प्रस्तावित अधिनियम में आबादी के प्रतिशत का आधार अवैज्ञानिक है। इसके स्थान पर मापदंडों में ऐसा प्रावधान किया जाय कि क्षेत्र विशेष में पात्र सभी व्यक्ति इसका लाभ ले सकें। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत स्टेट फूड कमीशन स्थापित होना है और जिला स्तर पर सैल गठित होना है। इसमें होने वाले व्यय की पूर्ति केन्द्र द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिनियम में ऐसे प्रदेशों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है जहां पहले से ही कार्य किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इन प्रावधानों को लचीला बनाये जाने की आवश्यकता है।

मारन के खिलाफ मामला दर्ज


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(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। प्रवर्तन निदेशालय ने टूजी स्पैक्ट्रम आवंटन घोटाले के सिलसिले में पूर्व केंद्रीय मंत्री दया निधि मारन और उनके भाई कला निधि पर मनी लांडरिंग का मामला दर्ज किया है। मनी लांडरिंग निरोधक कानून के तहत दर्ज मामला मारन बंधुओं को एयर सैल - मैक्सिस सौदे में कथित रूप से मिली करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रूपये की अवैध रकम से संबंधित है।
पूर्व दूर संचार मंत्री दया निधि मारन ने पिछले वर्ष इन आरोपों के बाद त्याग पत्र दे दिया था कि उन्होंने २००४-२००५ में दूर संचार लाइसेंस देने के लिए एयर सैल के मुकाबले मलेशिया के कंपनी मैक्सिस का पक्ष लिया था। श्री मारन ने इन आरोपों से इंकार किया था।
इन आरोपों के सिलसिले में सीबीआई भी श्री मारन और सन टीवी के प्रबंध निदेशक कला निधि मारन की जांच कर रही है। सीबीआई इस सौदे में विदेशी मुद्रा के नियमों के कथित उल्लंघन की भी छानबीन कर रही है।

मोबाईल टावर के लिए सख्ती से बने नियम


मोबाईल टावर के लिए सख्ती से बने नियम

(यशवंत श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। सरकार ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि देश भर में मोबाइल फोन और टावर से होने वाला वि$द्युत-चुम्बकीय विकिरण निर्धारित सीमा के भीतर हो। कल नई दिल्ली में भारत के एसोसिएटिड वाणिज्य और उद्योग मंडल संघ - एसोचौम द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सम्मेलन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार ने हाल ही में एक अंतर मंत्रालय समिति गठित की है, जिसका निष्कर्ष है कि बेस ट्रांसीवर स्टेशनों से होने वाला उत्सर्जन निर्धारित सीमा के भीतर है और इसलिए इंसानों को इससे कोई खतरा नहीं है। मोबाइल फोन और टावर से होने वाले विकिरण के नियमों की समीक्षा की मांग के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार विशेषज्ञों से बातचीत करने पर तभी विचार करेगी, जब इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत होंगे कि निर्धारित मानक सही नहीं है।

नदियों की स्थिति पहले से बेहतर


नदियों की स्थिति पहले से बेहतर

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। केन्द्रीय जल आयोग ने कहा है कि इस समय देश की अधिकांश बड़ी नदियों के जलाशयों  में मौजूद पानी की मात्रा पिछले दस साल के औसत से ज्यादा है। आयोग ने एक बयान में कहा कि जनवरी के आखिरी सप्ताह में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गंगा, सिन्धु, नर्मदा, तापी, माही, साबरमती और कच्छ की नदियों सहित प्रमुख नदियों में पानी पिछले दस वर्षों के औसत से बेहतर है और गोदावरी तथा कृष्णा थालों में सामान्य के करीब है। आयोग ने कहा कि पिछले साल पहली जून से मॉनसून शुरू होने पर इन सभी जलाशयों में उनकी तय क्षमता का २४ प्रतिशत पानी था और इस वर्ष २५ जनवरी तक यह ५५ प्रतिशत था। आयोग का कहना है कि इस समय इनमें पिछले वर्ष के संग्रह का ८९ प्रतिशत और इसी अवधि के दौरान पिछले १० वर्षों के औसत जल संग्रह का १२२ प्रतिशत है।

