रविवार, 25 दिसंबर 2011

33 आईएएस अधिकारियों की पदस्थापना


33 आईएएस अधिकारियों की पदस्थापना



(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश शासन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए हैं। इनमें तीन कलेक्टर्स को आयुक्त बनाया है और अनेक कनिष्ठ अधिकारियों को संभागीय मुख्यालय में जिला कलेक्टर बनाया गया है। जारी आदेश के तहत 1981 बैच के अधिकारी एम.एम.उपाध्याय जो वर्तमान में किसान कल्याण, खाद्य प्रसंस्करण और सहकारिता के प्रमुख सचिव थे, को प्रमुख सचिव उद्यान, खाद्य बनाया है।
मंत्रालय में ओएसडी सुधीर रंजन मोहन्ती को राज्य योजना आयोग का सदस्य सचिव, राज्य योजना आयोग के सचिव के.सुरेश को आयुक्त आदिम जाति अनुसंधान, प्रमुख सचिव राजस्व राज किशोर स्वाई को प्रमुख सचिव एग्रीकल्चर, विनोद सेमवाल को प्रमुख सचिव पर्यटन, जे.टी.एक्का एमडी, भण्डार गृह निगम को पीएस जेल, भोपाल संभागायुक्त मनोज श्रीवास्तव को राहत आयुक्त तथा पीएस राजस्व बनाया गया है।
इसी तरह आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र मनोज झलानी को पीएस स्कूल शिक्षा, राजस्व आयुक्त राजेश चतुर्वेदी को एमडी उद्योग निगम, हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त प्रवीण गर्ग को भोपाल आयुक्त, सागर आयुक्त एस.के.वेद को आबकारी आयुक्त ग्वालियर, अशोक वर्णवाल आयुक्त लोक शिक्षण को आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र, अरूण तिवारी पीएस जीएडी को आयुक्त नर्मदापुरम, उर्जा विकास निगम के एमडी नीरज मण्डलोई को ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का सीईओ बनाया गया है।
आज जारी आदेश में संचालक नर्मदा घाटी विकास रमेश थेटे को अपर आयुक्त उज्जैन, हीरा लाल त्रिवेदी सचिव पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग को प्रमुख राजस्व आयुक्त, वीणा घाणेकर एमडी मत्स्य महासंघ को सचिव जीएडी, अरूण भट्ट आबकारी आयुक्त ग्वालियर को, आयुक्त हाउसिंग बोर्ड, शिवशेखर शुक्ला सीईओ रोजगार गारंटी को आयुक्त सागर संभाग, अरूण कोचर कमिश्नर आदिवासी विकास को आयुक्त लोक शिक्षण बनाया गया है।
ग्वालियर कलेक्टर आकाश त्रिपाठी को अपर सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय, पुष्पलता सिंह कलेक्टर अलीराजपुर को अपर सचिव मंत्रालय, रजनी उईके कलेक्टर अनूपपुर को उप सचिव मंत्रालय, कलेक्टर मुरेना एम.के.अग्रवाल को सचिव एमपी पीएससी इंदौर, कलेक्टर बुरहानपुर रेणु पंत को संचालक नर्मदा घाटी विकास इंदौर बनाया गया है।
जिला कलेक्टरों में सिंगरोली कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि को जिलाधिकारी ग्वालियर, एम.सेलवेंद्रन कलेक्टर कटनी से कलेक्टर सिंगरोली, आशुतोष अवस्थी प्रोग्राम डायरेक्टर तेजस्वनी को कलेक्टर बुरहानपुर, अशोक भार्गव सीईओ जिला पंचायत मंदसौर से कलेक्टर इंदौर, राजेंद्र सिंह अपर संचालक स्वास्थ्य से कलेक्टर अलीराजपुर, जे.के.जैन उप सचिव पीडब्लूडी से कलेक्टर अनूपपुर, डी.डी.अग्रवाल, उपसचिव आवास एवं पर्यावरण से कलेक्टर मुरैना बनाए गए हैं।

अखिल भारतीय वन खेलों में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर


अखिल भारतीय वन खेलों में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर



(इमरान)

भोपाल (साई)। वन मंत्री सरताज सिंह ने गत दिनों देहरादून में आयोजित 19वीं अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता में पदक हासिल करने वाले खिलाड़ियों को बधाई दी है। मध्यप्रदेश के दल ने 21 स्वर्ण, 27 रजत एवं 23 काँस्य पदक प्राप्त कर इस खेल प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिता में इस वर्ष कुल 213 अंकों के साथ उत्तराखण्ड प्रथम, 205 अंकों के साथ छत्तीसगढ़ द्वितीय और 194 अंकों के साथ मध्यप्रदेश तृतीय स्थान पर रहा।
मध्यप्रदेश के दल में नरेन्द्र सिंह ठाकुर एवं सुश्री रूबी कौर ने टेबिल-टेनिस में 6-6 स्वर्ण-पदक प्राप्त किए। दल के टीम मैनेजर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ए.के. जैन और दल के प्रभारी प्रधान मुख्य वन संरक्षक आर.के. दवे थे। उल्लेखनीय है कि अभी तक आयोजित कुल 19 अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिताओं में मध्यप्रदेश का दल ही एकमात्र ऐसा दल है जो हमेशा प्रथम तीन स्थानों पर रहा।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं का मानदेय बढ़ा, आदेश जारी


आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं का मानदेय बढ़ा, आदेश जारी



(अंशुल गुप्ता)

नई दिल्ली (साई)। राज्य शासन ने मंत्रि-परिषद की बैठक में लिये गये निर्णय के बाद आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय में की गई वृद्धि संबंधी आदेश जारी कर दिये है। इसमें उप आँगनवाड़ी ी केन्द्रों की कार्यकर्ता भी शामिल है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को एक अप्रैल 2011 से मानदेय की पुनरीक्षित दरें स्वीकृत की गई हैं।
विभिन्न श्रेणी की आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की वर्तमान मानदेय की दरों में प्रतिमाह हुई बढ़ोत्तरी इस प्रकार है - नॉन मैट्रिक 1438 से बढ़कर 2938 रूपये, नॉन मैट्रिक व 5 वर्ष का कार्यकाल 1469 से बढ़कर 2959 रूपये, नॉन मैट्रिक 10 वर्ष का कार्यकाल तथा मैट्रिक 1500 से बढ़कर 3000 रूपये, मैट्रिक 5 वर्ष का कार्यकाल 1531 से बढ़कर 3031 रूपये, मैट्रिक 10 वर्ष का कार्यकाल 1563 से बढ़कर पुनरीक्षित मानदेय 3063 रूपये होगा।
इसी प्रकार आँगनवाड़ी सहायिका को वर्तमान में दिये जाने वाला मानदेय 750 रूपये है। जिसकी पुनरीक्षित दर अब 1500 रूपये हो जायेगी। मिनी आँगनवाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता को अभी 750 रूपये मानदेय मिलता था। पुनरीक्षित दर की स्वीकृति के बाद अब उन्हें भी 1500 रूपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। राज्य शासन द्वारा पूर्व में लागू अतिरिक्त मानदेय, कार्यकर्ता के लिए एक हजार रूपये तथा सहायिका के लिए पाँच सौ रूपये प्रतिमाह यथावत रहेगा।

संरक्षित वन में बन रहा थापर का पावर प्लांट!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 38

संरक्षित वन में बन रहा थापर का पावर प्लांट!

संरक्षित वनों से घिरा हुआ है संयंत्र का क्षेत्र

वनों को उजाड़ने की तैयारी में हैं शिवराज!

