बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 82
गलत समय में पीएमओ पहुंचे थे खरे
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। तीक्ष्ण बुद्धि के धनी हरीश खरे को वज़ीरे आज़म डॉक्टर मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय में लाकर बेहद ही अच्छा काम किया था, किन्तु हरीश खरे ने शायद राहुकाल में पीएमओ ज्वाईन किया था, यही कारण है कि विवादों के साथ उनका समूचा कार्यकाल चर्चित रहा। दरअसल, हरीश खरे को जब पीएमओ ले जाया गया तब, केंद्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार आकंइ भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी।
हरीश खरे के सामने सबसे बड़ी चुनौति यह थी कि उनकी ज्वाईनिंग के साथ ही टू जी घोटाला, अंतरिक्ष घोटाला, कामन वेल्थ गेम्स घोटाला, एस बेण्ड घोटाला, आदर्श सोसायटी और न जाने कितने घोटाले परवान चढ़ रहे थे। हरीश खरे के बस में यह कतई नहीं था कि वे न्यायपलिका को इस बात के लिए प्रेरित कर पाते कि वह सरकार के पक्ष में नरम रवैया अपनाए।
इतना ही नहीं मीडिया में भी इस बात को उछलने से रोकना इसलिए भी संभव नहीं था क्योंकि मीडिया के पास इन सारी बातों के पुख्ता सबूत थे। इन सबूतों के प्रकाश में मीडिया शांत रहने की स्थिति में नहीं दिख रही थी। मनमोहन सरकार के मंत्री और कांग्रेस के आला नेता भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकी लगा रहे थे और उसकी कालिख को पोंछना हरीश खरे के बस की बात कतई ही नहीं दिखाई पड़ रही थी।
हरीश खरे की परेशानी यह भी थी कि जैसे ही घपले घोटाले की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनतीं वैसे ही राजनेता और जनसेवक अपने इन काले कारनामों को मीडिया में उछलने के लिए प्रधानमंत्री के मीडिया एडवाईजर को ही दोषी करार देकर कटघरे में खड़ा कर देते। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि हरीश खरे अपनी सफाई में पीएम से कई बार मंत्रियों के भ्रष्टाचार को रोकने की बात कह चुके थे किन्तु मंत्री थे कि पीएम को भी नीचा दिखाने से नहीं चूक रहे थे।
सूत्रों ने यहां तक कहा कि जब प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने एक मंत्री को बुलाकर भ्रष्टाचार के बारे में फटकार लगाना चाहा तो उस मंत्री ने साफ तौर पर कह दिया कि वह भ्रष्टाचार खुद के लिए नहीं वरन पार्टी के लिए कर रहे हैं। पार्टी के कोषाध्यक्ष महोदय ने उन्हें टारगेट दिया है। सूत्रों ने कहा कि दरअसल, जिन राज्यों में कांग्रेस की सत्ता नहीं है, उन राज्यों की प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दैनिक खर्चे आखिर एआईसीसी से ही पूरे किए जाते हैं।
(क्रमशः जारी)
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