यूपी में हुआ रिकार्ड मतदान


यूपी में हुआ रिकार्ड मतदान

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कल पहले चरण में ५५ निर्वाचन क्षेत्रों में ६२ प्रतिशत से अधिक रिकॉर्ड मतदान हुआ। इस बार पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में १६ प्रतिशत अधिक वोट डाले गए। मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी ने मतदान का प्रतिशत बढ़ने का श्रेय मतदाताओ ंको जागरूक करने और अधिक से अधिक संख्या में नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए चुनाव आयोग के प्रयासों को दिया।
इस बीच, फरूखाबाद जिले में चुनाव अधिकारियों ने कांग्रेस उम्मीदवार लुई खुर्शीद को उपहार बांटने के मामले में कारण बताओ नोटिस दिया है। चुनाव अधिकारी ने उनसे दो दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है नहीं तो उन पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की कार्रवाई की जायेगी।
दूसरे चरण के लिए नौ जिलों के ५९ निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार आज शाम समाप्त हो जाएगा। इस चरण में मतदान शनिवार को होना है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संवाददाता ने बताया है कि छठे चरण के लिए नामांकन पत्र भरने का समय आज शाम समाप्त हो रहा है।
दूसरे चरण के चुनाव में कल एक हजार ९९ उम्मीदवार मैदान हैं। इस चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर, महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, और गाजीपुर जिलों में मतदान होना है। इस चरण में कई महत्वपूण राजनीतिक व्यक्तियों के चुनाव भाग्य का फैसला होगा। ३१ वर्तमान विधायक और चौबीस पूर्व मंत्री भी चुनाव मैदान में हैं। पांचवे चरण में लिए नाम वापसी का समय समाप्त होने के बाद अब कुल आठ सौ चालीस उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं।

मोदी को अदालत की फटकार


मोदी को अदालत की फटकार

(आनंद कुमार)

अहमदाबाद (साई)। गुजरात में २००२ गोधरा कांड के बाद हुए दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल-एसआईटी ने अहमदाबाद में एक स्थानीय अदालत में अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले साल १२ सितम्बर को उच्चतम न्यायालय ने दंगों पर काबू पाने में मोदी सरकार की कथित निष्क्रियता पर कोई आदेश देने से इनकार कर दिया था और मजिस्ट्रेट अदालत पर यह जिम्मेदारी छोड़ दी थी कि वह एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई का फैसला लें।
कल गुजरात हाई कोर्ट द्वारा राज्य की नरेन्द्र मोदी सरकार को २००२ के साम्प्रदायिक दंगों में निष्क्रियता बरतने के लिए बड़ी फटकार मिलने के बाद विशेष जांच दल द्वारा दायर अंतिम रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण है। बंद लिफाफे में दायर की गई अंतिम रिपोर्ट आज खोली जा सकती है। गुलबर्ग हत्या कांड में कांग्रेस के सांसद एहसान जाफरी सहित अनेक लोग मारे गए थे और उनकी पत्नी जकिया जाफरी की शिकायत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित ६३ लोगों की भूमिका के बारे में विशेष जांच दल गठित किया था।
उधर एक अन्य मामले में गुजरात उच्च न्यायालय ने इस्लामिक रिलीफ कमेटी ऑफ गुजरात की याचिका पर सुनवाई करते हुए गोधरा दंगों के दौरान ध्वस्त हुए लगभग पांच सौ धार्मिक स्थलों के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि ऐसे ढांचों की मरम्मत और मुआवजे की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।

भृंगराज: रोके असमय बालों का पकना


हर्बल खजाना ----------------- 20

भृंगराज: रोके असमय बालों का पकना



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। नदी, नालों, मैदानी इलाकों, खेत और उद्यानों मे अक्सर देखा जाने वाला भृंगराज आयुर्वेद के अनुसार बडा ही महत्वपूर्ण औषधिय पौधा है। ग्रामीण अंचलों मे ब्लैक बोर्ड को काला करने के लिये जिस पौधे को घिसा जाता है, वही भृंगराज है। इसका वानस्पतिक नाम एक्लिप्टा प्रोस्ट्रेटा है।
इस पौधे का रस पीलिया में भी दिया जाता है। भृंगराज की पत्तियों का रस शहद के साथ मिलाकर देने से बच्चों को खाँसी में काफ़ी फ़ायदा होता है। पातालकोट के आदिवासियों का मानना है कि यदि इसकी पत्तियों के रस को मसूडों पर लगाया जाए और कुछ मात्रा माथे या ललाट पर लगायी जाए तो सरदर्द में अतिशीघ्र आराम मिलता है।
हाथीपाँव या एलिफ़ेंटेयासिस होने पर तिल के तेल के साथ पत्तियों के रस को मिलाकर पाँव पर लेपित करने से फ़ायदा होता है। एसिडिटी होने पर पौधे को सुखाकर चूर्ण बना लिया जाए और हर्रा के फ़लों के चूर्ण के साथ समान मात्रा में लेकर गुड के साथ सेवन कर लिया जाए तो एसिडिटी की समस्या से निजात मिल सकती है।
माईग्रेन या आधा सीसी दर्द होने पर भृंगराज की पत्तियों को बकरी के दूध में उबाला जाए व इस दूध की कुछ बूँदें नाक में डाली जाए तो आराम मिलता है। डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार त्रिफला, नील और भृंगराज तीनों एक एक चम्मच लेकर ५० मिली पानी में मिलाकर रात को लोहे की कड़ाही में रख देते है। प्रातः इसे बालों में लगाकर, इसके सूख जाने के बाद नहा लिया जाता है। आदिवासियों के अनुसार ये बालों को असमय पकने से रोकता है।

(साई फीचर्स)
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