एक दर्जन संरक्षित वन हैं संयंत्र के आस पास



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में शामिल मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड कें ग्राम बरेला में प्रस्तावित 1200 मेगावाट का कोल आधारित पावर प्लांट पूरी तरह संरक्षित वनों से न केवल घिरा हुआ है वरन् यह संरक्षित वन क्षेत्र में ही बन रहा है। संयंत्र प्रबंधन ने इसके पहले चरण की लोकसुनवाई में संरक्षित वनों के बारे में चुप्पी ही साधी रखी थी जो अनेक संदेहों को जन्म दे रही है।
आरोपित है कि 22 अगस्त 2009 को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा आहूत लोकसुनवाई के पूर्व संयंत्र प्रबंधन द्वारा जमा कराए गए कार्यकारी सारांश में इस संयंत्र के प्रथम चरण में आसपास कोई भी नेशनल पार्क नहीं होना दर्शाया गया था। उल्लेखनीय होगा कि संयंत्र स्थल से महज सत्तर किलोमीटर दूर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का कान्हा नेशनल पार्क अवस्थित है। इतना ही नहीं संयंत्र प्रबंधन ने संयंत्र के इर्दगिर्द रक्षित वनों के मामले में इस संबंध में मौन साध लिया गया था।
शोर शराबा होने के बाद भी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के प्रथम चरण को हरी झंडी दे दी गई। इसके उपरांत जब दूसरे चरण की लोकसुनवाई संपन्न हुई तब मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा एक बार फिर पहले चरण का ही कार्यकारी सारांश मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को सौंप दिया गया। पीसीबी के सूत्रों का कहना है कि जब इसमें लिखित खामियों के बारे में हल्ला मचा तब संयंत्र प्रबंधन ने मण्डल के कारिंदों की मदद से कार्यकारी सारांश ही बदल दिया।
सूत्रों ने कहा कि नए कार्यकारी सारांश के पांचवें पेज में संयंत्र प्रबंधन ने कहा है कि इस संयंत्र के इर्द गिर्द एक दो नहीं एक दर्जन संरक्षित वन हैं। इसमें उत्तर से दक्षिण में तीन किलोमीटर रोटो संरक्षित वन, उत्तर से उत्तर पूर्व में साढ़े सात किलोमीटर पर बरवाक्चार संरक्षित वन, उत्तर पश्चिम में नौ किलोमीटर पर काटोरी संरक्षित वन, उत्तर पश्चिम में तीन किलोमीटर पर धूमा संरक्षित वन है।
इसके अलावा दक्षिण में साढ़े सात किलोमीटर पर घंसौर संरक्षित वन, पश्चिम उत्तर पश्चिम में डेढ़ किलोमीटर पर भाटेखारी संरक्षित वन, पूर्व दक्षिण पूर्व में साढ़े तीन किलोमीटर पर बिछुआ संरक्षित वन, दक्षिण पश्चिम में आठ किलोमीटर पर जेतपुर संरक्षित वन, ग्राम बरेला में लगने वाले संयंत्र खुद ही संरक्षित वन में स्थापित है। पूर्व दक्षिण पूर्व में आठ किलोमीटर में प्रतापगढ़ आरक्षित वन है।
संयंत्र प्रबंधन द्वारा मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को सौंपे गए 15 पेज के अपने कार्यकारी संक्षेप के पांचवें पेज पर स्वयं ही इस बात को स्वीकार किया है कि संयंत्र से शून्य किलोमीटर दूरी पर बरेला संरक्षित वन है। शून्य किलोमीटर का सीधा तात्पर्य यही हुआ कि गौतम थापर के स्वामित्व वाला अवंथा समूह का सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा छटवीं अनुसूची में अधिसूचित सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड के ग्राम बरेला में लगाए जाने वाले कोल आधारित पावर प्लांट को संरक्षित वन में ही संस्थापित करने का तानाबाना केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की देखरेख में मध्य प्रदेश शासन के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के द्वारा बुना जा रहा है।
यक्ष प्रश्न तो यह बना हुआ है कि यह सब देखने सुनने के बाद क्या वन विभाग आंखों पर पट्टी बांधे हुए है, अथवा मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, अथवा संयंत्र प्रबंधन द्वारा आनन फानन में तैयार कर मण्डल की मिलीभगत से घंसौर के गोरखपुर गांव में 22 नवंबर को संपन्न हुई लोकसुनवाई के एक सप्ताह के बाद जमा करवाए गए कार्यकारी सारांश में जल्दबाजी में यह ऋुटी कर दी गई है?
अगर संयंत्र प्रबंधन का कहना सही है कि उक्त संयंत्र संरक्षित वन में स्थापित किया जा रहा है तब इसके प्रथम चरण के काम को क्या रोका जाएगा? साथ ही साथ जमीनी हकीकत देखे बिना केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आखिर इसके निर्माण की अनुमति कैसे दे दी गई है? इस तरह देश में सियासी दलों द्वारा सशक्त लोकपाल लाने का दावा किया जा रहा है।

(क्रमशः जारी)

बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 60

मनमोहन के लिए परेशानी का सबब बना त्रिफला

मनमोहन के प्यारे मंत्री ही बो रहे मार्ग में शूल



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के लिए परेशानी का सबब उनके अपने चहेते मंत्री ही बनते जा रहे हैं। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार में तीन मंत्रियों का त्रिफला आज भी अपनी हेकड़ी में ही है। इन मंत्रियों की हेकड़ी के कारण मनमोहन सिंह की छवि काफी हद तक प्रभावित हो रही है। इनके रूखे और कथित हेकड़ी पूर्ण व्यवहार के चलते मनमोहन सरकार सदा ही कांग्रेस के एक धड़े और विपक्ष के निशाने पर रही है। अब तो इनके साथ समाजसेवी अण्णा हजारे भी जुड़ चुके हैं।
सत्ता के गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार पलनिअप्पम चिदम्बरम, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा के त्रिफला ने मनमोहन सरकार की नाक में दम कर रखा है। इन तीनों की भाव भंगिमाओं और बोल वचन के चलते कांग्रेस में ही इनका खासा विरोध होने लगा है। कांग्रेस के अलावा विपक्ष इन्हें आड़े हाथों ले रहा है। बाबा रामदेव प्रकरण से कपिल सिब्बल की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है।
कांग्रेस के अंदर अब यह चर्चा चलने लगी है कि अगर कोई विधेयक पारित करवाना हो तो इन तीनों मंत्रियों को उससे कोसों दूर रखा जाए वरना विपक्ष भड़क जाएगा और बिल संसद की सीढ़ियां भी नहीं चढ़ पाएगा। इन तीनों की हरकतों से सरकार और कांग्रेस को भी जनता के आक्रोश का सामना कई बार करना पड़ा है। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि मनमोहन पर अब यह दबाव बनने लगा है कि वे अपने प्यारे इस त्रिफला को कुछ समय के लिए पार्श्व में ही ढकेल दें।

(क्रमशः जारी)

महाकौशल के केंद्र में होगा जबलपुर


0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 17

महाकौशल के केद्र में होगा जबलपुर

नए राज्य के सारे कारक मौजूद हैं महाकौशल में



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रथक महाकौशल प्रांत के प्रस्तावित भौगोलिक क्षेत्र को अगर देखा जाए तो जबलपुर इस प्रांत का केंद्र ही साबित हो रहा है। नवीन सूबे या राज्य के लिए जिन कारकों की आवश्यक्ता होती है वे सभी जबलपुर प्रांत में मौजूद हैं। राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव में प्रथक महाकौशल प्रांत का सपना अब तक साकार नहीं हो सका है।
देखा जाए तो जब भी सत्ताधारी दल की ओर से कहा जाता हो कि भूगोल व आवागमन प्राथमिकता नहीं होगी, भाषा प्राथमिकता होगी, तब वह दल कमजोर हो जाता है। इसके साथ ही साथ राज्य बनने की ताकत के अनेक कारक हैं। महाकौशल प्रांत में भी ये लागू होते हैं। भारत के भौगोलिक मध्य में होना, तीन अभयारण (कान्हा, पेंच, बांधवगढ) पौध-भिन्नता, जैव-विविधता, भाषाई- विविधता, संस्कृतिक-विविधता, सतपुडा -विंध्याचल व नर्मदा, उच्च न्यायालय, पर हानि पहुंचाने वाले कारक इनमें प्रमुख हैं।
महाकौशल का केंद्र जबलपुर है, जिसके चारों ओर राज्य व राज्य बनने की मांग है। जबलपुर से रायपुर-छत्तीसगढ की राजधानी। जबलपुर से भोपाल-मध्यप्रदेश की राजधानी। जबलपुर से नागपुर-विदर्भ की संभावित राजधानी है। जबलपुर से इलाहाबाद-पूर्वांचल की संभावित राजधानी है। जबलपुर से झांसी-बुंदेलखंड की संभावित राजधानी। सभी की दूरी लगभग 3॰॰ किलोमीटर है, 10 प्रतिशत ज्यादा या कम।
इन परिस्थितियों में जबलपुर केंद्र बिंदु के रूप में ताकतवर है, पर बंटवारा हो जाने पर सबसे कमजोर भी, क्योंकि सबके पास भाषा एवं क्षेत्र की ताकत है, जो महाकौशल के पास नहीं है। सागर यदि राज्य के अंदर रहे और महाकौशल का हिस्सा बने, तब विदिशा जिलेवासी मध्यभारत में रहना चाहेंगे, न कि महाकौशल में और यदि राज्य पुनर्गठन में वह बुंदेलखंड में जाता है, तब भी विदिशा जिलेवासी सहमत नहीं होंगे।
इस परिस्थिति में लोकसभा सीट दो राज्यों में हो नहीं सकती। ऐसी स्थिति में विषमता, दुविधा, असहमति एवं असंतुष्टि बनी रहेगी। इसी प्रकार खजुराहो, जो उत्तरप्रदेश की सीमा से जबलपुर जिले की सीमा तक है, तो कटनी जिलेवासियों के साथ भी दुविधा रहेगी। वे कहां जाएंगे? लोकसभा का क्षेत्र बंट नहीं सकता।

(क्रमशः जारी)

पौधा या टीनारोपण!


पौधा या टीनारोपण!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली को हरा भरा रखने के लिए मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित बेहद फिकरमंद हैं। वे यदा कदा दिल्ली के लिए क्लीन दिल्ली, ग्रीन दिल्लीका संदेश भी दिया करती हैं। कामन वेल्थ गेम्स के दरम्यान दिल्ली को हरा भरा करने संबंधी एक और घोटाले का खुलासा होने लगा है। यह मामला प्रकाश में आते ही मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक सकती हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कामन वेल्थ गेम्स के एन पहले दिल्ली सरकार द्वारा समूची दिल्ली को हरा भरा करने के लिए व्यापक स्तर पर पौधे लगाने की गरज से हरियालीयोजना का आगाज किया था। इस योजना में जनता के गाढ़े पसीने के करोड़ों रूपए फूंक दिए गए। आज इतने अंतराल बाद भी इस वृक्षारोपण का कहीं नामोनिशान भी नहीं दिख पा रहा है। दिल्ली सरकार का दावा था कि राजधानी में दस लाख पौधे रोपे गए हैं।
खुद मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने एफ एम रेडियो चेनल्स के माध्यम से दिल्ली में दस लाख पौधे लगाने की बात कही गई थी। मुख्यमंत्री का यह दावा खोखला ही निकला। वर्तमान में दिल्ली की हालत देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली सरकार ने कामन वेल्थ गेम्स की तैयारियों के दरम्यान जमीन पर कितने पौधे लगाए और कागजों पर कितने। हां, कहा जा रहा है कि उस वक्त सरकार ने इन पौधोें को बचाने के लिए टीन के ट्री गार्ड अवश्य ही गड़वाए थे, जो बाद में चोरों द्वारा निकाल लिए गए। कहा जा रहा है कि दिल्ली की निजाम श्रीमति शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने विदेश से आने वाले खिलाड़ियों के दलों की आगवानी में पौधारोपण के बाजए टीनारोपण कराया गया था।

यूपी का सियासी घमासान आरंभ


यूपी का सियासी घमासान आरंभ

कमल, हाथी, पंजा, सायकल के बीच है रस्साकशी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश सूबे में रणभेरी बज चुकी है। सारे सियासी दलों की सेनाएं अब युद्ध मैदान की ओर कूच करने वाली हैं। हर कोई उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहा है। अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के केंद्र के फैसले से यूपी में सियासी भूचाल मचा हुआ है। माना जा रहा है कि सूबे अठ्ठारह फीसदी मुसलमान इससे कांग्रेस के पाले में आ सकते हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के इस दांव का लाभ भाजपा द्वारा सवर्ण वोट बैंक के माध्यम से उठाया जा सकता है।
देखा जाए तो सत्तारूढ़ दलों को अक्सर ही सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ता है। मायावती ही इकलौती एसी नेता होंगी जिनके राज में एंटी इनकंबेंसी फेक्टर लागू शायद ही हो पाए। अमूमन कमजोर ओर दलितों को वोट से दूर रखा जाता है। मायावती के राज में दलित बिना किसी भय के कम से कम पोलिंग बूथ तक तो पहुंचने लगा है। वहीं दूसरी ओर अपने लिए अपनी मूर्तियों को जीते जी लगवाना सड़कें धुलवाने और हेलीकाप्टर का बहुतायत में उपयोग मायावती के खिलाफ जा सकता है।
कांग्रेस के लिए यह चुनाव जीवन या मरण का प्रश्न बना हुआ है। पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्रीमति इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के साथ ही साथ गांधी परिवार के सदस्य श्रीमति मेनका गांधी, वरूण गांधी और कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी एवं युवराज राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र आता है उत्तर प्रदेश में। राहुल और सोनिया के संसदीय क्षेत्र के इस सूबे में होने से इस पर कांग्रेस की पकड़ बनना बेहद आवश्यक हो गया है।
वैसे देखा जाए तो इस बार कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ही होंगे। इसका कारण यह है कि राहुल ने उत्तर प्रदेश में दिन रात एक कर दी है। मायावती भी अपने प्रतिद्वंदी के बतौर बार बार उनका ही नाम ले रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा बुनकरों को विशेष पैकेज और अल्पसंख्यकों को आरक्षक का मामला काफी हद तक कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है किन्तु पिछले 21 सालों से सूबे से कांग्रेस सत्ता के बाहर है। पार्टी का जमीनी आधार नगण्य ही है।
समाजवादी पार्टी का गढ़ समझा जाने वाला उत्तर प्रदेश अब भी सपा के हाथों में ही है। मुलायम सिंह यादव के सुपुत्र और युवा तुर्क अखिलेश यादव ने सूबे में अपनी यात्रा से खासी छवि बना ली है। मुस्लिम वोट मुलायम सिंह यादव के पास बहुतायत में हैं। छवि के मामले में मुलायम सूबाई अन्य नेताओं पर बीस ही बैठती है। वैसे अभी लोगों के दिल दिमाग से यह बात नहीं निकल पाई है कि मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में समाजवादी पार्टी ही थाने चलाया करती थी। जातिगत समीकरणों में मुलायम सिंह फिट नहीं बैठ पा रहे हैं। राज्य में दलितों की तादाद 27 फीसदी है जो मुलायम के लिए खतरा बन सकती है।
भारतीय जनता पार्टी की स्थिति भी कमोबेश कांग्रेस सरीसी ही है। केंद्र और राज्य में भ्रष्टाचार का विरोध भाजपा उतने जोर शोर से नहीं कर पाई जितनी कि उम्मीद की जा रही थी। इसका नुकसान सूबे में भाजपा को उठाना पड़ सकता है। राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र की यात्राओं से माहौल बना। भाजपा का सबसे बड़ा ऋणात्मक फेक्टर यह है कि राज्य में राहुल या मायावती के कद को कोई नेता ही नहीं बचा है।

बेनी वर्मा ने उगला अण्णा के खिलाफ जहर


बेनी वर्मा ने उगला अण्णा के खिलाफ जहर



(धीरेंद्र श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। अण्णा हजारे के उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस पर हमले को देखते हुए अब कांग्रेस के नेताओं द्वारा अण्णा हजारे के खिलाफ जहर उगलना आरंभ कर दिया है। केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने अण्णा के खिलाफ बहुत ही असम्मानजनक भाषा का प्रयोग कर सियासी गंदी मानसिकता को उजागर कर दिया है।
 अन्ना हजारे के अनशन से पहले कांग्रेस ने उन पर जोरदार हमला बोला दिया है। इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने बेहद असम्मानजनक भाषा में अन्ना के ऊपर व्यक्तिगत आक्षेप लगाते हुए कहा, ‘‘वह सन् 1965 के भारत-पाक युद्धा का भगोड़ा सिपाही है। इसके गांव रालेगण सिद्धि में सरपंच इसके खिलाफ जीता है। महाराष्ट्र में यह शरद पवार का विरोध कर रहा था, इसके बावजूद कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन नगरपालिका चुनाव में जीता है।‘‘
जब से अन्ना ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पर निशाना साधा है, तब से बेनी प्रसाद वर्मा उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गए हैं। उनकी भाषा कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी के तल्ख तेवरों की याद दिला रहे हैं। हालांकि, तिवारी ने बाद में अन्ना से पत्र लिखकर माफी मांग ली थी। अन्ना को आरएसएस का एजेंट बताते हुए बेनी ने कहा, ‘अपने घर में इस आदमी का कोई वजूद नहीं है और दिल्ली आकर नौटंकी करता रहता है। आखिर अन्ना चीज ही क्या है।
दो दिन पहले भी वेनी प्रसाद वर्मा ने अन्ना को ललकारते हुए कहा था, ‘अन्ना हैं क्या आखिर। यूपी में आकर वह कुछ नहीं कर पाएंगे। चार दिन दिल्ली में धोती कुर्ता पहनकर रहने से कोई नेता नहीं बन जाता है। अन्ना साढ़े चार फीट के हैं और मैं 6 फीट का हूं।इससे पहले भी बेनी प्रसाद वर्मा ने टोपी वाला बुढ़वा कहकर अन्ना का अपमान किया था। उन्होंने कहा कि बुढ़वा टोपी लगाकर बैठ जाता है और हमको गरियाता है। इससे पहले उन्होंने अन्ना को यूपी में आकर दिखाने की चेतावनी दी थी।

दिल्ली में हाड़ गलाने वाली ठण्ड का आगाज


दिल्ली में हाड़ गलाने वाली ठण्ड का आगाज

पारा दो डिग्री पर अटका



(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। समूचा पूर्वोत्तर क्षेत्र इस समय हड्डी गलाने वाली ठण्ड की चपेट में है। राजधानी दिल्ली में न्यूनतम तापमान गिर कर २ डिग्री सेल्सियस हो गया और अधिकतम तापमान २० डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग के अनुसार आज दिन में आसमान साफ रहेगा और ठंडी हवाएं चलेंगी।
 उधर, जयपुर से ‘‘साई ब्यूरोका कहना है कि राजस्थान में राज्यभर में उत्तरी शीत लहर जारी है। चुरू राज्य में सबसे ठंडा रहा और न्यूनतम तापमान शून्य से एक डिग्री नीचे पहुंच गया। श्रीगगानगर में न्यूनतम तापमान एक दशमलव चार डिग्री सेल्सियस रहा। गुड़गांव के साई ब्यूरोने बताया कि हरियाणा में हिसार में तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच गया और रोहतक में तापमान शून्य से नीचे रहा। चंडीगढ़ से साई ब्यूरोका कहना है कि पंजाब में अमृतसर में सबसे अधिक ठंडा दिन महसूस किया गया और तापमान शून्य डिग्री तक पहुंच गया। पटियाला में न्यूनतम तापमान एक दशमलव आठ और लुधियाना में तीन दशमलव सात डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
शिमला में साई ब्यूरोने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कई स्थानों पर तापमान शून्य से नीचे रहा। किन्नौर जिले के कालपा में सबसे अधिक ठंड पड़ी और तापमान शून्य से छह दशमलव एक डिग्री कम रिकॉर्ड किया गया। मनाली में भी जबर्दस्त ठंड महसूस की गई और तापमान शून्य से दो दशमलव दो डिग्री सेल्सियस नीचे पहुंच गया। भोपाल स्थित साई ब्यूरोका कहना है कि सूबे में ठण्ड ने असर दिखाना आरंभ कर दिया है। खजुराहो और अमरकंटक में जबर्दस्त ठण्ड पड़ रही है, वहीं सिवनी जिले के बरघाट में एक व्यक्ति की ठण्ड से मौत होने की खबर है।

सीबीआई अदालतों की संख्या बढ़ी


सीबीआई अदालतों की संख्या बढ़ी

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। राजधानी दिल्ली में अगले महीने की २ तारीख से तीन और सीबीआई अदालतें काम करने लगेंगी। सीबीआई के पास मामलों की बढ़ती संख्या निपटाने के लिए अतिरिक्त विशेष न्यायालय गठित किए जाने की काफी समय से मांग की जा रही थी। ये विशेष सीबीआई अदालतें तीस हजारी, साकेत और पटियाला हाउस में स्थित होंगी।

ईशू के जन्मोत्सव पर मची है चहुंओर धूम


ईशू के जन्मोत्सव पर मची है चहुंओर धूम



(मिराज़ अहमद)

नई दिल्ली (साई)। क्रिसमस का त्यौहार आज देश और विदेशों में धार्मिक हर्षाेल्लास के साथ मनाया जा रहा है। दुनिया भर के हजारों इसाई तीर्थ यात्री और पर्यटक बैथलेहेम पहुंच गये हैं जहां दो हजार वर्ष पहले ईसा मसीह का जन्म हुआ था। एक हजार सात सौ वर्ष पुराने चर्च ऑफ द नैटिविटी में मध्यरात्रि प्रार्थना सभा आयोजित की गई। भारत में मसीही समाज के धर्मावलंबी आज क्रिसमस का त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं।
इस अवसर पर आज देश में राजधानी दिल्ली सहित अनेक स्थानों पर विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया। साईके पणजी संवाददाता ने बताया कि गोवा में अंतर्राष्ट्रीय शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए सभी गिरजा घरों में आधी रात को प्रार्थना सभाएं हुईं। गोवा में भगवान यीशू के जन्म का दृश्य दर्शाने वाली क्रिप जगह-जगह तथा घर-घर में बनाए गए हैं।
गोवा के प्रार्थना घर चौपल्स क्रिश्चिनधर्मियों के घर तथा अन्य स्थानों को रोशनी से सजाया गया है जो दृश्य बड़ा मनोरम लग रहा है। देश के अन्य राज्यों में तथा विदेशों में रह रहे क्रिश्चिन लोग क्रिसमस मनाने हेतु गोवा आ गए हैं। गोवा के आर्चबिशप फिलिप नैरीफेराओं, राज्यपाल के शंकर नारायणन और मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने गोवा की जनता को क्रिसमस त्यौहार की बधाई दी है।
त्रिपयार से साईसंवाददाता ने बताया कि केरल में आधी रात को प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं। समूचे केरल में आज के दिन लोगों में बेहद ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है। बाजारों को क्रिसमस ट्री और फूलों से सजाया गया है। उधर मिजोरम में भी क्रिसमस समारोह की धूम है। क्रिसमस के मौके पर आज मिजोरम में उत्सव का माहौल है। लोग एक-दूसरे को उपहार देकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं। कल आधी रात से मिडनाइट मास्क के साथ ही लोगों ने त्यौहार मनाना शुरू कर दिया। राज्य प्रशासन ने इस मौके पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं और राज्य के हर हिस्से में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पूरी चौकसी बरती जा रही है।

चिकित्सकों की हड़ताल, मरीज बेहाल


चिकित्सकों की हड़ताल, मरीज बेहाल



(समीर मीणा)

जयपुर (साई)। राजस्थान में चिकित्सकों की हड़ताल का बुरा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर देखने को मिल रहा है। सूबे में चिकित्सकों की हड़ताल का आज पांचवां दिन है। हड़ताल से अस्पतालों की सेवाओं पर असर पड़ा है। सरकारी अस्पतालों में सेना, सीमा सुरक्षा बल, रेलवे और गैर सरकारी डॉक्टरों की मदद से चिकित्सा सुविधाओं में कल से सुधार दिख रहा है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि राजस्थान आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत लगभग ३६० डाक्टरों को गिरतार और ४० को निलंबित किया गया है।
सेना ने बीकानेर और अलवर में अपने अस्पतालों में आम आदमी को इलाज कराने की अनुमति दी है। सरकार द्वारा कुछ और निजी अस्पतालों को आम मरीजों को सेवाएं देने के लिए अधिकृत किया गया है। एक हजार नए डॉक्टरों की भर्ती कवायद शुरू की गई है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री हालात पर खुद नजर रखे हुए हैं और अधिकारियों को हर कीमत पर वैकल्पिक स्वास्थ्य सवाएं बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। 

भारत पाक अधिकारी स्तर की वार्ता कल


भारत पाक अधिकारी स्तर की वार्ता कल



इस्लामाबाद (साई)। भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी कल से इस्लामाबाद में परम्परागत मुद्दों और परमाणु विश्वास बहाली उपायों पर दो दिन की वार्ता करेंगे। दो महीने पहले मालदीव में दोनों देशों के नेताओं की बातचीत के बाद यह पहली औपचारिक वार्ता होगी।  दोनों देशों के अधिकारी अन्य बातों के अलावा कश्मीर के रास्ते व्यापार और यात्रा सम्बन्धी विश्वास बहाली उपायों को लागू करने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। परमाणु सुरक्षा और मिसाइल परीक्षणों के बारे में मंगलवार को चर्चा होगी।

थम नहीं रहा नाइजीरिया में हिंसा का दौर


थम नहीं रहा नाइजीरिया में हिंसा का दौर

दामातुरू (साई)। नाइजीरिया के अशांत उत्तरी क्षेत्र में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां एक कट्टरपंथी इस्लामी गुट के हमलों में लगभग एक सौ लोगों के मारे जाने की आशंका है। उग्रवादियों और सेना के बीच झड़पें जारी हैं। उग्रवादियों ने कई उत्तरी शहरों में विस्फोटकों से हमला किया, जहां सेना और पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। देश के थल सेना अध्यक्ष जनरल अजबुइके-इहेजीरिका ने बताया कि कट्टरपंथी गुट बोको हरम ने बृहस्पतिवार को हमले शुरू किये। यह गुट शरियत कानून लागू करना चाहता है। कट्टरपंथियों को  उनके गढ़ गोम्बे राज्य की राजधानी दामातुरू से खदेड़ दिया गया है।

भारोत्तोलन में महिलाओं का स्वर्ण यूपी को


भारोत्तोलन में महिलाओं का स्वर्ण यूपी को

बरहमपुर (साई)। ओड़ीशा के बरहमपुर में नेशनल सीनियर भारोत्तलन प्रतियोगिता में महिलाओं के ४८ किलोग्राम वर्ग में उत्तर प्रदेश की सोनिया चानू ने क्लीन एंड जर्क में स्वर्ण पदक जीत लिया है। सेना के एस. मोहन सुन्दरम ने पुरूषों के ५६ किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।

सड़ा दिया गहलोत ने केंद्र का गेंहू!


सड़ा दिया गहलोत ने केंद्र का गेंहू!

गरीबों को नहीं बट पाया छः साल में गेंहूं

(प्रेम चंद मीणा)

चित्तौड़गढ़ (साई)। केंद्र पोषित योजनाओं का राशन अंततः छः सालों बाद सड़ गया और जरूरतमंदों को नहीं बांटा जा सका है। 119 क्विंटल गेंहूं को बीते दिनों सड़ जाने पर जमींदोज़ करना पड़ा। आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि कांग्रेसनीत केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा बिल इसलिए ला रही है, ताकि कोई भूखा न मरे, वहीं सूबे की कांग्रेस की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा गरीबों के मुंह के निवाले को सड़ाकर उसे दफनाया जा रहा है।

गौरतलब है कि वर्ष 2005 में एसजीआरवाय योजना के तहत यह गैंहू आया था। कुछ समय बाद ही यह योजना बंद हो गई। फिर इस गेंहूं को मनरेगा के श्रमिकों के वितरण के लिए प्रस्ताव दिया गया। समय पर कूपन न पहुंचने से यह योजना भी कारगर साबित नहीं हुई। सर्वोच्च न्यायालय भी कह चुका है कि अगर सरकार के पास अनाज के भण्डारण की उचित व्यवस्था नहीं है तो अनाज सड़ने के बजाए उसे गरीबों में बांट देना ही श्रेष्यसकर है।

दस अगस्त 2009 को इस गेंहूं का नमूना जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया। प्रयोगशाला में इसे मानव के उपयोग के लिए उचित नहीं माना गया। सड़े हुए गेंहू से उठने वाली दुर्गंध इतनी भयानक थी कि जीएसएस के बैठक हाल में एक पल भी बैठना दुश्वार हो रहा था। पिछले साल दिसंबर माह में ही तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ.आरूषी मलिक ने इसके निस्तारण के लिए एक कमेटी बना दी थी।

कमेटी भी सरकारी तर्ज पर कार्यवाही कर रही थी। इसी बीच एक साल बीत गया। राज्य के लोक निर्माण मंत्री भरत सिंह जब चित्तौड़गढ़ पहुंचे और उन्हें इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने सड़े हुए गैंहूं के बारे में उचित कार्यवाही का निर्देश दिया। जिला कलेक्टर ने छः साल पुराना 119 क्विंटल गेंहूं अंततः गड्ढ़ा खुदवाकर जमीन में गड़वा दिया।